Gaurav_facts

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03/10/2022
16/03/2022

राष्ट्रीय क्राइम ब्यूरो के आकड़े के अनुसार भारत में हर वर्ष 50 हजार से अधिक अनुसूचित जाति एवं जनजाति के खिलाफ आपराधिक घटनाये होती है , जिनमे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश ऐसे राज्य है जो सबसे शीर्ष पर रहते है। 2019 में 45,961 मामले दर्ज हुए जो 2020 में 50,291 हो गए मतलब 9.4 % की वृद्धि हुयी जिसे कथित रूप से सरकार की उपलब्धि कहा जा सकता है।

इन अपरधों में 16,543 मामले साधरण अपराध, गाली देना,जबरन काम करवाना मना करने पर पिटाई करना, उनके घर पर जाकर अपनी जाति का धौंस ज़माना आदि शामिल है। 3,372 मामले बलात्कार, 3,373 मामले महिलाओं को राह चलते बेज्जत करना, या बलात्कार के प्रयास करना, कपडे फाड़ देना आदि, 855 हत्या और 1,119 इरादतन हत्या के प्रयास।

8,272 उनकी जाती को लेकर हुए अपराध। इसके अतिरिक्त अनुसूचित जनजाति के साथ हुए अपराधों के मामले आज तक आकड़े साफ न हो पाए लेकिन सरकारी आकड़ों में 7,570 मामले दर्ज है जिनमे हिंसा, बंधुआ मजदूरी, अपहरण और बलात्कार आदि शामिल है।

ये आकड़े न तो 10 वर्ष पूर्व है नहीं 20 वर्ष पूर्व नहीं बल्कि पहले भी थे आज भी है और उम्मीद है सरकार इस कार्य पर कभी सक्रियता से बात नहीं करेगी। फिल्मों में इनके मुद्दों को सामाजिक चेतना और परिवर्तन के नाम पर केवल व्यापार के लिए उठाया जाता है।

अब क्या अनुसूचित जाति और जनजाति को पलायन कर जाना चाहिए पर कहाँ और इन्हे कौन जगह देगा अगर पलायन करना चाहे तो ? एक सामाजिक सौहार्द और राजनैतिक उद्देश्यपूर्ण फिल्म में उन समुदाय को न दिखाया जो कश्मीरी पंडितो के साथ भी खड़े थे।

आज सरकार क्यों ऐलान कर देती जो भी पंडित कश्मीर में रहना चाहता है उसके लिए व्यवस्था है और कितने पंडित कश्मीर में रहना चाहते है , कश्मीर की भौगोली बनावट और जलवायु परिवर्ततन से वहां जीना आसान नहीं है जितना यहाँ बाते करना है। सच तो यह की कुछ लोग पीठ दिखाकर भाग गए थे।
Cp

आज फिर एक आंटी ये ले के आई थी और बोली की देखो मेरा पैसे भेज दिया केजरीवाल ने की नही फॉर्म भरते समय बोले थे की किसी कंप्य...
16/03/2022

आज फिर एक आंटी ये ले के आई थी और बोली की देखो मेरा पैसे भेज दिया केजरीवाल ने की नही फॉर्म भरते समय बोले थे की किसी कंप्यूटर वाले के पास से मिल जायगा !
आप देखो की इस ने किस कदर बेवकूफ बनाया पंजाब की औरतों को और इसी बहकावे में आ के सब लोगों ने वोट दिया और AAP की सरकार बनी हैं पहले लोग दारू के बहकावे में आ के वोट करते थे अब लालच में आ के

BJP को वोट देने से पहले ये जरुर याद कर लेना
03/02/2022

BJP को वोट देने से पहले ये जरुर याद कर लेना

मोदी जी इतना भी विकास मत करों मेरे कस्टमर बेहोश होते होते बचे हैं Asansol to Amritsar 30 जनवरी किराया Rs 390Asansol to A...
29/01/2022

मोदी जी इतना भी विकास मत करों मेरे कस्टमर बेहोश होते होते बचे हैं
Asansol to Amritsar 30 जनवरी किराया Rs 390
Asansol to Amritsar 2 फरवरी किराया Rs 430

