Vivek Rusia Sukun 'सुक़ून'

Vivek Rusia Sukun 'सुक़ून' Indo-German News & Info. This place is the platform where I will share my गज़लें, कवितायेँ, लेख etc. directly with you. Yours,
Vivek Rusia "सुक़ून" :)

Dear Reader,

Welcome to "सुक़ून", since you are here it means that you are a literature loving person, and for that I am thankful to you. I will always try to keep my writings as per your interest so that I could hope that you would feel "सुक़ून" when you are with me on this page and LOVE MY PEN. Still if you find something which needs to be corrected/improved feel free to write me through this pag

e or to my Inbox [email protected]. Needless to say that your compliments, comments and criticism are always most welcome.

बहुत कोशिश की लेकिन हम खुद को लिखने से रोक नहीं पाये।।।कल १८ वीं लोकसभा के परिणाम हम सभी ने देखे, अलग अलग लोगों ने अलग अ...
05/06/2024

बहुत कोशिश की लेकिन हम खुद को लिखने से रोक नहीं पाये।।।

कल १८ वीं लोकसभा के परिणाम हम सभी ने देखे, अलग अलग लोगों ने अलग अलग तरीके से अपनी प्रतिक्रिया दी, कुछ ने इसे मोदी के घमंड का टूटना बताया तो कुछ ने मोदी की लोकप्रियता का गिरता हुआ ग्राफ दिखाया, जिनके पिता जी चारा खाने के बाद लम्बी अवधि तक जेल की हवा भी खाकर आये हैं और जिनकी दो पीढ़ियां एड़ी छोटी का जोर लगाकर कुल जमा 4 सीटें जुगाड़ पायीं हैं उन जैसे अनैतिकता के पुरोधाओं ने राजनैतिक, सामाजिक, व्यक्तिगत जीवन में पूरी तरह से धवल और अकेले दम भाजपा को 240 और NDA को 292 (बहुमत से 20 ज़्यादा) सीटें दिलाने वाले मोदी को नैतिकता का पाठ पढ़ाने की कोशिश करते हुए इस्तीफ़ा देने तक की दिमागी दिवालियेपन से भरी सलाह दे डाली। खैर राजनीति तो चलती ही ऐसे है, यहाँ हम उनके विषय में बात नहीं करेंगे, बात करेंगे जनता के विषय में कि आखिर हमारे देश की जनता खास तौर से उप्र की जनता आखिर चाहती क्या है?

यह स्पष्ट हो चूका है कि उत्तरप्रदेश में एक बड़ा वर्ग ऐसा है जिसे राजनीतिक समझ तो छोड़िये उन्हें अपने खुद के भले की समझ भी नहीं है, यह वह वर्ग है जो स्थायी विकास के कार्यों, सामाज कल्याण की योजनाओं, भय मुक्त वातावरण, और स्वरोजगार के नए अवसरों से ऊपर जाति, धर्म, और अपने तुच्छ और तात्कालिक स्वार्थों को रखता है।

यह वह वर्ग है जो कि फिर से वही #अराजक_उत्तरप्रदेश चाहता है जहाँ जमीनों पर कब्जे होते थे, जहाँ वसूली होती थी, जहाँ महिलाएं असुरक्षित हुआ करती थीं, जो माफियाओं के राज के चलते अपराध में अव्वल हुआ करता था और जहाँ निवेश करने से हर निवेशक कतराता था।

यह वर्ग फिर से वही #भययुक्त_उत्तरप्रदेश चाहता है जहाँ हर व्यापारी एक जाति विशेष और धर्म विशेष के लोगों से डरकर जिया करता था, जहाँ एक राजनैतिक पार्टी विशेष का छोटा सा कार्यकर्ता भी किसी भी आम आदमी को डरा धमकाकर मजबूर कर दिया करता था।

यह वर्ग फिर से #लाचार_पुलिस_वाला_उत्तरप्रदेश चाहता है जहाँ पुलिस गोंडों और माफिटोन से जनता की रक्षा करे या न करे, अपराध के मौके पर पहुंचे या नहीं, नेता जी की भैंस ढूंढने जरूर जाया करती थी।

यह वर्ग फिर से वही #दंगों_की_आग_में_झुलसा_उत्तरप्रदेश चाहता है, जहाँ न सिर्फ सरकारी संपत्ति को नष्ट किया जाता था बल्कि एक धर्म विशेष के लोगों की सम्पत्तियों को सीधे टारगेट किया जाता था।

यह वह वर्ग है जो #टेंट_में_रहने_वाले_श्री_राम वाला और #उजड़ी_हुयी_अयोध्या वाला उत्तरप्रदेश चाहता है, जिसको अयोध्या में हुए अभूतपूर्व विकास और उससे पैदा हुए लाखों रोजगारों से कोई लेना देना नहीं।

कम शब्दों में कहें तो यह वह वर्ग है जो सुरक्षित और विकसित नही #असुरक्षित और #बीमारू_उत्तरप्रदेश चाहता है।

क्यूंकि उत्तरप्रदेश के इस बड़े वर्ग ने उन सफेदपोश सरपरस्तों को वोट दिया है जो अपने राज में #माफिया और #गुंडों को पालते पोसते थे और भाजपा के राज में उनकी #मौत पर मातम मनाने उनके घर जाते हैं। और इस वोटर वर्ग में सिर्फ एक धर्म विशेष के लोग ही नहीं बल्कि दुसरे धर्म की कुछ विशेष जातियां भी शामिल हैं और ये दोनों ही वर्ग वो हैं जिन्होंने केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार की समाज कल्याण योजनाओं का सबसे अधिक फायदा उठाया, और फिर धोखा दिया।

परसों तक कहा जा रहा था कि हिन्दू जनमानस जाग गया है लेकिन कल यह साफ़ हो गया कि हिन्दू सिर्फ लघुशंका करने के लिए जागा था और एक बार फिर वो जातियों और अपने तुच्छ और तात्कालिक दृष्टिकोण की चादर ओढ़कर सो गया है। ऐसे ही सोते रहिये जल्द ही कोई फिर आएगा और न ही सिर्फ आपकी ये चादर खींच कर ले जायेगा बल्कि आपकी खटिया भी उलटी कर देगा, और हमें पक्का विश्वास है की आपको समझ तब भी नहीं आएगा क्यूंकि पीढ़ियों से नकारा बने रहकर मुफ्त की रेवड़ियों पर गुलामी में जीने की लत जो लग चुकी है।

रही बात मोदी और योगी की तो उन्हें आपकी नहीं आपको उनकी जरूरत है।

इस लेख के साथ तीन तस्वीरें भी संलग्न हैं पहली पुराने उत्तर प्रदेश की और बाकी दो आज के उत्तर प्रदेश की, निर्णय उत्तरप्रदेश की जनता का है किस ओर बढ़ना चाहते हैं.

