29/09/2023
जिसको आज तक किसी ने छुआ तक नहीं है, वैसी १८ साल की और १२० किलो की अनिका को पता चलता है, कि वो माँ बनने वाली है। ६ साल बाद जब अनिका अपनी बच्ची के साथ बड़े शानदार तरीक़े से मनाली लौटती है, तब जो लोग उसे अपनी ज़िंदगी से बेदख़ल करना चाहते थे, वोहि लोग अनिका को वापस अपनी ज़िंदगी में पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं… क्या वो वापस अपने दूसरे खोए हुए जुड़वा बच्चे को ढूँढने के साथ साथ ये पता लगा पाएगी कि आखिर उसके बच्चों का बाप है, कौन?
Chapter 1
“अनिका...तुम सुन्न रही हो ना मेरी बात?? तुम मां बनने वाली हो अनिका..!”
डॉक्टर के ये शब्द सुनते ही १८ साल की अनिका की कमज़ोर आँखें एकदम से चौड़ी हो गयी। वो समज नहीं पा रही थी, की वो आखिर प्रेग्नेंट कैसे हो सकती है?
अभी तो उसकी शादी को २४ घंटे भी पूरे नही हुए थे… और न तो किसी लड़के ने आज तक उसे छुआ था। ऐसे में.. अनिका.."प्रेग्नेंट" कैसे हो सकती है??? जितनी शॉकड अनिका थी, उतने ही शॉकड उसके पापा भी थे, जो वही डॉक्टर की केबिन में खड़े, मानो आने वाले तूफ़ान जो भांप रहे थे..
तभी डॉक्टर ने गौतम से कहा – "देखिए.. mr. गौतम गुलेरिया, मैं समज सकती हूँ की आप दोनों इस वक्त बोहुत परेशान होंगे। मगर आप लोग कोई भी फैसला ले उसके पहले मैं एक बात बता दू.. की प्रेगनेंसी ४ महीने पार हो चुकी है। so abortion is out of question!
अनिका को लग रहा था के हो न हो, डॉक्टर से ज़रूर कोई गलती हुई होगी... इसलिए नर्स के सहारे खड़ी होते हुए कमज़ोर अनिका ने थोड़ी ताकत जुटा कर डॉक्टर को डांट दिया... “यह आप क्या कह रही है। यह नामुमकिन है...” लेकिन डॉक्टर के कुछ बोले उसके पहले ही गौतम गुस्से से तिलमिला कर अनिका के पास आये और उसे ज़ोर से तप्पड़ मार दिया...! “इसका जवाब डॉक्टर को नहीं, तुम्हे देना है बेशरम।”
अक्र कार की बैकसीट पर बैठने वाले गौतम आज अनिका को पीछे बिठा कर खुद ड्राइवर के साथ वाली सीट पर बैठ गए थे... मानो ऐसा कर के वो अनिका को अपनी नाराज़गी जाता रहे हो...! अनिका जानती थी की एक बेटी होने के नाते आज उसने अपने पिता को दुनिया का सबसे बड़ा दुःख दिया था... एक बिन-बियाही माँ बन कर...!!! इतना दुख उन्हें अनिका की मां के गुजरने पर भी नही हुआ होगा। लेकिन ये सब जानते हुए भी अनिका फिलहाल कुछ भी करने के लिए physically या mentally सक्षम नहीं थी. उसका शरीर कार की बेक सीट पर कमज़ोरी के साथ साथ शर्म से मानो जम गया था।
मनाली भारत का बेहद खुबसूरत शहर है। यहां देश विदेश से आए टुरिस्ट्स के कारण शहर में रोनक लगी रहती है। मगर अनिका को ऐसा लग रहा था मानो आज मनाली का हर इंसान उसे सवालिया नज़रो से बस एक ही सवाल पूछ रहा हो... की आखिर कौन है इस बच्चे का बाप?.. लेकिन इसका जवाब तो अनिका के पास भी नहीं था...! वो बस नम आँखों से एक ही बात सोचे जा रही थी... की जब आज तक उसे कभी किसी लड़के ने छुआ तक नहीं... तो वो प्रेगनेंट कैसे हो सकती थी???