❤️❤️❤️❤️
31/12/2021

❤️❤️❤️❤️

28/12/2021

आज भले मंदिर का घंटा प्रिय लग रहा हो
पर देर-सवेर सबको अहसास होगा कि
धर्म से ज्यादा
शिक्षा,रोजगार,मंहगाई के मुद्दे जरुरी थे !😒

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28/12/2021

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22/12/2021

शिक्षा वो शेरनी का दूध हैं जो पिएगा वो दहाड़ेगा
बाबा साहब

जब किसानों के हित में कृषि कानून वापस लिया गया हैं तो 1 साल पहले किसके हित में ये कानून लाया गया था सरकार को आगे आ के बत...
21/11/2021

जब किसानों के हित में कृषि कानून वापस लिया गया हैं तो 1 साल पहले किसके हित में ये कानून लाया गया था सरकार को आगे आ के बताना चाहिए

20/11/2021

शायद मेरी तपस्या में कोई कमी रह गईं ~PM
अगर आपको तपस्या पुरी करनी हैं तो कृपया देश छोड़ के हिमालय चले जाइये
देशवासी बहुत खुश होंगे ~ मेरी राय

दलित मज़दूर को मारने वाले निहंग का स्वागत करते सिख लोग | जनरल डायर को जट्ट सिख  पगड़ी पहनाकर स्वागत किया था |धर्म के नाम प...
16/10/2021

दलित मज़दूर को मारने वाले निहंग का स्वागत करते सिख लोग | जनरल डायर को जट्ट सिख पगड़ी पहनाकर स्वागत किया था |

धर्म के नाम पर दलित का चूतिया सब काटते है | इंदिरा गाँधी को मारने वाला एक चमार और मज़हबी सिख था | बताओ दलितों को क्या मिला ? 1984 के दंगो में दलित ही सबसे ज्यादा मरे | दलित जितनी जल्दी सिख धर्म से बाहार निकलेगा और पहनावा सिखो से अलग रखेगा | उसका भला होगा | वैसे भी दलित सभी डेरो में है जो सिख धर्म से बाहर होता है लेकिन अपने संख्या बढ़ाने के लिए सिख उनको अपने में जोड़ते है |

