24/06/2023
मेरी कलम से
खाकी का भी तो मान हे ना !! 24•06•2023
देश्भक्ती जनसेवा
मेरी कलम से
खाकी का भी तो मान हे ना !! 24•06•2023
*जो आनंद बैंड में है वह डीजे में मिल ही नहीं सकता... श्री लखबीर सिंह लक्खा जी के सौजन्य से प्राप्त वीडियो के आधार पर मैं यह कहना चाहता हूं की समझ में नहीं आता आजकल लोग वैवाहिक समारोह में शानदार बैंड का आनंद लेने के जगह डीजे के शोरगुल में क्यों रुपया बर्बाद करते हैं.. डीजे के संचालन में जहां दो-तीन लोग होते हैं वही एक बैंड समुह से 11...21... 31.... लोगों को रोजगार मिलता है... और शास्त्रीय संगीत का सुनने का आनंद वह एक अलग ही बात है*
*मैंने कई बार देखा है वैवाहिक समारोह में जब डीजे बजते हैं... बरात में या अन्य कार्यक्रम में तो वहां उपस्थित वरिष्ठ जनों की ध्वनि प्रदूषण के कारण तबीयत खराब होने लगती है...*
*आइए हम फिर से शहनाई वादन, बैंड वादन का आनंद लेने के लिए लोगों को जागृत करें और डीजे से दूरी बनाए...*
VIP duty Mohankheda Dam Rajgarh MP
🇮🇳कुछ दाग होते हे जो वर्दी को और भी उजला कर देते हे 🇮🇳
मक्सी बाय पास चौरहे पर एक खतरनाक एक्सिडंट हुआ जिसमे ट्रक कार से टकराकर कार के ऊपर ही पलट गया जिसमे एक छोटे बच्चे सहित 5 लोग कार के अन्दर ही फस गये ट्रक का ड्रायवार भी गम्भीर रूप से घायल हो गया सभी लोगो को सुरक्षित निकाला गया बच्चे के सर व गाल पर चोंट लगी थी खून बह रहा था मेने बच्चे को गोद मे लेकर अपने रुमाल से उसके सर का खून बन्द किया बच्चा मुझसे चिपक गया कुछ खून के छींटे मेरी वर्दी पर भी आ गये हमने हमारे फोर्स की मदद से सभी घायलो को जल्द ही अस्पताल पहुंचाया सभी स्वस्थ हे कोई जन हानी नही हुई
,,,,,,,,, रहगीरो ने कहा की सर आपकी वर्दी पर खून के दाग लग गये हे ,,,,मेने तब देखा और सोचा की ,,, अगर इस तर के दाग वर्दी पर लगते हे तो वर्दी और भी उजली हो जाती हे 🇮🇳🇮🇳
Police
शहडोल जोन के 🚔एडीजीपी डीसी सागर सर ( धोती कुर्ता पहने हूए )होली मिलन समारोह में किए अपने अनोखे अंदाज वाले डांस से एक बार फिर सुर्खियों में छा गए हैं। उनका पुलिस स्टाफ के साथ अलग अंदाज वाला डांस अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है...
