Vivekanand Vinay

Vivekanand Vinay हिंदुराष्ट्र भारत का एक धर्मनिष्ठ हिंदु ।। ॐ।।

9th से 12th , NEET, IIT की तैयारी करने वाले विद्यार्थी इस संस्थान से जुड़ सकते हैं
24/04/2024

9th से 12th , NEET, IIT की तैयारी करने वाले विद्यार्थी इस संस्थान से जुड़ सकते हैं

यह विषय राष्ट्र को लुटेरों, जेहादियों और हिन्सेदुओं के शत्रुओं  बचाने का है .......
24/04/2024

यह विषय राष्ट्र को लुटेरों, जेहादियों और हिन्सेदुओं के शत्रुओं बचाने का है .......

.                        जगत् नियंता हमारे राम आए हैं।                   यों राम सर्व व्यापक हैं, नित्य हैं, सर्वत्र हैं...
22/01/2024

. जगत् नियंता हमारे राम आए हैं।
यों राम सर्व व्यापक हैं, नित्य हैं, सर्वत्र हैं
पर काल चक्र में हिंदुओं के समक्ष वो युग भी आया
जब भारत म्लेक्षों द्वारा रक्तरंजित हुआ, करोड़ों हिंदुओं
का बलिदान - मतांतरण हुआ, हजारों
मंदिरों का विध्वंस हुआ
इस बर्बरता के विरुद्ध धर्मनिष्ठ हिंदु हर युग में युद्धरत रहे,
हमारे पूर्वज पीढ़ी दर पीढ़ी रामलला के जन्मस्थान
और
भारत के अस्तित्व की रक्षा की शपथें खाते रहे,
उनमें से एक शपथ
आज पूर्ण हुई,
यह एतिहासिक उपलद्धि का दिवस है,
पर युद्ध शेष है ........
काशी, मथुरा, तक्षशिला, गांधार और
अखंड हिंदुराष्ट्र भारत का गौरवशाली वृतांत लिखा
जाना शेष है ✍️
पर आज मंगल गाओ, दीप जलाओ उत्सव मनाओ
हमारे राम आए हैं, भारत के प्राण आए हैं✍️
।। जय श्रीराम ।।
विवेकानन्द विनय

 #मेरे_रामएक दिन (संध्या के समय) सरयू के तट पर, तीनों भाइयों संग टहलते  #श्रीराम से भरत भैया ने कहा , "एक बात पूछूँ" भईय...
07/10/2023

#मेरे_राम

एक दिन (संध्या के समय) सरयू के तट पर, तीनों भाइयों संग टहलते #श्रीराम से भरत भैया ने कहा , "एक बात पूछूँ" भईया ❓

माता कैकई ने आपको वनवास दिलाने के लिए मँथरा के साथ मिल कर जो 'षड्यंत्र' किया था , क्या वह राजद्रोह नहीं था ?
उनके 'षड्यंत्र' के कारण एक ओर राज्य के भावी महाराज और महारानी को (14) चौदह वर्ष का वनवास झेलना पड़ा... तो दूसरी ओर पिता महाराज की दु:खद मृ'त्यु हुई। ऐसे 'षड्यंत्र' के लिए (सामान्य नियमों के अनुसार) तो मृ'त्युदण्ड दिया जाता है , फिर आपने माता कैकई को दण्ड क्यों नहीं दिया ?

🔸 #राम मुस्कुराए….... बोले, "जानते हो भरत !! किसी कुल में एक चरित्रवान और धर्मपरायण पुत्र जन्म ले ले , तो उसका जीवन उसके असँख्य पीढ़ी के पितरों के अपराधों का प्रायश्चित कर देता है । जिस "माँ" ने आप जैसे - महात्मा को जन्म दिया हो , उसे दण्ड कैसे दिया जा सकता है भरत ?
(भरत सन्तुष्ट नहीं हुए)

कहा , यह तो मोह है भईया और राजा का दण्डविधान मोह से मुक्त होता है । कृपया एक राजा की तरह उत्तर दीजिये कि आपने माता को दण्ड क्यों नहीं दिया ?.......समझिए कि आपसे यह प्रश्न आपका अनुज नहीं , अयोध्या का एक सामान्य नागरिक कर रहा है ।

(राम गम्भीर हो गए)......कुछ क्षण के मौन के बाद कहा , अपने सगे-सम्बन्धियों के किसी अपराध पर कोई दण्ड न देना ही इस सृष्टि का 'कठोरतम दण्ड' है भरत !!