अनिका इसी उधेड़बुन्द में थी, तभी उसकी कार उसके घर के बोहोत ही बड़े लेकिन पूराने और जंग लगे गेट में एंटर होती है।
गुलेरिया हाउस ब्रिटिश के ज़माने का मकान था। कहा जाता था यहाँ इंग्लैंड के अधिकारी वैकेशन मनाने आते थे। पुराने मगर शानदार एंटिक्स, बड़ा गार्डन.. और बीचमे फवारा। लेकिन अछे से मेंटेन न करने की वजह से पिछले कुछ सालो से थोड़ा बंजर सा लगने लगा था।
गौतम ने घर में एंटर होते ही अनिका के रिपोर्ट्स को ग़ुस्से से सोफ़ा पर फेंका और अपने सर पे हाथ रख कर.. एक घुर्राते हुए शेर की तरह हॉल में इधर से उधर टहलने लगे। अनिका कमजोर शरीर और भारी कदमों से गौतम के पीछे पीछे घर में दाखिल हुई.. आज अनिका को उसका शरीर रोज़ के मुक़ाबले कुछ ज्यादा ही भारी लग रहा था। वैसे अनिका का वजन उसकी उमर की लड़कियोसे कम से कम ३ गुना ज्यादा था। गोल मोटा सा चेहरा, मोटा पेट और ठुड्डी इतनी वजनदार की अनिका की पूरी गर्दन छिप जाती। १२० किलो की अनिका की तुलना अक्सर लोग अनाज की भरी हुई बोरी से करते। लेकिन अनिका का शरीर जितना मोटा था, उसकी शकल उतनी ही मासूम और क्यूट थी! चेहरे के दोनो तरफ़ एक एक रसगुल्ला लगाया हो वैसे नरम मुलायम सफ़ेद गाल.... ठंड की वजह से हमेशा लाल रहती उसकी नाक और पूरे जहां कि मासूमियत को समेट कर बनायी गयी हो वैसी उसकी २ आँखें! लेकिन आज तक किसी को उसका मासूम चेहरा नहीं दिखा… दिखा था तो बस उसका शरीर… बेडोल और निराकार। बिन माँ की बच्ची अनिका को आज सब से ज़्यादा जरुआत थी... तो उसके पापा के इमोशनल सपोर्ट की। इस लिए अनिका नम आँखों से गौतम की तरफ बढ़ी ही थी की तभी गौतम भारी पहाड़ी आवाज में उस पर गरज पडे...
“मुश्किल से एक मौका मिला था हमें... हमारी ज़िन्दगी को थोड़ा बेहतर बनाने का... नसीब वाली थी तुम.. जो डोगरा खानदान के एक लौते वारिस कुणाल डोगरा से तुम्हारी शादी हुई थी। डू यू नो कितने पावरफुल है वो लोग... मनाली का सबसे पावरफुल खानदान… डोग्रास!!....... हमारे सारे कर्ज, पेंडिंग कोर्ट केस.. हमारी हर तकलीफ से हमें बाहर निकाला था उन लोगो ने। लेकिन शादी के २४ घंटे में ही तुमने हमारी ज़िन्दगी वापस जहन्नुम बना दी... उनको तुम्हारे इस कारनामे के बारे में पता चलेगा तो पता नहीं क्या होगा??? और तुम्हारी छोटी बेहेन कामिनी? उसके साथ कौन शादी करेगा? भले ही वो तुम्हारी सौतेली बेहेन हो.. लेकिन तुम्हारे इस कारनामे की वजह से उसकी भी तो बदनामी होगी.. नहीं नहीं..जब तक ये मामला ख़तम नहीं हो जाता तब तक मैं तुम्हारी छोटी बेहेन कामिनी को और तुम्हारी नयी माँ मनीषा को उसके भाई के घर भेज दूंगा... लेकिन आज नहीं तो कल..सब को पता चल ही जायेगा.. " ये बोलते हुए गौतम अपना सर पकड़ कर सोफे पर बैठ गए थे... अब उनकी आवाज़ में गुस्सा कम.. और डर ज़्यादा सुनाई दे रहा था... लेकिन गौतम के आंसू मानो करारे शब्द में बदल कर उसके मुँह से निकल रहे थे...! "तेरा पति कुणाल तो शादी करते ही एक घंटे के अंदर ही शहर चला गया था.. अब इस प्रेग्नेंसी के बारे में जब तेरे ससुराल वालों को पता चलेगा... तो भगवन जाने वो लोग क्या करेंगे..!! समाज में इज्जत तो उछलेगी ही, मगर हम फिर से उसी दलदल में फंस जाएंगे जहाँ से निकाल कर लाए थे हमे वो लोग... काश तुम भी अपनी माँ के साथ ही....”
अनिका वो सुन चुकी थी... जो गौतम कहते कहते रुक गया था। अनिका को कड़वे शब्द सुनने की आदत तो थी ही.. मगर आज सवाल उठा था उसके चरित्र पर.. उसकी पवित्रता पर। अनिका इस चक्रव्यूह से जल्द से जल्द बाहर निकलना चाहती थी... मगर उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करें... वो सोच रही थी की जो कुछ भी हो रहा है अगर वो झूठ था, तो फिर उसके पेट में सांस लेने को उत्सुक ये सच क्या था?
अगले दिन गौतम ने घर में लगे सारे सीसीटीवी कैमरे कि पिछले पांच महीने की फुटेज मँगवायी और बारीकी से देखने के बाद वो ये जानकर हैरान हो गया था कि पिछले पांच महीनों से छोटी मोती बीमारी के चलते अनिका घर के बाहर कही गई ही नहीं थी...! ये देख कर गौतम का गुस्सा अब आश्चर्य में बदल गया था। उसको इतना तो समाज में आ गया था की कही कुछ तो गड़बड़ थी... लेकिन उससे कई ज़्यादा उसे ये चिंता थी की अब डोगरा खानदान क्या करेगा?
