10/06/2024
आप कभी दिल्ली से ऋषिकेश गए हैं? अपनी गाड़ी से, रात्रि के समय?
और ऋषिकेश से दिल्ली, अपनी गाड़ी से, रात्रि के समय, दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे से होते हुए वापिस गए हैं?
तो बहुत सम्भावित है कि आपको इतना विकास दिखाई दिया होगा कि आप गर्व से झूम उठे होंगे?
चित्र 1 दिल्ली से हरिद्वार जाते समय, मेरठ एक्सप्रेसवे से उतरते समय, दिल्ली हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग NH 58 पर मिलने के स्थान का है
चित्र 2 हरिद्वार से दिल्ली जाते समय, दिल्ली हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग NH58 से मेरठ एक्सप्रेसवे पर चढ़ते समय मिलने के स्थान का है
आप कहेंगे इसमें क्या विशेष है?
यह देखने के लिए अन्धभक्ति का चश्मा उतारना पड़ेगा।
चित्र 2 अर्थात हरिद्वार से दिल्ली की ओर, मेरठ एक्सप्रेसवे पर चढ़ते समय, मोड़ इतना तीखा है कि अप्रत्याशित BEND के कारण फ्लाइओवर की दाईं दीवार वाहनों की टक्कर से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई स्पष्ट दिखाई देती है। अब तक उस दीवार से 2-4 अथवा 10-20 नहीं बल्कि दीवार की स्थिति से कोई भी अनुमान लगा सकता है कि सैंकड़ों वाहन टकरा चुके होंगे और वाहनों को भी बहुत क्षति पहुँची होगी।
इतना तीखा मोड़ देने का क्या कारण था? क्या मजबूरियाँ रही थी?
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मेरठ एक्सप्रेसवे पर LED Lights लगी हैं, वाह! कितना सुन्दर दृश्य दिखता है
मैंने कहा न वास्तविकता देखने के लिए, अन्धभक्ति का चश्मा उतारना पड़ेगा।
60-70% लाइट खराब, कुछ बन्द रहती हैं और कुछ फ्लैश करती रहती हैं, यह आज की बात नहीं कर रहा हूँ। यह एक्सप्रेसवे आरम्भ होने के बाद से दर्जनों बार यहाँ से जा चुका हूँ, रात्रि के समय।
हाइवे अथवा एक्सप्रेसवे पर पोल लाइट की क्या आवश्यकता होती है? रात्रि के समय वाहन चलाने वाले चालक अधिक अचछी तरह समझते होंगे कि बाहर प्रकाश न ही हो तो अच्छा। और यदि ऐसी लाइट हों तो सभी जलती हुई होनी चाहिए अन्यथा Road Visibility बुरी तरह प्रभावित होती है। और उस पर FLASHING LIGHTS स्थिति को और भी खतरनाक बना देती हैं।
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दिल्ली से हरिद्वार जाते समय, मेरट एक्स्प्रेसवे से उतरने के बाद, आपको विपरीत दिशा से आते हुए वाहनों से बचना भी है और बचाना भी है। विपरीत दिशा से दोपहिया वाहन, कार, ट्रैक्टर ट्राली, टैम्पो, ट्रक कुछ भी आ सकता है। और कई बार तो दाएँ बाएँ दोनों तरफ विपरीत दिशा से आते वाहन मिलते हैं, आपका वाहन बीच में...
ऐसी स्थिति में 'मोदी की गारंटी' नहीं चलती, 'राम की गारंटी' चलती है
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मेरठ बाइ पास - शिवाय टोल प्लाजा
लगभग 15 वर्षों से टोल शुल्क वसूला जा रहा है। दिन भर में कितने वाहन यहाँ से गुजरते हैं जानते हैं? नितिन गडकरी जी से पूछिए - अभी तक लागत मूल्य का कितना गुणा वसूल किया जा चुका है?
