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Know the Hinduism

03/01/2024

ये विपश्यना की स्पेलिंग बहुत कन्फ्यूजिंग है
लोग पढ़ने बोलने में गड़बड़ करते हैं जी
🙄
कहते हैं सड़ जी वेश्यापना करने गए थे

अगर नया कानून  #ड्राईवर_जिहाद को रोक सके तो इसका स्वागत हैड्राईवर जिहाद क्या है ..जानिए जराआपने अक्सर समाचारों में सुना ...
03/01/2024

अगर नया कानून #ड्राईवर_जिहाद को रोक सके तो इसका स्वागत है

ड्राईवर जिहाद क्या है ..
जानिए जरा

आपने अक्सर समाचारों में सुना होगा
न्यूज में पढ़ा होगा
आपके नगर में भी कोई न कोई घटना घटी होगी जब बारातियों से भरी गाड़ी नदी में गिर गयी
बच्चों से भरी स्कूल बस रेलवे फाटक पर ट्रेन से टकरा गई
किसी स्लीपर बस में आग लग गयी

पर आप पता लगाकर देखिए
इन सभी घटनाओं में ड्राईवर कोई ...अब्दुल.. था

वह बस के नदी में गिरने से पहले कूद गया
सारे हिन्दू बाराती डूब के मर गए

रेलवे लाईन पर स्कूल बस छोड़ कर भाग गया
मरने वाले हिंदुओं के बच्चे थे

अगर आपके बिजनेस में कोई ..अब्दुल.. आपकी बस आपका ट्रक चला रहा है
उसे नौकरी से निकाल दीजिए

अगर आपके घर में भी कोई ..अब्दुल.. आपकी कार चला रहा है
आपकी बेटी बहन खतरे में हैं
ले भागेगा
और कार का जान बूझकर एक्सीडेंट करवा देगा

काफिर हैं आप
और आपको मारने से उसे जन्नत में हूर मिलेगी
शबाब मतलब पुण्य मिलेगा

सावधान..!!
जागो .. हिन्दुओं.. जागो
🙏🙏🙏🙏
जय राम जी की

03/12/2023

खान्ग्रेस को आज पता चल गया होगा
असली पनौती कौन है
😀
#पप्पू_पनौती

 #मुलायम सिंह वर्तमान भारत के सबसे चतुर राजनेताओं में थे। नेता जी जब मुख्य मंत्री बने तो उन्हें मालूम था लम्बे समय तक उन...
26/11/2023

#मुलायम सिंह वर्तमान भारत के सबसे चतुर राजनेताओं में थे। नेता जी जब मुख्य मंत्री बने तो उन्हें मालूम था लम्बे समय तक उनके सिद्धांतों पर राज करना हो तो जनता का बेवक़ूफ़ होना ज़रूरी है। अब समस्या यह कि जनता को वर्तमान स्तर से भी नींचे कम अक़्ल वाला कैसे बनाया जाए। समाधान आसान था।
#शिक्षा प्रणाली बर्बाद कर दो।अस्सी दसक के अंत में और नब्बे के आरम्भ में उत्तर प्रदेश में शिक्षा को बर्बाद करने का कार्य आरम्भ हुआ। पहले तो नक़ल का अधिकार एक तरीक़े से मूलाधिकार बन गया। फिर अगली साल इतने निकम्मे लोग आए कि वह नक़ल भी ना कर पा रहे थे, तो नेता जी लाए सपुस्तक प्रणाली।
#परीक्षा में अपने साथ पुस्तक ले जा सकते हैं। लोग और कम अक़्ल होते गए, अब किताब में उत्तर ढूँढने के लिए भी किताब तो पहले से देखी होनी चाहिए थी।

तो फिर जैसे थाने बिकते हैं, वैसे स्कूल बिकने लगे। इग्ज़ैम में रेट फ़िक्स होता था पैकेज थे।नक़ल करने का एक हज़ार, साथ में किसी को बिठानेका दो, कापी घर ले जाकर लिखने का तीन, अपनी जगह किसी को भी भेज दो - चार, टीचर नक़ल कराए - ५ , प्रीमीयम पैकेज दस हज़ार का - आप अपने घर बैठो आपकी कापी एक्स्पर्ट टीचर लिखेगा। इतिहास में इतने लोग कभी पास ना हुवे ना फ़र्स्ट डिवीज़न आए जितने उस साल आए थे।

#फिर आई भाजपा सरकार। शिक्षा मंत्री राजनाथ सिंह। मालूम था कि पीढ़ियाँ बर्बाद हो रही हैं, पर सुधार इतना आसान नहीं। अल्प बुद्धि और बिना मेहनत के पास होने का ख़ून लग गया था। अंततः राजनाथ जी ने नक़ल को अपराध की श्रेणी में डाला।
#इम्तिहान में ज़बरदस्त सिक्यरिटी रखी गई। पुलिस चप्पे चप्पे पर तैनात। नक़ल कराने आए लोगों की वो मरम्मत होने लगी कि वह फ़ोटो कापी तक कापी करने में डरने लगे। नक़ल करते पकड़े जाने पर गिरफ़्तारी होने लगी। परिणाम यह कि आप मीलों घूम आइए एक छात्र ना मिलता था जो पास हुआ हो। एक साल पहले उसी सेंटर से दसियों लोग ८०% प्लस पर निकलते थे लेकिन परिवर्तन के बाद कोई पास नहीं।