Video from Jitendra Dubey
हल खींचते समय यदि कोई बैल गोबर या मूत्र करने की स्थिति में होता था तो किसान कुछ देर के लिए हल चलाना बन्द करके बैल के मल-मूत्र त्यागने तक खड़ा रहता था ताकि बैल आराम से यह नित्यकर्म कर सके, यह आम चलन था।
जीवों के प्रति यह गहरी संवेदना उन महान पुरखों में जन्मजात होती थी जिन्हें आजकल हम अशिक्षित कहते हैं, यह सब अभी 25-30 वर्ष पूर्व तक होता रहा ।
उस जमाने का देशी घी यदि आजकल के हिसाब से मूल्य लगाएं तो इतना शुद्ध होता था कि 2 हजार रुपये किलो तक बिक सकता है।
और उस देसी घी को किसान विशेष कार्य के दिनों में हर दो दिन बाद आधा-आधा किलो घी अपने बैलों को पिलाता था ।
टटीरी नामक पक्षी अपने अंडे खुले खेत की मिट्टी पर देती है और उनको सेती है।
हल चलाते समय यदि सामने कहीं कोई टटीरी चिल्लाती मिलती थी तो किसान इशारा समझ जाता था और उस अंडे वाली जगह को बिना हल जोते खाली छोड़ देता था । उस जमाने में आधुनिक शिक्षा नहीं थी ।
सब आस्तिक थे। दोपहर को किसान जब आराम करने का समय होता तो सबसे पहले बैलों को पानी पिलाकर चारा डालता और फिर खुद भोजन करता था । यह एक सामान्य नियम था ।
बैल जब बूढ़ा हो जाता था तो उसे कसाइयों को बेचना शर्मनाक सामाजिक अपराध की श्रेणी में आता था।
बूढा बैल कई सालों तक खाली बैठा चारा खाता रहता था, मरने तक उसकी सेवा होती थी।
उस जमाने के तथाकथित अशिक्षित किसान का मानवीय तर्क था कि इतने सालों तक इसकी माँ का दूध पिया और इसकी कमाई खाई है,अब बुढापे में इसे कैसे छोड़ दें,कैसे कसाइयों को दे दें काट खाने के लिए ??
जब बैल मर जाता तो किसान फफक-फफक कर रोता था और उन भरी दुपहरियों को याद करता था जब उसका यह वफादार मित्र हर कष्ट में उसके साथ होता था।
माता-पिता को रोता देख किसान के बच्चे भी अपने बुड्ढे बैल की मौत पर रोने लगते थे।
पूरा जीवन काल तक बैल अपने स्वामी किसान की मूक भाषा को समझता था कि वह क्या कहना चाह रहा है ।
वह पुराना भारत इतना शिक्षित और धनाढ्य था कि अपने जीवन व्यवहार में ही जीवन रस खोज लेता था,वह करोड़ों वर्ष पुरानी संस्कृति वाला वैभवशाली भारत था..!
वह सचमुच अतुल्य भारत था ।।
#पोस्ट_पढ़कर_आनंद_आया_है_तो_फॉलो_जरूर______करना__मित्रो 🙏
मेरे चेहरे की मासूमियत देखकर हल्के के मत लेना मुझको
इस मासूमियत ने पता नहीं कितने 🚔गुंडे सुधार दिये है
बारात आई और एक जोड़े मे ले गई दुल्हन
इन्दौर के मन्सूरी परिवार ने बहुत बड़ी मिसाल 👏👏पेश की हम सभी को इनसे सीख लेनी चाहिये
हमेशा मदद करते रहे 🙏🇮🇳
2.5 m व्यू कंपलीट❤❤🇮🇳🇮🇳
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*जो आनंद बैंड में है वह डीजे में मिल ही नहीं सकता... श्री लखबीर सिंह लक्खा जी के सौजन्य से प्राप्त वीडियो के आधार पर मैं यह कहना चाहता हूं की समझ में नहीं आता आजकल लोग वैवाहिक समारोह में शानदार बैंड का आनंद लेने के जगह डीजे के शोरगुल में क्यों रुपया बर्बाद करते हैं.. डीजे के संचालन में जहां दो-तीन लोग होते हैं वही एक बैंड समुह से 11...21... 31.... लोगों को रोजगार मिलता है... और शास्त्रीय संगीत का सुनने का आनंद वह एक अलग ही बात है* *मैंने कई बार देखा है वैवाहिक समारोह में जब डीजे बजते हैं... बरात में या अन्य कार्यक्रम में तो वहां उपस्थित वरिष्ठ जनों की ध्वनि प्रदूषण के कारण तबीयत खराब होने लगती है...* *आइए हम फिर से शहनाई वादन, बैंड वादन का आनंद लेने के लिए लोगों को जागृत करें और डीजे से दूरी बनाए...*
शहडोल जोन के 🚔एडीजीपी डीसी सागर सर ( धोती कुर्ता पहने हूए )होली मिलन समारोह में किए अपने अनोखे अंदाज वाले डांस से एक बार फिर सुर्खियों में छा गए हैं। उनका पुलिस स्टाफ के साथ अलग अंदाज वाला डांस अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है...
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