Techno Satish

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"Saheb, I don't have money to travel to Delhi, please send award by post."These are the words of Padma Shri awardee  .Ha...
20/05/2024

"Saheb, I don't have money to travel to Delhi, please send award by post."

These are the words of Padma Shri awardee .

Haldhar Nag - whose name was never prefixed with 'Shri', the owner of 3 pairs of clothes, one broken rubber slipper, one rimless spectacles and a deposit of Rs 732, is declared with Padma Shri.

This is Haldhar Nag of who speaks language. He is a famous poet. The special thing is that he remembers by heart all the poems and 20 epics that he has written so far. Now ' ', a collection of his writings, will be made a part of the curriculum in .

Award 2016
Respectful tribute to such a great person.

25/02/2024

Boult Audio ZCharge Bluetooth Earphones with 40H Playtime, Dual Pairing Neckband, Zen™ ENC Mic, Type-C Fast Charging (10Mins=15Hrs), Biggest 14.2mm Bass Driver IPX5 Premium Silicone Neck Band (Red)

या देवी सर्वभूतेषु विद्या रूपेण संस्थिता ;नमस्तस्यै-नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम: 🙏🏻 ✨सभी देशवासियों को बसंत पंचमी और सरस...
14/02/2024

या देवी सर्वभूतेषु विद्या रूपेण संस्थिता ;
नमस्तस्यै-नमस्तस्यै,
नमस्तस्यै नमो नम: 🙏🏻 ✨

सभी देशवासियों को बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏 💐

23/01/2024
The artist 🙏
23/01/2024

The artist 🙏

I have reached 700 followers! Thank you for your continued support. I could not have done it without each of you. 🙏🤗🎉
07/07/2023

I have reached 700 followers! Thank you for your continued support. I could not have done it without each of you. 🙏🤗🎉

13/02/2023

Khan sir Patna

13/02/2023

Khan sir motivational speech

सड़क किनारे एक बच्चे को पढ़ाते, यह ट्रैफिक पुलिसकर्मी प्रकाश घोष हैं। इस फोटो को कोलकाता पुलिस ने साझा किया है, साथ ही ल...
13/02/2023

सड़क किनारे एक बच्चे को पढ़ाते, यह ट्रैफिक पुलिसकर्मी प्रकाश घोष हैं। इस फोटो को कोलकाता पुलिस ने साझा किया है, साथ ही लिखा है -

जब भी घोष साहब बालीगंज आईटीआई के पास ड्यूटी पर होते थे, वह अक्सर सड़क पर खेलते हुए लगभग 8 साल के एक छोटे से लड़के को देखते थे। लड़के की मां सड़क किनारे होटल में काम करती है और अपने बेटे के बेहतर भविष्य के लिए दिन रात मेहनत करती है। मां और बेटे के पास घर नहीं है, वे दोनों फुटपाथ पर रहते हैं, लेकिन मां को उम्मीद है कि उनका बेटा पढ़ लिखकर एक दिन इस पर…

मां रोटी बनाती थी और हम चूल्हे के एक  किनारे अपनी अपनी मक्की भूनते थे, जीवन का असली आनंद वही था, और जब आग बुझ जाती थी तो...
23/09/2022

मां रोटी बनाती थी और हम चूल्हे के एक किनारे अपनी अपनी मक्की भूनते थे, जीवन का असली आनंद वही था, और जब आग बुझ जाती थी तो खूब गालियां पड़ती थी,
मां आज भी खाना इसी तरह बनाती है बस बच्चों के पास इस अंधी दौड़ में समय ही नहीं कि शहर से गांव जाएं और कुछ समय उस चूल्हे के पास बैठकर माँ के साथ बिताएं.... !!!!

अगर घर पर देवी हों, तो कैसे लगता है?"लिंग भैरवी से संपर्क बनाने के कुछ दिनों के भीतर, उनकी ऊर्जाएं आपको अनुभव के स्तर पर...
15/09/2022

अगर घर पर देवी हों, तो कैसे लगता है?
"लिंग भैरवी से संपर्क बनाने के कुछ दिनों के भीतर, उनकी ऊर्जाएं आपको अनुभव के स्तर पर, और बाहरी रूप से एक बेहतर स्थिति में ले जा सकती हैं।"

सद्‌गुरु

लिंग भैरवी की उपस्थिति को महसूस करना बहुत आसान है। सद्‌गुरु से देवी को प्राप्त करने के बाद, दुनिया के विभिन्न हिस्सों के लोग, लिंग भैरवी द्वारा प्राण-प्रतिष्ठित स्थान में रहने के अपने अनुभव साझा कर रहे हैं।