माता कैकई ने अपनी एक भूल का बड़ा - कठोर दण्ड भोगा है । वनवास के (14) चौदह वर्षों में हम - चारों भाई अपने - अपने स्थान से परिस्थितियों से लड़ते रहे हैं ; पर माता कैकई हर क्षण मरती रही हैं ।

(अपनी एक भूल के कारण) उन्होंने अपना पति खोया , अपने चार - बेटे खोए , अपना समस्त सुख - सम्मान खोया , फिर भी वे उस "अपराध - बोध" से कभी मुक्त न हो सकीं । वनवास समाप्त हो गया...... तो परिवार के शेष - सदस्य प्रसन्न और सुखी हो गए, पर वे कभी प्रसन्न न हो सकीं। कोई 'राजा' किसी "स्त्री" को इससे कठोर दण्ड क्या दे सकता है ?

मैं तो सदैव यह सोचकर दुखी हो जाता हूँ कि "मेरे कारण (अनायास ही) मेरी माँ को इतना कठोर - दण्ड भोगना पड़ा ।"

राम के नेत्रों में जल उतर आया था , और भरत - आदि भाई मौन हो गए थे ।

(राम ने फिर कहा).......और उनकी भूल को अपराध समझना ही क्यों भरत !!......[यदि मेरा वनवास न हुआ होता] , तो संसार 'भरत' और 'लक्ष्मण' जैसे भाइयों के अतुल्य भ्रातृ - प्रेम को कैसे देख पाता ? (मैंने) तो केवल अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन मात्र किया था , पर (तुम - दोनों) ने तो मेरे - स्नेह में (14) चौदह वर्ष का "वनवास" भोगा । *"वनवास"* न होता तो यह संसार सीखता कैसे.......कि भाइयों का सम्बन्ध होता कैसा है ? भरत के प्रश्न मौन हो गए थे । (वे अनायास ही बड़े भाई से लिपट गए) !!

राम कोई नारा नहीं हैं । राम एक आचरण हैं , एक चरित्र हैं, एक जीवन "जीने की शैली" हैं।

जय जय सियाराम❣️🙏🙏

हजारों वर्ष प्राचीन इतिहास को संजोए हुई तीन प्राचीन मंदिर जो आज तीन देशों में हजारों किलोमीटर की दूरी पर हैं , पर एक जैस...
26/09/2023

हजारों वर्ष प्राचीन इतिहास को संजोए हुई तीन प्राचीन मंदिर जो आज तीन देशों में हजारों किलोमीटर की दूरी पर हैं , पर एक जैसी वास्तु शैली में निर्मित हैं।

१. ब्रह्मा मंदिर अंकोरवाट , कंबोडिया
२. महाबलीपुरम रथ मंदिर , भारत
३. प्रम्बनन मंदिर , इंडोनेशिया

मात्र ये तीनों मंदिर ही हमारी सनातन संस्कृति, सभ्यता और हिंदुओं के साम्राज्य के विस्तार को अभिव्यक्त करने , प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त हैं।

मात्र 400 वर्ष पूर्व तक फारस से लेकर लाओस तक सनातन हिंदु संस्कृति सभ्यता जीवंत थी और 1000 वर्ष पूर्व तक तो इस पूरे भूखंड हमारा गौरवशाली, गरिमापूर्ण अस्तित्व था।

हमें अपने अतीत पर गर्व करने के साथ हमें भविष्य को गौरवशाली बनाने के लिए अपना अधिकतम परिश्रम और त्याग करना है।
शुभमस्तु।
विवेकानन्द विनय
।। जय श्रीराम ।।
।। जय सनातन ।।

गुरुडमनए नए पंथों, संप्रदायों को जन्म देता है जिसका परिणाम है कि आज सनातन हिंदु सैकड़ों संप्रदायों में बंट गया है, हमारी...
26/09/2023

