14/11/2024
एक अनजान व्यक्ति कोलकाता के सोनागाछी बस्ती में एक वेश्या के पास पहुँचा।व्यक्ति ने पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?”
महिला: “क्यों, नाम लेकर क्या करेंगे… सपना मेरा नाम है।”
व्यक्ति: “उम्र कितनी है?”
सपना: “क्यों बाबू, उम्र सुनकर 200 और ज्यादा देंगे?”
व्यक्ति: “तुम इस तरह क्यों बात कर रही हो?”
सपना: “अच्छी तरह बात करने के लिए तो एक्स्ट्रा पैसे नहीं दिए बाबू!”
व्यक्ति: “इस तरह बात करने के लिए भी तो कम पैसे नहीं लिए?”
सपना: “बाबू, पैसे तो सिर्फ शरीर के लिए हैं, क्यों समय बर्बाद कर रहे हैं, शुरू करें!”
व्यक्ति: “सिगरेट पी सकता हूँ एक?”
सपना: “पी लीजिए, मुझसे क्यों पूछ रहे हैं?”
व्यक्ति: “मतलब, अगर तुम्हें कोई दिक्कत हो तो…”
सपना: “बाप रे! *** में आकर इतनी नजाकत कैसे होती है आपकी?”
व्यक्ति: “ऐसा क्यों बोल रही हो? कुछ लोगों को सिगरेट से दिक्कत हो सकती है!”
सपना: “बाबू, दिक्कत तो इंसानों को होती है, हम तो बेजान चीज़ हैं।”
व्यक्ति: “बहुत ज्यादा बकवास कर रही हो, बस इसलिए पूछ रहा था कि कोई समस्या है या नहीं।”
सपना: “अरे, काफी देर से बकबक कर रहे हैं, अब अपनी समस्या दूर करिए और चलिए, शुरू कीजिए!”
व्यक्ति: “हाँ।”
सपना: “खोलूँ? या खुद ही खोलेंगे?”
व्यक्ति: “हाँ… नहीं… हाँ मैं ही… नहीं…”
सपना: “ओह, समझ गई, सोनागाछी में पहली बार?”
व्यक्ति: “हाँ।”
सपना: “क्यों? गर्लफ्रेंड नहीं देती?”
व्यक्ति: “नहीं, गर्लफ्रेंड टलफ्रेंड कुछ नहीं है।”
सपना: “ऐसे चिड़चिड़े लोग होंगे तो गर्लफ्रेंड होगी भी कैसे!”
व्यक्ति: “नहीं, मैं शादीशुदा हूँ!!”
सपना: “तो? बीवी क्या रात में डिस्को गई है जो आप सोनागाछी आए? सच में मियाँ, आप अमीर लोग बड़े ही अजीब होते हैं!”
व्यक्ति: “नहीं, मैं यहाँ इसलिए नहीं आया हूँ। मैं अपनी बीवी को खोजने आया हूँ!”
सपना: “मतलब?”
व्यक्ति: “हाँ, सुनिए… उस रात हम दोनों साथ में शॉपिंग कर लौट रहे थे, मैं और मेरी पत्नी उत्तरा। अचानक चार लोग आए, हमारे मुँह पर कपड़ा ढक दिया। जब होश आया, अगले दिन मैं एक लोकल अस्पताल में था, पर उत्तरा कहीं नहीं थी। बहुत ढूँढा लेकिन वो कहीं नहीं मिली।”
सपना: “तो आज रात यहाँ, एक रात के लिए अपनी बीवी खोजने आए हैं?”
व्यक्ति: “नहीं, सुनिए, प्लीज पूरी बात सुनिए। उस रात की घटना के 26 दिन बाद, यानी कल, मेरी पत्नी का फोन आया। उसने सिर्फ इतना कहा कि ‘सोनागाछी आकर मुझे ले जाना। नाम मेरा निशा है…’ मैं कुछ कह पाता, इससे पहले ही फोन कट गया। शायद उसे सिर्फ 5 सेकंड का मौका मिला होगा मुझे बताने का। उसके बाद से जितनी बार फोन किया, कोई जवाब नहीं मिला। इसीलिए मैं यहाँ हूँ, उसे ढूँढने। मुझे पता है इतने बड़े सोनागाछी में उसे ढूँढना मुश्किल है, लेकिन मुझे बस तुम्हारे जैसे किसी दोस्त की जरूरत है जो मुझे मेरी पत्नी को इस नरक से निकालने में मदद कर सके। प्लीज, उत्तरा को ढूँढने में मेरी मदद करो, जो भी लगेगा मैं दूँगा!!”