देवी भैरवी को अपने घर लाएं : bhairavi.co/yantra

बूढ़ा नीलकंठ मंदिर, नेपाल के बूढ़ा नीलकंठ में स्थित एक हिंदू मंदिर है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। काठमांडू घाटी के सब...
15/09/2022

बूढ़ा नीलकंठ मंदिर, नेपाल के बूढ़ा नीलकंठ में स्थित एक हिंदू मंदिर है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। काठमांडू घाटी के सबसे उत्तरी भाग में शिवपुरी पहाड़ियों की तलहटी में स्थित, बूढ़ा नीलकंठ शहर से लगभग 8 किमी दूर है। नेपाल में भगवान विष्णु की सबसे बड़ी पत्थर की मूर्ति, उन्हें एक छोटे से तालाब के बीच में नागों या नागों के शैय्या पर लेटे हुए दिखाती है। बूढ़ा नीलकंठ मंदिर को नारायणथान के मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। मूर्ति भगवान विष्णु का प्रतीक है, जिन्हें ब्रह्मा और शिव सहित 'त्रिमूर्ति' में से एक माना जाता है।

बूढ़ा नीलकंठ मंदिर हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म दोनों के अनुयायियों के लिए धार्मिक महत्व का स्थान है और इसे धार्मिक सद्भाव का एक आदर्श उदाहरण माना जाता है।

🪷 बूढ़ा नीलकंठ मंदिर की विशेषता

भगवान विष्णु की यह प्रतिमा अपने आप में ही अद्भुत है। कहां जाता हैं कि भगवान विष्णु की यह विशाल मूर्ति एक ही पत्थर से तराशी गई थी, जिसकी ऊंचाई करीब 5 मीटर और जिस तालाब के मध्य यह स्थित है उसकी लम्बाई 13 मीटर है।

इस मूर्ति में भगवान विष्णु शेषनाग की शैया पर लेटे हुए है और हाथो में सुदर्शन चक्र, शंख, गदा और कमल का फूल लिए हुए हैं, जो उनके अलग-अलग दिव्य गुणों को दर्शाते है।

भगवान विष्णु की इस प्रतिमा को बहुत ही अच्छे से बनाया व दर्शाया गया है। तालाब में स्थित विष्णु जी की मूर्ति शेषनाग की कुंडली में विराजित है, मूर्ति में विष्णु जी के पैर पार हो गए हैं और बाकी के ग्यारह सिर उनके सिर से टकराते हुए दिखाए गए हैं। विष्णु जी की इस प्रतिमा में चार हाथ उनके दिव्य गुणों को बता रहे हैं। पहला चक्र मन का प्रतिनिधित्व करना, एक शंख चार तत्त्व, एक कमल का फूल चलती ब्रह्मांड और गदा प्रधान ज्ञान को दिखा रही है।

स्थानीय किंवदंती मूर्ति के नीचे भगवान शिव की दर्पण जैसी छवि के अस्तित्व का वर्णन करती है। भगवान विष्णु की प्रतिमा के हिस्से भगवान बुद्ध के समान हैं।

🪷 बूढ़ा नीलकंठ मंदिर मे भगवान शिव की अप्रत्यक्ष छवि

यह मंदिर भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान शिव को भी समर्पित है। जिस तरह नाम से ही स्पष्ट है "बुढ़ा नीलकंठ" अर्थात् जिसका गला-नीला हो। पुराणों में भगवान शिव को "नीलकंठ" कहा गया है, यहां अप्रत्यक्ष रुप से विराजमान है। कहा जाता है कि साल में एक बार लगने वाले मेले में भगवान विष्णु की प्रतिमा के ठीक नीचे भगवान शिव की एक छवि देखने को मिलती हैं।

🪷 बूढ़ा नीलकंठ मंदिर की पौराणिक कथा

पुराणों के अनुसार अमृत पाने की लालसा में जब देवताओं और असुरो ने समुद्र मंथन किया तो उसमे से उत्तम वस्तुओं के साथ-साथ विशाल मात्रा में विष भी निकला, जिससे सम्पूर्ण सृष्टि का विनाश हो सकता था। सृष्टि को इस विनाश से बचाने के लिए भगवान शिव जी ने इस विष को अपने कंठ में ले लिया, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया और तभी से उन्हें "नीलकंठ" कहा जाने लगा।

जब विष के दुष्प्रभावों के कारण उनका कंठ जलने लगा तो वे नेपाल के काठमांडू में अपने त्रिशूल के प्रहार से एक झील का निर्माण किया और इसी जल से उन्होंने अपने कंठ की पीड़ा को शांत किया। इस झील को "गोसाई कुंड" के नाम से भी जाना जाता हैं।