जय हिन्द
जय माँ भारती
VVivek Rusia Sukun
FForeign Affairs Department BJP, MPRRohit GangwalVVijay M ChauthaiwaleBBJP Uttar PradeshBBJP Madhya PradeshBBharatiya Janata Party (BJP)DDr Mohan YadavDDr. Virendra KumarVVD SharmaSShivraj Singh ChouhanKKamakhya Pratap SinghKKamakhya Pratap SinghDDr. Rakesh MishraJJ.P.NaddaMMalkhan Singh Chouhan - BJPMMalkhan Singh ChouhanCChandrabhan Singh Gautam IICChandrabhan singh GautamGGanesh SinghAAmit Agrawal - SontuKKirti Amit AgrawalJJitendra Singh Parihar

🙏🏻🚩 रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं🚩🙏🏻
17/04/2024

🙏🏻🚩 रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं🚩🙏🏻

13/02/2024

भारत की अभूतपूर्व कूटनीतिक विजय: कतर में मृत्युदंड पाये 7 पूर्व नौसेना अधिकारी सकुशल भारत लौटे! मोदी हैं तो मुमकिन है। आपके विचार?

हम तो अपने रंग जिएँगे जीवन के हर इक पल मेंहमको न परवाह छुपा क्या है आने वाले कल में                                    ✍...
11/02/2024

हम तो अपने रंग जिएँगे जीवन के हर इक पल में
हमको न परवाह छुपा क्या है आने वाले कल में
✍🏻 विवेक रूसिया 'सुक़ुन'

भारतीय जनता पार्टी, विदेश विभाग द्वारा एक और सारगर्भित वार्ता का आयोजन किया जा रहा है विषय है "विगत 9 वर्षों में भारत मे...
09/02/2024

भारतीय जनता पार्टी, विदेश विभाग द्वारा एक और सारगर्भित वार्ता का आयोजन किया जा रहा है विषय है "विगत 9 वर्षों में भारत में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का विकास और भारत के भविष्य में प्रवासी भारतीयों की भूमिका"।

महत्पूर्ण बात है कि संवाद किसी और के साथ नहीं बल्कि "नये भारत में ढांचागत विकास के शिल्पी, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री, माननीय श्री नितिन गडकरी जी के साथ है। साथ ही कार्यक्रम में विदेश विभाग के राष्ट्रीय प्रभारी माननीय श्री विजय चौथाईवाले जी की भी गरिमामयी उपस्थिति रहेगी.

आप सभी से अनुरोध है कि अधिक से अधिक संख्या में इस ऑनलाइन वार्ता में जुड़ें और हमारे दिग्गज नेताओं से घर बैठे जुड़ने के इस बहुमूल्य अवसर का लाभ उठाने से ना चुकें.

फोटो में दिये बारकोड को अपने मोबाइल से स्कैन कर रजिस्टर कर सकते हैं.

अग्रिम धन्यवाद... मिलते हैं वार्ता में. 🪷😊🙏🏻

Foreign Affairs Department BJP, MP
Rohit Gangwal
VD Sharma
Kamakhya Pratap Singh
Kamakhya Pratap Singh
BJP Madhya Pradesh
Vijay M Chauthaiwale
Dr. Virendra Kumar
Dr Mohan Yadav
Narendra Singh Tomar
Bharatiya Janata Party (BJP)
J.P.Nadda
Narendra Modi
Hindi Khabar
Aaj Tak
ABP News
India TV
Republic Bharat
The Lallantop
Amit Agrawal - Sontu
Arun Agrawal
Shivraj Singh Chouhan
Ajeetsingh Tomar
Narendra Saraf
Arun Agrawal

Late Post: भारतीय महावाणिज्य दूतावास, फ्रेंर्क्फट, जर्मनी में माननीय काॅन्सुलेट जनरल ऑफ इंडिया, श्री बी. ऐस. मुबारक जी स...
08/02/2024

Late Post: भारतीय महावाणिज्य दूतावास, फ्रेंर्क्फट, जर्मनी में माननीय
काॅन्सुलेट जनरल ऑफ इंडिया, श्री बी. ऐस. मुबारक जी से सौजन्य भेंट के दौरान जर्मनी में को Promote करने पर सार्थक चर्चा हुयी. चर्चा के दौरान माननीय Consul Consular Services श्री संजय जसवाल जी एवं माननीय Consul

Foreign Affairs Department BJP, MP
Vijay M Chauthaiwale
Rohit Gangwal
Dr. Rakesh Mishra
BJP Madhya Pradesh
Dr. Virendra Kumar
Kamakhya Pratap Singh
VD Sharma
Malkhan Singh Chouhan
Bharatiya Janata Party (BJP)
Narendra Modi
J.P.Nadda
Shivraj Singh Chouhan
Dr Mohan Yadav
Manish Pandey
Amit Agrawal - Sontu
Kirti Amit Agrawal
Kamakhya Pratap Singh
Rakesh Lahariya


Lalita Yadav
Lalita Yadav Freinds Club
Atul Kumar Agrawal
Hindi Khabar
Raghuveer Richaariya

1880 में लिया गया झांसी के क़िले का दुर्लभ फोटोग्राफ, जिसमे अंग्रेज़ फौज़ अपनी हैवी आर्टलरी के साथ नज़र आ रही है।
26/12/2023

1880 में लिया गया झांसी के क़िले का दुर्लभ फोटोग्राफ, जिसमे अंग्रेज़ फौज़ अपनी हैवी आर्टलरी के साथ नज़र आ रही है।

"जनता की पार्टी" को "जनता के प्रचंड आशीर्वाद" से ह्रदय गदगद हो गया! 😊एक बार पुनः जनता जनार्दन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि...
04/12/2023

"जनता की पार्टी" को "जनता के प्रचंड आशीर्वाद" से ह्रदय गदगद हो गया! 😊

एक बार पुनः जनता जनार्दन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमारे वर्तमान, बच्चों के भविष्य एवं अपने प्रदेश, देश, एवं धर्म के लिए भाजपा ही एक मात्र विकल्प है।☝🏻

भाजपा को ऐतिहासिक बहुमत प्रदान करने के लिए देवतुल्य परिवारजनों का हार्दिक आभार, समस्त ज्येष्ठ एवं श्रेष्ठ कार्यकर्ताओं के अथक प्रयासों हेतु ह्रदय से धन्यवाद् एवं अभिनन्दन, एवं समस्त विजयी प्रत्याशियों को अनंत शुभकामनायें। 💐🙏🏻

जय भारत, जय माँ भारती, जय भाजपा 🚩🇮🇳🚩

आपका, 🙏🏻
विवेक रूसिया 'सुकून'
जर्मनी कोऑर्डिनेटर, विदेश विभाग, भाजपा (म.प्र.)