जल्द ही अनिका की देखभाल के लिए एक नर्स रखी गई... लगातार देखभाल और दवाइयों से अनिका की तबियत में सुधार आ रहा था...लेकिन साथ ही उसे ये बात रोमांचित कर रही थी की उसके अंदर एक नन्हा सा जीव सांस ले रहा था.... अनिका की उम्र भले ही कच्ची हो, मगर उसके अंदर की एक माँ जल्द ही जन्म लेने को उत्सुक थी..! उसकी जिंदगी में आखिरकार वो आने वाला था जो सिर्फ और सिर्फ उसका होगा...
और चार महीने बीत चूके थे.. अनिका अपनी प्रेगनेनसी में लगभग सब कुछ भूल चुकी थी.. ना वो किसी से मीलती, न कोई उससे मिलता.. सिर्फ़ वो अपने अंदर पनप रही उस नन्ही सी जान से बात करती रहती! ऐसे में एक दिन अनिका पाइप से अपने घर के बहार के गार्डन में पानी छिड़क रही थी तभी अचानक उसने अपने पेरो के नीचे कुछ हलचल महसूस की… वो कुछ समज पाती उसके पहले, उसके घर के मेन गेट से एक स्पोर्ट्स बाइक अंदर आयी.. मशीन गन से जैसे गोलियां निकलती है वैसी बाइक की आवाज़ सुनकर ऐसा लगा मानो बॉर्डर पर जंग शुरू हो गई हो...... बाइक की आवाज़ सुन कर अनिका ने पानी का पाइप छोड़, दोनों हाथों से अपना पेट पकड़ लिया.. जैसे अपने डरे हुए बच्चे को आंचल में छुपा रही हो। बाइक आकर बंगले की सीढ़ियों के पास रुकी। लेधर शूज, टाइट जीन्स, डार्क ब्लू टी शर्ट और चेहरे पर लगे पीले चश्मे के आर पार लड़के की गहरी लाल आंखें साफ दिखाई दे रही थी... आनिका ने जैसे ही इस लड़के को देखा, उसकी धड़कन मानो डर और टेंशन से तेज़ हो गयी… ये लड़का और कोई नहीं, बल्कि अनिका का पति कुणाल डोगरा था… २१ साल का कुणाल अपनी नज़र अनिका पर गड़ाए हुए बड़े ही स्टाइल के साथ बाइक से उतरा.. और अनिका की तरफ धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा. अनिका और कुणाल, दोनों ही एक दूसरे को देखे जा रहे थे… कुणाल की शादी अनिका से भले ही उसकी मर्ज़ी के खिलाफ करवायी गयी थी… लेकिन अपनी बीवी की कोख में किसी और का बच्चा देखना कोई भी मर्द शायद बर्दाश्त न कर पाए…! कुनाल शादी के बाद, मंडप से सीधा दिल्ली अपनी कॉलेज की पढाई पूरी करने चला गया था.. और वही पोहोच कर शादी के दूसरे दिन उसे अनिका की प्रेगनेंसी की खबर मिली थी.. अनिका उस दिन से लगभग रोज़ सोचती, की जिस दिन उसका सामना कुणाल से होगा.. उस दिन पता नहीं वो कैसे रियेक्ट करेगा… आज जब कुणाल उसके सामने आ रहा था तब पता नहीं क्यों, निर्दोष होने के बावजूद डर और शर्म के मारे कनिका को एक अजीब सी बेचैनी महसूस होने लगी थी...
अनिका तुरंत अपने पापा को फ़ोन लगाती है लेकिन उनका फ़ोन नहीं लग रहा था. कुणाल को अपनी और बढ़ता देख, अनिका की घबराहट इतनी बढ़ गयी थी की वो डर के मारे बड़बड़ाने लगी.... “वो.. पापा तो नहीं..है.. घर…पे।” ऐसे में कुणाल अनिका के सामने आ कर अर्रोगंस से खड़ा था… वो अनिका को ऊपर से नीचे तक देख रहा था… सुजा हुआ चेहरा, 8 महीने की प्रेगनेंसी वाला मोटा पेट, गद्दी जैसे मोटे हाथ और पांव.... प्रेग्नेंसी की वजह से अनिका पहले से भी ज्यादा मोटी नजर आ रही थी.. अनिका को देख कर कुणाल ने अपने होंठों को दबाया… और एक गहरी सांस लेकर.. ज़ोर से जमीन पर थूक दिया। ये देखते ही अनिका की कमजोरी मनो अचानक से वापस आ गयी हो... . वो ठिकसे अपने पैरो पर खड़ी नहीं रह पा रही थी .. मानो जैसे उसे खुद का बोझ लग रहा हो … कुनाल गुस्से में घूरते हुए जैसे जैसे आगे बढ़ रहा था वैसे वैसे अनिका एक डरे सहमे मेमने की तरह घभराकर पीछे होती जा रही थी..... ऐसा लग रहा था मानो कुनाल के नोकीले लेदर शूज किस्सी भी वक़्त अनिका के नंगे मुलायम पाँव को कुचल देंगे ..... तभी मेन गेट से गौतम की कार अंदर आ कर रुकी.......गौतम कार से उतरकर तेज़ कदमो से कुनाल के पास आया जैसे कोई सेक्रेटरी अपने बॉस के पीछे भाग रहा हो..... अनिका ने अपने पापा को ऐसा पहले कभी नहीं देखा था....
