02/12/2023
ऐ खाना बर्बाद करनेवाले लोगों !आज कल शादी की जो तस्वीरें आ रही हैं, उनमें ऐसी भी तस्वीरें हैं जिनमें खाने-पीने की चीज़ों की भारी बर्बादी, प्लेट में खूब सारा खाना जूठा करके छोड़ दिया गया नज़र आता है. आपसे अनुरोध है, ऐसा न करें. खाने के पैसे चाहे जिसके भी लगे हों, आख़िर में यह देश के अनाज और संसाधन की बर्बादी है.
मेरा अपना अनुभव है कि शादियों में जबसे बुफे का चलन बढ़ा है, ज़्यादातर मामले में लोगों के भीतर एक आशंका रहती है कि फलां चीज़ ख़त्म हो गयी तो, मिठाई नहीं बची तो ? अभाव की यह मानसिकता प्लेट को बेहिसाब खाने की चीज़ों से भर देती है. नतीज़ा जिस शादी, जिस बारात में कोई मिठाई खाए बिना लौट आया तो कोई प्लेट में चार छोड़कर. जब दिमाग में ही संतुलन नहीं है तो प्लेट में कहां से आएगा ?
आप मेरी बात आज़मा कर देखिएगा. एक बार खाने की सारी चीज़ों पर नज़र मार लीजिएगा, आपको जितनी भूख हो, उससे थोड़ा कम प्लेट में लीजिएगा. आपकी बारी आते ही ख़त्म भी हो जाय तो भी ध्यान तो रहेगा, वापस आकर घर पर या मंगाकर खा लीजिएगा लेकिन प्लेट में लेकर मत छोड़िएगा, आप कहीं ज़्यादा बेहतर महसूस करेंगे. आपको अंदाज़ा नहीं कि आप प्लेट में खाने की इतनी सारी चीज़ें जूठे में जो छोड़कर आते हैं, उन्हें देखकर कितनों के मन में कितना दुःख होता होगा !
याद रखिए, आप जिस शहर में, जिस देश में रहते हैं, वहां एक बड़ी आबादी भूखे पेट सोती है, जैसे-तैसे या कुछ भी खाकर सोती है. हमारे-आपके पास कुछ भी खाने और खरीद लेने की क्षमता से देश समृद्ध नहीं होगा, समृद्ध होगा जब हम संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए अपनी ज़रूरत और दूसरे के अभाव की बात ध्यान में रखेंगे.
मेहरबानी करके खाना मत बर्बाद कीजिए.