गुरुडम
नए नए पंथों, संप्रदायों को जन्म देता है
जिसका परिणाम है कि आज सनातन हिंदु
सैकड़ों संप्रदायों में बंट गया है, हमारी शक्ति विभाजित है
और यह बड़ा कारण है भारत के विध्वंसित-खंडित-रक्तरंजित-लुटने का ।
हम मूल ग्रंथों और उनके सिद्धांतों को छोड़कर नित नए गुरु बनाते चले गए, नित अपनी परंपराओं को पाखंड कहते चले गए और आज संस्कार-परंपरा विहीन होकर भटक रहे हैं।
कुछ हिंदु संप्रदायों ने तिलक, व्रत, पर्व, वेद, चोटी, जनेऊ, पुराण, मूर्ति पूजा आदि आदि को पाखंड घोषित कर दिया ।
मात्र इतना सोचना कि हमारे मंदिर आज नहीं होते तो आज भारत की पहचान क्या होती ?🤔
सभ्यता संस्कृति तो प्रतीकों, चिन्हों, पंपराओं से जीवित रहती है , कोरे शाब्दिक ज्ञान से जीवित नहीं रहती।
भारत का अस्तित्व आज गुरुडम के रहते बड़े खतरे में हैं।
गुरुडम से उत्पन्न हर संप्रदाय, पंथ, मत, विचाराधारा के लिए दूसरा मत, पंथ पाखंड है। बस हमारा गुरु सही है चाहें उस गुरु को देखा ना हो, उस गुरु के काल की सामाजिक-राजनैतिक-धार्मिक स्तिथि का पता ना हो व्यक्ति जो कहता है उसमें उसके काल की स्तिथियों की बड़ी भूमिका होती है , उसे आज ढोना मूर्खता है।
हमें अपने मूल ग्रंथों के अध्यन के प्रति उत्सुक होना चाहिए और किसी उपासना पद्धति को धारण करना चाहिए पर किसी भी संप्रदाय का स्वयं को गुलाम नहीं बनाना चाहिए
स्वतंत्र बुद्धि रखकर सनातन हिंदु ग्रंथों में प्रवृत्त रहकर धीरे धीरे अपने चिंतन का विकास करना श्रेयकर है।
विवेकानन्द विनय
।। जय श्रीराम।।

ज्ञान-विज्ञान-गणित का स्रोत रहे हैं हमारे गुरुकुल, गुरुकुलों के आचार्यों के ज्ञान का स्रोत रहे हैं हमारे वेद और वेद का म...
26/08/2023

ज्ञान-विज्ञान-गणित का स्रोत रहे हैं हमारे गुरुकुल, गुरुकुलों के आचार्यों के ज्ञान का स्रोत रहे हैं हमारे वेद और वेद का मूल स्रोत स्वयं इस सृष्टि का रचीयता "ईश्वर" है।
पर कुछ लोगों को ईश्वर और वेद से समस्या है तो कुछ लोगों को आचार्य चाणक्य, आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त, भाष्कराचार्य आदि आचार्यों के शिव, विष्णु आदि के उपासक एवम् मूर्तिपूजक होने से गहरी समस्या रही है।
सनातन के कई संप्रदाय जो अपनी पंथिक शिक्षा केन्द्रों को गुरुकुल की संज्ञा देते हैं, उन्हें भी इन आचार्यों से समस्या रही और इनके ग्रंथ उनके तथाकथित गुरुकुलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं बन पाए क्योंकि इनके ग्रंथ पढ़ाने पर ग्रंथ के प्रारंभ विष्णु, शिव, सरस्वती, गणेश आदि की गई स्तुति, उपासना, मूर्ति पूजा का वर्णन और तिलक आदि को भी पढ़ाना पड़ेगा जो इन्हें स्वीकार्य नहीं। चूंकि कुछ पंथों के लिए यह पाखंड है। इस तरह सनातन की गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति के विनाश के तीन कारण रहे हैं -
१. आक्रांता द्वारा गुरुकुलों का विध्वंस
२. सनातन में व्याप्त संप्रदायवाद
३. सेकुलर सरकारें / असंविधान ।

हमें संप्रदायवाद से मुक्त उसी महान गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति की पुनर्स्थापना करनी है जिससे सनातन की जड़ों का पोषण हो, सनातन पुनः व्यक्ति और परिवारों में स्थापित हो जिस गुरुकुलीय शिक्षा की कुछ अमृत बूंदें संलग्न छायाचित्रों में उल्लेखित हैं।
विवेकानन्द विनय
।। जय श्रीराम ।।