गौतम कुणाल के पास आ कर उसको कहता है “अरे कुणाल बेटा.. आज अचानक से तुमने फ़ोन किया की तुम आ रहे हो …?!! तुम्हारी कॉलेज में छुट्टियाँ शुरू हो गई क्या?"
कुनाल ने गुरराके कहा “पुरे 4 महीने बाद आया हु.. ऐसा बोल कर अपने दामाद को वेलकम करोगे आप? वैसे.. काफी कुछ बदल गया है यहाँ पे" कुणाल ने अनिका के पेट की तरफ देख कर अपनी जेब से रम की बोतल निकाली और मुह से लगा ली. वो आया तब से उसकी नज़र अनिका के पेट पर ही जमी हुई थी.. माहौल को थोड़ा ठीक करने के लिए गौतम ने कुणाल से कहा .....“आओ कुनाल बेटा.. अंदर चल कर बात करते है” लेकिन गौतम की बात को अनसुना करते हुए और रम के घूँट लेते हुए कुनाल अनिका के पेट को घूरता रहा.. गौतम को भी थोड़ा अजीब तो लग रहा था.. लेकिन कही न कही वो कुणाल के मन की बात को भांप रहा tha.. इसलिए बड़े ही सहजता से गौतम ने कुणाल से कहा.."देखो कुनाल, अगर तुम ये शादी तोडना चाहते हो, तो मैं समज सकता हु.." ये सुनते ही कुणाल चिल्ला उठा... "जो बात तुम समज सकते हो वो बात मेरे बुड्ढे दादाजी नहीं समज सकते ना... जबरदस्ती इस मोटी के साथ मेरी शादी करवादी... और अब दादाजी चाहते है की इसके नाजायज़ बच्चे को भी मैं अपना नाम दू... एक तो इस मोटी को मेरे गले बांध कर पता नहीं किस बात का बदला ले रहे है मुझसे...! और फिर अनिका की और देखते हुए कुणाल ने कहा "एक तो इससे देख ता हु तो ऐसा लगता है जैसे मुझे किस्सी ऐसे गुन्हा की सजा दी जा रही है जो मैंने किया ही न हो! शादी के मंडप से तुरंत इस्सी लिए भागा था मैं.. ताकि मुझे इसके साथ एक पल भी न रहना पड़े..!" बोलते बोलते कुनाल की सासें फूलने लगी थी जैसे की वो महीनो से अपने अंदर भरी हुई भड़ास निकाल रहा हो... अनिका और गौतम, दोनों ही कुणाल की बात सुन्न कर ऐसा महसूस कर रहे थे जैसे अभी के अभी ये धरती फट जाए और दोनों बाप-बेटी उसके अंदर समां जाये...
कुणाल का आक्रोश अपनी चरम सीमा पर था. अब भी कोई कसर बाकि रह गयी हो वैसे उसने अनिका की तरफ इशारा करते हुए आगे कहा "देखो इस बेशरम लड़की को.. शादी के फेरे लेते वक़्त पेट में किसी और का बच्चा लिए घूम रही थी. और इतना होने के बाद भी आज मेरे सामने ऐसे बेशर्मो की तरह खड़ी है...!! क्या लगा तुजे... की मैं तेरे इस बच्चे को मेरा नाम दे दूंगा? कुनाल डोगरा का नाम???? पता नहीं किस गटर का कीड़ा है.." ये बोलते हुए वो गुस्से में अनिका की तरफ आगे बढ़ता है, मानो जैसे वो गुस्से में पता नहीं अनिका को क्या कर देगा.. लेकिन तभी शराब की वजह से कुणाल के पैर लड़खड़ाए... और वो अपना बैलेंस खो बैठा.. लेकिन तुरंत गौतम ने आगे आ कर कुणाल को पकड़ कर संभाल लिया..
अनिका कुणाल की बातें सुन कर जितना ज़्यादा हर्ट थी, उतनी ही ज़्यादा गुस्से में भी थी... वो भले ही अपने मोटापे की वजह से ऐसी सब बाते सुनने की आदि थी मगर अभी उसे इस बात पर कुणाल से ज़्यादा खुद पर घिन आ रही थी.. की कोई उसके होनेवाले बच्चे को गाली दे रहा था और वो मजबूर खड़ी सुन क्यों रही थी?... बच्चे का ख्याल आते ही नजाने कैसे.. अचानक अनिका के अंदर अजीब सी हिमत आ गयी... और बिना कुछ सोचे, वो बोल पड़ी “मैं इस शादी को नहीं मानती....”