Bharatiya Janata Party (BJP)
Narendra Modi
J.P.Nadda
BJP Madhya Pradesh
Shivraj Singh Chouhan
VD Sharma
Dr. Rakesh Mishra
Dr. Virendra Kumar
Vijay M Chauthaiwale
Foreign Affairs Department BJP, MP
Rohit Gangwal
Kirti Amit Agrawal
Amit Agrawal - Sontu
Kamakhya Pratap Singh
Kamakhya Pratap Singh
Malkhan Singh Chouhan

12/09/2023

इस तथ्य को ध्यान में रखते हुये कि India नाम ब्रिटिशराज द्वारा 18 वीं शताब्दी में ब्रिटिश कॉलोनी में आने वाले क्षेत्रों को परिभाषित करने के लिए दिया गया था.
आपका क्या मानना है, क्या हमें India नाम को छोड़ देना चाहिए और सिर्फ #भारत नाम का उपयोग करना चाहिए? Comments में कृपया अपना मत बताएं और हो सके तो कारण भी स्पष्ट करें. भारत माता की जय 🇮🇳🙏💐

कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली यह कहावत क्यों बनी ? बचपन से लेकर आज तक हजारों बार इस कहावत को सुना था कि "कहां राजा भोज- ...
09/08/2023

कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली

यह कहावत क्यों बनी ?

बचपन से लेकर आज तक हजारों बार इस कहावत को सुना था कि "कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली" आमतौर पर यह ही पढ़ाया और बताया जाता था कि इस कहावत का अर्थ अमीर और गरीब के बीच तुलना करने के लिए है,

पर भोपाल जाकर पता चला कि कहावत का दूर-दूर तक अमीरी- गरीबी से कोई संबंध नहीं है। और ना ही कोई गंगू तेली से से संबंध है, आज तक तो सोचते थे कि किसी गंगू नाम के तेली की तुलना राजा भोज से की जा रही है यह तो सिरे ही गलत है, बल्कि गंगू तेली नामक शख्स तो खुद राजा थे।

जब इस बात का पता चला तो आश्चर्य की सीमा न रही साथ ही यह भी समझ आया यदि घुमक्कड़ी ध्यान से करो तो आपके ज्ञान में सिर्फ वृद्धि ही नहीं होती बल्कि आपको ऐसी बातें पता चलती है जिस तरफ किसी ने ध्यान ही नहीं दिया होता और यह सोचकर हंसी भी आती है यह कहावत हम सब उनके लिए सबक है जो आज तक इसका इस्तेमाल अमीरी गरीबी की तुलना के लिए करते आए हैं

इस कहावत का संबंध मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और उसके जिला धार से है, भोपाल का पुराना नाम भोजपाल हुआ करता था।

भोजपाल
नाम धार के राजा भोजपाल से मिला।

समय के साथ इस नाम में से "ज" शब्द गायब हो गया और नाम भोपाल बन गया।

अब बात करते हैं कहावत की कहते हैं, कलचुरी के राजा गांगेय ( अर्थात गंगू ) और चालूका के राजा तेलंग ( अर्थात तेली) ने एक बार राजा भोज के राज्य पर हमला कर दिया इस लड़ाई में राजा भोज ने इन दोनों राजाओं को हरा दिया

उसी के बाद व्यंग्य के तौर पर यह कहावत प्रसिद्ध हुई "कहां राजा भोज-कहां गंगू तेली" राजा भोज की विशाल प्रतिमा भोपाल के वीआईपी रोड के पास झील में लगी हुई है।

चित्र - झील में लगी राजा भोज की प्रतिमा का है

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई द्वारा महाराजा मर्दन सिंह जुदेव को सैन्य सहायता के लिए लिखा गया हस्तलिखित दुर्लभ पत्र.. !!अंग्र...
26/07/2023

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई द्वारा महाराजा मर्दन सिंह जुदेव को सैन्य सहायता के लिए लिखा गया हस्तलिखित दुर्लभ पत्र.. !!

अंग्रेजो के दांत खट्टे करने वाली,झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य और पराक्रम की शौर्यगाथा इतिहास के स्वर्णिम पन्ने मे दर्ज है !!

बुन्देलो हर बोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी ||

स्वतंत्रता सेनानी ,भारत देश की वीरांगना झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई व बुंदेला वीर महाराजा मर्दन सिंह जूदेव व बाबू वीर कुंवर सिंह जैसे अनेक स्वतंत्रता सेनानी भारत देश की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजो के विरूद्ध विगूल फूंक ,अंग्रेजो के नाक में दम कर रखा था !!

झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई झांसी परास्त होते ही, वह दत्तकपुत्र के साथ बडी चतुरता से निकालकर १०७ मील दूर काल्पी पहुंची ।उनके अंदर अंग्रेजों से बदला प्रतिशोध लेने की अग्नि धधक रही थी और वह अंग्रेजो पर हमले करने की रणनीति बनाने लगी ! उधर कैप्टन ह्यूरोज रानी लक्ष्मीबाई को मारने की रणनीति से पीछे पड़ा हुआ था ! इन सबसे स्वयं को सुरक्षित न देखकर झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने मध्यप्रदेश के बानपुर-चंदेरी रियासत के बुंदेल वंशी महाराजा मर्दन सिंह जूदेव जी को मदद के लिए पत्र लिखा !! और संदेशा भिजवाया कि एक नारी पर फिरंगियों द्वारा संकट आन पड़ा है ,मै आपसे मदद की गुहार करती हु आप अपने क्षत्रिय धर्म का पालन करे और हमारी रक्षा करे व इस युध्द मे हमारी सहयोग करें !!

महाराजा मर्दन सिंह बुंदेला भोजन करने बैठे थे ,सामने भोजन की थाली थी तभी उनके दूत ने आकर यह समाचार राजा साहब को सुनाया !! मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए एक जुटता व एक नारी मदद की गुहार सुनते ही महाराजा मर्दन सिंह जूदेव भोजन की थाली छोड़कर उठ गये व शाहगढ नरेश राजा बखतवली जूदेव बुंदेला और अपने विश्वासपात्र, कुशल सेनापतियों को बुलाकर सैनिकों की टुकड़ी तैयार किया और झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की मदद के लिए निकल पड़े ||

झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ,महाराजा मर्दन सिंह जूदेव व राजा बखतवली जूदेव बुंदेला जी की संयुक्त सेनाओं व अंग्रेजो के बीच 18 जून सन् 1858 को ग्वालियर के पास कोटा की सराय में भीषण युध्द हुआ !!
जिस युध्द में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई व बखतवली जूदेव बुंदेला जी मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए और महाराज मर्दन सिंह जूदेव जी को अंग्रेजो ने पकड़कर कारागार मे डाल दिया ||

कारागार में डालने के बाद अंग्रेजो ने उनके सामने शर्त रखा कि वह अंग्रेजो की अधिनता स्वीकार कर लें और अंग्रेजो से मित्रता कर ले और उनका साथ दे तो महाराजा मर्दन सिंह जूदेव जो छोड़ दिया जाएगा व उनका राज-पाट उन्हे वापस लौटा दिया जाएगा |

