Samayik Parivesh

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Samayik Parivesh it is a six-monthly magazine. it reflects the changing moods of the people in the society.

12/09/2023

We all come to this earth with a purpose. Our existence itself is for going through new experiences, making inferences out of them, learning, and moving on. In fact, at every step, we are seekers of knowledge. We have to learn and move on to the next Gigha plane. This goes on in our world's journ...

12/09/2023
आजादी-आजादी के स्वरों से गूंज रहा था सारा जहां,इन वीर शहीदों की कुर्बानी से आंखें सबकी भर आई थी।जब देश के खातिर उन्होंने...
27/02/2023

आजादी-आजादी के स्वरों से गूंज रहा था सारा जहां,
इन वीर शहीदों की कुर्बानी से आंखें सबकी भर आई थी।

जब देश के खातिर उन्होंने अपनी कीमती जान गंवाई थी,
कभी नहीं संघर्ष से,
इतिहास हमारा हारा,
बलिदान हुए जो वीर जवां,
उनको नमन हमारा है।, ...

जीना हो तो वह ठान-ठान जो कुंवरसिंह ने ठानी थी,
या जीवन पाकर अमर हुई जैसे झांसी की रानी थी।

आज़ादी के परवानों ने जब खून से होली खेली थी,
आज़ादी के परवानों ने जब खून से होली खेली थी,
माता को मुक्त कराने को सीने पर गोली झेली थी।

तोपों पर पीठ बंधाई थी, पेड़ों पर फांसी खाई थी,
जीवन-यौवन की गंगा में तू भी कुछ पुण्य कमा ले रे,
मिल जाए अगर सौभाग्य शहीदों में तू नाम लिखा ले रे।, ...

Littera Public School at its best
27/02/2023

Littera Public School at its best

असां ख़ुशियुं खे ॻोलीन्दा रहूं था, असां ज़िंदगी में ग़मु खे पालींदा आहियूंहीअ दुनिया हिकु रंगमंच आहे, असीं अदाकार आहियूं ।।...
27/02/2023

असां ख़ुशियुं खे ॻोलीन्दा रहूं था, असां ज़िंदगी में ग़मु खे पालींदा आहियूं
हीअ दुनिया हिकु रंगमंच आहे, असीं अदाकार आहियूं ।।

ॿाहिरियन दुनिया जो को बि आईनो साफ़ु नाहे
दिलि जे आईन॓ में ॾिसो, असां साफ़ु आहियूं या कारा ।।

पंहिंजे ज़हनु खे इन्सानियत जे लाइक़ु बणायो, पोइ
असां केतिरियूं ई मसजिदूं ऐं पागोडा ठाहीनदा आहियूं ।।

घर ऐं सहनि जी ज़िमेवारी औरत ते आहे
पर जॾहिं वक़्तु अचे थो त सरहदुनि जा मुहाफ़िजु बि आहियूं ।।

इएं ई, ममता पंहिंजी मंज़िल ते न पहुती
असां सभिनी रस्तनि ते फुड़ा ॾिठा आहिनि ।।

ममता महरोत्रा
18/02/2023

असां ख़ुशियुं खे ॻोलीन्दा रहूं था, असां ज़िंदगी में ग़मु खे पालींदा आहियूंहीअ दुनिया हिकु रंगमंच आहे, असीं अदाकार आहियूं ।।...
27/02/2023

असां ख़ुशियुं खे ॻोलीन्दा रहूं था, असां ज़िंदगी में ग़मु खे पालींदा आहियूं
हीअ दुनिया हिकु रंगमंच आहे, असीं अदाकार आहियूं ।।

ॿाहिरियन दुनिया जो को बि आईनो साफ़ु नाहे
दिलि जे आईन॓ में ॾिसो, असां साफ़ु आहियूं या कारा ।।

पंहिंजे ज़हनु खे इन्सानियत जे लाइक़ु बणायो, पोइ
असां केतिरियूं ई मसजिदूं ऐं पागोडा ठाहीनदा आहियूं ।।

घर ऐं सहनि जी ज़िमेवारी औरत ते आहे
पर जॾहिं वक़्तु अचे थो त सरहदुनि जा मुहाफ़िजु बि आहियूं ।।

इएं ई, ममता पंहिंजी मंज़िल ते न पहुती
असां सभिनी रस्तनि ते फुड़ा ॾिठा आहिनि ।।The translation of my poem in Sindhi language by Veena Adwani Tanvi from Nagpur - Maharashtra
ममता महरोत्रा
18/02/2023

Empowering Indian Women - a happy moment of being part of Magadh Literature festival
27/02/2023

Empowering Indian Women - a happy moment of being part of Magadh Literature festival

A proud moment - at Magadh Literature festival
27/02/2023

A proud moment - at Magadh Literature festival

Doordarshan is a good platform for sharing our ideas thoughts and viewpoints .
27/02/2023

Doordarshan is a good platform for sharing our ideas thoughts and viewpoints .