ये सुन्न कर गौतम और कुणाल, दोनों शॉकड थे... कुणाल सोच रहा था की कल की आयी फिद्दी सी लड़की में इतनी हिमत कहाँ से आ गयी की वो मेरे यानी कुणाल डोगरा के सामने ऐसे बोले..?!! लेकिन इसके पहले की वो कुछ रियेक्ट कर पाता, गौतम ने बात को सँभालते हुए कुणाल से कहा की "इस वक़्त अनिका की तबियत ठीक नहीं है.. इसलिए तुम उसकी बातो पर ध्यान मत दो... और रहा सवाल बच्चे का... तोह उसके पैदा होते ही उसे अनिका से हमेशा के लिए अलग कर दिया जेयेगा... मेरा यकीन करो"
अपने पापा की ये बात सुनकर अनिका को ऐसा लगा जैसे किसी बड़े से ट्रक ने उसे पीछे से टक्कर दे मारी हो... और वो ज़िन्दगी और मौत के बीच जूझ रही हो... टेंशन में अनिका की साँसे फूलने लगी... और एक पल के लिए वो सास लेना चुक गयी... ठीक उसी पल में अचानक से अनिका के पेट में जोरसे दर्द शुरू हो गया... दर्द के मारे अनिका एक झटके से अपने पीठ के बल गिरी..... और ओझल होती आँखों से उसने देखा की गौतम दौड़ कर उसके पास आ रहा था.... गौतम ने हड़बड़ी में फ़ोन करके एम्बुलेंस को बुला लिया था, लेकिन ये सब देखने के बावजूद कुणाल वही खड़ा बे-शर्म और बे-रहम बन कर रम के घुट मार रहा था... मानो उसे किसी भी चीज़ से कोई फरक नहीं पड़ रहा हो... शाम की मद्धम रौशनी अनिका के सामने धुंधली हो रही थी.. उसे बस एक छोटी बच्ची की आवाज़ सुनाई दे रही थी. मम्मी...मम्मी...उठो न मम्मी......
देखते ही देखते आज ६ साल बीत चुके थे... लेकिन आज भी वही आवाज़ अनिका के कानो में गूंज रही थी..
“मम्मी.. उठो मम्मी प्लेन लैंड होने वाला है.” फ्लाइट के बिज़नस क्लास की आरामदायक सीट पे सोयी अनिका की आंखें झटके से खुली.. और सामने थी उसकी ६ साल की बेटी रिया...!
रिया का मासूम चेहरा और उसकी खूबसूरत कत्थई आंखें देख कर अनिका की जान में जान आई... उसका गुजरा हुआ कल कोई बुरे सपने से कम नहीं था....! आज अनिका अपनी बेटी रिया के साथ बेंगलुरु से मनाली ६ साल बाद लौट रही थी.... रिया ने अपना गेमिंग टेबलेट मां के पर्स में रखते हुए बड़े प्यार से अनिका से पूछा
"मोम..क्या हम मेरे डैड को ढूंढने मनाली जा रहे हैं?"
लेकिन अनिका ने बड़े ही सरल तरीके से उसे समझाया की "मैंने तुम्हें कितनी बार कहा है.. तुम्हारे कोई डैड नहीं है"
इस पर रिया जवाब देते हुए कहती है "ओह कम ऑन मोम.. स्कूल में हमे टीचर कहती है की हर बच्चे के मां-बाप होते हैं.. अब मेरे गेमिंग वर्ल्ड के कैरेक्टर्स की तरह मैं किसी दूसरी दुनिया से तो आयी नहीं हूँ न... तो ऑब्वियस्ली मेरे पापा भी तो होंगे ही..?!! या किसी जादूगर ने मुझे अपनी हैट में से बाहर निकाला है??? आबरा का डाबरा रिया बाहर आ जा" रिया की ये बात पर माँ-बेटी दोनों ही ज़ोर से हंस पड़े.
अपनी हसी पे काबू पाते हुए रिया ने दूसरा सवाल पूछा.. "तो क्या हम यहां मेरे भाई को ढूंढने आए हैं?!" रिया का ये सवाल सुन्न कर अनिका एक गहरी सोच में डूब गयी.. उसे याद आ गया की कैसे 6 साल पहले अस्पताल में उसने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था.. और अनिका के पापा की कद काठी के एक आदमी ने उसके दोनों बच्चों को उससे छीनने की कोशिश की थी.. कमजोर अनिका ने बड़ी हिम्मत से उस आदमी का सामना कर के रिया को तो बचा लिया था ..मगर अफसोस की वो अपने बेटे को नहीं बचा पायी.. और वह आदमी उसके बेटे को लेकर भाग निकला था.. इस हाथापाई में अनिका को चोट भी लगी थी.. चोट इतनी गहरी थी कि उसका बचना लगभग नामुमकिन था.. और इसी वजह से अनिका की मौसी उसे अपने साथ बेंगलुरु ले गई थी जहां अनिका का इलाज हुआ था.. हालांकि इन 6 सालों में अनिका पूरी तरह से बदल चुकी थी.. हार्मोनल इंबैलेंस की वजह से बढ़ा हुआ उसका शरीर अब एकदम ही नॉर्मल हो चुका था.. घने लंबे कमर तक के बाल.. काली नोकीली आंखें.. गोरे गोरे गाल with a perfect jaw लाइन.. गुलाब की पंखुड़ी जैसे नरम होंठ... और सुराही लम्बी गर्दन.. शिफॉन की लाल साड़ी में अनिका की कमर ऐसी लग रही थी.. मानो कोई नदी समंदर से मिलने के लिए करवट ले रही हो.. फ्लाइट अटेंडेंट हो या फ्लाइट के अन्य यात्री... सब लोग आते जाते अनिका पे एक नज़र ज़रूर डालते...