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इस सारे मार्ग पर आपको दाएँ बाएँ अनेक ढाबे भी दिखाई देते होंगे। और यदि अन्धभक्ति का चश्मा हटाकर देखेंगे तो आपको उन ढाबों पर, सड़क के किनारों तक अतिक्रमण करती हुई अत्यधिक चमकती रंग-बिरंगी लाइट भी दिखती होंगी। जब सड़क पर पोल लाइट न हो, LANE MARKING तथा REFLECTORS नहीं हों तब, इस प्रकार की लाइट से Road Visibility बुरी तरह प्रभावित होती है दुर्घटना की सम्भावना बढ़ जाती है।
इसके बाद छपार टोल प्लाजा - यहाँ आप जैसे ही टोल देकर आगे बढ़ते हैं, टोल पार करते ही सड़क के किनारों तक अतिक्रमण किए हुए गन्ने के जूस व विभिन्न प्रकार के ठेले, स्टाल, ईत्यादि दिखाई देंगे। यहाँ तक कि दोपहिया वाहनों के लिए तो घातक स्थिति बन जाती है उनके चलने के लिए तो स्थान ही नहीं बचता।
रास्ते में अनेक स्थानों पर विपरीत दिशा में चलते छोटे-बड़े वाहन मिलते ही रहेंगे और उनसे बचने बचाने का दायित्व आपका ही है। परन्तु ये सब न तो पुलिस को दिखाई देते हैं, न VIP CONVOY को दिखाई देते हैं।
इसके बाद एक क्षेत्र है मंगलौर - दाएँ बाएँ दोनों तरफ विपरीत दिशा से आते हुए वाहन, दोपहिया ही नहीं, कार टेम्पो, ट्रैक्टर, परन्तु पुलिस में साहस नहीं कि इस क्षेत्र में चालान अथवा चैकिंग कर ले।
फिर आप पहुँचेंगे रूड़की बाइपास मार्ग पर - यहाँ भी 70-80% पोल लाइट खराब, सड़क पर LANE DIVIDER मिट चुके, REFLECTOR या तो हैं नहीं या फिर खराब हो चुके।
टोल बराबर वसूला जा रहा है
इसके आगे बहादराबाद टोल प्लाजा - यहाँ आप ₹125 टोल शुल्क भुगतान करेंगे और इसे पार करने के बाद फिर से विपरीत दिशा से आते-जाते वाहन।
अब आप दुर्घटना सम्भावित क्षेत्र से गुजरेंगे, जहाँ बोर्ड तो लगा है 'दुर्घटना सम्भावित क्षेत्र' किन्तु वहाँ न तो पोल लाइट है, न LANE DIVIDER न ही REFLECTOR, न ही सड़क पर सतर्कता की पीली पट्टियाँ
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बहादराबाद से हरिद्वार (हर की पैड़ी, भीम गोडा) के बीच जितने भी फ्लाइओवर का निर्माण हुआ है इन सबके उद्घाटन पिछले 5-6 वर्षों में ही हुए हैं। और इन सभी फ्लाइओवर पर जोड़ बार-बार टूटते रहते हैं और वर्ष भर मुरम्मत कार्य चलता ही रहता है।
रायवाला पार करने के बाद, रेलवे लाइन अन्डरपास जो निर्माण के बाद केवल 3 वर्ष में ही कई स्थानों पर धँस चुका है और कई बार मुरम्मत भी हो चुकी है, जिसके 500 मीटर की लम्बाई में 500 पैच हैं, अभी भी इतना ऊबड़ खाबड़ है कि 60 की गति से अधिक चलाना खतरनाक हो सकता है।
नेपाली फार्म फ्लाइओवर पार करने के बाद उतरते ही, ठीक मोड़ पर सड़क इतनी धँसी हुई है कि तंग मार्ग पर MERGING TRAFFIC विशेषत: दोपहिया वाहन चालकों के लिए अत्यन्त खतरनाक है
अब आप चित्र 3 व 4 देखिए (हालांकि यह राजमार्ग क्षेत्र नहीं है किन्तु अत्यधिक यातायात तो होता ही है)।
चित्र 3 अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के क्षेत्र का है जहाँ सड़क के दोनों ओर बहुत बड़ी संख्या में छोटे स्टाल अतिक्रमण किए हुए, एवं AIIMS के बाहर सड़क के दोनों किनारों पर अनधिकृत रूप से पार्क की हुईे सैंकड़ों की संख्या में एम्बुलेंस, यहाँ आवागमन इतना दुष्कर होता है कि - AIIMS को सफल बनाने के लिए उसके बाहर ही दुर्घटना सम्भावित क्षेत्र बना दिया गया है
चित्र 4 - बैराज के ठीक प्रवेश मार्ग पर T-POINT पर जहाँ बहुत तंग मोड़ है, जहाँ आमने-सामने दो कार भी एक साथ मोड़ काटते हुए सहजता से नहीं निकल सकती, ठीक उसी मोड़ पर, सड़क के दोनों ओर स्टाल खुले हुए हैं, और कई बार इन दुकानों पर माल सप्लाइ करने वाले टेम्पो खड़े होते हैं
--- जब VIP CONVOY की यात्रा होती है, तब सभी मार्ग सामान्य यातायात के लिए बन्द करके उनका आवागमन सुगम बनाया जाता है।
क्या आपने उस समय में दर्जनों स्थानों पर लगाए गए DIVERSION को भुगता नहीं होगा
परन्तु सरकार के लिए ये सब स्थितियाँ अत्यन्त लाभकारी है। सड़क पर जितनी खराब स्थिति होगी उतनी अधिक दुर्घटनाएँ होंगी, वाहनों की तोड़फोड़ होगी तो अधिक पार्टस बिकेंगे, लोग घायल होंगे तो उपचार भी कराएँगे, बीमा भी कराएँगे और इन सब पर GST भी मिलेगा। और जो राजमार्ग से टोल मिलता है अलग, वाहन पंजीकरण के समय रोड टैक्स भी... चालान अलग ... बहुत कमाई है इसमें। कोई मूर्ख ही होगा जो अच्छी और सुरक्षित सड़कें बनाएगा।
वास्तव में हर स्थिति में दायित्व आपका है
आप सीट बेल्ट लगाएँ, हेल्मेट लगाएँ, बीमा करवाएँ अन्यथा चालान भरें
सरकार को आपकी सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं है।
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यह है 'विकास' का पहला निरीक्षण, अभी और बहुत से सर्वे प्रकाशित करेंगे हम
अगली बार आप जाएँ तो पूरे मार्ग का निरीक्षण कर लीजिए, अन्धभक्ति का चश्मा उतारकर