॥॥॥॥॥राष्ट्र_गान॥॥॥॥॥
जन-गन-मन-अधिनायक जय हेँ,
भारत - भाग्य - विधाता।
पँजाब सिँध गुजरात माराठा,
द्रविड. - उत्कल - बंग,
विँध्य - हिमाचल -यमुना - गंगा,
उच्छल - जलधि - तरंग।
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष मागे
गाहे तव जय गाथा।
जन-गन-मंगलदायक जय हे,
भारत - भाग्य - विधाता।
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे।
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तुमने जो मेरी कब्र पर ,
आकर यूँ मुस्कुरा दिया
बिजली चमक कर गिर
पड़ी ,
सारा कफ़न जला दिया...........
मैं सो रहा था चैन से ,
यूँ ही कफ़न - ऐ - मज़ार में ,
यहाँ भी सताने आ गए ,
किसने पता बता दिया ..........
तुमने चढ़ाये फूल तो ,
एहसान क्या किया
हमने तुम्हारे इश्क में ,
सारा चमन लुटा दिया .........
पूछा न जीते जी कभी ,
दर्द - ऐ - दिल का हाल
आये हो कब्र पर मेरी ,
मिट्टी में जब मिला दिया .........
आये हो मज़ार पर मेरे ,
देख लिया अब मेरा हाल
ठुकरा के मेरे प्यार को ,
किसी और को अपना बना दिया .........
अब हो गया है मालूम तुम्हें ,
एक शिकायत मेरी जान लो
किया जो हशर तुमने मेरा ,
अपनों को बेगाना बना दिया ...........
मैं तो कफ़न में हूँ अब ,
मेरी बात और है ,
करना न उनका हाल वो अब ,
जो हाल मेरा तुमने बना दिया .........
तुमने जो मेरी कब्र पर ,
आकर यूँ मुस्कुरा दिया
बिजली चमक कर गिर पड़ी ,
सारा कफ़न जला दिया...........