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गली मोहल्ले चौराहे पर बैठकर दोस्तो के बीच मदस्मत होकर अपनी अय्याशी की वीरगाथा सुनाते महानुभावों से अनुरोध है कि इसे पढ़ें...
28/02/2024

गली मोहल्ले चौराहे पर बैठकर दोस्तो के बीच मदस्मत होकर अपनी अय्याशी की वीरगाथा सुनाते महानुभावों से अनुरोध है कि इसे पढ़ें..🙏

कभी कभी एक से अधिक स्त्री के साथ प्रेम का स्वांग रचने वाला पुरूष खुद को बड़ा चालाक और सक्षम समझता है।
उसे ऐसा लगता है जैसे एक से अधिक स्त्रियों के साथ प्रेम प्रसंग करके उसने बहुत बड़ा तीर मार लिया है ।
कभी कभी मैंने खुद देखा है ऐसे पुरुषों को अपने मित्रों के समक्ष अपनी इस कुकृत्य का अतिश्योक्ति वर्णन करते हुए ।

और अपने इस कार्यक्रम को इतने दृढ़ता से बताते हैं जैसे लगता है प्लासी का युद्ध जीतकर आये हों ।
हे भद्र पुरुषों यदि तुम किसी स्त्री को प्रेम के सपने दिखाकर अपनी झूठी मुठी भावुकता में फांसकर उसके साथ यदि छल करते हो तो इसे अपनी चालाकी या समझदारी मत समझो...
अपितु ये सोचो कि उसने तुम पर कितना भरोसा किया तुमको किस हद तक अपना माना .!! और तुमने उसे बदले में क्या दिया।

उस स्त्री ने निःस्वार्थ प्रेम के चाहत में तुमपर अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया प्रेम की चाहत में देह दान कर दिया और तुम ??
तुम्हारा तो लक्ष्य ही देहप्राप्ति मात्र था, तुमने ये सारे प्रेम रूपी जाल केवल अपनी कामवासना पूर्ति के लिए ही बिछाए थे और वह भोली स्त्री जो तुमपर लेशमात्र भी सँकोच किये बगैर सर्वत्र बलिदान कर दी.. उसके प्रेम का मखौल उड़ाते हो ??

हे महापुरुषों यदि प्रेम रूपी नाव पर बैठ चुके हो तो उसे गंतव्य तक पहुंचाना सीखो और यदि उसमे भी सक्षम नही तो तो कम से कम उस पवित्र प्रेम का सम्मान करना सीखो।
जिसने तुम्हे जाति ,धर्म,परिवार, समाज से ऊपर उठकर इज्जत दी प्यार दिया सम्मान दिया उसके सम्मान को यूँ सरेराह नीलाम करने का अधिकार तुम्हे किसने दिया ??
प्रेम पवित्र है पूजनीय है इसे कलंकित मत करो ..!!
ेटी_मेरी
,,,,,,,,,,,,,,,,,❤️❤️Didi anandi ji 🙏🙏🙏

27/02/2024

प्रेम के इस नदी में उतरती गई
इतना डूब गई मैं डूबती ही गई
सांस सांसों के बंधन से ऐसा बँधा
कितना भी लहर आया मैं तैरती रही

हवा के थपेड़ों से मैं जुझती रही
फिर भी अपने दम पर खड़ी ही रही
कई कांटा मेरे राहों में आए मगर
हर कांटों से मैं खुद को बचाती रही

प्यार में खुशियां कम गम ज्यादा मिले
पर उस खुशी के लिए मैं मिटती रही
प्रियतम को माना है अपना खुदा
खुदा को पाने को मैं मचलती रही

प्रीत का बंधन ऐसा बंधा सारे बंधन
मुझसे जुदा हो गए
ये अलौकिक बंधन है सबसे जुदा
इसपर ही तो मैं मरती रही

प्यार में मुझे जीना आ गया
प्रेम पर मुझे मरना आ गया
मोहब्बत निभाने के लिए ही
मुझे जमाने से लड़ना आ गया

पर जुदा ना हो मेरा प्यार कभी
ईश्वर से हमने मांगा आशीष
हाथ खुदा का हमारे सर पर रहे
मेरे प्रियतम हमेशा मेरे साथ रहे !

15/02/2024

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