#लोगों में क्या ज़बरदस्त आक्रोश था। औक़ात दिखा देंगे राजनाथ को। बच्चों को अपराधी घोषित कर रहा है। ग़रीब का बेटा पास हो जाए सरकार का क्या जा रहा था? दम है तो टाटा डालमियाँ वाडिया के बेटे को नक़ल में पकड़ अंदर करे। पहले शिक्षक अच्छा करे ,तब नक़ल रोके।
#भारत जैसे नक़ल प्रधान देश में नक़ल रोकना मानवाधिकारों का हनन है। स्कूल की छत पहले ठीक कराएँ फिर रोकें नक़ल। ऐसे ऐसे तर्क जिन्हें सुन कोई भी समझदार हँसे। और वाक़ई में राजनाथ जी लखनऊ से विधायकी तक हार गए इतना आक्रोश बच्चों में और उनके पिताओं में। जश्न मनाया गया राजनाथ जी की हार का।
#इसके 25साल बाद का दृश्य,मा राजनाथ सिंह जी उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री बने, भारत सरकार के गृह मंत्री बने, रक्षा मंत्री हैं। वह जो उन्हें औक़ात याद दिला रहे थे। ज़्यादातर पान की दुकान है, परचून की दुकान है, खेती है धक्के खा रहे हैं अपने बच्चों को अब अंग्रेज़ी में पढ़ा रहे हैं।समझाते हैं बेटा मेहनत कर लो ।

# वह जो राजनाथ जी के ज़माने में पास हुए थे। आज अध्यापक हैं,इंजीनियर हैं,डॉक्टर हैं , IAS/ IPS हैं।
#इसके बावजूद राजनाथ सिंह भी कोई दूध के धुले नहीं हैं, इनके बारे में भी बात करते हैं!

#बस ऐसे ही ये सब याद आ गया आज मुलायम सिंह का जन्मदिन है 22नवम्बर ।
कभी बहुत बड़ा उत्सव होता था सैफई में । मुजरा होता था ।की सारे भांड इकट्ठा होते थे।क्या रौनक होती थी।
ये अलग बात है कि जिस जाति के नाम के बल पर इतना ऐश किये कभी उसके मंदिर भी नहीं गये।(श्रीकृष्ण)

हां , लेकिन रामभक्तो को गोलियां मरवाकर जरुर सरयू में बहवा दिये जिससे सही गिनती ना हो पाये।
राम राम रहेगी

26/11/2023
*बांगरू-बाण**10 वर्ष पहले 26/11/2013  संकलित कर लिखी गई पोस्ट आज फिर से कुछ सुधार कर रिपोस्ट कर रहा हूं।*श्रीपादावधूत * ...
26/11/2023

*बांगरू-बाण*

*10 वर्ष पहले 26/11/2013 संकलित कर लिखी गई पोस्ट आज फिर से कुछ सुधार कर रिपोस्ट कर रहा हूं।*

श्रीपादावधूत

* #इस्लाम वन वे ट्रैफ़िक िहाद का असली रूप..!!!*

*इस्लाम में प्रेम मतलब धर्मपरिवर्तन !*

*मंसूर अली खान पटौदी से शादी करने से पहले शर्मिला टैगोर ने इस्लाम कबूल किया था, जिसके बाद शर्मिला का नाम रखा गया आएशा बेगम! प्यार सच्चा था तो इस्लाम कबूल करवाने की जिद किस लिए ? और अगर इस्लाम कुबूल कर ही लिया है तो खुद को शर्मिला टैगोर कहने की जिद किसलिए ?*

*अक्सर हिन्दुओं और बाकी विश्व को मूर्ख बनाने के लिये मुस्लिम और सेकुलर विद्वान(?) यह प्रचार करते हैं कि कम पढ़े-लिखे तबके में ही इस प्रकार की तलाक की घटनाएं होती हैं, जबकि हकीकत कुछ और ही है। क्या इमरान खान या नवाब पटौदी आमिर खान, क्रिकेटर मोहम्मद अजहरूद्दीन इत्यादि ऐसे हजारों नाम है जिनका उल्लेख करना संभव नहीं है क्या यह सारे कम पढ़े-लिखे हैं? तो फ़िर नवाब पटौदी, रविन्द्रनाथ टैगोर के परिवार से रिश्ता रखने वाली शर्मिला से शादी करने के लिये इस्लाम छोड़कर हिन्दू क्यों नहीं बन गये? सैफ़ अली खान को अमृता सिंह से इतना ही प्यार था तो सैफ़ हिन्दू क्यों नहीं बन गया? अब अमृता सिंह को बेसहारा छोड़कर करीना कपूर से विवाह किया और बेटे का नाम रखा तैमूर. इससे अनुमान लगा ले इनका आदर्श वही खूंनी तैमूरलंग है। जिसने भारत में कत्लेआम मचाया था।*

