02/03/2022
बहनजी ने एससी जातियो की राजधानी आगरा से चुनावी रैलियों की तैयारी की शुरुआत की, बहनजी का भाषण मेने नही सुना, लेकिन मीडिया में पढा और और सपा-कोंग्रेस-भाजपा को जिन मुद्दों पर घेरा उन्हें में पिछले दो महीनों से लगातार बता रहा हूँ। वास्तव में बहनजी क्या कर रही है, क्या कहना चाहती है, क्या रणनीति बना रही है यह जानना मुश्किल नही है बस मान्यवर साहब कांशीराम की कार्यप्रणाली को बारीकी से आप पढ़ और समझ लीजिए। आप स्वयं जान जाएंगे कि बहनजी वर्तमान में क्या कर रही है और भविष्य की क्या रणनीति है।
बहनजी ने सभी दलों को यह कहकर घेरा की;
1.जो पूछते है कि मायावती कँहा है उन्हें समझ लेना चाहिए कि हम बेफिजूल के प्रचार को जगह तैयारियां कर रहे थे जिससे जमीनी स्तर पर पकड़ मजबूत की जा सके।
2.प्रमोशन में आरक्षण बिल फाड़ने पर सपा को घेरा और याद दिलवाया की सपा ने बिल फाड़ा और सहयोग के तौर पर कोंग्रेस ने जानबूझकर इस बिल को पास होने नही दिया जिसका खामियाजा दलित समाज भुगत रहा है।
3.बहनजी ने कहा कि मुजफ्फरनगर दँगा सपा ने होने दिया और इससे भाजपा को लाभ हुआ, जिसकी वजह से मोदी सरकार बनी। सपा के कारण ही भाजपा आज मजबूत हैं, सपा की जब भी सरकार बनी है उसमे भाजपा मजबूत हुई है।
4.बहनजी ने कहा कि भाजपा सरकार में धर्म के नाम पर तनाव बना रहता है।।
वास्तव में बहनजी ने जो आज बोला, वो एक एक शब्द मेरे पिछले 2 महीनों के लेख में है बल्कि भाषण में तथ्य नही रखे जा सकते लेकिन मेरे लेख में बकायदा तथ्यो व आंकड़ों के साथ लिखा है, जैसे श्री मुलायम सिंह यादव जी के प्रथम बार मुख्यमंत्री बनने पर भाजपा उत्तर प्रदेश की 80 शीट में से 8 शीट पर थी जो मुलायम सिंह जी के मुख्यमंत्री रहते ही 58 पर व अखिलेश जी की सरकार में 73 पर पहुच गयी।
मेरी तरह आप भी पहले से ही बसपा, बहनजी के बारे में सटीक लिख सकते है बशर्ते आपने अगर मान्यवर साहब कांशीराम की कार्यप्रणाली को बारीकी से पढ़ा व समझा है। जिसमे मान्यवर साहब को पढ़ने पर "मीडिया" का यूज कैसे क्या जाता है वो सबसे पहले सीखेंगे क्योंकि मीडिया बहनजी का बायकॉट करती रही लेकिन "बहनजी की चर्चा" न करके भी जनमानस की नजर में स्वयं के प्रति संदेह पैदा करती रही और साथ में एससी जातियो में यह सन्देश दे गई कि बसपा को खत्म करने के लिए पूरी रणनीति से सभी पार्टियां मीडिया के साथ मिलकर कार्य कर रही है, जिससे एकाएक चुनाव के अंतिम दौर में बहनजी व बसपा के प्रति सहानुभूति पैदा हो गयी।