26/10/2016
: 💫 *जानिए भारतीय पैनल कोड में धाराओ का मतलब....*
*धारा 307 = हत्या की कोशिश*
*धारा 302 =हत्या का दंड*
*धारा 376 = बलात्कार*
*धारा 395 = डकैती*
*धारा 377= अप्राकृतिक कृत्य*
*धारा 396= डकैती के दौरान हत्या*
*धारा 120= षडयंत्र रचना*
*धारा 365= अपहरण*
*धारा 201= सबूत मिटाना*
*धारा 34= सामान आशय*
*धारा 412= छीनाझपटी*
*धारा 378= चोरी*
*धारा 141=विधिविरुद्ध जमाव*
*धारा 191= मिथ्यासाक्ष्य देना*
*धारा 300= हत्या करना*
*धारा 309= आत्महत्या की कोशिश*
*धारा 310= ठगी करना*
*धारा 312= गर्भपात करना*
*धारा 351= हमला करना*
*धारा 354= स्त्री लज्जाभंग*
*धारा 362= अपहरण*
*धारा 415= छल करना*
*धारा 445= गृहभेदंन*
*धारा 494= पति/पत्नी के जीवनकाल में पुनःविवाह*
*धारा 499= मानहानि*
*धारा 511= आजीवन कारावास से दंडनीय अपराधों को करने के प्रयत्न के लिए दंड।*
*शेयर जरूर करें ताकि और लोग भी ये जानकारी जान सकें...*
*या*
📒 *भारतीय दंड संहिता* 📒
*या*
📒 *भारतीय दंड विधान* 📒
*या*
📒 *(I. P. C)* 📒
♦ *प्रस्तावना* ♦
*धारा - 1 =संहिता का नाम और विस्तार।*
♦ *साधारण स्पष्टीकरण* ♦
*धारा - 21= लोक सेवक।*
*धारा - 34 सामान आशय।*
*धारा - 52 = सद् भावपूर्ण।*
*धारा - 52. क = संश्रय।*
♦ *साधारण अपवाद* ♦
*धारा - 76 तथ्य की भूल के कारण अपराध (विधि द्वारा आबद्ध )।*
*धारा - 79 = तथ्य की भूल के कारण अपराध (विधि द्वारा न्यायनुमतः)।*
*धारा - 81 =यदि बड़ी हानि रोकने के लिए छोटी हानि करना अपराध नही।*
*धारा - 82 = 7 वर्ष से कम शिशु का अपराध नही।*
*धारा - 83 = 7-12 वर्ष के बीच अपराध नही (यदि अपरिपक्व हो)।*
*धारा - 84 = पागल द्वारा अपराध नही है।*
*धारा - 85 =मद्यपान में अपराध नही (इच्छा के विरुद्ध मद्यपान )।*
*धारा - 86 = मद्यपान में अपराध (इच्छा से, बिना ज्ञान के )।*
♦ *प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार* ♦
*धारा - 96 = आत्मरक्षा में अपराध नही है।*
*धारा - 97 = अपना व दूसरे के शरीर, चोरी, लूट व रिष्टी में आत्मरक्षा का अधिकार।*
*धारा - 98 = पागल व बच्चों के हमले पर आत्मरक्षा का अधिकार।*
*धारा - 99 = आत्मरक्षा के अधिकार के बन्धन।*
*धारा - 100 = आत्मरक्षा में मृत्यु कारित करना (1. मृत्यु होने की आशंका हो। 2. गम्भीर चोट की आशंका हो 3. बलात्कार के हमले पर 4. प्रकृति के विरुद्ध काम - तृष्णा करने पर 5.व्यपहरन में 6. कहीं पर बंद हो और वहा से छूटने के लिए 7. अम्लीय हमले पर)।*
*धारा - 101 = आत्मरक्षा में मृत्यु से भिन्न कोई चोट मारने का अधिकार।*
*धारा - 102 = आत्मरक्षा का अधिकार का प्रारंभ और बना रहना।*
*धारा - 103 = सम्पति की प्रतिरक्षा में मृत्युकारित करने का अधिकार (1.रात्री ग्रह भेदन 2. मानव के रहने वाले जगह पर रिष्टी (आग लगाना) 3. ग्रह-अतिचार में)।*
*धारा - 104 = आत्मरक्षा में मृत्यु से भिन्न कोई चोट पहुंचाने का अधिकार (सम्पत्ति के लिए )।*
*धारा - 106 = आत्मरक्षा में निर्दोष व्यक्ति को हानि पहुचाने का अधिकार।*
♦ *आपराधिक षडयंत्र* ♦
*धारा - 120.क = आपराधिक षड़यंत्र की परिभाषा (दो या दो से अधिक लोग रचे)।*
*धारा - 120.ख = आपराधिक षड्यंत्र का दण्ड।*
♦ *सरकार के विरुद्ध अपराध* ♦
*धारा - 121 = सरकार के विरुद्ध युध्द, प्रयत्न, दुष्प्रेरण करना।*