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पंजाब विश्वविद्यालय में प्रोफेसर गुरनाम सिंह जी के अनुसार प्रथम विश्वयुद्ध 1918 में भाग लेने के बाद 1919 में जो सिख सकुशल बच आये थे वे गुरु का शुक्रिया अदा करने दरबार साहब अमृतसर गये थे मगर अछूत, दलित सिखों को स्वर्ण मंदिर में प्रवेश नहीं दिया गया। उनको न केवल जातिवाद के चलते अंदर जाने नही दिया गया, बल्कि उन का अपमान भी किया गया, उन को गालियां दी गई।
इन सब बातों का विरोध करने के लिये सभी दलित ईकठ्ठा हुए, जालियाँवाला बाग में उन की मीटिंग रखी गई क्योंकि दोनों ही स्थान आमने सामने हैं इसलिए वही उचित स्थान चुना गया था। उस सभा में जो गोलियां चली वो जनरल जत्थेदार अरुर सिंह के कहने पर जनरल डायर ने चलवाई थी, जो कि उन दिनों स्वर्णमंदिर का मैनेजर था। उसी ने इस पटकथा को लिखा और फिर बाद में अंग्रेज बनाम भारतीय में बदला था।
जब गोली चली अफरातफरी मची और हजारों लोग मारे गये तब बाकि सिखों ने जनरल डायर को दरबार साहब ले जाया गया वहां जा कर जनरल डायर का सम्मान किया गया उस को सरोपा (Robe of Honour) दिया गया। इतना ही नहीं ये बात जगदेव सिंह जस्सोवाल (Former Congress MLA, Died Dec. 2014) ने पार्लियामेंट में एक डिबेट में भी नोट करवाई हुई है। इतनी बड़ी इन्फर्मेशन लोगों को पता नहीं है।
जालियाँवाला बाग हत्याकांड अछूत सिख लोगों पर हुआ था और उन पर गोली ऊँची जाति के सिख लोगों के कहने पर चलाई गई और उस की रुपरेखा बदल दी गई। अब ऐसा क्यों किया गया पहले वह समझें। ब्रिटिश सेना में ज्यादात्तर सिपाही निम्न वर्ग के ही थे। चमार रेजिमेंट और विश्व युद्ध मे लड़े इन लड़ाकुओं ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा ही लिया था। इसलिए इस पटकथा को बदलना जरूरी था।
ऐसे में यदि यह बात सार्वजनिक हो जाती कि यह लड़ाई ऊंची जाति बनाम निम्न जाति है तो भारतीय ऊंची जातियों को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता। साथ ही अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई भी कमजोर पड़ जाती। इसलिए इस लड़ाई को भारतीय बनाम अंग्रेज बनाया गया और जनरल डायर को सीधे इंग्लैंड भेजा गया। यही आज हो गया इस आंदोलन को किसान बनाम गरीब बनाया गया जबकि यह जाति का मामला है।
जलियांवाला बाग के समय भी निम्न तबकों में अंग्रेजों के खिलाफ रोष पैदा हो गया और असली अपराधी बच निकले। हमारे देश के तथ्यों को जितना जातिवादी लोगों ने तोड़-मरोड़ कर पेश किया है शायद ही दुनियां के किसी और देश में किया गया हो। दरसल यह सब एक सोची-समझी साजिश के तहत किया गया। आज भी देख लीजिए एक हत्यारे को वही सिरोपा पहनाया गया, सम्मानित किया गया और अफसोस की तो कोई बात ही नहीं। इस कट्टरतावाद को इतिहास से भी समझें।
बाहर फैलाया गया कि जलियांवाला बाग में देशभक्तों की देश की आजादी के लिए मीटिंग हो रही थी दरअसल वहां पर देशभक्तों की तो ठीक है *पर स्वर्ण-मंदिर से जलील किए गए "अछूतों की मीटिंग"* हो रही थी जो अपने उच्च जातिय भेदभाव के मुद्दों पर विचार करने के लिए इकट्ठे हुए थे। उस तथ्य को आजतक दरकिनार किया गया लेकिन शायद अब लोग ठीक से समझ सकेंगे? सोचिये! जालियांवाला हत्याकांड के मुजरिम जनरल ड़ायर को स्वघोषित उच्च जाति के बड़े-बड़े महान क्रांतिकारीयों ने क्यों नहीं मारा?
यदि यह भारतीय बनाम अंग्रेज ही होता तो कोई नेता, संगठन बड़ा क्रांतिकारी उसकी अगुवाई कर रहा होता? उसका नाम आपको क्यों नहीं पता? जब जलियांवाला बाग नरसंहार के बदले की बात आई तब भी एक दलित व्यक्ति सरदार उधमसिंह ने ही उसे लंदन में घुसकर मारा क्यों? इसलिए दलितों को सबसे पहले यह समझना आवश्यक है कि उनका कोई धर्म, ईश्वर, पंथ, पहचान नहीं है पर उनके दम पर सबने अपने उल्लू सीधे किये लेकिन उनको कुछ हासिल न हो सका। ल ी_विशाल।

अब जो भगवान को नहीं मानेगा उसको धमका के मनाएगी सरकार
10/10/2021

अब जो भगवान को नहीं मानेगा उसको धमका के मनाएगी सरकार

एंटायर पॉलिटिकल साइंस के साथ कल इंजीनियरिंग की डिग्री भी ले लिया साहब ने😂😂😂😂
28/09/2021

एंटायर पॉलिटिकल साइंस के साथ कल इंजीनियरिंग की डिग्री भी ले लिया साहब ने
😂😂😂😂

Rubika Liyaquat हमें पता नही था मोदी जी अमेरिका से पैदल आये हे तभी तो आपको उनकी थकान की इतनी चिंता हे 🤣🤣👍घटिया चापलूस पत...
27/09/2021

Rubika Liyaquat हमें पता नही था मोदी जी अमेरिका से पैदल आये हे तभी तो आपको उनकी थकान की इतनी चिंता हे 🤣🤣👍
घटिया चापलूस पत्रकार 🙏🏻

सोशल मीडिया पर अक्सर सवाल पूछा जाता है कि अंबेडकर वकील थे तो भगत सिंह का केस क्यों नहीं लड़ा? यह सवाल व्यंग, नफरत या आक्र...
27/09/2021