🪷 बूढ़ा नीलकंठ मंदिर का एकादशी मेला

यहां हर वर्ष कार्तिक मास के एकादशी (हरिबंधिनी एकादशी) को विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमे श्रद्धालु लाखो की संख्या में उपस्थित होकर भगवान विष्णु के इस अद्भुत प्रतिमा के दर्शन करते है। हर साल एकादशी, हरिशयनी के शुभ दिन पर बूढ़ा नीलकंठ में एक बड़ा मेला भी लगता है। और हरिबोधिनी, हिंदुओं के अनुसार भगवान विष्णु की 4 महीने की नींद की अवधि को चिह्नित करता है।

Futuristic INS Vikrant: there can be many additionsSome futuristic artistic impressions of INS Vikrant aka IAC-1, the 45...
04/09/2022

Futuristic INS Vikrant: there can be many additions

Some futuristic artistic impressions of INS Vikrant aka IAC-1, the 45,000 ton displacement STOBAR carrier.

अस्सी और नब्बे के दौर की तमंचा हुआ करती थी ये,, कहते क्या थे इसे ..इसे पाने के लिए बहुत पापड़ बेले..😅😅
01/09/2022

अस्सी और नब्बे के दौर की तमंचा हुआ करती थी ये,, कहते क्या थे इसे ..इसे पाने के लिए बहुत पापड़ बेले..😅😅

Be careful while accepting online friend request from strangers.If you are a victim of cyber crime, dial 1930 and regist...
27/08/2022

Be careful while accepting online friend request from strangers.

If you are a victim of cyber crime, dial 1930 and register your complaint

✍️स्टूडेंट्स_के_दर्द_की_कहानी✍️       "एक और एग्जाम " मां की कॉल,,मां - ट्रेन मिल गई ना बेटा,,बेटा -हाँ मिल गई,,मां - बै...
26/08/2022

✍️स्टूडेंट्स_के_दर्द_की_कहानी✍️
"एक और एग्जाम "
मां की कॉल,,
मां - ट्रेन मिल गई ना बेटा,,
बेटा -हाँ मिल गई,,
मां - बैठने को सीट मिली या नही,, बोला था ,, रिजर्वेशन करा लिया कर !
बेटा -अरे मिल गई सीट पूरा डिब्बा खाली है,,अरे वो रिजर्वेशन जल्दी मे नहीं करा पाया,,
मां- ठीक है,,किसी से लड़ना झगड़ना नही,,और कोई कुछ खिलाए तो खाना मत,,जब पहुंच जाना तो होटल मे रुक जाना, और अच्छी जगह ,,खाना खा लेना,,

बेटा -हां हां पता है,,अरे रुक जाऊंगा,,खा भी लूंगा,,

ये था ,,वो सच जो सबको दिखता है,,,
पर असल मे,,,
वो लड़का,,जो कभी घर मे एक मच्छर काटने पर,, सो नही पाता था,,जो अच्छा खाना ना मिलने पर,,पूरा घर सर पे उठा लेता था,,

वो अब सारी रात स्टेशन मे गुजारने लगा है,,वो भी वहीं सो जाता है,, एक मोहनी नमकीन और बिस्कुट खाकर रात गुजारने लगता है,,
वो अब मां से झूठ बोलने लगा है,,उसे नही पता ,,यही एग्जाम आखिरी है,,या अभी ये सफर और कितना लंबा होगा,, उसे ये भी नही पता,,की एग्जाम देने के बाद,,,,,
जब कोई पूछता है,,कैसा गया?
तो उसे क्या जवाब दे,,
लाखों स्टूडेंट्स बैठते है एग्जाम में,,जिसमे सेलेक्शन सिर्फ कुछ हजार का ही होना है,,पर उम्मीद उन लाखों के परिवारों की टूटती है,,
इन स्टूडेंट्स को तो ये भी नही पता,,की जॉब की तैयारी करते करते,,वो कहां पहुंच गए,,
हार के बाद,,फिर से उठना होगा,, हर बार,,0 से स्टार्ट करना होगा,,,
पता है ,,उसे पता है,, उसे सब कुछ पता है ,, कि वो बेहतर कर रहा है,,पर उसे फिक्र है,,कि क्या होगा ना जाने आगे !!

दही चीनी की बातें तो बहुत पुरानी सी लगती है,,अब यकीन भी नही होता,,क्योंकि ,,स्टूडेंट्स की जिदंगी मे जो कड़वाहट घुली है,, उससे किस्मत तो नही बनती होगी,,

सच कहूं तो बचपन कब निकल गया , पता ही नहीं चला,,घरों से कब जिम्मेदार बनने के सफर मे निकल गए,,या निकाले गए !!
आसान नही होता , उस उम्र में घरों से दूरियां बनाना जिस वक्त हमें उनकी सबसे ज़्यादा जरूरत होती है, आसान नई होता अपने बड़े बड़े सपनों को बुनना,या उन्हे सच बनाने के लिए पूरी दुनिया के खिलाफ खड़ा होना !