मासूमियत से सवाल कर रही रिया को ये नहीं पता था की अनिका के मनाली लौटने का मुख्य कारण यह था कि पिछले ६ सालो में कुणाल के दादाजी किसी भी हालत में अनिका और कुणाल की शादी तोड़ने की मंज़ूरी नहीं दे रहे थे.. लेकिन ६ साल बाद आखिरकार कुणाल की जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ा.. और वह यह शादी तोड़ने राजी हो गए.... मनाली वापस जा कर वो डाइवोर्स पेपर्स पर साइन करने के साथ साथ अपने खोये हुए बेटे को भी ढूंढना चाहती थी...
थोड़ी ही देर में फ्लाइट ने लैंड किया !
मनाली की जमीन पर कदम रखते ही न जाने क्यों अनिका की बाई आंख फड़कने लगी.. उसे ऐसा लगा कि आगे जरूर कुछ बुरा होने वाला था..... वो ये सोच कर लगेज काउंटर की तरफ बढ़ ही रही थी... के तभी उसकी नज़र पीछे की तरफ पड़ी... जहा फ्लाइट के सभी यात्री मुस्कुरा कर उसी को देखते हुए आगे बढे जा रहे थे... मानो सब उसकी खूबसूरती में गुम हो कर उसके पीछे पीछे चले आ रहे हो.. अनिका थोड़ी कॉन्ससियस हो कर और रिया को सँभालते हुए फटाफट आगे चलने लगी.. लगेज काउंटर पर से जैसे ही अनिका अपना लगेज लेने के लिए जुकी, फटाक से ३ और लोग भाग कर आये और उसका लगेज उठा कर अनिका को देने लगे....मानो सब इसी बहाने अनिका से बात करने की कोशिश करना चाहते हो.. अनिका चुकचाप अपना लगेज ट्राली पर डाल कर और रिया का हाथ पकड़ कर एयरपोर्ट के बहार की तरफ निकलने लगी.. तभी उस्के फोन पर उसके पापा गौतम का फ़ोन आया. अनिका के फ़ोन उठाते ही गौतम ने बिना कोई खैर खबर पूछे अनिका से कहा की
"कुणाल तुम्हें लेने एयरपोर्ट आ रहा है.. उसके साथ सीधे घर आ जाना.... यहां तुम्हे दो पेपर साइन करने हैं.. एक डिवोर्स पेपर्स और दूसरे वो...."
इतना कहकर गौतम अटक गया....और फिर कुछ सोच कर वो आगे कहा की
"खैर तुम घर आओ.. मैं तुम्हे सब बताता हूं"
अनिका ने भी बिना कुछ कहे ही फोन काट दिया.
जैसा की गौतम ने कहा था, कुणाल एयरपोर्ट के बहार बड़ी ही बेसब्री से अनिका का वेट करते हुए खड़ा था.. ६ सालो में कुणाल भी काफी बदल चूका था.. अब वो एक स्टूडेंट नहीं, बल्कि एक बिजनेसमैन था..
डार्क ब्राउन कलर का कड़क सूट, शार्पली कटे हुए और जेल से सेट किये हुए बाल.. और ट्रिम की हुई दाढ़ी में कुणाल की पर्सनालिटी तो निखर रही थी मगर उसके तेवर अब भी वही थे.. रूड और अर्रोगंस से भरपूर.. वो तो कनिका का इंतज़ार भी सिर्फ इसलिए कर रहा था क्यूंकि उसे जल्द से जल्द कनिका से मुक्ति चाहिए थी.. कुणाल का एक पैर ज़मीं पर तो दूसरा पेर रेलिंग पर टिकाया हुआ था.. जिसे वो constantly हिला रहा था... exit door की तरफ देखते हुए कुणाल ने बड़ी ही बेसब्री से अपने ड्राइवर से कहा..
"ज तक इस दुनिया में किसी आदमी को डिवोर्स मिलने की इतनी ज्यादा खुशी नहीं हुई होगी... किसी भी कीमत पर आज ही उस मोटी से मैं डाइवोर्स पेपर्स पर साइन करवा लूंगा..“
कुणाल के ड्राइवर राजू ने बीड़ी फूकते हुए कहा..
