13/12/2024
#रामायण-महाभारत, #मनुस्मृति, #भगवदगीता, ब्राह्मणी हिंसक प्रतिक्रांति के प्रतीक हैं।
इस किताब के लेखक प्रो. विलास खरात और प्रताप मूलनिवासी हैं। शोधकर्ताओं ने #भारतीय #इतिहास पर जो पर्दा #ब्राह्मणों ने डाला था उसे इस किताब के माध्यम से उजागर किया गया है। डॉ. #बाबासाहब अम्बेडकर ने भारत का इतिहास क्रांति एवं प्रतिक्रांति का इतिहास है। यह नया #दृष्टिकोण सामने लाया था। उसी दृष्टिकोण से प्रभावित होकर यह नया संशोधन है।
इस संशोधन में यह प्रमाणित किया गया है कि ₹
#साकेत नगरी यह मूलतः मौर्य #सम्राट अशोक ने बनाए गए विशाल बुद्ध स्तूप से भरी थी। जिस पर आज ब्राह्मणवादियों ने कब्जा किया है। ऐसे तथ्य और ऐसे प्रमाण प्रस्तुत किए हैं कि जिससे एक बड़े षड्यंत्र का पर्दाफाश होगा, ऐसा उनका दावा है। पुरातात्विक प्रमाण प्रस्तुत किए हैं जो अत्यन्त मूलभूत है। पुरातात्विक प्रमाण यह फाइनल प्रमाण माने जाते हैं।
इस किताब के माध्यम से रामायण-महाभारत की नये सिरे से समीक्षा की है। रामायण-महाभारत, मनुस्मृति, गीता यह मौर्योत्तर कालीन रचना है। यह भी सप्रमाण सिद्ध किया गया है। रामायण में बुद्ध का 16 बार जिक्र आया है और महाभारत में 137 बार बुद्ध का जिक्र आया है। ऐसा सप्रमाण इस ग्रंथ में विश्लेषण के आधार पर सिद्ध किया है।
रामायण यह ग्रंथ #दशरथ जातक कथा की चोरी है और अनेक जातक कथाओं को मिलाकर रामायण को रंजक बनाया गया है। मूल बौद्धों के जातक कथाओं को चुराकर ही महाभारत की रचना की गई है। ऐसा उन्होंने क्यों किया? और ऐसा करने के पीछे उनका क्या उदे्श्य था? इसकी भी समीक्षा इस ग्रंथ में की गई है। इस किताब के मुख्य पृष्ठ पर एक शिल्पाकृति की प्रतिमा है। वह प्रतिमा भरहूत के स्तूप पर पाई गई। सर मेजर जनरल कनिंगहम महोदय ने उस शिल्प का काल ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी बताया है। जो सम्राट अशोक द्वारा वह दशरथ जातक का शिल्प है। यानी सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए जातक कथाओं का शिल्पांकन करके प्रचार किया था। उसमें एक दशरथ जातक भी है। महाभारत में सैकड़ों जातक कथाएं हैं। बौद्ध तत्व ज्ञान को काउंटर करने के लिए महाभारत एवं गीता की रचना की गई। महाभारत में धर्म के लिए युद्ध या रामायण में राम राज्य के लिए युद्ध यह संकल्पना सम्राट अशोक के धम्म राज्य को काउंटर करने के लिए बड़े साजिश के तहत लाई गई है।
इस ऐतिहासिक किताब के माध्यम से ब्राह्मणों ने हिंसा के द्वारा कैसे प्रतिक्रांति लायी और हिंसा के माध्यम से बुद्ध धर्म तथा मौर्य साम्राज्य का कैसे पतन किया? इसके साथ ही कुमारिल भट्ट, शंकराचार्य ने भी कैसे हिंसक कार्य किए, इसका भी लेखा-जोखा इसमें है। बुद्ध धर्म को मिटाने के लिए कैसे आक्रांता तुर्कि और आक्रांता मुगलों को ब्राह्मणों ने समर्थन दिया, इसके ऐतिहासिक सबूत भी इस ग्रंथ में प्रस्तुत किए गए हैं।
इस ग्रंथ में बहुत ही सनसनीखेज जानकारी आई है जिससे ब्राह्मणवाद का पर्दाफाश होगा।
इस किताब की अनुक्रमणिका पर नजर डालोगे तो इस किताब की विषयवस्तु की गहराई पता चलेगी।
1) साकेत का पुरातात्विक साक्ष्य।
2) नागेश्वरनाथ मंदिर सम्राट अशोक के स्तंभ को तोड़कर बनाया है।
3) बौद्ध रानी कुमार देवी का साकेत के साथ संबंध।
4) रामायण : दशरथ जाकत कथा की चोरी मात्र है।
5) मनुस्मृति, रामायण, महाभारत, भगवदगीता मौर्योत्तर कालीन रचना है।
6) रामायण-महाभारत धार्मिक गं्रथ नहीं, राजनीतिक ग्रंथ है।
7) भारत में बौद्ध धर्म का पतन किसने, क्यों और कैसे किया?
8) राम मंदिर के बहाने हिन्दू राष्ट्र के नाम पर छुपा हुआ ब्राह्मणी षड्यंत्र।
इस ग्रंथ में 7 परिशिष्ट भी है। ऐतिहासिक प्रमाणों पर आधारित यह ग्रंथ भारत में वैचारिक परिवर्तन लायेगा।
इस किताब को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मा. पी.बी. सावंत जी की प्रस्तावना है और बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा. वामन मेश्राम जी के भी दो शब्द इस किताब के विषयवस्तु पर लिखे गए हैं।
इस किताब की पृष्ठ संख्या 300है.
कीमत 250₹ है।।
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