सोशल मीडिया पर अक्सर सवाल पूछा जाता है कि अंबेडकर वकील थे तो भगत सिंह का केस क्यों नहीं लड़ा? यह सवाल व्यंग, नफरत या आक्रोश अथवा जिज्ञासावश में पूछा जा सकता है। सवाल प्रथम दृष्टया उचित लगता है, परंतु अक्सर इसका मकसद दुष्प्रचार होता है। इसका सटिक जवाब जानने से पहले हमें हालातों को जानना होगा। 23 मार्च 1931 को भगत सिंह को फांसी दी गई थी। यह वह दौर था जब शूद्र-अतिशूद्र या यूं करे कि अंबेडकर जब स्कूल जाते थे तो उन्हें स्कूल के बाहर दरवाजे के पास बैठकर पढ़ाई करना पड़ता था। चूंकि भगत सिंह सिख थे तो उन्हें यह दंश झेलना नहीं पड़ा। शिक्षित होकर अंबेडकर जब नौकरी करने बड़ोदा गए तो उन्हें किराये पर होटल, धर्मशालाएं, कमरा तक नहीं मिला। जब वे सिडनम कालेज में प्रोफेसर बने तो बच्चे उनसे पढ़ने के लिए राजी नहीं हुए। ऐसे में जून 1923 से अंबेडकर ने वकालत का काम शुरू किया। उन्हें बार काउंसिल में भी बैठने के लिए जगह नहीं दी गई। अस्पृश्ता के चलते अंबेडकर को केस नहीं मिल पाते थे। एक गैर ब्राह्मण अपना केस हार जाने के बाद अंबेडकर के पास आए तो उनके केस की जीत ने उन्हें ख्याति दी। लेकिन वकालत अंबेडकर की रोजी-रोटी नहीं थी। जातिवाद के कारण केस नहीं मिलने पर उन्होंने बाटली बॉयज अकाउंटेंसी में लेक्चरर का काम शुरू कर दिया।

हालातों को जानना जरूरी

यह वह दौर था जहां किसी अछूत के छूने भर से हिन्दुओं का धर्म भ्रष्ट हो जाता था। इस दौर में आर्थिक जद्दोजहद के बीच जब कोई केस देने के लिए तैयार न हो, वहां भगत सिंह का केस अंबेडकर द्वारा न लड़ने का बेतुका तर्क पेश करना महज मूर्खता है। वैसे भी भगत सिंह का केस लाहौर में चल रहा था। जबकि अंबेडकर मुंबई में रहा करते थे। और भगत सिंह के केस की पैरवी जाने माने वकील आसिफ अली कर रहे थे। वकालत के क्षेत्र में उनका दबदबा था, ऐसे में आसिफ अली को हटाकर अंबेडकर को केस देने की कल्पना भी कोई कर नहीं सकता था।

आरएसएस के गोलवलकर के मित्र भगत सिंह विरोधी

भगत सिंह के खिलाफ जहां सुप्रसिद्ध वकील आसिफ अली पैरवी कर रहे थे। वहीं अंग्रेजों की तरफ से पैरवी करने वाले ब्राह्मण वकील का नाम था सूर्य नारायण शर्मा। यह वही शर्मा है जो आरएसएस के संस्थापक गोलवलकर के बहुत अच्छे मित्र थे। याद रहे कि अंबेडकर ने 150 वर्षों की अंग्रेजों की राजनीतिक गुलामी के मुकाबले में ढाई हजार वर्ष से भी अधिक की सामाजिक गुलामी को नष्ट करने के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया। ऐसे में आजादी की लड़ाई को लेकर जहां क्रांतिकारियों का नाम गर्व से लिया जाता है, वहीं सामाजिक आजादी के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान पर

दिल्ली में राज्य सरकार की स्कीम है कि वह हर साल SC, ST, OBC के 100 स्टूडेंट्स को विदेश में पढ़ाई करने में मदद करेगी। शर्...
23/09/2021

दिल्ली में राज्य सरकार की स्कीम है कि वह हर साल SC, ST, OBC के 100 स्टूडेंट्स को विदेश में पढ़ाई करने में मदद करेगी।

