11/06/2024
#सिद्धि_बड़ी_या_भगवान
🔹साहेब कबीर जी गोरख नाथ जी को बताते हैं कि
धरती नहीं जद की टोपी दीना, ब्रह्मा नहीं जद का टीका।
शिव शंकर से योगी, न थे जद का झोली शिका।।
साहेब कबीर ने ही सतलोक सृष्टि शब्द से रची तथा फिर काल की सृष्टि भी सतपुरुष ने रची। जब मैं अकेला रहता था जब धरती भी नहीं थी तब से मेरी टोपी जानो। ब्रह्मा जो गोरखनाथ तथा उनके गुरु मच्छन्दर नाथ आदि सर्व प्राणियों के शरीर बनाने वाला पैदा भी नहीं हुआ था। तब से मैंने टीका लगा रखा है अर्थात् मैं (कबीर) तब से सतपुरुष आकार रूप मैं ही हूँ।
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