 े_कटक "हिन्दवी ( हिंदु ) साम्राज्य"यह मानचित्र ग्वालियर संग्रहालय में लगा हुआ है।         1758 में मराठा साम्राज्य का व...
24/08/2023

े_कटक "हिन्दवी ( हिंदु ) साम्राज्य"

यह मानचित्र ग्वालियर संग्रहालय में लगा हुआ है।

1758 में मराठा साम्राज्य का विस्तार देखिए । कश्मीर , पंजाब , लाहौर , पूरा उत्तरी भारत , उडीसा , महाराष्ट्र , कर्नाटक । एक छोटा-सा भाग दिल्ली में मुगलिया सल्तनत और हैदराबाद में निजाम को छोड़कर शेष पूरे भू-भाग पर भी भारतीय हिंदू राज्य ही थे ।

पृथ्वी के अधिपति राजा पृथु, मनु, इक्ष्वाकु चक्रवर्ती सम्राट भरत, विश्व विजेता मांधातृ, राजा हरिश्चंद्र, श्रीरामचंद्र से लेकर सम्राट युधिष्ठिर तक शिशुनाग वंश, मौर्य वंश से होकर गुप्त वंश, संवत प्रवर्तन विक्रमादित्य, महान विश्व विजेता शालीवाहन, चोल वंश, सातवाहन, चेर, पांड्य, चालुक्य, पल्लव, होयसल, राष्ट्रकूट राजपूत, और मराठा जैसे साम्राज्यों तथा
महाराजा पोरस, चाणक्य , चंद्रगुप्त, पुष्यमित्र शुंग, समुद्रगुप्त, अफगानिस्तान हिंदु शाही राजा जयपाल, महाराजा दाहिर, बप्पा रावल, प्रतिहार नागभट्ट प्रथम, मिहिरभोज, सुहेलदेव, पृथ्वीराज चौहान, राणा कुम्भा , राणा सांगा, महाराणा प्रताप, राजा रत्नसेन, माता पद्मिनी, छत्रसाल बुंदेला, जोरावर सिंह, शिवाजी, रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्याबाई होल्कर, रानी दुर्गावती, रानी चेन्नम्मा, बाजीराव, दुर्गादास जैसे वीरों एवम्

भारत की रक्षा में प्राण देने वाले , जीवन बलिदान करने वाले असंख्य महावीरों की महान प्रेरणास्पद जीवनगाथा की जगह हमें पढ़ाया गया कि

भारत को विध्न्सित, रक्तरंजित, निहत्थे हिंदु प्रजा के सिर काटकर पहाड़ जैसे ढेर लगाने वाले, हजारों मंदिर का विध्वंस करने वाले और धर्मान्तरित करने वाले लुटेरे आक्रान्ताओं ने भारत को समृद्ध किया, शिक्षित किया, प्रशासन दिया, वास्तुकला दिया, करेंसी का प्रचलन किया, सड़कें बनवायी और मुगल आदि आक्रांता महान थे और हमारे भारत के राजा, साम्राज्य आदि क्रूर थे 🤔

Note :- प्रस्तुत मानचित्र वर्तमान स्तिथितियों के अनुसार समायोजित है इसलिए नगरों के नाम, सीमा आदि आधुनिक रूप में प्रस्तुत किये गए हैं । और इसमें वे राज्य भी सम्मिलित हैं जहाँ से "हिन्दवी साम्राज्य" कर वसूल करता था ।
जय हिन्दवी साम्राज्य , जय शिवाजी
।। जय श्रीराम।।
Vivekanand ✍️
विवेकानंद विनय ✍️
विवेकानन्द विनय ✍️
Vivekanand Vinay ✍️

यह फलक पलसवारी बोगरा जिला बांग्लादेश(अखंड भारत) से प्राप्त हुआ था। इसमें श्री राम द्वारा धनुष तोडने का अंकन है। यहां उत्...
24/08/2023