लेकिन क्षत्रिय रक्त,मातृभूमि रक्षक बुंदेला वीर मर्दन सिंह जूदेव जी ने अंग्रेजो की अधिनता ठुकरा दिया !!
और अंग्रेजो की अधिनता की राजपाठ को ठुकरा मातृभूमि की रक्षा मे वीरगति को चुना !! महाराजा मर्दन सिंह जूदेव के इस ढृढ संकल्प और राष्ट्रभक्ति को देखकर अंग्रेज गुस्सा हुए और 12 दिसंबर 1860 को महाराजा मर्दन सिंह जी का समस्त राजपाठ छीन लिया और लाहौर जेल मे बंद कर दिया ||

27 वर्ष तक अंग्रेज महाराजा मर्दन सिंह जूदेव को प्रताड़ना देते रहे और अंग्रेजो की अधिनता स्वीकार करने के लिए विवश करते रहे लेकिन महाराजा मर्दन सिंह जूदेव फिरंगियों की अधिनता स्वीकार नही किए ! इससे और अधिक नाराज होकर अंग्रेज महाराजा मर्दन सिंह जी को अधिनता स्वीकार करने व झुकने के लिए विवश करने लगे और उन्हे 27 वर्ष बाद 1874 मे लाहौर कारावास से निकालकर मथुरा कारावास मे नजरबंद कर अधिनता स्वीकार करने के लिए प्रताड़ित करने लगे ||

लेकिन अपने जीवन के अंतिम पल तक महाराजा मर्दन सिंह जूदेव अंग्रेजो की अधिनता स्वीकार नही किए,और अपने जीवन के अंतिम पल मे यही दुहराते रहे कि -

'हुकुमत पर कब्जा करके हिन्दुस्तानियन खां गुलाम नही बनाओं जा सकत ,
जीते जी मर जैहों पर गुलामी न स्वीकारहौं" !!

और यही कहते हुए 22 जुलाई 1879 को वीरगति को प्राप्त हो गये ||

महाराजा मर्दन सिंह जूदेव जी गहरवार वंश की शाखा बुंदेला वंशीय क्षत्रिय थे !! वह महान प्रतापी योध्दा,मुगलों के काल महाराजा छत्रसाल बुंदेला जी के वंशज थे ||

महाराजा मर्दन सिंह जूदेव के बलिदान दिवस पर कोटिशः नमन् ||🙏💐
जय हिंद 🙏🇮🇳

🌳 आरी की कीमत 🌳 एक बार की बात है एक बढ़ई था। वह दूर नयासर शहर में एक सेठ के यहाँ काम करने गया। एक दिन काम करते-करते उसकी ...
09/07/2023

🌳 आरी की कीमत 🌳
एक बार की बात है एक बढ़ई था। वह दूर नयासर शहर में एक सेठ के यहाँ काम करने गया। एक दिन काम करते-करते उसकी आरी टूट गयी। बिना आरी के वह काम नहीं कर सकता था, और वापस अपने गाँव लौटना भी मुश्किल था, इसलिए वह शहर से सटे भूरासर गाँव पहुंचा। इधर-उधर पूछने पर उसे लोहार का पता चल गया।

वह लोहार के पास गया और बोला-

भाई मेरी आरी टूट गयी है, तुम मेरे लिए एक अच्छी सी आरी बना दो।

लोहार बोला, “बना दूंगा, पर इसमें समय लगेगा, तुम कल इसी वक़्त आकर मुझसे आरी ले सकते हो।”

बढ़ई को तो जल्दी थी सो उसने कहा, ” भाई कुछ पैसे अधिक ले लो पर मुझे अभी आरी बना कर दे दो!”

“बात पैसे की नहीं है भाई…अगर मैं इतनी जल्दबाजी में औजार बनाऊंगा तो मुझे खुद उससे संतुष्टि नहीं होगी, मैं औजार बनाने में कभी भी अपनी तरफ से कोई कमी नहीं रखता!”, लोहार ने समझाया।

बढ़ई तैयार हो गया, और अगले दिन आकर अपनी आरी ले गया।

आरी बहुत अच्छी बनी थी। बढ़ई पहले की अपेक्षा आसानी से और पहले से बेहतर काम कर पा रहा था।

बढ़ई ने ख़ुशी से ये बात अपने सेठ को भी बताई और लोहार की खूब प्रसंशा की।

सेठ ने भी आरी को करीब से देखा!

“इसके कितने पैसे लिए उस लोहार ने?”, सेठ ने बढ़ई से पूछा।

“दस रुपये!”

सेठ ने मन ही मन सोचा कि शहर में इतनी अच्छी आरी के तो कोई भी तीस रुपये देने को तैयार हो जाएगा। क्यों न उस लोहार से ऐसी दर्जनों आरियाँ बनवा कर शहर में बेचा जाये!

अगले दिन सेठ लोहार के पास पहुंचा और बोला, “मैं तुमसे ढेर सारी आरियाँ बनवाऊंगा और हर आरी के दस रुपये दूंगा, लेकिन मेरी एक शर्त है… आज के बाद तुम सिर्फ मेरे लिए काम करोगे। किसी और को आरी बनाकर नहीं बेचोगे।”

“मैं आपकी शर्त नहीं मान सकता!” लोहार बोला।

सेठ ने सोचा कि लोहार को और अधिक पैसे चाहिए। वह बोला, “ठीक है मैं तुम्हे हर आरी के पन्द्रह रूपए दूंगा….अब तो मेरी शर्त मंजूर है।”

लोहार ने कहा, “नहीं मैं अभी भी आपकी शर्त नहीं मान सकता। मैं अपनी मेहनत का मूल्य खुद निर्धारित करूँगा। मैं आपके लिए काम नहीं कर सकता। मैं इस दाम से संतुष्ट हूँ इससे ज्यादा दाम मुझे नहीं चाहिए।”

“बड़े अजीब आदमी हो…भला कोई आती हुई लक्ष्मी को मना करता है?”, व्यापारी ने आश्चर्य से बोला।

लोहार बोला, “आप मुझसे आरी लेंगे फिर उसे दुगने दाम में गरीब खरीदारों को बेचेंगे। लेकिन मैं किसी गरीब के शोषण का माध्यम नहीं बन सकता। अगर मैं लालच करूँगा तो उसका भुगतान कई लोगों को करना पड़ेगा, इसलिए आपका ये प्रस्ताव मैं स्वीकार नहीं कर सकता।”

सेठ समझ गया कि एक सच्चे और ईमानदार व्यक्ति को दुनिया की कोई दौलत नहीं खरीद सकती। वह अपने सिद्धांतों पर अडिग रहता है।

अपने हित से ऊपर उठ कर और लोगों के बारे में सोचना एक महान गुण है। लोहार चाहता तो आसानी से अच्छे पैसे कमा सकता था पर वह जानता था कि उसका जरा सा लालच बहुत से ज़रूरतमंद लोगों के लिए नुक्सानदायक साबित होगा और वह सेठ के लालच में नहीं पड़ता।