*आँख बंद कर लेने से रात नहीं होती।*
*प्रेम अन्धा होता है। सभी धर्म समान हैं। शादी ब्याह में धर्म नहीं दिल देखा जाता है, मुसलमान भी तो इंसान हैं। यह कहने वाले एक बार विचार कर ले। जो हिन्दू लड़कियां सोचती हैं कि लव जेहाद जैसा कुछ नहीं होता तो उन्हें सोचना चाहिए. क्या कोई मुस्लिम लड़की लव मैरिज करके हिन्दू लड़के की पत्नी बन सकती है :?*
*इस्लाम के तथाकथित विद्वान ज़ाकिर नाइक खुद फ़रमा चुके हैं कि इस्लाम “वन-वे ट्रेफ़िक” है, कोई इसमें आ तो सकता है, लेकिन इसमें से जा नहीं सकता…* *क्या दोनो एक ही घर में अपने-अपने धर्म का पालन नहीं कर सकते? मुस्लिम बनना क्यों जरूरी है? और यही बात उनकी नीयत पर शक पैदा करती है।*

*अंकित सक्सेना का सडक पर उसके माँ बाप के सामने क़त्ल कर दिया जाता है क्योंकि वह एक मुस्लिम लड़की से शादी करने वाला था। उस मुस्लिम लड़की के माँ बाप और चाचा ने सडक पर अंकित सक्सेना का गला गाजर मूली की तरह काट कर हत्या कर दी थी।*
*जेमिमा मार्सेल गोल्डस्मिथ और इमरान खान – ब्रिटेन के अरबपति सर जेम्स गोल्डस्मिथ की पुत्री (21), पाकिस्तानी क्रिकेटर इमरान खान (42) वर्तमान के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के प्रेमजाल में फ़ँसी, उससे 1995 में शादी की, इस्लाम अपनाया (नाम हाइका खान), उर्दू सीखी, पाकिस्तान गई, वहाँ की तहज़ीब के अनुसार ढलने की कोशिश की, दो बच्चे (सुलेमान और कासिम) पैदा किये…*

*नतीजा क्या रहा…??* *तलाक-तलाक-तलाक।*
*वापस ब्रिटेन।* *फ़िर वही सवाल –* *क्या इमरान खान कम पढ़े-लिखे थे? या आधुनिक(?) नहीं थे?*

*24 परगना (पश्चिम बंगाल) के निवासी नागेश्वर दास की पुत्री सरस्वती (21) ने 1997 में अपने से उम्र में काफ़ी बड़े मोहम्मद मेराजुद्दीन से निकाह किया, इस्लाम अपनाया (नाम रखा साबरा बेगम)। सिर्फ़ 6 साल का वैवाहिक जीवन और चार बच्चों के बाद मेराजुद्दीन ने उसे मौखिक तलाक दे दिया और अगले ही दिन कोलकाता हाइकोर्ट के तलाकनामे (No. 786/475/2003 दिनांक 2.12.03) को तलाक भी हो गया। अब पाठक खुद ही अन्दाज़ा लगा सकते हैं कि चार बच्चों के साथ घर से निकाली गई सरस्वती उर्फ़ साबरा बेगम का क्या हुआ होगा, न तो वह अपने पिता के घर जा सकती थी, न ही आत्महत्या कर सकती थी…*

*प्रख्यात बंगाली कवि नज़रुल इस्लाम, हुमायूं कबीर (पूर्व केन्द्रीय मंत्री) ने भी हिन्दू लड़कियों से शादी की, क्या इनमें से कोई भी हिन्दू बना?*
*अज़हरुद्दीन भी अपनी मुस्लिम बीबी नौरीन को चार बच्चे पैदा करके छोड़ चुके। बाद में संगीता बिजलानी से निकाह कर लिया, कुछ साल बाद उसे भी तलाक दे दिया। आमिर खान जिसने दो अलग-अलग हिंदू लड़कियों से विवाह किया और दोनों ही हिंदू लड़कियों को तलाक देकर पुनः विवाह कर लिया। उन्हें कोई अफ़सोस नहीं, कोई शिकन नहीं। ऊपर दिये गये उदाहरणों में अपनी बीवियों और बच्चों को छोड़कर दूसरी शादियाँ करने वालों में से कितने लोग अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे हैं? तब इसमें शिक्षा-दीक्षा का कोई रोल कहाँ रहा? यह तो विशुद्ध लव-जेहाद ही कहलायेगा ना..!!!*