यह फलक पलसवारी बोगरा जिला बांग्लादेश(अखंड भारत) से प्राप्त हुआ था। इसमें श्री राम द्वारा धनुष तोडने का अंकन है। यहां उत्तर गुप्त ब्राह्मी लिपि में - विस्वामित्र (नीचे), राम (ऊपर बायें), लक्षणा (ऊपर दायें) लिखा है।जिसको क्रमश: लाल मार्क से हाईलाइट किया है संलग्न चित्र में जिसे आप देख सकते हैं। यह संभवतः गुप्तकालीन है। वर्तमान में यह प्लेग राष्ट्रीय संग्रहालय बंग्लादेश के ढाका में सुरक्षित है।जैसे की आपको ज्ञात है बंग्लादेश भी भारत का भू-भाग रहा है।
Source- Early Ramayana Illustration From Bangladesh, fig. 8, page no. 1058
Sanatan Samiksha
#कुशवाहा

24/08/2023
यह उस कैंप का फोटो है जिसमें उन कश्मीरी हिंदुओं को रखा जिन्होंने लाखों वर्षों में कश्मीर को बसाया, सींचा, समृद्ध और प्रस...
24/08/2023

यह उस कैंप का फोटो है जिसमें उन कश्मीरी हिंदुओं को रखा जिन्होंने लाखों वर्षों में कश्मीर को बसाया, सींचा, समृद्ध और प्रसिद्ध किया । इन कश्मीरी हिंदुओं के बड़े बड़े बाग, बगीचे, कोठी, बंगला, कारखाने थे पर जेहादियों ने उस कश्मीर को कब्जाने के लिए हिंदुओं का नरसंहार किया, बलात्कार, लूट, हत्या और हिंदु नारियों को नग्न खिलौना बना दिया शेष जो भागने में सफल रहे उन्हें इन कैंपों में रखा , ऐसे ही एक कैंप जो जंबू में लगाया था, उसी का एक दर्दनाक वृतांत का फोटो है।
Kashmiri Pandit Migrant camp. Jammu. May 1990. Photographer: Ashok Vahi. For Dharmyug Magazine.
कृपया इस पेज को सपोर्ट करें
👉 विवेकानन्द विनय

●क्या आप जानते हैं  #शहरे_खास  किस  #प्राचीन_सांस्कृतिक_और_ऐतिहासिक नगर के ( #फिलहाल)आधे भाग नाम रखा गया है ?●पता होना च...
03/08/2023

●क्या आप जानते हैं #शहरे_खास किस
#प्राचीन_सांस्कृतिक_और_ऐतिहासिक नगर के ( #फिलहाल)आधे भाग नाम रखा गया है ?

●पता होना चाहिए कि लगभग 304 ई.पू. जन्मे #महाराज_अशोक_सम्राट ने कश्मीर में #श्रीनगरी नाम से जिस नगर का निर्माण किया उसे ही दुनिया #श्रीनगर को नाम से जानती है।उसी श्रीनगर के निचले हिस्से ( डाउन टाउन) का नाम लगभग डेढ दशक पूर्व शहरे-खास कर शहर के नामकरण का आधा इतिहास मिटा दिया गया।

●यों तो यह कश्मीर में कोई नई बात नहीं है। शंकराचार्य पर्वत का नाम #कोहे_सुलेमान , श्रीविद्या का पीठ चक्रेश्वरी तीर्थ #शारिका_पर्वत का #कोहे_मारान करना तो जग ज़ाहिर है।

●ध्यातव्य है कि वर्ष 1975 में #शेख_मुहम्मद_अबदुल्ला ने दूसरी पारी में मुख्यमंत्री बनने के बाद वरीयताक्रम से कश्मीर के लगभग 800 कश्मीरी गांवों, प्राचीन साँस्कृतिक तीर्थों के नाम बदलकर फारसी-अरबी रखकर #कश्मीरियत_के_असली_चेहरे की बहाली की थी। एक उदाहरण : प्राचीन तीर्थ #गंगा_जटन = #खुशालाबाद.....................................................................................................

संलग्न चित्र : अंग्रेज़ी दैनिक डेली एक्सेल्शियर ( Daily Excelsior ,Jammu dtd 3/8/2023)

31/05/2023

सभी धर्मनिष्ठ जनों का मेरे इस पेज पर स्वागत है 🙏🏼
।। जय श्रीराम ।।
।। जय हिंदुराष्ट्र भारत ।।

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