19/06/2022
#गुर्जर_सम्राट_नागभट्ट_प्रथम [730–760 ईसवी.]
नागभट्ट प्रथम गुर्जर प्रतिहार राजवंश के राजा थें "नागभट्ट प्रथम गुर्जर प्रतिहार राजवंश के संस्थापक थे" जालौर अवंती कन्नौजी गुर्जर प्रतिहारो की नामावली नागभट्ट प्रथम से प्रारंभ होती है इस वंश के प्रवर्तक नागभट्ट को नागावलोक भी कहते हैं यह बड़ा प्रतापी शासक था गुर्जर सम्राट नागभट्ट प्रथम के तत्कालीन समय में गुहिल, चौहान, परमार, राठौड़, चंदेल, कलचुरी ,चालूक्या, आदि गुर्जर प्रतिहारो के सामंत थे यह वंश इस बात पर गर्व करते थे कि वह गुर्जरों के सामंत है गुर्जर सम्राट नागभट्ट को ग्वालियर प्रस्तुति में नारायण और म्लेछो का नाशक कहा गया है पुष्यभूति साम्राज्य के हर्षवर्धन के बाद पश्चिमी भारत पर उसका शासन था। उसकी राजधानी कन्नौज थी। उसने सिन्ध के अरबों को पराजित किया और काठियावाड़, मालवा, गुजरात तथा राजस्थान के अनेक क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया था। गुर्जर सम्राट मिहिर भोज भी नागभट्ट प्रथम के ही वंशज थे।
गुर्जर सम्राट नागभट्ट प्रथम के पश्चात उसका भतीजा का कुकुस्थ सिंहासन पर बैठा इसे कक्कूक भी कहते हैं कि ककुस्थ की मृत्यु के पश्चात उसका भाई देवराज सिंहासन पर बैठा बरहा अभिलेख में इसे देलशक्ति के नाम से पुकारा गया है ऐसा प्रतीत होता है कि इसे कुछ युद्ध करने पड़े ग्वालियर अभिलेख से प्रकट होता है कि इसने अपने वेग से अनेक राजाओं को तितर-बितर कर दिया। उसकी रानी भूयिकादेवी से "वत्सराज" का जन्म हुआ
गुर्जर सम्राट नागभट्ट प्रथम राष्ट्रकूट नरेश दन्तिदुर्ग से पराजित हो गया। कुचामन किले का निर्माण गुर्जर सम्राट नागभट्ट प्रतिहार ने करवाया था।
्रमण
गुर्जर सम्राट नागभट्ट प्रथम के वंशज मिहिर भोज के ग्वालियर शिलालेख के अनुसार, नागभट्ट ने एक म्लेच्छ आक्रमण को निष्फल कर दिया। इन म्लेच्छों को अरब मुस्लिम आक्रमणकारियों के रूप में पहचाना जाता है। 9वीं शताब्दी के मुस्लिम इतिहासकार अल-बालाधुरी उज़ैन ( उज्जैन ) के अरब हमलों को संदर्भित करते हैं; यह नागभट्ट के साथ उनके संघर्ष का संदर्भ प्रतीत होता है। आक्रमण का नेतृत्व उमय्यद खलीफा हिशाम इब्न अब्द अल-मलिक के तहत सिंध के एक सामान्य और गवर्नर जुनैद के अधिकारियों ने किया था। अल-बालाधुरी इन आक्रमणकारियों द्वारा कई अन्य स्थानों पर विजय का उल्लेख करते हैं, लेकिन उज्जैन के बारे में, उन्होंने केवल उल्लेख किया कि शहर पर हमला किया गया था। यह एक अनकही स्वीकारोक्ति प्रतीत होती है कि आक्रमण असफल रहा।
इतिहासकार आर.वी. सोमानी का मानना है कि वह नागभट्ट द्वारा गठित एक अरब-विरोधी संघ का हिस्सा था।