*वहीदा रहमान ने कमलजीत से शादी की, वह मुस्लिम बने, अरुण गोविल के भाई ने तबस्सुम से शादी की, मुस्लिम बने, डॉ ज़ाकिर हुसैन (पूर्व राष्ट्रपति) की लड़की ने एक हिन्दू से शादी की, वह भी मुस्लिम बना, एक अल्पख्यात अभिनेत्री किरण वैराले ने दिलीपकुमार के एक रिश्तेदार से शादी की और गायब हो गई।*

*इस कड़ी में सबसे आश्चर्यजनक नाम है भाकपा के वरिष्ठ नेता इन्द्रजीत गुप्त का। मेदिनीपुर से 37 वर्षों तक सांसद रहने वाले कम्युनिस्ट (जो धर्म को अफ़ीम मानते हैं), जिनकी शिक्षा-दीक्षा सेंट स्टीफ़ेंस कॉलेज दिल्ली तथा किंग्स कॉलेज केम्ब्रिज में हुई, 62 वर्ष की आयु में एक मुस्लिम महिला सुरैया से शादी करने के लिये मुसलमान (इफ़्तियार गनी) बन गये। सुरैया से इन्द्रजीत गुप्त काफ़ी लम्बे समय से प्रेम करते थे, और उन्होंने उसके पति अहमद अली (सामाजिक कार्यकर्ता नफ़ीसा अली के पिता) से उसके तलाक होने तक उसका इन्तज़ार किया। लेकिन इस समर्पण युक्त प्यार का नतीजा वही रहा जो हमेशा होता है, जी हाँ,* *“वन-वे-ट्रेफ़िक”।*
*सुरैया तो हिन्दू नहीं बनीं, उलटे धर्म को सतत कोसने वाले एक कम्युनिस्ट इन्द्रजीत गुप्त “इफ़्तियार गनी” जरूर बन गये।*

*इसी प्रकार अच्छे खासे पढ़े-लिखे अहमद खान (एडवोकेट) ने अपने निकाह के 50 साल बाद अपनी पत्नी “शाहबानो” को 62 वर्ष की उम्र में तलाक दिया, जो 5 बच्चों की माँ थी… यहाँ भी वजह थी उनसे आयु में काफ़ी छोटी 20 वर्षीय लड़की (शायद कम आयु की लड़कियाँ भी एक कमजोरी हैं?)।*
*इस केस ने समूचे भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ पर अच्छी-खासी बहस छेड़ी थी। शाहबानो को गुज़ारा भत्ता देने के लिये सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ी, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को राजीव गाँधी ने अपने असाधारण बहुमत के जरिये “वोटबैंक राजनीति” के चलते पलट दिया, मुल्लाओं को वरीयता तथा आरिफ़ मोहम्मद खान जैसे उदारवादी मुस्लिम को दरकिनार किया गया…*
*तात्पर्य यही कि शिक्षा-दीक्षा या अधिक पढ़े-लिखे होने से भी कोई फ़र्क नहीं पड़ता, शरीयत और कुर-आन इनके लिये सर्वोपरि है,* *देश-समाज आदि सब बाद में…।*

*शेख अब्दुल्ला और उनके बेटे फ़ारुख अब्दुल्ला दोनों ने अंग्रेज लड़कियों से शादी की, ज़ाहिर है कि उन्हें इस्लाम में परिवर्तित करने के बाद, यदि वाकई ये लोग सेकुलर होते तो खुद ईसाई धर्म अपना लेते और अंग्रेज बन जाते…? और तो और आधुनिक जमाने में पैदा हुए इनके पोते यानी कि जम्मू-कश्मीर के वर्तमान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी एक हिन्दू लड़की “पायल” से शादी की, लेकिन खुद हिन्दू नहीं बने, उसे मुसलमान बनाया, तात्पर्य यह कि “सेकुलरिज़्म” और “इस्लाम” का दूर-दूर तक आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है और जो हमें दिखाया जाता है वह सिर्फ़ ढोंग-ढकोसला है।*

*एक बात और है कि धर्म परिवर्तन के लिये आसान निशाना हमेशा "हम हिन्दू" ही होते हैं।* *जबकि ईसाईयों के मामले में ऐसा नहीं होता, एक उदाहरण और देखिये* –

*पश्चिम बंगाल के एक गवर्नर थे। ए एल डायस (अगस्त 1971 से नवम्बर 1979), उनकी लड़की लैला डायस, एक लव जेहादी ज़ाहिद अली के प्रेमपाश में फ़ँस गई, लैला डायस ने जाहिद से शादी करने की इच्छा जताई।* *गवर्नर साहब डायस ने लव जेहादी को राजभवन बुलाकर 16 मई 1974 को उसे इस्लाम छोड़कर ईसाई बनने को राजी कर लिया। यह सारी कार्रवाई तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर राय की देखरेख में हुई।*
*ईसाई बनने के तीन सप्ताह बाद लैला डायस की शादी कोलकाता के मिडलटन स्थित सेंट थॉमस चर्च में ईसाई बन चुके जाहिद अली के साथ सम्पन्न हुई।"*