शर्त ये है कि

1. परिवार की सालाना आमदनी 8 लाख से कम हो।
2. हर साल के लिए अधिकतम 5 लाख रुपए स्कॉलरशिप मिलेगी
3. अमेरिका/यूरोप में एक साल की पढ़ाई का खर्च 25 लाख रुपए न्यूनतम है।
4. लेकिन बचे हुए 20 लाख के लिए अगर आप कोई स्कॉलरशिप लेंगे तो दिल्ली सरकार 5 लाख रुपए नहीं देगी।
5. यानी हर साल 20 लाख रुपए का इंतज़ाम परिवार को करना होगा। लेकिन परिवार की सालाना आमदनी तो 8 लाख रुपए से ज़्यादा हो नहीं सकती।

इस स्कॉलरशिप की शर्तें पूरी करना लगभग असंभव है।
इसे शास्त्रों में “केजरीवाल मॉडल” कहा गया है।
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पिछले साल सुशांत सिंह के मामले में रिया चक्रवर्ती ओर उसके भाई का जब ड्रग्स एंगल सामने आया था तो आपको याद होगा कि कुछ गां...
20/09/2021

पिछले साल सुशांत सिंह के मामले में रिया चक्रवर्ती ओर उसके भाई का जब ड्रग्स एंगल सामने आया था तो आपको याद होगा कि कुछ गांजे की पुड़िया पकड़े जाने पर मीडिया में कितना बड़ा हंगामा खड़ा हो गया था !.......एक एंकर तो लाइव स्क्रीन पर इतने पागल हो गए थे कि 'मुझे ड्रग्स दो' 'मुझे ड्रग्स दो' चिल्लाने लगे, हफ्ते भर तक सुबह शाम बॉलीवुड का ड्रग्स कनेक्शन ही चला था

लेकिन वही आप देखिए कि गुजरात मे तीन हजार किलो हेरोइन की खेप पकड़ाई है जिसकी कीमत 9 हजार करोड़ बताई जा रही है यह देश की एक जगह से पकड़ी गयी सिंगल लार्जेस्ट खेप है, दुनिया की टॉप टेन ड्रग्स की जब्ती में यह शामिल होने जा रही है, भारत मे कभी भी आजतक इतनी बड़ी क्वांटिटी में एक जगह से ड्रग्स नही जब्त की गयी है लेकिन इतनी बड़ी ब्रेकिंग न्यूज़ पर टीवी के न्यूज़ चैनल खामोश है बल्कि खबर दबाई जा रही हैं क्योंकि यह यह सारा माल अडानी जी के निजी पोर्ट मुंद्रा से पकड़ाया है, अब बार बार मुंद्रा पोर्ट बोलेंगे तो बताना तो पड़ेगा न कि यह पोर्ट अडानी का है....... इसलिए सब मुंह मे दही जमा कर बैठे हैं
Girish Malviya

मोदी जी और मोटा भाई के सेटिंग का जवाब नही हैं ट्विटर के साथ भी सेटिंग कर लिए हैं813K ट्वीट्स के साथ  #राष्ट्रीय_बेरोजगार...
17/09/2021

मोदी जी और मोटा भाई के सेटिंग का जवाब नही हैं ट्विटर के साथ भी सेटिंग कर लिए हैं

813K ट्वीट्स के साथ #राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस 2 नम्बर पर है
और
319K ट्वीट्स के साथ happy bday 1 नम्बर पर

 #मायावती    #बीएसपी
10/09/2021

#मायावती

#बीएसपी

10/09/2021

⛔️IMPORTANT⛔️

CA:

यदि कोई फेसबुक पर स्वयं को नुक्सान पहुँचाने की बात कर रहा है तो क्या करें-

१. हताशा, उदासी या परेशानी हर कोई शेयर करता है, इसे हमें आत्मघाती विचार (suicidal ideation) लेबल न करके उस व्यक्ति से बात करनी चाहिए और जिस भी प्रकार का परामर्श या मदद वो चाहते हों - चिकित्सीय, कानूनी या अन्य उन्हें दिलाने की कोशिश करनी चाहिए।

२. यदि कोई व्यक्ति ऐसा कुछ लिखता है जिससे लगे उसकी जान को आत्महत्या से मृत्यु तुरंत ख़तरा है तो क्या करें-

