aniket_mudhad

aniket_mudhad जय राजपूताना🙏🙏🙏

13/10/2024
Celebrating my 2nd year on Facebook. Thank you for your continuing support. I could never have made it without you. 🙏🤗🎉
13/10/2024

Celebrating my 2nd year on Facebook. Thank you for your continuing support. I could never have made it without you. 🙏🤗🎉

Happy birthday mere bachee❤️🤔भगवान तने हर ख़ुशी देवे
15/09/2024

Happy birthday mere bachee❤️🤔
भगवान तने हर ख़ुशी देवे

जैसे जैसे लोगों के पास पैसा बढ़ता है तो लोग गांव से शहर, शहर से महानगरों में जाकर ऐसी छोटी छोटी गुफाओं में कैद हो जाते ह...
08/09/2024

जैसे जैसे लोगों के पास पैसा बढ़ता है तो लोग गांव से शहर, शहर से महानगरों में जाकर ऐसी छोटी छोटी गुफाओं में कैद हो जाते हैं, उनकी नजरों में तो वे अमीर है पर वे मानसिक रूप से गरीब है वास्तविक खुशहाल तो ग्रामीण ही है। बहुत कम लोग गांव का महत्व समझते हैं।✍️

03/09/2024

*🌷रात्रि चिंतन🌷*

*हौसला और रुतबा बनाए रखना है, ज़िन्दगी में अच्छे और बुरे दिन तो आते जाते रहेगें। कोई काम शुरू करने से पहले स्वयं से तीन प्रश्न करने है, हम यह क्यों कर रहे हैं, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या हम सफल हो पाएंगे*

*और जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जाए तभी आगे बढ़ना है। बाकी सफ़ल व्यक्ति के चेहरे पर सिर्फ दो ही चीजें होती हैं, मुस्कराहट समस्या के समाधान के लिए और खामोशी मसले से दूर रहने के लिए।*

*॥ जय श्री राधे कृष्ण ॥*
*🌺🌷शुभ रात्रि🌷🌺*

हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी, पहला चरण   -   कैंची दूसरा चरण    -   डंडा तीसरा चरण   -   गद्दी ...*...
19/07/2024

हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी,
पहला चरण - कैंची
दूसरा चरण - डंडा
तीसरा चरण - गद्दी ...
*तब साइकिल की ऊंचाई 24 इंच हुआ करती थी जो खड़े होने पर हमारे कंधे के बराबर आती थी ऐसी साइकिल से गद्दी चलाना मुनासिब नहीं होता था।*
*"कैंची" वो कला होती थी जहां हम साइकिल के फ़्रेम में बने त्रिकोण के बीच घुस कर दोनो पैरों को दोनो पैडल पर रख कर चलाते थे*।
और जब हम ऐसे चलाते थे तो अपना सीना तान कर टेढ़ा होकर हैंडिल के पीछे से चेहरा बाहर निकाल लेते थे, और *"क्लींङ क्लींङ" करके घंटी इसलिए बजाते थे ताकी लोग बाग़ देख सकें की लड़का साईकिल दौड़ा रहा है* ।
*आज की पीढ़ी इस "एडवेंचर" से महरूम है उन्हे नही पता की आठ दस साल की उमर में 24 इंच की साइकिल चलाना "जहाज" उड़ाने जैसा होता था*।
हमने ना जाने कितने दफे अपने *घुटने और मुंह तोड़वाए है* और गज़ब की बात ये है कि *तब दर्द भी नही होता था,* गिरने के बाद चारो तरफ देख कर चुपचाप खड़े हो जाते थे अपना हाफ कच्छा पोंछते हुए।
अब तकनीकी ने बहुत तरक्क़ी कर ली है पांच साल के होते ही बच्चे साइकिल चलाने लगते हैं वो भी बिना गिरे। दो दो फिट की साइकिल आ गयी है, और *अमीरों के बच्चे तो अब सीधे गाड़ी चलाते हैं छोटी छोटी बाइक उपलब्ध हैं बाज़ार में* ।
मगर आज के बच्चे कभी नहीं समझ पाएंगे कि उस छोटी सी उम्र में बड़ी साइकिल पर संतुलन बनाना जीवन की पहली सीख होती थी! *"जिम्मेदारियों" की पहली कड़ी होती थी जहां आपको यह जिम्मेदारी दे दी जाती थी कि अब आप गेहूं पिसाने लायक हो गये हैं* ।
*इधर से चक्की तक साइकिल ढुगराते हुए जाइए और उधर से कैंची चलाते हुए घर वापस आइए* !
और यकीन मानिए इस जिम्मेदारी को निभाने में खुशियां भी बड़ी गजब की होती थी।
और ये भी सच है की *हमारे बाद "कैंची" प्रथा विलुप्त हो गयी* ।
हम लोग की दुनिया की आखिरी पीढ़ी हैं जिसने साइकिल चलाना तीन चरणों में सीखा !
*पहला चरण कैंची*
*दूसरा चरण डंडा*
*तीसरा चरण गद्दी।*
● *हम वो आखरी पीढ़ी हैं*, जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं, जमीन पर बैठ कर खाना खाया है, प्लेट में चाय पी है।
● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल खेले हैं l

Mera bachaa♥️
19/07/2024

Mera bachaa♥️

*राजाधिराज द्वारकाधीश जी के संध्या आरती दर्शन 🙏*श्री द्वारकाधीश मंदिर द्वारका,गुजरात दिनांक :-26/06/2024 बुधवार
26/06/2024

*राजाधिराज द्वारकाधीश जी के संध्या आरती दर्शन 🙏*
श्री द्वारकाधीश मंदिर द्वारका,गुजरात
दिनांक :-26/06/2024 बुधवार

Address

Assandh

Telephone

+918529114480

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when aniket_mudhad posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Videos

Share

Category