*धारा - 121.क = धारा - 121 का षड़यंत्र करना।*
*धारा - 122 = सरकार के विरुद्ध करने के आशय से युद्ध के सामान इकठ्ठा करना।*
*धारा - 123 = युध्द की होने वाली घटना को सफल बनाने के आशय से छिपाना।*
*धारा - 124 = किसी विधिपूर्वक शक्ति का प्रयोग करने के लिए विवश या प्रयोग करने या अवरोध करने के आशय से राष्ट्रपति, राज्यपाल आदि पर हमला।*
*धारा - 124.क = राजद्रोह।*
♦ *लोक अशांति के अपराध* ♦
*धारा - 141 = विधि विरुद्ध जमाव (पाँच या ज्यादा )।*
*धारा - 142 = विधि विरुद्ध जमाव का सदस्य होना।*
*धारा - 143 = दण्ड।*
*धारा - 144 = घातक हत्यार लेकर जमाव में सम्मिलित होना।*
*धारा - 149 = विधि विरुद्ध जमाव का सदस्य होना (सामान उद्देश्य हो)।*
*धारा - 151 = पाँच या से अधिक लोगों को बिखर जाने का आदेश देने के बाद भी बना रहना।*
*धारा - 153 = किसी धर्म, वर्ग, भाषा, स्थान, या समूह के आधार पर सौहार्द बिगाड़ने का कार्य करना।*
*धारा - 159 = दंगा (दो या अधिक लोग लड़कर लोक शान्ति में विध्न डाले)।*
*धारा - 160 = दगें का दण्ड।*
♦ *लोक सेवकों के अपराध* ♦
*धारा - 166 = लोक सेवक सरकारी काम न करें किसी को नुकसान पहुंचाने के आशय से।*
*धारा - 166.क = कोई लोक जानते हुए सरकारी कार्य की अपेक्षा करना।*
*धारा - 166.ख = किसी प्राइवेट या सरकारी अस्पताल में पीड़ित का उपचार न करना (अपराधी केवल संस्थान का मुख्य होगा)।*
*धारा - 177 = जो कोई किसी लोक सेवक को ऐसे लोक सेवक को जो आबद्ध होते झूठी सूचना दे।*
♦ *लोक सेवक के प्राधिकार की अवमानना* ♦
*धारा - 182 = कोई व्यक्ति लोक सेवक को झूठी सूचना दे दूसरे को क्षति पहुंचाने के लिए।*
*धारा - 186 = लोक सेवक के सरकारी कार्य में बाधा डालना।*
*धारा - 187 = यदि कोई लोक सेवक के द्वारा सहायता मांगने पर न दे और वह आबद्ध हो।*
*धारा - 188 = कोई व्यक्ति लोक सेवक की आदेश का पालन न करें जब वह काम विधिपूर्वक हो।*
♦ *झूठे साक्ष्य का अपराध* ♦
*धारा - 201 = अपराध के साक्ष्य को छिपाना अपराधी को बचाने के आशय से।*
*धारा - 212 = अपराधी को अपराध करने के बाद बचाने के लिए संश्रय देना, जानते हुए। (पति-पत्नी पर लागू नहीं)।*
*धारा - 216 = अपराधी को संश्रय देना। जब पकड़ने का आदेश या दोष सिद्ध हो (पति-पत्नी पर लागू नहीं)।*
*धारा-216.क = लुटेरे या डाकुओं को संश्रय जानकर देना (पति-पत्नी पर लागू नहीं )।*
*धारा - 223 = लोक सेवक की लापरवाही से अभिरक्षा में से अपराधी का भाग जाना।*
*धारा - 224 = अपराधी स्वयं पकडे़ जाने का प्रतिरोध करना, बाधा डालना, निकल भागने का प्रयास करना।*
*धारा - 225 = अपराधी का कोई अन्य लोगों द्वारा पकडे़ जाने का प्रतिरोध करना, बाधा डालना, निकल भागने का प्रयास करना।*
♦ *लोक स्वास्थ्य, सुविधा, सदाचार पर अपराध* ♦
*धारा - 268 = लोक न्यून्सेस (कोई व्यक्ति ऐसा कार्य करें जिससे लोक सेवक, जनसाधारण को या सम्पति को संकट, क्षोभ, क्षति, बाधा करें)।*
*धारा - 269 = ऐसा विधि विरुद्ध या लापरवाही से संक्रमण फैलाना।*
*धारा - 268 = लोक न्यून्सेस (कोई व्यक्ति ऐसा कार्य करे जिससे लोक सेवक, जनसाधारण को या सम्पति को संकट, क्षोभ, क्षति, बाधा करें)।*
*धारा - 269 = ऐसा विधि विरुद्ध या लापरवाही से संक्रमण फैलाना।*