*इस उदाहरण का तात्पर्य यह है कि पश्चिमी माहौल में पढ़े-लिखे और उच्च वर्ग से सम्बन्ध रखने वाले डायस साहब भी, एक मुस्लिम लव जेहादी की “नीयत” समझकर उसे ईसाई बनाने पर तुल गये। लेकिन हिन्दू माँ-बाप अब भी “सहिष्णुता” और “सेकुलरिज़्म” का राग अलापते रहते हैं, और यदि कोई इस “नीयत” की पोल खोलना चाहता है तो उसे “साम्प्रदायिक” कहते हैं। यहाँ तक कि कई लड़कियाँ भी अपनी धोखा खाई हुई सहेलियों से सीखने को तैयार नहीं, हिन्दू लड़के की सौ कमियाँ निकाल लेंगी, लेकिन दो कौड़ी की औकात रखने वाले मुस्लिम जेहादी के बारे में पूछताछ करना उन्हें “साम्प्रदायिकता” लगती है…*

*ऐसी हज़ारों कहानियों में से एक है सिरोंज के माहेश्वरी समाज की कहानी।*
*सिरोंज*
*यह स्थान विदिशा से लगभग 80/85 किलोमीटर की दूरी पर एक तहसील है।*
*200 वर्ष पहले सिरोंज टोंक के एक नवाब के आधिपत्य में था। एक बार नवाब ने इस क्षेत्र का दौरा किया। उसी रात की यहाँ के माहेश्वरी सेठ की पुत्री का विवाह था। संयोग से रास्ते में डोली में से पुत्री की कीमती चप्पल गिर गई। किसी व्यक्ति ने उसे नवाब के खेमे तक पहुँचा दिया। नवाब को यह भी कहा गया कि चप्पल से भी अधिक सुंदर इसको पहनने वाली है। यह जानने के बाद नवाब द्वारा सेठ की पुत्री की माँग की गई। यह समाचार सुनते ही माहेश्वरी समाज में खलबली मच गई। बेटी देने का तो प्रश्न ही नहीं उठता था।* *अब किया क्या जाये..? माहेश्वरी समाज के प्रतिनिधियों ने कूटनीति से काम किया। नवाब को यह सूचना दे दी गई कि प्रातः होते ही डोला दे दिया जाएगा। इससे नवाब प्रसन्न हो गया। इधर माहेश्वरियों ने रातों- रात पुत्री सहित शहर से पलायन कर दिया तथा। उनके पूरे समाज में यह निर्णय लिया गया कि कोई भी माहेश्वरी समाज में न तो इस स्थान का पानी पिएगा, न ही निवास करेगा। एक रात में अपने स्थान को उजाड़ कर माहेश्वरी समाज के लोग दूसरे राज्य चले गए। मगर अपनी इज्जत, अपनी अस्मिता से कोई समझौता नहीं किया।*
*आज भी एक परम्परा माहेश्वरी समाज में अविरल चल रही है। आज भी माहेश्वरी समाज का कोई भी व्यक्ति सिरोंज जाता है। तो वहाँ का न पानी पीता है और न ही रात को कभी रुकता हैं। यह त्याग वह अपने पूर्वजों द्वारा लिए गए संकल्प को निभाने एवं मुसलमानों के अत्याचार के विरोध को प्रदर्शित करने के लिए करता हैं।*

*दरअसल मुस्लिम शासकों में हिंदुओं की लड़कियों को उठाने, उन्हें अपनी हवस बनाने, अपने हरम में भरने की होड़ थी। उनके इस व्यसन के चलते हिन्दू प्रजा सदा आशंकित और भयभीत रहती थी। ध्यान दीजिये किस प्रकार हिन्दू समाज ने अपना देश, धन, सम्पति आदि सब त्याग कर दर दर की ठोकरे खाना स्वीकार किया। मगर अपने धर्म से कोई समझौता नहीं किया। अगर ऐसी शिक्षा, ऐसे त्याग और ऐसे प्रेरणादायक इतिहास को हिन्दू समाज आज अपनी लड़कियों को दूध में घुट्टी के रूप में पिला दे। तो कोई हिन्दू लड़की कभी लव जिहाद का शिकार न बने।*

25/11/2023

हम राजस्थान में रिपीट करने जा रहे हैं : तोतलोट
😀😀
मतलब उन्होंने मान लिया कि रपटने जा रहे हैं

🙄🙄
25/11/2023

🙄🙄

😪😪
25/11/2023

😪😪

22/11/2023

विश्वप्रसिद्ध नालन्दा विश्वविद्यालय को जलाने वाले #बख्तियार खिलजी की मौत कैसे हुई थी ???