जीत के मुसाफिरों के शहर में , सपनों को हकीकत बनाने वाले स्टूडेंट्स के साथ ,कोई खड़ा होना ही नही चाहता,,यहां तक आते आते ना जाने कितना कुछ पीछे छूट जाता है,,वो लोग जिनके होने से हमें उम्मीद मिलती थी,,वो कब बदलते हुए दिखते हैं,,वो कोई दूसरा समझ ही नहीं सकता,,

फिर से बोलता हूं,,ये बात सिर्फ संघर्ष की नही है,,,क्योंकि स्टेशन मे रात गुजारने वालों को ,,दो समोसों मे 2 दिन के पेपर का आना जाना कर लेना,,संघर्ष से तो नहीं डरे होंगेहोंगे !!

संघर्ष की पहली सीढ़ी तो उसी दिन पार हो जाती है,,जिस दिन मां बोलती है,, तू अपना ध्यान रखना,,एग्जाम तो होते रहते है,,एग्जाम जिंदगी थोड़े ही है....

एग्जाम का सफर,, पता है,,कठिन कब बन जाता है--- जब मां किसी मुहल्ले के लोगों व रिश्तेदारों से बोलती है,,
कि अरे वो .... पड़ने में बहुत होशियार है,,पर एग्जाम के टाइम थोड़ा तबीयत खराब हो गई थी,,तो अच्छे से पड़ नही पाया था,,इसलिए कुछ no. से सेलेक्शन नई हुआ,,,अभी उसके और भी एग्जाम है,,उसमे हो जायेगा,,

सच बोलूं तो ये सब डरावना लगता है,,

अब वो स्टूडेंट्स,, ऐसे दौर मे पहुंच गया है,, जहां रिश्तेदारों से बात करनी बंद कर चुका है,,कोई खास दोस्त भी नही है,,

प्रेम में सिर्फ यादें बची हो,,अब उसे हार जीत से फर्क कम पड़ने लगा है,,क्योकि उसे जिंदगी ने वो सीखा दिया,,जो कभी किताबों मे पड़ाया ही नही गया,,,,

और एक बात... अगर आप इन स्टूडेंट को किसी स्टेशन मे,,ट्रेन मे,,बसों मे, ऑटो मे,,रुके ,पड़े,, थमे देखें तो अगर इनका हौसला ना बढ़ा पाएं,,तो इन्हे कमजोर होने का अहसास मत कराइयेगा,,,

वो स्टूडेंट्स है,, रुकेंगे, उठेगे,फिर कोशिश करेगे,पर हार नही मानेगे,
क्योंकि एग्जाम जिंदगी तो नई है,,,पर अब उसके लिए उससे कम भी नही है। 🙏🏼🙏🏼

24 principles as represented in  's chakra.
21/08/2022

24 principles as represented in 's chakra.

18/08/2022

Happy Rakshabandhan

एक रेस्टोरेंट में कई बार देखा गया  कि, एक व्यक्ति (भिखारी) आता है और भीड़ का लाभ उठाकर नाश्ता कर चुपके से बिना पैसे, दिए...
16/08/2022

एक रेस्टोरेंट में कई बार देखा गया कि, एक व्यक्ति (भिखारी) आता है और भीड़ का लाभ उठाकर नाश्ता कर चुपके से बिना पैसे, दिए निकल जाता है। एक दिन जब वह खा रहा था तो एक आदमी ने चुपके से दुकान के मालिक को बताया कि यह भाई भीड़ का लाभ उठाएगा और बिना बिल चुकाए निकल जाएगा।

उसकी बात सुनकर रेस्टोरेंट का मालिक मुस्कराते हुए बोला – उसे बिना कुछ कहे जाने दो, हम इसके बारे में बाद में बात करेंगे। हमेशा की तरह भाई ने नाश्ता करके इधर-उधर देखा और भीड़ का लाभ उठाकर चुपचाप चला गया। उसके जाने के बाद, उसने रेस्टोरेंट के मालिक से पूछा कि मुझे बताओ कि आपने उस व्यक्ति को क्यों जाने दिया।