सपना: “मेरी क्या जरूरतें हैं, ये बात बाद में कहूँगी, लेकिन आप क्या अपनी पत्नी को यहाँ से वापस ले जा पाएंगे, सबकुछ जानकर भी?”
व्यक्ति: “क्यों नहीं? मैं यहाँ निशा को खरीदने नहीं, अपनी पत्नी उत्तरा को ले जाने आया हूँ! तुम तो यहाँ के कई दलालों और आंटियों को जानती हो… प्लीज, मेरी उत्तरा को वापस ले आने में मदद करो!!”
सपना: “ठीक है, अपना नंबर दे दीजिए। मैं वादा करती हूँ, जितनी जल्दी हो सके, आपको खबर दूँगी।”
(तीन दिन बाद, व्यक्ति को सपना का फोन आता है)
सपना: “सुन रहे हैं? निशा का पता लग गया है… मेरी बिल्डिंग के दाहिनी ओर वाली तीसरी बिल्डिंग में ही निशा रहती है। वो यहाँ नई है, इसीलिए फोन आसानी से नहीं मिल पाता। शायद किसी ग्राहक के फोन से ही उसने आपको 5 सेकंड के लिए कॉल किया होगा। अपनी निशा को ले जाइए!”
(पुलिस के साथ व्यक्ति अपनी पत्नी को छुड़ाता है और लौटते वक्त सपना से मिलने जाता है)
व्यक्ति: “क्या कहकर तुम्हें शुक्रिया अदा करूँ, मुझे खुद समझ नहीं आ रहा। अब बताओ, तुम्हें कितने पैसे दूँ?”
सपना: “मुझे पैसे नहीं चाहिए, आपने मुझे पैसे से ज्यादा कीमती कुछ दिया है, बाबू!”
व्यक्ति: “मतलब? तुम कहना क्या चाहती हो? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।”
सपना: “बाबू, आज से 3 साल पहले मैंने अपने गाँव के ही एक लड़के से प्यार करके शादी की थी। बहुत प्यार करती थी उसे! माँ-बाप ने नहीं माना तो हम भागकर शादी कर लिए थे। लेकिन शादी के 19 दिन बाद ही उसने मुझे इस नरक में 13 हज़ार रुपए में बेच दिया! कई बार यहाँ से भागने का मौका भी मिला, लेकिन कहाँ जाती? किसके सामने मुँह लेकर खड़ी होती? सड़क पर भी होती तो वही रात में मुझे नोचते और दिन में स्टेशन पर भीख मंगवाते। यहाँ पर कम से कम ठीक से जी तो पा रही हूँ! यकीन मानिए, बाबू, उस दिन से मैं किसी मर्द पर भरोसा नहीं कर पाई। मेरे लिए सभी मर्द एक जैसे थे। लेकिन आपने मेरे इस गलतफहमी को सिर्फ 5 मिनट में ही तोड़ दिया। आपने मुझे यकीन दिलाया कि जैसे एक मर्द अपनी पत्नी को बेच सकता है, वैसे ही एक मर्द अपनी पत्नी को वापस लेने के लिए भी सोनागाछी आ सकता है। 3 साल में बहुत पैसे कमाए, लेकिन आपसे जो सच्चाई मैंने सीखी, वो पैसे से भी ज्यादा कीमती है। जाइए बाबू, अपनी उत्तरा के साथ खुश रहिए… और मुझे इस सच्चाई से रूबरू करवाने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया, कि ‘सभी मर्द एक जैसे नहीं होते।’ कोई छोड़कर जाता है, तो कोई वापस लाने आता है…!! कोई छोड़ने आता है, तो कोई साथ लेकर जाता है…!!”
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