25/04/2024
ग़ज़ल-
जिसको चाहा उसे ख़बर न हुई
यूँ मेरे प्यार की सहर न हुई
सब ने तारीफ़ की ज़माने की
मेरी ही बात मेरे घर न हुई
जैसे सोचा था ज़िंदगी बीते
ज़िंदगी उस-तरह बसर न हुई
जितनी सख़्ती ज़हर पे होती है
क्यों वो सख़्ती शराब पर न हुई
मैंने जो बात कहनी थी उन से
मुझ से वो बात उम्र-भर न हुई
-सुरेश मेहरा 'राज'