*शिक्षा~* अगर ध्यान से देखा जाए तो लोहार की तरह ही हममे से अधिकतर लोग जानते हैं कि कब हमारे स्वार्थ की वजह से बाकी लोगों को नुक्सान होता है पर ये जानते हुए भी हम अपने फायदे के लिए काम करते हैं। हमें इस व्यवहार को बदलना होगा, बाकी लोग क्या करते हैं इसकी परवाह किये बगैर हमें खुद ये फैसला करना होगा कि हम अपने फायदे के लिए ऐसा कोई काम न करें जिससे औरों को तकलीफ पहुँचती हो।

🙏आपका दिन शुभ और मंगलमय हो🙏

एक ज़माना था जब किसी की रईसियत पर तंज़ कसना होता था तो कहते, ‘तू कौन सा टाटा-बिड़ला है?’श्री घनश्याम दास बिड़ला का जन्म 10...
14/06/2023

एक ज़माना था जब किसी की रईसियत पर तंज़ कसना होता था तो कहते, ‘तू कौन सा टाटा-बिड़ला है?’श्री घनश्याम दास बिड़ला का जन्म 10 अप्रैल 1894 पिलानी राजस्थान में हुआ था।11 जून 1983 को मुंबई में उनका निधन हो गया।इनका खानदानी पेशा पैसा ब्याज पर देना था.शेखावाटी के मारवाड़ी जयपुर रियासत जैसी बड़ी और कई छोटी-मोटी रियासतों के राजाओं को ब्याज़ पर पैसा देते थे.कई राजा जब मुंबई या कोलकाता आते थे तब मारवाड़ी उन्हें नज़राना पेश किया करते थे. जीडी बाबू के दादा ने इसी नज़राने के तहत पिलानी गांव झुंझुनू के ठाकुर से खरीद लिया था.
बड़े शहर जाकर व्यापर सीखने की रवायत को घनश्याम दास ने भी निभाया और कोलकाता चले आये.यहां वे नाथूराम सराफ के बनाये हुए हॉस्टल में रहने लगे.16 साल की उम्र तक आते-आते उन्होंने अपनी ट्रेडिंग फॉर्म खोल ली और पटसन (जूट) की दलाली में लग गए.पहले विश्व युद्ध में पटसन और कपास की भारी मांग के चलते जीडी बाबू ने खूब मुनाफा कमाया.होसले से लबरेज़ बिड़ला ने तब मैन्युफैक्चरिंग में कदम रखा और 1917 में कोलकाता में ‘बिड़ला ब्रॉदर्स’ के नाम से पहली पटसन मिल की स्थापना की.1939 के आते आते ये फैक्ट्री देश की तेहरवीं सबसे बड़ी निजी फैक्ट्री बन चुकी थी.इसी समय जेआरडी टाटा भी हिंदुस्तान के नक़्शे पर उभर रहे थे.एक अनुमान के हिसाब से 1939 से 1969 तक टाटा की संपत्ति 62.42 करोड़ से बढ़कर 505.56 करोड़ (करीब आठ गुना) हो गई थी.उधर घनश्याम दास बिड़ला की संपत्ति 4.85 करोड़ से बढ़कर 456.40 करोड़ यानी करीब 94 गुना हो गयी थी.वे भारत के अग्रणी औद्योगिक बिड़ला समूह के संस्थापक थे।
श्री बिड़ला ने देश के स्वाधीनता आंदोलन में भी भाग लिया था।बिड़ला ग्रुप का मुख्य व्यवसाय कपड़ा, फ्लामेंट यार्न, सीमेंट, केमिकल, बिजली, दूरसंचार, वित्तीय सेवा और एल्युमिनियम क्षेत्र में है, जबकि अग्रणी कंपनियां ग्रासिम इंडस्ट्रीज और सेंचुरी टेक्सटाइल हैं।श्री बिड़ला गांधीजी के मित्र, सलाहकार, प्रशंसक एवं सहयोगी थे। श्री बिड़ला देश के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल के अभिन्न मित्र थे।आज़ादी के आंदोलन में जीडी की तीन तरफ़ा भूमिका थी.पहला, उन्होंने पुरुषोत्तमदास ठाकुरदास के साथ मिलकर ‘फ़िक्की’ की स्थापना की.दूसरा, आज़ादी की जंग में उनसे ज़्यादा धन किसी ने नहीं लगाया.और तीसरा, 1926 में मदन मोहन मालवीय और लाला लाजपत राय की पार्टी की तरफ से सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में गोरखपुर की सीट से चुने गए थे.
उन्होंने 30 साल की आयु में ही अपने औद्योगिक साम्राज्य को स्थापित कर दिया था।वे सच्चरित्रता तथा ईमानदारी के लिए जाने जाते थे।श्री घनश्यामदास बिड़ला का अपने बेटे के नाम लिखा हुआ पत्र इतिहास के सर्वश्रेष्ठ पत्रों में से एक माना जाता है।सन 1957 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
कृतियाँ
मरूभूमि का वह मेघ (आत्मकथा लेखक- राम निवास जाजू)
इन्होंने कुछ कृतियाँ भी लिखी जो निम्नलिखित हैं-
रुपये की कहानी
बापू
जमनालाल बजाज
पाथ्स टू प्रॉस्पेरिटी (Paths to Prosperity)
इन द शेडो ऑफ़ द महात्मा (In the Shadow of the Mahatma

जब यूनानी आक्रमणकारी सेल्यूकस सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य से हार गया और उसकी सेना बंदी बना ली गयी तब उसने अपनी अतिसुंदर पुत...
11/06/2023

जब यूनानी आक्रमणकारी सेल्यूकस सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य से हार गया और उसकी सेना बंदी बना ली गयी तब उसने अपनी अतिसुंदर पुत्री हेलेन के विवाह का प्रस्ताव सम्राट चन्द्रगुप्त के पास भेजा..

हेलेन,सेल्यूकस की सबसे छोटी अतिसुंदर पुत्री थी उसके विवाह का प्रस्ताव मिलने पर आचार्य चाणक्य ने सम्राट चन्द्रगुप्त से उसका विवाह कराया था..!!

पर उन्होंने विवाह से पहले हेलेन और चन्द्रगुप्त से कुछ शर्ते रखीं थीं,जिस पर ही उन दोनों का विवाह हुआ था

पहली शर्त यह थी कि उन दोनों के संसर्ग से उत्पन्न संतान उनके राज्य की उत्तराधिकारी नहीं होगी

और कारण बताया कि हेलेन एक विदेशी महिला है, भारत के पूर्वजों से उसका कोई नाता नहीं है भारतीय संस्कृति से हेलेन पूर्णतः अनभिज्ञ है

दूसरा कारण बताया की हेलेन विदेशी शत्रुओं की बेटी है। उसकी निष्ठा कभी भी भारत के साथ नहीं हो सकती

तीसरा कारण बताया की हेलेन का बेटा विदेशी माँ का पुत्र होने के नाते उसके प्रभाव से कभी मुक्त नहीं हो पायेगा और भारतीय माटी, भारतीय लोगों के प्रति कभी भी पूर्ण निष्ठावान नहीं हो पायेगा

एक और शर्त आचार्य चाणक्य ने हेलेन के सामने रखी थी कि वह कभी भी चन्द्रगुप्त के राजकार्य में हस्तक्षेप नहीं करेगी और राजनीति और प्रशासनिक अधिकार से पूर्णतया दूर रहेगी
परन्तु गृहस्थ जीवन में हेलेन का पूर्ण अधिकार होगा

विचार कीजिए .. भारत ही नहीं विश्वभर में आचार्य चाणक्य जैसा कूटनीतिज्ञ और महान नीतिकार राजनीतिज्ञ आज तक कोई दूसरा नहीं हुआ

किन्तु दुर्भाग्य देखिए आज देश को वर्तमान में एक ऐसी ही महिला का कुपुत्र प्राप्त हुआ है, जो कभी भी भारत और भारतीय नागरिकों के हितों की चिन्ता नहीं करता, विदेशों में जाकर सदैव भारत एवं भारतीयों के विरुद्ध निरन्तर जहर उगलता रहता है.

