14/12/2020
संजय श्रीवास की कलम से
अतुल्य अमरकंटक?
आओ महोत्सव कर डालो,
नर्मदा के नाम पर,
करोड़ों पर आग लगाने वालों,
"नर्मदा" अपने उद्गम में दम तोड़ रही,
नर्मदा के बांधों में,
केवल मल और मलबा भरा हुआ,
उस पर ध्यान न देने वालों,
आओ महोत्सव कर डालो,
फिर कोई यात्रा कर डालो,
बड़ी यात्रा करने वालों,
आओ महोत्सव कर डालो,
आओ फिर कोई वर्ल्ड रिकार्ड बना डालो,
वर्ल्ड रिकार्ड बनाने वालों,
आओ महोत्सव कर डालो,
वैतरणी को गटर बनाने वालों,
आओ महोत्सव कर डालो,
पुष्कर का मलबा देख ,
आंख बंद कर लेने वालों,
क्या लगता है?
बांध,
बांधकर,
स्वच्छ "जल"हो जाता है?
जल परीक्षण करने वालों,
आओ महोत्सव कर डालो,
अमरकंटक को नर्क बनाने वालों,
शासन-सत्ता, उच्च -पद की चाह में,
फिर कोई झूठी प्रतिज्ञा कर डालो,
भीष्म प्रतिज्ञा करने वालों,
आओ महोत्सव कर डालो,
आओ फिर कोई परिक्रमा कर डालो,
खुद को राजा कहलाने वालों,
आओ महोत्सव कर डालो,
नर्मदा की दुर्दशा करने वालों,
धिक्कार तुम्हारा जीवन है,
उद्गम की दुर्दशा देख,
क्या?
पाषाण हृदय,
तुम्हारा नहीं पिघलता,
नर्मदा पुत्र कहलाने वालों,
आओ महोत्सव कर डालो,
अरे!
अजगरों!
चुल्लू भर,
जल में डूब मरो,
नर्मदा भक्त कहलाने वालों,
आओ महोत्सव कर डालो,
चंद रुपए नहीं,
तुम्हारे पास,
स्वच्छ नर्मदा करने को,
आओ करोड़ों,
करोड़ों खर्चा कर डालो,
आओ फिर कोई महोत्सव कर डालो