रेस्टोरेंट के मालिक ने कहा आप अकेले नहीं हो, कई भाइयों ने उसे देखा है और मुझे उसके बारे में बताया है। वह रेस्टोरेंट के सामने बैठता है और जब देखता है कि भीड़ है, तो वह चुपके से खाना खा लेता है। मैंने हमेशा इसे नज़रअंदाज़ किया और कभी उसे रोका नहीं, उसे कभी पकड़ा नहीं और ना ही कभी उसका अपमान करने की कोशिश की.. क्योंकि मुझे लगता है कि मेरी दुकान में भीड़ इस भाई की प्रार्थना की वजह से है

वह मेरे रेस्टोरेंट के सामने बैठे हुए प्रार्थना करता है कि, जल्दी इस रेस्टोरेंट में भीड़ हो तो मैं जल्दी से अंदर जा सकूँ, खा सकूँ और निकल सकूँ। और निश्चित रूप से जब वह अंदर आता है तो हमेशा भीड़ होती है। तो ये भीड़ भी शायद उसकी "प्रार्थना" से है

शायद इसीलिए कहते है कि मत करो घमंड इतना कि मैं किसी को खिला रहा हूँ.. क्या पता की हम खुद ही किसके भाग्य से खा रहे हैँ !

भूख से बड़ा कोई दर्द नहीं होता हैं, भूख हर दर्द भूला देती हैअन्न ही जीवन है |
09/08/2022

भूख से बड़ा कोई दर्द नहीं होता हैं, भूख हर दर्द भूला देती है
अन्न ही जीवन है |

21/02/2022

असत्यापित लिंक पर क्लिक न करें।
अपनी साइबर अपराध शिकायत यहां दर्ज करें: https://www.cybercrime.gov.in
हेल्पलाइन नंबर: 1930 (पहले 155260)

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एक प्रोफेसर अपनी क्लास में कहानी सुना रहे थे, जोकि इस प्रकार है– एक बार समुद्र के बीच में एक बड़े जहाज पर बड़ी दुर्घटना हो...
20/07/2021

एक प्रोफेसर अपनी क्लास में कहानी सुना रहे थे, जोकि इस प्रकार है– एक बार समुद्र के बीच में एक बड़े जहाज पर बड़ी दुर्घटना हो गयी।

कप्तान ने शिप खाली करने का आदेश दिया। जहाज पर एक युवा दम्पति थे। जब लाइफबोट पर चढ़ने का उनका नम्बर आया तो देखा गया नाव पर केवल एक व्यक्ति के लिए ही जगह है। इस मौके पर आदमी ने औरत को धक्का दिया और नाव पर कूद गया। डूबते हुए जहाज पर खड़ी औरत ने जाते हुए अपने पति से चिल्लाकर एक वाक्य कहा। अब प्रोफेसर ने रुककर स्टूडेंट्स से पूछा – तुम लोगों को क्या लगता है, उस स्त्री ने अपने पति से क्या कहा होगा? ज्यादातर विद्यार्थी फ़ौरन चिल्लाये – स्त्री ने कहा – मैं तुमसे नफरत करती हूँ! I hate you! प्रोफेसर ने देखा एक स्टूडेंट एकदम शांत बैठा हुआ था, प्रोफेसर ने उससे पूछा कि तुम बताओ तुम्हे क्या लगता है? वो लड़का बोला – मुझे लगता है, औरत ने कहा होगा – हमारे बच्चे का ख्याल रखना! प्रोफेसर को आश्चर्य हुआ, उन्होंने लडके से पूछा – क्या तुमने यह कहानी पहले सुन रखी थी ? लड़का बोला- जी नहीं, लेकिन यही बात बीमारी से मरती हुई मेरी माँ ने मेरे पिता से कही थी। प्रोफेसर ने दुखपूर्वक कहा – तुम्हारा उत्तर सही है! प्रोफेसर ने कहानी आगे बढ़ाई – जहाज डूब गया, स्त्री मर गयी, पति किनारे पहुंचा और उसने अपना बाकि जीवन अपनी एकमात्र पुत्री के समुचित लालन-पालन में लगा दिया। कई सालों बाद जब वो व्यक्ति मर गया तो एक दिन सफाई करते हुए उसकी लड़की को अपने पिता की एक डायरी मिली। डायरी से उसे पता चला कि जिस समय उसके माता-पिता उस जहाज पर सफर कर रहे थे तो उसकी माँ एक जानलेवा बीमारी से ग्रस्त थी और उनके जीवन के कुछ दिन ही शेष थे। ऐसे कठिन मौके पर उसके पिता ने एक कड़ा निर्णय लिया और लाइफबोट पर कूद गया। उसके पिता ने डायरी में लिखा था – तुम्हारे बिना मेरे जीवन को कोई मतलब नहीं, मैं तो तुम्हारे साथ ही समंदर में समा जाना चाहता था। लेकिन अपनी संतान का ख्याल आने पर मुझे तुमको अकेले छोड़कर जाना पड़ा। जब प्रोफेसर ने कहानी समाप्त की तो, पूरी क्लास में शांति थी। इस संसार में कईयों सही गलत बातें हैं लेकिन उसके अतिरिक्त भी कई जटिलतायें हैं, जिन्हें समझना आसान नहीं। इसीलिए ऊपरी सतह से देखकर बिना गहराई को जाने-समझे हर परिस्थिति का एकदम सही आकलन नहीं किया जा सकता।