"आप फिक्र मत कीजिये.. आज सुबह-सुबह मैं माता के दर्शन करके निकला हूं.. मैंने भगवान से प्रर्थना की है की आज आपकी ६ सालो purani यह मनोकामना पूरी हो.. आज पक्का पेपर्स साइन हो ही जायेंगे.."
ये सुन कर कुणाल ने बड़े ही कटीले अंदाज़ में कहा "अबे सिर्फ डिवोर्स नहीं चाहिए.. अनिका की कंपनी भी तो चाहिए.. जो उसकी मरी हुई मां उसके नाम करके गई थी"
राजू, जिसने अपने हाथ में अनिका के नाम का बोर्ड पकड़ा हुआ है, वो उस बोर्ड को सीधा करते हुए कहता है की अरे वो फैक्ट्री भी मिल जाएगी.. फ़िक्र नॉट."
तभी कुणाल के दिमाग में कुछ आता है...और वो ड्राइवर से कहता है "अच्छा सुन.. उसको देखते ही हमेशा मेरा मूड ऑफ हो जाता है. और आज इतने अच्छे दिन पर मैं अपना मूड ख़राब नहीं करना चाहता... इसलिए मैं उल्टा घूम के खड़ा हो जाता हूँ.. ठीक है?? तूने भले ही उसे न देखाहो.. लेकिन तेरे हाथ में उसके नाम का बोर्ड देख कर वो तेरे पास आ ही जाएगी.."
कणाल आलस लेते हुए उल्टा घूमने ही वाला होता है की तभी अचानक उसकी नज़र एयरपोर्ट के दरवाजे पर पड़ी.. और कुछ देख कर उसकी नज़र और कमर वही अटक गयी... कुणाल ने एयरपोर्ट से बहार आते हुए एक लड़की को देखा तो वो देखता ही रह गया.. मानो जैसे उसने आज से पहले किसी खूबसूरत लड़की को देखा ही ना हो.. उस लड़की को देख कर कुणाल के मुँह से निकल जाता है है की "यार इतनी खूबसूरत लड़की तो मनाली में कभी दिखी ही नहीं....”
ड्राइवर राजू ने भी उसकी बात में हामी भरी..
कुणाल बिना वक़्त गवाए, रेलिंग कूदकर उस लड़की की ओर दौड़ पड़ा.. और अचानक से वो उस लड़की के सामने आ कर खड़ा हो गया और उसका रास्ता रोक लिया.... ये खूबसूरत लड़की और कोई नहीं, बल्कि अनिका थी. कुणाल इस बात से बिल्कुल अनजान था... अचानक कुणाल को अपने सामने देखकर अनिका हैरान थी.... और उसे एक ही पल में वह सब कुछ याद आ गया जो वह हमेशा से भूलना चाहती थी....
अनिका एक पल के लिए सेहम गयी.. और उसको लगा की कही पहले की तरह कुणाल फिर से उसका इंसल्ट न कर दे, और इसलिए अनिका सीधा कुणाल को थप्पड़ जड़ देना चाहती थी.. मगर वह अपनी बेटी रिया के सामने कोई तमाशा नहीं करना चाहती थी..... और तभी अचानक कुणाल बोल पड़ा..
"हेलो मिस gorgeous ! आप मनाली में पहली बार आई लगती हैं.. क्योंकि अगर पहले आई होती तो यह तो पॉसिबल नहीं है कि अब तक आप मेरी नज़रो से unnoticed रहती.."
अनिका को पहले तो कुछ समज में नहीं आया लेकिन अगले ही पल वो समज गयी की कुणाल उसे पहचान नहीं पाया था.. अनिका ने रिया की तरफ देखा.. तो वो अपने टेब में वीडियो गेम खेलने में मस्त थी.. और क्यूंकि उसने हैडफ़ोन पहने थे, उसे आस पास की कोई बात सुनाई नहीं दे रही थी.. ये देख कर अनिका को राहत मिली.. अनिका कुणाल की बात को अवॉयड करते हुए वहां से साइड हो कर टैक्सी को आवाज़ देने लगी.."टैक्सी.... टैक्सी"
अनिका नहीं चाहती थी की कुणाल उसे पहचाने.. लेकिन कुणाल भी हार मानने वालो मेसे थोड़ी था...!
कुनाल ने उसकी तरफ भाग कर फिर से उसका रास्ता रोक दिया.....
"अरे अरे.. टैक्सी की क्या जरूरत है.. मैं अपनी गाड़ी में आपको जहां चाहे छोड़ देता हूं न...और एक मिनट.. यह नन्ही गुड़िया कौन है?" यह कहते हुए उसने रिया की तरफ इशारा किया..और उसके गाल पर हाथ फिराया.. लेकिन रिया जब टेब पर गेम खेल रही होती है तब उसे कोई डिस्टर्ब करें वो उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता... इसलिए टेब से बिना ऊपर देखे, उसने अपना गाल जट्टक लिया. ऐसा करने में रिया के कान से हैडफ़ोन निचे की तरफ स्लाइड हो कर गिर के उसके कंधे पर आ गया था. लेकिन अभी भी उसका ध्यान वीडियो गेम खेलने में ही था.