SUMAN

असल में ये कहानी है सन 1206 ईसवी की...! 1206 ईसवी में कामरूप (असम) में एक जोशीली आवाज गूंजती है...
"बख्तियार खिलज़ी तू ज्ञान के मंदिर नालंदा को जलाकर #कामरूप (असम) की धरती पर आया है... अगर तू और तेरा एक भी सिपाही ब्रह्मपुत्र को पार कर सका तो मां चंडी (कामातेश्वरी) की सौगंध मैं जीते-जी अग्नि समाधि ले लूंगा"... राजा पृथु और , उसके बाद 27 मार्च 1206 को असम की धरती पर एक ऐसी लड़ाई लड़ी गई जो मानव #अस्मिता के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है.
उस समय मुहम्मद बख्तियार खिलज़ी बिहार और बंगाल के कई राजाओं को जीतते हुए असम की तरफ बढ़ रहा था। इस दौरान उसने नालंदा #विश्वविद्यालय को जला दिया था और हजारों बौद्ध, जैन और हिन्दू विद्वानों का कत्ल कर दिया था। नालंदा विवि में विश्व की अनमोल पुस्तकें, पाण्डुलिपियाँ, अभिलेख आदि जलकर खाक हो गये थे।
यह खिलज़ी मूलतः अफगानिस्तान का रहने वाला था और मुहम्मद गोरी व कुतुबुद्दीन एबक का रिश्तेदार था,बाद के दौर का #अलाउद्दीन खिलज़ी भी उसी का रिश्तेदार था.
असल में वो खिलज़ी, #नालंदा को खाक में मिलाकर असम के रास्ते तिब्बत जाना चाहता था । क्योंकि, तिब्बत उस समय... चीन, मंगोलिया, भारत, अरब व सुदूर पूर्व के देशों के बीच व्यापार का एक महत्वपूर्ण केंद्र था तो खिलज़ी इस पर कब्जा जमाना चाहता था.... लेकिन, उसका रास्ता रोके खड़े थे असम के राजा #पृथु... जिन्हें राजा बरथू भी कहा जाता था... आधुनिक गुवाहाटी के पास दोनों के बीच युद्ध हुआ।
राजा पृथु ने सौगन्ध खाई कि किसी भी सूरत में वो खिलज़ी को ब्रह्मपुत्र नदी पार कर तिब्बत की और नहीं जाने देंगे...
उन्होने व उनके आदिवासी यौद्धाओं नें जहर बुझे तीरों, खुकरी, बरछी और छोटी लेकिन घातक तलवारों से खिलज़ी की सेना को बुरी तरह से काट दिया। स्थिति बेकाबू देखकर.... खिलज़ी अपने कई सैनिकों के साथ जंगल और पहाड़ों का फायदा उठा कर भागने लगा...! लेकिन, असम वाले तो जन्मजात यौद्धा थे..और, आज भी दुनिया में उनसे बचकर कोई नहीं भाग सकता.... उन्होने, उन भगोडों #खिलज़ियों को अपने पतले लेकिन जहरीले तीरों से बींध डाला....अन्त में खिलज़ी महज अपने 100 सैनिकों को बचाकर ज़मीन पर घुटनों के बल बैठकर क्षमा याचना करने लगा....खिलज़ी रास्ते भर इतना बेइज्जत हुआ कि जब वो वापस अपने ठिकाने पंहुचा तो उसकी दास्ताँ सुनकर उसके ही भतीजे अली मर्दान ने ही उसका सर काट दिया...।

Rajasthan Diary

21/11/2023

किसने तय किया था की माॅडलिंग तब ही होगी जब लड़की नंगी रहकर करे।
अपनी बच्चियों को भद्दे कपड़े पहनाना बंद कीजिए।
कुछ दस पंद्रह साल पहले तक भारत की युवा बेटियाँ आमतौर पर घरों में व बाहर आरामदायक सलवार सूट दुपट्टा पहने दिखाई देती थीं।अब हम कितने घरों में बेटियों को सामान्य दैनिक जीवन में सलज्जतापूर्वक सलवार सूट पहने हुए शालीनता से दुपट्टा लिए हुए देखते हैं?

आजकल संभ्रांत घरों की युवतियां भी ना सिर्फ कॉलेज,वर्कप्लेस बल्कि घरों में भी टाइट जींस,कैप्री,शॉर्ट्स आदि पहने रहतीं हैं। ऐसी पोशाकों में वक्षस्थल ढंकने का तो सवाल ही नहीं तो दुपट्टे के हटने से लुप्त होती लज्जा धीरे-2 टॉप,टीशर्ट आदि पहनते-2 समाप्त ही हो जाती है और प्रत्येक ऐरागैरा सभ्य परिवारों की इन लक्ष्मियों के यौवन का नेत्रसुख लेता हुआ आनंदित होता रहता है। कौन तो पूरा ढंका हुआ सलवार सूट पहने और कौन दुपट्टा सँभालता फिरे। इस विषय पर बात करना ही एक टैबू बना दिया गया है। कपड़े नहीं तुम्हारी सोंच खराब है। ऐसी कन्याओं द्वारा सलवार सूट आज भी अगर कभी पहना जाता है तो जब परंपरागत दिखने का ढोंग करना हो,मंदिर जाना हो,इंस्टा फेसबुक पर दीवाली पूजा की फोटो डालनी हो केवल तब।