🙏🌹 अशिक्षित मां 🌹🙏          एक मध्यम वर्गीय परिवार के एक लड़के ने 10वीं की परीक्षा में 90% अंक प्राप्त किए ।  पिता, मार्...
20/07/2021

🙏🌹 अशिक्षित मां 🌹🙏

एक मध्यम वर्गीय परिवार के एक लड़के ने 10वीं की परीक्षा में 90% अंक प्राप्त किए ।
पिता, मार्कशीट देखकर खुशी-खुशी अपनी बीवी को कहा कि बना लीजिए मीठा दलिया, स्कूल की परीक्षा में आपके लाड़ले को 90% अंक मिले हैं

माँ किचन से दौड़ती हुई आई और बोली, "..मुझे भी बताइये, देखती हूँ

इसी बीच लड़का फटाक से बोला...
"पापा उसे रिजल्ट कहाँ दिखा रहे हैं ?... क्या वह पढ़-लिख सकती है ? वह अनपढ़ है ...!"

अश्रुपुर्ण आँखों से पल्लु से पूछती हुई माँ दलिया बनाने चली गई

ये बात मेरे पिता ने तुरंत देखा ...! फिर उन्होंने लड़के के कहे हुए वाक्यों में जोड़ा, और कहा... "हां रे ! वो भी सच है...!

जब हमारी शादी हुई तो तीन महीने के अंदर ही तुम्हारी माँ गर्भवती हो गई.. मैंने सोचा, शादी के बाद कहीं घुमने नही गए.. एक दूसरे को ठीक से हम समझे भी नही हैं, चलो इस बार अबॉर्शन करवा कर आगे चांस लेते हैं.. लेकिन तुम्हारी माँ ने ज़ोर देकर कहा "नहीं" बाद में चाँस नही.... घूमना फिरना, और आपस में समझना भी नही, फिर तेरा जन्म हुआ.....
वो अनपढ़ थी ना

जब तु गर्भ में था, तो उसे दूध बिल्कुल पसंद नहीं था, उसने आपको स्वस्थ बनाने के लिए हर दिन नौ महीने तक दूध पिया ...
क्योंकि वो अनपढ़ थी ना

तुझे सुबह सात बजे स्कूल जाना रहता था, इसलिए उसे सुबह पांच बजे उठकर तुम्हारा मनपसंद नाश्ता और डिब्बा बनाती थी.....
क्योंकि वो अनपढ़ थी ना

जब तुम रात को पढ़ते-पढ़ते सो जाते थे, तो वह आकर तुम्हारी कॉपी व किताब बस्ते में भरकर, फिर तुम्हारे शरीर पर ओढ़ना से ढँक देती थी और उसके बाद ही सोती थी...
क्योकि अनपढ़ थी ना

बचपन में तुम ज्यादातर समय बीमार रहते थे... तब वो रात- रात भर जागकर वापस जल्दी उठती थी और सुबह का काम पर लग जाती थी....
क्योंकि वो अनपढ़ थी ना

तुम्हें, ब्रांडेड कपड़े लाने के लिये मेरे पीछे पड़ती थी, और खुद सालों तक एक ही साड़ी पर रहती थी ।
क्योंकि वो अनपढ़ थी ना

बेटा .... पढ़े-लिखे लोग पहले अपना स्वार्थ और मतलब देखते हैं.. लेकिन आपकी माँ ने आज तक कभी नहीं देखा।
क्योंकि अशिक्षित है ना वो

वो खाना बनाकर और हमें परोसकर, कभी-कभी खुद खाना भूल जाती थी... इसलिए मैं गर्व से कहता हूं कि

'तुम्हारी माँ अशिक्षित है...

यह सब सुनकर लड़का रोते रोते, और लिपटकर अपनी माँ से बोलता है.. "माँ, मुझे तो कागज पर 90% अंक ही मिले हैं। लेकिन आप मेरे जीवन को 100% बनाने वाली आप पहली शिक्षक हैं
माँ, मुझे आज 90% अंक मिले हैं, फिर भी मैं अशिक्षित हूँ और आपके पास पीएचडी के ऊपर भी उच्च डिग्री है। क्योंकि आज मैं अपनी माँ के अंदर छुपे रूप में, मैं डॉक्टर, शिक्षक, वकील, ड्रेस डिजाइनर, बेस्ट कुक, इन सभी के दर्शन ले लिये !