अनिका टैक्सी ढूंढने में बिजी हो गयी लेकिन कुणाल पीछे पीछे आ कर उससे एक नहीं तो दूसरे तरीके से बात करने की कोशिश करता रहता था..
कुनाल: "ओह..समझ गया यह आपकी छोटी बहन है...है ना?
यह सुनकर रिया ज़ोर ज़ोर से हंस पड़ी..
तभी कुणाल को वापस गौतम का फ़ोन आया.. कुणाल ने जैसे ही फ़ोन उठाया, गौतम ने पूछा.. "क्या तुम्हें अनिका दिखी???" कुणाल ने बड़ा ही तीखा जवाब देते हुए कहा "ना दिखने के लिए आपकी बेटी कोई सुई तो है नहीं.... जब वह गेट से बाहर आएगी तो सिर्फ वह ही दिखेगी.... बल्कि उसके पीछे खड़े लोग भी दिखना बंद हो जाएंगे huhh " और वो रूडली फ़ोन काट देता है.
कुणाल की बात सुन्न कर अनिका को अंदाज़ा आ गया था की वो पक्का उसी के बारे में बात कर रहा था.. अनिका को कुणाल पर बोहोत ही ज़यादा गुस्सा आ रहा था.. लेकिन उसे बस अब जल्दी से टैक्सी चाहिए थी.. वो पूरे जोश और गुस्से के साथ जोर से चिल्लायी ....टैक्सी .... ये सुन कर कुणाल और ज़्यादा इम्प्रेस हो गया और बडे ही मीठे अंदाज में बोलै.. "सुनिए मिस मैं आपको छोड़ देता हूं ना.... वैसे भी मैं जिसे लेने आया था.. लगता है वह आई ही नहीं......आप अगर बेंगलुरु की फ्लाइट में आई है तो आपने फ्लाइट में किसी बेहद मोटी औरत को देखा होगा.." ये सुन्न कर अनिका एक पल को रूकी और उसने कुणाल की तरफ मूड कर देखा..कुणाल आगे कहता है की "दरअसल 6 साल पहले वो 120 किलो की थी.. अब 6 साल में तो उसने पक्का डबल सेंचुरी पार कर ही ली होगी"
अनिका बिना कुछ बोले कुणाल की बाते सुन्न कर सोच रही है की पता नहीं क्या क्या सोच रहा है वो उसके बारे में... अपनी बातो को सुनते हुए कुणाल अनिका तो देखता है तो वो उसे इम्प्रेस करने के चक्कर में और उसे हसाने के लिए आगे कहता है के "वैसे मुझे लगता है की फ्लाइट वालों ने उसे बिठाने से मना कर दिया होगा..... कहा होगा कि अगर तुम बैठोगी तो फ्लाइट कैसे उड़ेगी???" कहते हुए वो खुद भी हस्ता है और उम्मीद करता है की उसके जोक से अनिका को भी हसी आएगी.. लेकिन अनिका बड़े ही ठन्डे तरीके से उसको देखती रही..
अनिका को हस्ता हुआ ना देख कर कुणाल ने भी अपनी हसी रोकी और बोला "अजी छोड़िए मैं भी किसकी बातें लेकर बैठ गया.. कहां आप और कहां वो??"
तभी एक टैक्सी अनिका के पास आ कर रुक गयी.. दूसरी तरफ पीछे से कुणाल का ड्राइवर हाथ में अनिका गुलेरिया का बोर्ड लेकर दौड़ा चला आ रहा था.. वो आ कर कुणाल के बाजु में खड़ा हो गया.. मानो वो कुणाल को कुछ बताने आया हो..
अनिका ने जल्दी जल्दी में रिया को टैक्सी में बिठाया और खुद जब टैक्सी में बैठने जा रही थी तब कुणाल ने थोड़ा मायूस होते हुए कहा.. "वैसे आपको मनाली में किसी भी चीज की जरूरत हो तो सिर्फ एक ही नाम याद रखिएगा - कुणाल डोगरा - किसी से भी मेरा नाम पूछियेगा.. मेरे घर तक छोड़ जाएगा आपको." टैक्सी वहाँ से निकलने ही वाली थी की तभी कुणाल ने टैक्सी रोकी.. और विंडो के पास जुक कर बड़े ही flirtious अंदाज़ में कहा.. "अरे मिस..मिस..अपना नाम तो बताती जाओ” ये सुन कर अनिका ने कुणाल को देखते हुए अपनी आंखों से काला चश्मा निकाला.. और बड़े ही तेज और कटीली नजर से कुणाल को देखते हुए, बिना किसी भी हावभाव से धीरे से कहा..."अनिका गुलेरिया"