कन्याओं,स्त्रियों में शालीनतापूर्ण पोशाक की बात चलते ही दो तरह के लोग हल्ला मचाकर बात का रुख मोड़ने का पूर्ण प्रयास करते हैं। एक तो वे जिन्हें महिलाओं को देह प्रदर्शित करते वस्त्रों में देखकर अपनी यौनकुंठा शांत करनी होती है और दूसरी स्वयं वे निर्लज्ज महिलाएं जो लार टपकाते पुरुषों से अपने रूप यौवन की प्रशंसा सुनकर फूली नहीं समातीं।

खैर,यह रोग तो अब लाइलाज हो चुका। बरसों पहले वक्षस्थल से दुपट्टा हटा चुकी पीढ़ी को चुनरी की लाज समझाने की फुरसत मुझे नहीं। वैसे भी यह परिदृश्य यहाँ उदाहरण मात्र के लिए,यह बताने के लिए था कि बॉलीवुड किस प्रकार हमारे अचेतन मन पर नियंत्रण करके हमारी पहनने ओढ़ने,खानेपीने की आदतों,हमारे सामाजिक व्यवहार पर प्रभाव डालता है। हर समय दुपट्टा लेना संभव नहीं है मैं समझ सकती हूँ। पर निरंतर पाश्चात्य सभ्यता का अनुसरण करते-2 हमने जहाँ दुपट्टा लेना चाहिए,वहाँ भी लेना बंद कर दिया है क्योंकि सामान्यतः हम टॉप,टीशर्ट आदि पहनते हैं तो अब बिना दुपट्टे के वक्षस्थल हमें असहज नहीं लगता। इस प्वाइंट पर इतनी अधिक कंडीशनिंग हो गई है कि अब बदलाव या सुधार संभव भी नहीं।

मेरा प्रश्न तो यह है कि आखिर भारतीय युवतियों के वस्त्रों में यह बदलाव आया कैसे कि आज इस मुद्दे पर बात करना तक दूभर हो गया है? उत्तर है निरंतर बॉलीवुड द्वारा किए जा रहे मैनीपुलेशन से,ब्रेनवॉश से। फिल्मों में हीरोइनों के चुभाचुभ,अधनंगे कपड़ों से प्रभावित होकर उनका अंधानुकरण करते-2 हमारी पूरी युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति,अपनी जलवायु सबकुछ भूलकर अपने आदर्श नायक नायिका जैसे दिखने की आस में आधी तीतर आधी बटेर बन गई। बहुत अच्छा किया। ऐसे ही रहो अब। भारत जैसे गर्म देश में भी ठंडे देशों जैसी टाइट जींस पहनकर घूमते रहो।

अच्छा वह सब छोड़िए। गर्भवती अभिनेत्रियों द्वारा पूर्ण विकसित गर्भ के साथ पेट पर कपड़े उघाड़कर फोटोसेशन कराने का यह जो नया फैशन चला है, बॉलीवुड के इस ट्रैंड के विषय में आप सबका क्या विचार है?(देखिए चित्र)

जिस प्रकार बॉलीवुड के अंधानुकरण के कारण हमारे परिवारों में आज वैलेंटाइन डे,हैलोवीन और प्रिवैडिंग शूट आदि उत्सव धूमधाम से मनाए जाने लगे हैं, कल को हमारे परिवार की गर्भवती महिलाओं को भी तो सोसायटी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ऐसे फोटोशूट करवाने होंगे तब के लिए कुछ स्टाइल्स और पोज नीचे दिए गए चित्रों में से चुन सकते हैं। इन चित्रों को देखिए और सोचिए क्या आप अपनी पुत्री या पुत्रवधू को ऐसा फोटोसेशन करवाते देखकर प्रसन्न होंगे? यह अनावश्यक नग्नता मातृत्व का सम्मान है या अपमान?

आखिर इस निकृष्ट बॉलीवुड का पूर्ण बहिष्कार करने के लिए हमें और कितने कारण चाहिए?

19/11/2023

खान्ग्रेस ने मैच फिक्सिंग और सट्टेबाजी का जो सिस्टम बनाया है
उसे समाप्त करना बहुत कठिन है

भारत की हार की जांच होनी चाहिए

बस यही छोटी सी विनती है🙏🙏
17/11/2023

बस यही छोटी सी विनती है
🙏🙏

😀😀
17/11/2023

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क्या यह सच नहीं हैसोचिए जरा..
17/11/2023

क्या यह सच नहीं है
सोचिए जरा..

नाम तो नही ही बताऊंगा!उन पर लंबे समय तक अध्ययन,मनन,चिंतन किया।हजारों किताबे पढ़ी,वांग्मय पूरा पढ़ा।मेरे शोध परक पढ़ाई  म...
17/11/2023

नाम तो नही ही बताऊंगा!