यह सब आपके सामने है, मेरा संकेत सम्भवतः आप समझ ही गये होंगे.

एक था भिखारी ! रेल सफ़र में भीख़ माँगने के दौरान एक सूट बूट पहने सेठ जी उसे दिखे। उसने सोचा कि यह व्यक्ति बहुत अमीर लगता ह...
10/06/2023

एक था भिखारी ! रेल सफ़र में भीख़ माँगने के दौरान एक सूट बूट पहने सेठ जी उसे दिखे। उसने सोचा कि यह व्यक्ति बहुत अमीर लगता है, इससे भीख़ माँगने पर यह मुझे जरूर अच्छे पैसे देगा। वह उस सेठ से भीख़ माँगने लगा।*

भिख़ारी को देखकर उस सेठ ने कहा, “तुम हमेशा मांगते ही हो, क्या कभी किसी को कुछ देते भी हो?”

भिख़ारी बोला, “साहब मैं तो भिख़ारी हूँ, हमेशा लोगों से मांगता ही रहता हूँ, मेरी इतनी औकात कहाँ कि किसी को कुछ दे सकूँ?”

सेठ:- जब किसी को कुछ दे नहीं सकते तो तुम्हें मांगने का भी कोई हक़ नहीं है। मैं एक व्यापारी हूँ और लेन-देन में ही विश्वास करता हूँ, अगर तुम्हारे पास मुझे कुछ देने को हो तभी मैं तुम्हे बदले में कुछ दे सकता हूँ।

तभी वह स्टेशन आ गया जहाँ पर उस सेठ को उतरना था, वह ट्रेन से उतरा और चला गया।

इधर भिख़ारी सेठ की कही गई बात के बारे में सोचने लगा। सेठ के द्वारा कही गयीं बात उस भिख़ारी के दिल में उतर गई। वह सोचने लगा कि शायद मुझे भीख में अधिक पैसा इसीलिए नहीं मिलता क्योकि मैं उसके बदले में किसी को कुछ दे नहीं पाता हूँ। लेकिन मैं तो भिखारी हूँ, किसी को कुछ देने लायक भी नहीं हूँ।लेकिन कब तक मैं लोगों को बिना कुछ दिए केवल मांगता ही रहूँगा।

बहुत सोचने के बाद भिख़ारी ने निर्णय किया कि जो भी व्यक्ति उसे भीख देगा तो उसके बदले मे वह भी उस व्यक्ति को कुछ जरूर देगा। लेकिन अब उसके दिमाग में यह प्रश्न चल रहा था कि वह खुद भिख़ारी है तो भीख के बदले में वह दूसरों को क्या दे सकता है?

इस बात को सोचते हुए दिनभर गुजरा लेकिन उसे अपने प्रश्न का कोई उत्तर नहीं मिला।

दुसरे दिन जब वह स्टेशन के पास बैठा हुआ था तभी उसकी नजर कुछ फूलों पर पड़ी जो स्टेशन के आस-पास के पौधों पर खिल रहे थे, उसने सोचा, क्यों न मैं लोगों को भीख़ के बदले कुछ फूल दे दिया करूँ। उसको अपना यह विचार अच्छा लगा और उसने वहां से कुछ फूल तोड़ लिए।

वह ट्रेन में भीख मांगने पहुंचा। जब भी कोई उसे भीख देता तो उसके बदले में वह भीख देने वाले को कुछ फूल दे देता। उन फूलों को लोग खुश होकर अपने पास रख लेते थे। अब भिख़ारी रोज फूल तोड़ता और भीख के बदले में उन फूलों को लोगों में बांट देता था।

कुछ ही दिनों में उसने महसूस किया कि अब उसे बहुत अधिक लोग भीख देने लगे हैं। वह स्टेशन के पास के सभी फूलों को तोड़ लाता था। जब तक उसके पास फूल रहते थे तब तक उसे बहुत से लोग भीख देते थे। लेकिन जब फूल बांटते बांटते ख़त्म हो जाते तो उसे भीख भी नहीं मिलती थी,अब रोज ऐसा ही चलता रहा।

एक दिन जब वह भीख मांग रहा था तो उसने देखा कि वही सेठ ट्रेन में बैठे है जिसकी वजह से उसे भीख के बदले फूल देने की प्रेरणा मिली थी।

वह तुरंत उस व्यक्ति के पास पहुंच गया और भीख मांगते हुए बोला, आज मेरे पास आपको देने के लिए कुछ फूल हैं, आप मुझे भीख दीजिये बदले में मैं आपको कुछ फूल दूंगा।

सेठ ने उसे भीख के रूप में कुछ पैसे दे दिए और भिख़ारी ने कुछ फूल उसे दे दिए। उस सेठ को यह बात बहुत पसंद आयी।

सेठ:- वाह क्या बात है..? आज तुम भी मेरी तरह एक व्यापारी बन गए हो, इतना कहकर फूल लेकर वह सेठ स्टेशन पर उतर गया।

लेकिन उस सेठ द्वारा कही गई बात एक बार फिर से उस भिख़ारी के दिल में उतर गई। वह बार-बार उस सेठ के द्वारा कही गई बात के बारे में सोचने लगा और बहुत खुश होने लगा। उसकी आँखे अब चमकने लगीं, उसे लगने लगा कि अब उसके हाथ सफलता की वह चाबी लग गई है जिसके द्वारा वह अपने जीवन को बदल सकता है।

वह तुरंत ट्रेन से नीचे उतरा और उत्साहित होकर बहुत तेज आवाज में ऊपर आसमान की ओर देखकर बोला, “मैं भिखारी नहीं हूँ, मैं तो एक व्यापारी हूँ..

मैं भी उस सेठ जैसा बन सकता हूँ.. मैं भी अमीर बन सकता हूँ!