ज्ञानबोध: .... प्रत्येक लड़का-लड़की जो अपने माता-पिता का अपमान करते हैं, उन्हें अपमानित करते हैं, छोटे- मोटे कारणों के लिए क्रोधित होते हैं।* उन्हें सोचना चाहिए, उनके लिए क्या-क्या कष्ट सहा है, उनके माता पिता ने ... 🙏🙏

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 !! गाय का झूठा गुड़ !!🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻एक शादी के निमंत्रण पर मुझे जाना था, पर मैं जाना नहीं चाहता था। व्यस्त होने का बह...
05/07/2021

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 !! गाय का झूठा गुड़ !!🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

एक शादी के निमंत्रण पर मुझे जाना था, पर मैं जाना नहीं चाहता था। व्यस्त होने का बहाना और दूसरा गांव की शादी में शामिल होने से बचना चाहता था, लेक‌िन घर परिवार का दबाव था सो जाना पड़ा।

उस दिन शादी की सुबह में काम से बचने के लिए सैर करने के बहाने दो तीन किलोमीटर दूर जा कर मैं गांव को जाने वाली रोड पर बैठा हुआ था। हल्की हवा और सुबह का सुहाना मौसम बहुत ही अच्छा लग रहा था। पास के खेतों में कुछ गाय चारा खा रही थी कि तभी वहाँ एक लग्जरी गाड़ी आकर रूकी और उसमें से एक वृद्ध उतरे। अमीरी उसके लिबास और व्यक्तित्व दोनों बयां कर रहे थे।

वे एक पॉलीथिन बैग ले कर मुझसे कुछ दूर पर ही एक सीमेंट के चबूतरे पर बैठ गये। पॉलीथिन चबूतरे पर उंडेल दी, उसमे गुड़ भरा हुआ था। अब उन्होने आओ आओ करके पास में ही खड़ी और बैठी गायो को बुलाया। सभी गाय पलक झपकते ही उन बुजुर्ग के इर्द गिर्द ठीक ऐसे ही आ गई जैसे कई महीनो बाद बच्चे अपने मां बाप को घेर लेते हैं। कुछ गाय को गुड़ उठाकर खिला रहे थें, तो कुछ स्वयम् खा रही थी। वे बड़े प्रेम से उनके सिर पर गले पर हाथ फेर रहे थें।

कुछ ही देर में गाय अधिकांश गुड़ खाकर चली गई, इसके बाद जो हुआ जिसे मैं ज़िन्दगी भर नहीं भुला सकता। हुआ यूँ कि गायों के गुड़ खाने के बाद जो गुड़ बच गया था वो बुजुर्ग उन टुकड़ो को उठा उठा कर खाने लगें। मैं उनकी इस क्रिया से अचंभित हुआ पर उन्होंने बिना किसी परवाह के कई टुकड़े खाये और अपनी गाड़ी की और चल पड़े।

मैं दौड़कर उनके नजदीक पहुँचा और बोला श्रीमानजी क्षमा चाहता हूँ पर अभी जो हुआ उससे मेरा दिमाग घूम गया। क्या आप मेरी इस जिज्ञासा को शांत करेंगे, कि आप इतने अमीर होकर भी गाय का झूठा गुड़ क्यों खा रहें थे...?

उनके चेहरे पर अब हल्की सी मुस्कान उभरी उन्होंने कार का गेट वापस बंद करा और मेरे कंधे पर हाथ रख वापस सीमेंट के चबूतरे पर आ बैठे, और बोले ये जो तुम गुड़ के झूठे टुकड़े देख रहे हो ना बेटे मुझे इनसे स्वादिष्ट आज तक कुछ नहीं लगता। जब भी मुझे वक़्त मिलता है मैं अक्सर इसी जगह आकर अपनी आत्मा में इस गुड की मिठास घोलता हूँ।

मैं अब भी नहीं समझा श्री मान जी आखिर ऐसा क्या हैं इस गुड में...?

