05/10/2022
पीतल के बर्तन
कहानी उन दिनों की है जब मेरा परिवार एक बहुत बुरे दौर से गुजर रहा था, न खाने को घर में आटा दाल हुआ करते थे न उन्हें खरीदने के पैसे, एक वक़्त ऐसा आया जब सब उन अपनों ने साथ छोड़ दिया जो कहने को सिर्फ अपने है तब मेरी माँ को सिर्फ एक तरीका सुझा मेरे नाना के द्वारा उनके शादी में दिए गए पीतल के बर्तन को बेचना और उसे बेच कर हमारे लिए खाने का इंतजाम करना ताकि हम भूख से मरे न, हुआ भी ऐसा ही मेरी माँ ने एक एक कर उन बर्तनो को बेच दिया कौड़ियों के भाव में और खरीदार भी इसके वही हमारे अपने लोग थे जो कहने को सब अपने है, आज जब मेरे उन बुरे दिनों के अपने लोग अपना महसूस कराने की कोशिश करते है न तो मेरा मन हमेशा यही बोल उठता है की "अपने तो सिर्फ सपने होते है" आज मैं इतना सक्षम हूँ की अगर मुझे जरूरत हो तो ऐसे बर्तनो की फैक्ट्री खोल लूँ लेकिन पता है तब मुझे बुरा लगता था ये सोचकर की फलाने ने हमारे साथ ऐसा बुरा व्यवहार किया, पर अब ऐसा नहीं लगता है क्यूंकि टांग खींचने की कोशिश करने वालो की वजह से तो मेरे नुक्सान से अधिक फायदे हुए है सबसे बड़ी ज्ञान मुझे बहुत कम उम्र में मिली वो है इंसान पहचानने का और दूसरा ये की उस वक़्त ने मुझे पढ़ने कुछ कर गुजरने की कोशिश करने की ओर अग्रसर किया है इसलिए हर उस इंसान को धन्यवाद जिन्होंने हमारे बुरे वक़्त में हमारे साथ और बुरा किया।
नोट : जब कोई आपका साथ छोड़े, टांग खींचे तब ध्यान रखना वो जानते है की तुम्हारे टांग अगर वो न खींचे तो तुम उनसे आगे निकल सकते हो, तो जब लोग तुहारी टांग खींचने की कोशिश करे तब तुम दुगनी मेहनत से टांग झटक के और गति से आगे निकलो।