लोगों ने उसे देखा तो सोचा कि शायद यह भिख़ारी पागल हो गया है, अगले दिन से वह भिख़ारी उस स्टेशन पर फिर कभी नहीं दिखा।

एक वर्ष बाद इसी स्टेशन पर दो व्यक्ति सूट बूट पहने हुए यात्रा कर रहे थे। दोनों ने एक दूसरे को देखा तो उनमे से एक ने दूसरे को हाथ जोड़कर प्रणाम किया और कहा, “क्या आपने मुझे पहचाना?”

सेठ:- “नहीं तो ! शायद हम लोग पहली बार मिल रहे हैं।

भिखारी:- सेठ जी.. आप याद कीजिए, हम पहली बार नहीं बल्कि तीसरी बार मिल रहे हैं।

सेठ:- मुझे याद नहीं आ रहा, वैसे हम पहले दो बार कब मिले थे?

अब पहला व्यक्ति मुस्कुराया और बोला:

हम पहले भी दो बार इसी ट्रेन में मिले थे, मैं वही भिख़ारी हूँ जिसको आपने पहली मुलाकात में बताया कि मुझे जीवन में क्या करना चाहिए और दूसरी मुलाकात में बताया कि मैं वास्तव में कौन हूँ।

नतीजा यह निकला कि आज मैं फूलों का एक बहुत बड़ा व्यापारी हूँ और इसी व्यापार के काम से दूसरे शहर जा रहा हूँ।

आपने मुझे पहली मुलाकात में प्रकृति का नियम बताया था... जिसके अनुसार हमें तभी कुछ मिलता है, जब हम कुछ देते हैं। लेन देन का यह नियम वास्तव में काम करता है, मैंने यह बहुत अच्छी तरह महसूस किया है, लेकिन मैं खुद को हमेशा भिख़ारी ही समझता रहा, इससे ऊपर उठकर मैंने कभी सोचा ही नहीं था और जब आपसे मेरी दूसरी मुलाकात हुई तब आपने मुझे बताया कि मैं एक व्यापारी बन चुका हूँ। अब मैं समझ चुका था कि मैं वास्तव में एक भिखारी नहीं बल्कि व्यापारी बन चुका हूँ।

भारतीय मनीषियों ने संभवतः इसीलिए स्वयं को जानने पर सबसे अधिक जोर दिया और फिर कहा -

सोऽहं
शिवोहम !!

समझ की ही तो बात है...
भिखारी ने स्वयं को जब तक भिखारी समझा, वह भिखारी रहा | उसने स्वयं को व्यापारी मान लिया, व्यापारी बन गया |
जिस दिन हम समझ लेंगे कि मैं कौन हूँ...
अर्थात मैं भगवान का अंश हूॅ।
फिर जानने समझने को रह ही क्या जाएगा ?

भारत में सेवा करने वाले ब्रिटिश अधिकारियों को इंग्लैंड लौटने पर सार्वजनिक पद/जिम्मेदारी नहीं दी जाती थी। तर्क यह था कि उ...
09/06/2023

भारत में सेवा करने वाले ब्रिटिश अधिकारियों को इंग्लैंड लौटने पर सार्वजनिक पद/जिम्मेदारी नहीं दी जाती थी। तर्क यह था कि उन्होंने एक गुलाम राष्ट्र पर शासन किया है जिसकी वजह से उनके दृष्टिकोण और व्यवहार में फर्क आ गया होगा। अगर उनको यहां ऐसी जिम्मेदारी दी जाए, तो वह आजाद ब्रिटिश नागरिकों के साथ भी उसी तरह से ही व्यवहार करेंगे। इस बात को समझने के लिए नीचे दिया गया वाकया जरूर पढ़ें...

एक ब्रिटिश महिला जिसका पति ब्रिटिश शासन के दौरान पाकिस्तान और भारत में एक सिविल सेवा अधिकारी था। महिला ने अपने जीवन के कई साल भारत के विभिन्न हिस्सों में बिताए, अपनी वापसी पर उन्होंने अपने संस्मरणों पर आधारित एक सुंदर पुस्तक लिखी।

महिला ने लिखा कि जब मेरे पति एक जिले के डिप्टी कमिश्नर थे तो मेरा बेटा करीब चार साल का था और मेरी बेटी एक साल की थी। डिप्टी कलेक्टर को मिलने वाली कई एकड़ में बनी एक हवेली में रहते थे। सैकड़ों लोग डीसी के घर और परिवार की सेवा में लगे रहते थे। हर दिन पार्टियां होती थीं, जिले के बड़े जमींदार हमें अपने शिकार कार्यक्रमों में आमंत्रित करने में गर्व महसूस करते थे और हम जिसके पास जाते थे, वह इसे सम्मान मानता था। हमारी शान और शौकत ऐसी थी कि ब्रिटेन में महारानी और शाही परिवार भी मुश्किल से मिलती होगी।

ट्रेन यात्रा के दौरान डिप्टी कमिश्नर के परिवार के लिए नवाबी ठाट से लैस एक आलीशान कंपार्टमेंट आरक्षित किया जाता था। जब हम ट्रेन में चढ़ते तो सफेद कपड़े वाला ड्राइवर दोनों हाथ बांधकर हमारे सामने खड़ा हो जाता और यात्रा शुरू करने की अनुमति मांगता। अनुमति मिलने के बाद ही ट्रेन चलने लगती।

एक बार जब हम यात्रा के लिए ट्रेन में सवार हुए, तो परंपरा के अनुसार, ड्राइवर आया और अनुमति मांगी। इससे पहले कि मैं कुछ बोल पाती, मेरे बेटे का किसी कारण से मूड खराब था। उसने ड्राइवर को गाड़ी न चलाने को कहा। ड्राइवर ने हुक्म बजा लाते हुए कहा, जो हुक्म छोटे सरकार। कुछ देर बाद स्टेशन मास्टर समेत पूरा स्टाफ इकट्ठा हो गया और मेरे चार साल के बेटे से भीख मांगने लगा, लेकिन उसने ट्रेन को चलाने से मना कर दिया। आखिरकार, बड़ी मुश्किल से, मैंने अपने बेटे को कई चॉकलेट के वादे पर ट्रेन चलाने के लिए राजी किया और यात्रा शुरू हुई।

कुछ महीने बाद, वह महिला अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने यूके लौट आई। वह जहाज से लंदन पहुंचे, उनकी रिहाइश वेल्स में एक काउंटी में थी जिसके लिए उन्हें ट्रेन से यात्रा करनी थी। वह महिला स्टेशन पर एक बेंच पर अपनी बेटी और बेटे को बैठाकर टिकट लेने चली गई। लंबी कतार के कारण बहुत देर हो चुकी थी, जिससे उस महिला का बेटा बहुत परेशान हो गया था। जब वह ट्रेन में चढ़े तो आलीशान कंपाउंड की जगह फर्स्ट क्लास की सीटें देखकर उस बच्चे को फिर गुस्सा आ गया।