‌वे बोले ये बात आज से कोई 40 साल पहले की है, उस वक्त मैं 22 साल का था। घर में जबरदस्त आंतरिक कलह के कारण मैं घर से भाग आया था। परन्तू दुर्भाग्य वश ट्रेन में कोई मेरा सारा सामान और पैसे चुरा ले गया। इस अजनबी से छोटे शहर में मेरा कोई नहीं था। भीषण गर्मी में खाली जेब के दो दिन भूखे रहकर इधर से उधर भटकता रहा, और शाम को भूख मुझे निगलने को आतुर थी। तब इसी जगह ऐसी ही एक गाय को एक महानुभाव गुड़ डालकर चले गए, यहाँ एक पीपल का पेड़ हुआ करता था। तब चबूतरा नहीं था, मैं उसी पेड़ की जड़ो पर बैठा भूख से बेहाल हो रहा था। मैंने देखा कि गाय ने गुड़ छुआ तक नहीं और उठ कर वहां से चली गई। मैं कुछ देर किंकर्तव्यविमूढ़ सोचता रहा और फिर मैंने वो सारा गुड़ उठा लिया और खा लिया। मेरी मृतप्रायः आत्मा में प्राण से आ गये।

मैं उसी पेड़ की जड़ो में रात भर पड़ा रहा। सुबह जब मेरी आँख खुली तो काफी रौशनी हो चुकी थी। मैं नित्यकर्मो से फारिक हो किसी काम की तलाश में फिर सारा दिन भटकता रहा पर दुर्भाग्य मेरा पीछा नहीं छोड़ रहा था। एक और थकान भरे दिन ने मुझे वापस उसी जगह निराश भूखा खाली हाथ लौटा दिया।

शाम ढल रही थी, कल और आज में कुछ भी तो नहीं बदला था, वही पीपल, वही भूखा मैं और वही गाय। कुछ ही देर में वहाँ वही कल वाले सज्जन आये और कुछ गुड़ की डलिया गाय को डालकर चलते बने, गाय उठी और बिना गुड़ खाये चली गई, मुझे अज़ीब लगा परन्तू मैं बेबस था सो आज फिर गुड खा लिया, और वही सो गया। सुबह काम तलासने निकल गया, आज शायद दुर्भाग्य की चादर मेरे सर पे नहीं थी। सो एक ढ़ाबे पर मुझे काम मिल गया। कुछ दिन बाद जब मालिक ने मुझे पहली पगार दी तो मैंने 1 किलो गुड़ ख़रीदा और किसी दिव्य शक्ति के वशीभूत 7 km पैदल पैदल चलकर उसी पीपल के पेड़ के नीचे आया। इधर उधर नजर दौड़ाई तो गाय भी दिख गई, मैंने सारा गुड़ उस गाय को डाल दिया।
इस बार मैं अपने जीवन में सबसे ज्यादा चौंका क्योंकि गाय सारा गुड़ खा गई, जिसका मतलब साफ था की गाय ने 2 दिन जानबूझ कर मेरे लिये गुड़ छोड़ा था। मेरा हृदय भर उठा उस ममतामई स्वरुप की ममता देखकर, मैं रोता हुआ बापस ढ़ाबे पे पहुँचा,और बहुत सोचता रहा। फिर एक दिन मुझे एक फर्म में नौकरी भी मिल गई, दिन पर दिन मैं उन्नति और तरक्की के शिखर चढ़ता गया। शादी हुई बच्चे हुये आज मैं खुद की पाँच फर्म का मालिक हूँ, जीवन की इस लंबी यात्रा में मैंने कभी भी उस गाय माता को नहीं भुलाया। मैं अक्सर यहाँ आता हूँ और इन गायो को गुड़ डालकर इनका झूँठा गुड़ खाता हूँ।

मैं लाखो रूपए गौ शालाओं में चंदा भी देता हूँ , परन्तू मेरी मृग तृष्णा मन की शांति यही आकर मिटती हैं बेटे।

मैं देख रहा था वे बहुत भावुक हो चले थे, समझ गये अब तो तुम, मैंने सिर हाँ में हिलाया, वे चल पड़े, गाडी स्टार्ट हुई और निकल गई,मैं उठा उन्ही टुकड़ो में से एक टुकड़ा उठाया मुँह में डाला वापस शादी में शिरकत करने सच्चे मन से शामिल हुआ।

सचमुच वो कोई साधारण गुड़ नहीं था। उसमे कोई दिव्य मिठास थी जो जीभ के साथ आत्मा को भी मीठा कर गई थी।

घर आकर गाय के बारे जानने के लिए कुछ किताबें पढ़ने के बाद जाना कि* *गाय गोलोक की एक अमूल्य निधि है, जिसकी रचना भगवान ने मनुष्यों के कल्याणार्थ आशीर्वाद रूप से की है। ऋग्वेद में गौ को अदिति कहा गया है। दिति नाम नाश का प्रतीक है और अदिति अविनाशी अमृतत्व का नाम है। अत: गौ को अदिति कहकर वेद ने अमृतत्व का प्रतीक बतलाया है।

!! जय श्री राम !!

!! जय गौ माता !!

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