*धारा - 272 = खाद्य पदार्थों में विक्रय के लिए अपमिश्रण मिलाना जानते हुए।*
*धारा - 277 = किसी लोक (सार्वजनिक) जल स्त्रोत को गंदा जानते हुए करना।*
*धारा - 278 = वायु मण्डल को दूषित करना जानते हुए।*
*धारा - 292 = अश्लील सामग्री का विक्रय, आयात, निर्यात या किराए पर देना (लोकहित में, ऐतिहासिक, धार्मिक, स्मारक या पुरातत्व में लागू नहीं)।*
*धारा - 293 = तरूण व्यक्ति (-20 वर्ष ) तक अश्लील सामग्री किसी भी तरह पहुंचाना।*
♦ *धर्म से संबंधित अपराध* ♦
*धारा - 295 = किसी धर्म के लोगों का अपमान के आशय से पूजा के स्थान को क्षतिग्रस्त या अपवित्र करना।*
*धारा - 295.क = द्वेषपूर्ण कार्य जो किसी धर्म के धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आशय किया हो (लेख से, चित्र से, सकेंत से आदि)।*
♦ *मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराध* ♦
*धारा - 299 = आपराधिक मानव वध करना।*
*धारा - 300 = हत्या (murder)।*
*धारा - 301 = जिस व्यक्ति को मारने का इरादा था लेकिन दूसरे को मार दिया। यह हत्या होगी।*
*धारा - 302 = हत्या का दण्ड (मृत्यु दण्ड या कठोर या सादा अजीवन कारावास और जुर्माना)।*
*धारा - 303 = अजीवन कारावास सिद्ध दोष, पुनः हत्या करना। मृत्यु दण्ड।*
*धारा - 304 = हत्या की कोटि में न आने वाले अपराधिक मानव वध।*
*धारा - 304. क = लापरवाही (उपेक्षा) से मृत्यु कारित करना। (कठोर या सादा कारावास दो वर्ष या जुर्माना या दोनों)।*
*धारा - 304. ख = दहेज हत्या (विवाह के सात साल के पहले)।*
*धारा - 306 = कोई व्यक्ति आत्महत्या करें तो जो ऐसी आत्महत्या का दुष्प्रेरण करें, उकसाये।*
*धारा - 307 = मृत्यु कारित करने के आशय से मृत्यु कारित करने का असफल प्रयास करना (302 का असफल होना)।*
*धारा - 308 = 304 का असफल प्रयास करना।*
♦ *चोट पहुंचाने के अपराध* ♦
*धारा - 319 = किसी व्यक्ति को साधारण क्षति या चोट पहुंचाने।*
*धारा - 320 = किसी व्यक्ति को गम्भीर चोट पहुंचाना (1.पुंसत्वहर 2.दृष्टि का स्थायी विच्छेद करना 3.श्रवण शक्ति का स्थायी विच्छेद करना 4. किसी अंग या जोड़ का विच्छेद करना 5.जो चोट बीस दिन तक असहनीय हो 6.किसी अंग का स्थायी हासिल 7. सिर में गंभीर चोट) आदि।*
*धारा - 321 = स्वेच्छा से उपहति (चोट) पहुंचाना।*
*धारा - 322 = स्वेच्छा से घोर उपहति (गम्भीर चोट) पहुंचाना।*
*धारा - 323 = 321 का दण्ड (एक वर्ष या जुर्माना (-1000) या दोनों)।*
*धारा - 324 = खतरनाक हत्यार या आयुद्ध द्वारा स्वेच्छा से चोट पहुंचाना।*
*धारा - 325 = 322 का दण्ड (सात वर्ष और जुर्माना)।*
*धारा - 326 = खतरनाक हत्यार या आयुद्ध द्वारा स्वेच्छा से गम्भीर चोट पहुंचाना।*
*धारा - 326.क = अम्ल आदि का प्रयोग करके आशिंक या गम्भीर चोट स्वेच्छा से पहुंचाना।*
*धारा - 326.ख = अम्ल आदि का प्रयोग करके स्वेच्छा से चोट पहुंचाने का प्रयास करना।*
*धारा - 330 = किसी को किसी भी बात पर जबरदस्ती संस्वीकृति (कुबूल) कराना।*
*धारा - 332 = कोई लोक सेवक किसी को भी अपनी ड्यूटी पर चोट स्वेच्छा से चोट पहुंचाता है।*
*धारा - 333 = कोई लोक सेवक किसी को भी अपनी ड्यूटी पर गम्भीर चोट पहुंचाता है।*
*धारा - 339 = सदोष अवरोधे (किसी मार्ग में जाने से रोकना जहां अधिकार हो स्वेच्छा से)।*
*धारा - 340 = किसी व्य