- उनसे निजी संपर्क साधने की कोशिश करें
- परिवार, या उनके करीबी मित्रों को अलर्ट करें
- वो अभी कहाँ होंगे ये पता लगाने की कोशिश सभी करें
- जिसके पास उनका नंबर हो दूसरों से निजता का सम्मान करते हुए शेयर करें
- उनकी लोकेशन की पुलिस को सूचना दें
- यदि उनसे संपर्क हो जाता है तो उन्हें किसी हेल्पलाइन या मनोसामाजिक सहयोग सेवा से संपर्क करने को कहें
- उन्हें अकेला न छोड़ें
- उनके पास जो भी हों वो इस बात का ध्यान रखे कि स्वयं को नुक्सान पहुंचाने वाला कोई भी सामान उनकी पहुँच में न हो, या फिर किसी की निगरानी में हो
- मनोचिकित्सीय मदद लेने पर ज़ोर डालें

३. क्या न करें-
- उनकी परेशानी को संयम से सुनें, उसे ख़ारिज न करें
- धार्मिक या अन्य प्रवचन की प्रकृति वाली सलाह न दें
- उन्हें कमज़ोर या कायर न कहें
- उन्हें डांटे नहीं, समझाएँ
- उन्हें अवसाद या आत्मघात के ख्यालों के लिए शर्मिंदा न करें

ऐसी परेशानी में सरकारी हेल्पलाइन किरण - 1800 599 0019
या iCALL Psychosocial Helpline से संपर्क कर सकते हैं
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एक बात लोगों ने शायद नोटिस किया मोदी जी ने सरकार के पैसे से सारे रेलवे स्टेशन को सुंदर बनाया सारी फैसिलिटीज दिए उसके बाद...
08/09/2021

एक बात लोगों ने शायद नोटिस किया
मोदी जी ने सरकार के पैसे से सारे रेलवे स्टेशन को सुंदर बनाया सारी फैसिलिटीज दिए उसके बाद बेच रहें हैं की मोदी जी के दोस्तों को रेलवे स्टेशन खरीदने के बाद ज्यादा पैसे ना खर्च करना पड़ेगा

पैरालम्पिक्स,  संघर्ष और जज्बे का दूसरा नाम, बधाई आप सभी को 💐💪✌
07/09/2021

पैरालम्पिक्स, संघर्ष और जज्बे का दूसरा नाम, बधाई आप सभी को 💐💪✌

07/09/2021

सरकार के निर्देशानुसार, आपके क्षेत्र में इंटरनेट सेवा अगली सूचना आने तक बंद कर दी गई हैं ।

As per government instructions Internet services have been stopped in your area till further notice. REGINF

पानीपत में ऐसे msg क्यू आ रहें हैं
कहीं किसानों के लिए कोई प्राब्लम तो नही करने जा रही हैं सरकार

 #अवनी_लेखरा को 50 मीटर शूटिंग में कांस्य पदक जीतने पर बहुत बहुत बधाई।पैरालंपिक्स में अपना दूसरा पदक जीतकर इतिहास रचते ह...
04/09/2021

#अवनी_लेखरा को 50 मीटर शूटिंग में कांस्य पदक जीतने पर बहुत बहुत बधाई।पैरालंपिक्स में अपना दूसरा पदक जीतकर इतिहास रचते हुए एक बार फिर देश को गौरवान्वित किया है..................

28/08/2021

मुझे गर्व हैं बहुजन समाज की लीडर बहन मायावती जी पे की वो कभी किसी मंदिर या मस्जिद नहीं गईं हैं
#मायावती

निजीकरण के गरीब लोगों की हालत बछड़े जैसी हो जायेगी जो उनका हक़ हैं वो भी नही मिलेगा
27/08/2021

निजीकरण के गरीब लोगों की हालत बछड़े जैसी हो जायेगी जो उनका हक़ हैं वो भी नही मिलेगा

मोदी के अच्छा तो   वाले हैं कम से कम इन लोगों ने बोरे छपवाने पे पैसे वेस्ट नहीं किए बस अपना स्टिकर लगा के ही राशन दिया ल...
27/08/2021

मोदी के अच्छा तो वाले हैं कम से कम इन लोगों ने बोरे छपवाने पे पैसे वेस्ट नहीं किए बस अपना स्टिकर लगा के ही राशन दिया लोगों को
😊

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