उन पर लंबे समय तक अध्ययन,मनन,चिंतन किया।हजारों किताबे पढ़ी,वांग्मय पूरा पढ़ा।मेरे शोध परक पढ़ाई में अजीब प्रकार का कुछ निकला था।कुछ पॉइंट ध्यान देने के लिए महत्वपूर्ण है।

नंबर 1-उनके खर्चे बहुत बड़ी मात्रा में थे,कमाई का स्रोत अज्ञात है।सामान्य व्यक्ति परिवार का पालन करते हुए इतने मंहगी जीवन नही जी सकता।प्रमाण है वह सारे खर्च ब्रिटिश सरकार देती थी।

नंबर 2-प्रकारांतर से देखने पर पता चलता है करीब 10,000 पत्र ऐसे हैं जो सरकार की तरफ से उनको डायरेक्शन(निर्देशों) के रूप में लिखे गए हैं।यह एक प्रशिक्षित अधिकारी या कर्मचारी के लिए होता है। भारतीय राजनीति में प्रवेश के शुरुआती दौर में ही उनका व्यवहार एक दक्ष राजनीतिक या कुशल प्रशिक्षित व्यक्ति जैसा दिखता था जो एक लंबे ट्रेनिंग या अनुभव से ही संभव है।

नंबर 3-उनकी जेल यात्रा अद्भुत होती थी।कुछ अन्य कांग्रेसी नेताओं की तरह जेल की सजा के दौरान उन्हें 5 से ऊपर कर्मचारी दो,फाइव स्टार कमरा,मुलाकात कक्ष,बड़ा बांग्ला या महल मिलता था।जिसमें तीन असिस्टेंट, टाइपराइटर आदि भी मिलते थे।कहीं भी आने जाने के लिए कार और ड्राइवर।यह सब बकायदे गजटेड है।उन्हें पर्क्स और पेंशन भी दिया गया।

नंबर 5-वह इंग्लैंड से निकले अफ्रीका गए और भारत आए।जब वह भारत पहुंचे तो अचानक से वह पचासों स्थापित नेताओं को पछाड़कर देश के सबसे बड़े नेता बन गए।जबकि चंपारण का आंदोलन कोई खास नहीं था।वह 40 -50 लोगों का एक छोटा सा आंदोलन था, जिसे अंग्रेजी मीडिया,साहित्य और सरकार ने बहुत ज्यादा महत्व देकर प्रचारित प्रसारित किया था।

नंबर 6-बिना विज्ञापन के उतनी महंगी,ज्यादा प्रसारण वाली हरिजन पत्रिका निकालते थे।उसमें सबसे महत्वपूर्ण और खास ध्यान देने वाली बात यह है कि उनके नाम से लिखने के लिए 6 से 10 अच्छे लिखाड लोग रखे गए थे।हरिजन पत्रिका में उनके लिए और नाम से लिखते थे।उसकी मैटर स्क्रीनिंग के लिए दो अच्छे प्रशिक्षित रिटायर्ड अंग्रेज अधिकारी रखे गए थे।ऐसा लगता है कि पूरी योजना से उनकी"हरिजन, पत्रिका के माध्यम से अहिंसा,सविनय अवज्ञा, सत्याग्रह,खिलाफत आंदोलन अंग्रेज खुद ही स्थापित कर रहे थे।इस माध्यम से अंग्रेज एक पूरे देश का मानसिक प्रशिक्षण कर रहे थे और उसे कुछ खास विचारों में ढाल रहे थे।शुरुआती दौर में यह सैफ्टीवाल्व था बाद में हिंदुओ को कमजोर करने का हथियार बनाया गया। जिसकी कीमत बाद में आजादी के बाद पूरे 60 साल तक ब्रिटेन को प्राप्त होती रही।

नंबर 7-अगर 1906 से 1948 तक की सारी घटनाओं को एक क्रम से संजोकर बिना किसी पूर्वाग्रह के डीप स्टडी की जाए,वास्तविक शोध किया जाए तो सब कुछ बड़ा रहस्यमई प्रतीत होता है।यह साफ-साफ दिखता है कि अच्छा विद्यार्थी ना होने (आप बहुत ही खराब छात्र भी कह सकते हैं) के बावजूद उनको गुजरात के एक खानदानी अंग्रेजी सरकार के प्रति वफादार परिवार से उठाकर बहुत स्कॉलरशिप देकर इंग्लैंड की राजधानी लंदन में रखकर लंबे समय तक ब्रिटिश सरकार ने उन्हें खास ट्रेनिंग दी थी।फिर धीरे-धीरे करके भारतीय राजनीति में अपनी एजेंसी कांग्रेस के माध्यम से उन्हें बनाया और इंपोज किया।

साभार

12/11/2023

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12/11/2023

दीपावली का न तो जश्न होता है और न ही दिवाली मुबारक होती है

दीपावली शुभ होती है
शुभ दीपावली बोलिए

दीपावली में पूजन होता है
दीपावली में मिलन होता है

दीपावली की राम राम होती है
और
दीपावली की शुभकामनाएं होती है।

मेरी संस्कृति मेरा अभिमान
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ना वेद और जा वेद होने की प्रबल सम्भावना है
😀

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