ट्रेन ने समय पर यात्रा शुरू की तो वह बच्चा लगातार चीखने-चिल्लाने लगा। वह ज़ोर से कह रहा था, "यह कैसा उल्लू का पट्ठा ड्राइवर है। उसने हमारी अनुमति के बिना ट्रेन चलाना शुरू कर दी है। मैं पापा को बोल कर इसे जूते लगवा लूंगा।" महिला को बच्चे को यह समझाना मुश्किल हो रहा था कि यह उसके पिता का जिला नहीं है, यह एक स्वतंत्र देश है। यहां डिप्टी कमिश्नर जैसा तीसरे दर्जे का सरकारी अफसर तो क्या प्रधानमंत्री और राजा को भी यह अख्तियार नहीं है कि वह लोगों को अपने अहंकार को संतुष्ट करने के लिए अपमानित कर सके।

आज भले ही हमने अंग्रेजों को खदेड़ दिया है लेकिन हमने गुलामी को अभी तक देश बदर नहीं किया। आज भी कई अधिकारी, एसपी, मंत्री, सलाहकार और राजनेता अपने अहंकार को संतुष्ट करने के लिए आम लोगों को घंटों सड़कों पर परेशान करते हैं।

प्रोटोकॉल आम जनता की सुविधा के लिए होना चाहिए, ना कि उनके लिए परेशानी का कारण।

 #यदि_आप_हिन्दू_हैं तो, अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग करते समय 10 बातों को लेकर हमेशा सावधानी बरतें. हिन्दूइज्म (हिन्दू धर्म...
13/06/2020

#यदि_आप_हिन्दू_हैं तो, अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग करते समय 10 बातों को लेकर हमेशा सावधानी बरतें. हिन्दूइज्म (हिन्दू धर्म) में बहुत से ऐसे शब्द हैं, जिनका अंग्रेजी में कोई पर्यायवाची शब्द नहीं है. फ्रंकोईस गौइटर, हिन्दूइज्म के जानकार और प्रसिद्ध लेखक, लिखते हैं कि हिंदुओं को निम्न 10 बातों का पालन अवश्य करना चाहिये:

1 🕉 'गाड फियरिंग' शब्द का प्रयोग कभी भी न करें. हिन्दू ईश्वर से डरता नहीं है. हिंदू के लिए, ईश्वर हर जगह है और वह ईश्वर का अंश हैं. ईश्वर कोई अलग व्यक्तित्व नहीं कि उससे डरा जाए. वह अंतरात्मा में है।

2 🕉 किसी की मृत्यु पर निरर्थक शब्द RIP का प्रयोग न करें. 'ऊं शांति', 'सदगति' या 'आत्मा को मोक्ष/ सदगति/ उत्तम लोक मिले शब्द प्रयोग करें. हिन्दूइज्म में न "सोल" और न "रेस्टिंग" की अवधारणा है. ध्यान रहे "आत्मा" और "जीव" का प्रयोग एक तरह से "सोल" शब्द के विलोम के रूप में होता है.

3 🕉 रामायण और महाभारत के लिए 'माइथोलॉजी' शब्द का प्रयोग न करें. #राम_और_कृष्ण ऐतिहासिक हैं, हमारे भगवान हैं, कोई काल्पनिक चरित्र नहीं हैं।हमारे पास इनके होने के हजारों प्रमाण हैं।

4 🕉 मूर्तिपूजा को लेकर खेद या हीन भावना कभी व्यक्त न करें या यों ना कहें कि वह तो सिर्फ प्रतिकात्मक है. सभी धर्मों में मूर्ति किसी न किसी रुप में है- क्रॉस, शब्द, अक्षर (कैलिग्राफी) या दिशा. और, हमें आइडोल, स्टैच्यू, इमैज जैसे शब्दों का प्रयोग, जो हम अपनें ईश्वर या भगवान की मूर्तियों/कलाकृतियों को लेकर करते हैं, बंद कर देना चाहिए. #मूर्ति_या_विग्रह शब्द का प्रयोग करें. अगर कर्म, योग, गुरु और मंत्र जैसे शब्द अंग्रेजी भाषा में प्रचलन में हैं तो #मूर्ति_या_विग्रह क्यों नहीं?

5 🕉 गणेश और हनुमान को कृपया एलीफेंट गॉड या मंकी गॉड कभी न कहें. हम उन्हें #श्री_गणेशजी और #श्री_हनुमानजी ही कहें।

6 🕉 मंदिरों को प्रार्थना कक्ष न कहें. #मंदिर_देवालय_हैं (ईश्वर का निवास स्थान) प्रार्थनालय नहीं.

7 🕉 बच्चों का "काला जन्मदिन" न मनायें. दीपक बुझाने न दें और दिये को जन्मदिन केक के ऊपर रखें. अग्नि देव (दीपक) पर फूंक न मारें. बल्कि दीप प्रज्वलित कर प्रार्थना करें कि हे अग्नि देव महाराज हमें अंधकार से प्रकाश की तरफ ले चलो ( तमसो मा ज्योतिर्गमय). इसकी गहरी छाप मन पर पड़ती है.

8 🕉 'स्प्रिचुअलिटी' और 'मैटेरियलिस्टिक' शब्दों का प्रयोग न करें. एक हिन्दू के लिए, हर चीज डिवाईन है, ईश्वरमय है. आध्यात्मिकता और भौतिकता ये दोनों शब्द ईसाई धर्म प्रचारकों और योरोपियनों के हैं, जहां चर्च बनाम स्टेट की अवधारणा है. या, साइंस बनाम रिलिजन है. ठीक इसके विपरीत भारत में ऋषि-मुनि वैज्ञानिक थे और सनातन धर्म की बुनियाद विज्ञान था और है।.

9 🕉 'पाप' की जगह 'सिन' शब्द का प्रयोग न करें. हमारे पास केवल धर्म ( कर्तव्य, शुचिता, जिम्मेदारी और प्रिविलेज) और अधर्म ( जब हम धर्म का अनुसरण नहीं करते) है. धर्म का सामाजिक और धार्मिक नैतिकता से कोई मतलब नही है. अधर्म से पाप आता है.

10 🕉 ध्यान के लिए मेडिटेशन और प्राणायाम के लिए ब्रीदिंग इक्सरसाइज शब्द का प्रयोग न करें. इसका गलत अर्थ होता है. मूल शब्द - ध्यान और प्राणायाम - का प्रयोग ही करें.

ध्यान रखे, दुनिया उसी की इज्जत करती है जो अपनी इज्जत खुद करता है.

अच्छा होगा, यदि आप खुद इसका पालन करें और दूसरों को प्रेरित करने के लिए इसे भेजें।

🕉🚩जयतु जयतु सनातन संस्कृति 🚩🕉

Adresse

Düsseldorf

Benachrichtigungen

Lassen Sie sich von uns eine E-Mail senden und seien Sie der erste der Neuigkeiten und Aktionen von Vivek Rusia Sukun 'सुक़ून' erfährt. Ihre E-Mail-Adresse wird nicht für andere Zwecke verwendet und Sie können sich jederzeit abmelden.

Service Kontaktieren

Nachricht an Vivek Rusia Sukun 'सुक़ून' senden:

Videos

Teilen

Kategorie