Simply phrased by Swati

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Simply phrased by Swati The unsaid emotions expressed thru art�

After effects of walk!!!
16/10/2023

After effects of walk!!!

14/10/2023

I can’t play cards.
Because I can’t hide my cards.
This post is not about cards.

05/10/2023

30/09/2023

मैं ज़िंदगी से क्या ही गिला करूँ
कुछ लम्हे काफ़ी हैं मुस्कुराने के लिए।

26/09/2023

One way to learn is to be a patient listener.

20/09/2023
17/09/2023

16/09/2023

01/08/2023

तुम हँसना

तुम हँसना
और बेख़ौफ़
खिलखिलाकर हँसना
तुम हँसना वैसे
जैसे कोई नदी
चट्टानों से टकराकर
बिखर जाती है

तुम हँसना
कुछ ऐसे
जैसे जंगल में कोई शेर
अपनी मौजूदगी
का एहसास करवाता है।

बिखरने देना
अपनी हँसी को बेधड़क
दूर जाती उस सड़क के
आख़िरी क्षोर तक

तुम हँसना
क्यूँकि
तुम्हारी हँसी ज़रूरी है
उनके लिए
जो मुस्कुराना भूल गये हैं
किसी और को हँसाने में।

28/06/2023

चलो एक बार फिर...
वो पहली मुलाक़ात!!!

25/06/2023

You can not be perfect for everyone, so better enjoy your imperfections perfectly.

21/06/2023

08/06/2023

Some memories are worth cherishing...

01/06/2023

This was written for College Annual Fest’s creative writing competition and got third prize.
23/04/2023

This was written for College Annual Fest’s creative writing competition and got third prize.

Wo aakhiri mulakaat
16/10/2022

Wo aakhiri mulakaat

मैंने चुने कुछ ख़्वाबकुछ अल्फ़ाज़कुछ जज़्बातऔर तुम्हारे नाम कर दिए…अब मेरी रातेंमेरी नज़्मेंमेरे एहसासतुम्हारे मोहताज हो...
08/10/2022

मैंने चुने
कुछ ख़्वाब
कुछ अल्फ़ाज़
कुछ जज़्बात
और तुम्हारे नाम कर दिए…
अब मेरी रातें
मेरी नज़्में
मेरे एहसास
तुम्हारे मोहताज हो गए।

क्यूँ हों सरहदें मेरी परवाज़ (उड़ान) की…कि उड़ने को सारा आसमान मेरा हैमुट्ठी में क़ैद लकीरें…क्या तक़दीर लिखेंगीकि अब तो...
27/09/2022

क्यूँ हों सरहदें मेरी परवाज़ (उड़ान) की…
कि उड़ने को सारा आसमान मेरा है

मुट्ठी में क़ैद लकीरें…क्या तक़दीर लिखेंगी
कि अब तो ये सारा जहान मेरा है।

For the girls who aspire to fly high!
Go get it.

कोख से कब्र तकहाँ, कोख़ से कब्र तक हर कदम पर जूझना पड़ता है मुझेअपने अस्तित्व को बचाने के लिएकभी कोख़ में ही मार दी जाती...
25/09/2022

कोख से कब्र तक

हाँ,
कोख़ से कब्र तक
हर कदम पर
जूझना पड़ता है मुझे
अपने अस्तित्व को बचाने के लिए

कभी कोख़ में ही मार दी जाती हूँ, कभी कली सी मसल दी जाती हूँ
कभी बदले की आग में…तेज़ाब से पिघला दी जाती हूँ।

कभी सरे बाज़ार बेच दी जाती हूँ, कभी सड़कों पर फेंक दी जाती हूँ
कभी दहेज के नाम पर, पैसों से तौल दी जाती हूँ

कभी पूजी जाती हूँ, कभी दुतकारी जाती हूँ
कभी देवी के नाम पर दीवारों पर लटका दी जाती हूँ

पर किसी भी सूरत में मैं, इंसान कहाँ मानी जाती हूँ।

हाँ, मेरा ये कोख से कब्र तक का सफ़र बदलना होगा
तुम्हें इंसान बनना होगा…मुझे इंसान समझना होगा
तुम और मैं (man & Woman)…अलग होकर भी अलग नहीं
तुम्हारा मेरे बिना, मेरा तुम्हारे बिना…कोई अस्तित्व नहीं
ये सृष्टि का नियम है…अटल सत्य…जान लो
शक्ति के बिना कोई शिव नहीं!!!
शक्ति के बिना कोई शिव नहीं!!!

24/08/2022

23/08/2022

19/07/2022

एक ज़िंदगी गुज़र जाती है साँचे में ढालने खुद को…
इक लम्हा खर्च होता है हमें यूँ ही अपनाने में

01/07/2022

कोई क़ीमती गुज़ारिश हो तो बताओ…
कुछ ख्वाहिशें ख़र्च करनी हैं!!!

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