डी डी बिहार पर आप सभी की श्वेता ग़ज़ल

Magadh Literature Festival
26/02/2023

Magadh Literature Festival

खुशियां ढूंढते रहते हैं,जीवन  में दुख को पाले हमरंगमंच है यह दुनिया,किरदार निभाने वाले हमबाहर की दुनिया का कोई दर्पण साफ...
26/02/2023

खुशियां ढूंढते रहते हैं,जीवन में दुख को पाले हम
रंगमंच है यह दुनिया,किरदार निभाने वाले हम

बाहर की दुनिया का कोई दर्पण साफ़ नही होता
दिल के आईने में देखें,गोरे हैं या काले हम

मानवता के लायक़ पहले मन को कर लें,उसके बाद
चाहे जितने भी बनवा लें, मस्जिद और शिवाले हम

घर आँगन की जिम्मेदारी नारी के ऊपर तो है
लेकिन वकत पड़े तो सरहद के भी हैं रखवाले हम

ऐसे ही तो ममता अपनी मंज़िल हाथ नही आई
सब रस्तों को दिखला आए हैं पैरों के छाले हम

ममता महरोत्रा
18/02/2023

Magadh sahitya utsav - Sanatan jagriti manch
26/02/2023

Magadh sahitya utsav - Sanatan jagriti manch

कंठ तक जल में गड़ा, पर मुस्कुराता है नलिन ।तब कहीं संसार को इतना लुभाता है नलिन ।चूमकर किरणों ने जाने क्या सुबह था कह दिय...
26/02/2023

कंठ तक जल में गड़ा, पर मुस्कुराता है नलिन ।

तब कहीं संसार को इतना लुभाता है नलिन ।

चूमकर किरणों ने जाने क्या सुबह था कह दिया ,
शाम तक बिल्कुल नहीं पलकें झुकता है नलिन ।

ताल मिटते जा रहे हैं अब कहाँ जाकर खिले ,
आँसुओं की झील में ही झिलमिलाता है नलिन ।

रूप की आराधना में साथ कवियों का दिया ,
सुन्दरी की श्याम अलकों को सजाता है नलिन ।

पी गया है शान से जो गर्दिशों की धूप को ,
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा सबको सिखाता है नलिन ।

साथ रोटी के, शहीदों का बना सम्बल कभी,
राष्ट्र की आराधना के गीत गाता है नलिन ।

कोयलिया  कूक रही उपवन में,  नाचे तोते  मोर।ऋतुराज आया  है,  सभी  मचायें  शोर।।कण  कण में  मस्ती छाई है,  आया  है   मधुमा...
26/02/2023

कोयलिया कूक रही उपवन में, नाचे तोते मोर।
ऋतुराज आया है, सभी मचायें शोर।।
कण कण में मस्ती छाई है, आया है मधुमास।
बौराया लगे मस्त महीन, कहते फागुनी मास।।
पीले पीले पुष्प खिले है, पीली सरसों गात।
मदमाते मकरंद भरे से, दिखता है हर पात।।
तरुणाई छाई पुष्पों पर, मदमाता है भृंग।
हरी भरी रंगीन छटाये, रंग भरा हो श्रृंग।।
हर मन में उत्साह भरा है, गली गली में गीत।।
फागुन हँसता झूम रहा है, लगा रहा है आग।
नर नारी सब सुध बुध खोये, खेल रहे हैं फाग।।

मस्त मगन पौधे लहराये, छेड़ रहे संवाद।
कोयल कूक रही बागों में, मिटे हृदय अवसाद।।
मधुर मधुर मधुपों का गुंजन,खिला खिला आकाश।
इन्द्रधनुष सा नभ पर छाया, माधव बना प्रकाश।।

26/02/2023

कोयलिया कूक रही उपवन में, नाचे तोते मोर।
ऋतुराज आया है, सभी मचायें शोर।।
कण कण में मस्ती छाई है, आया है मधुमास।
बौराया लगे मस्त महीन, कहते फागुनी मास।।
पीले पीले पुष्प खिले है, पीली सरसों गात।
मदमाते मकरंद भरे से, दिखता है हर पात।।
तरुणाई छाई पुष्पों पर, मदमाता है भृंग।
हरी भरी रंगीन छटाये, रंग भरा हो श्रृंग।।
हर मन में उत्साह भरा है, गली गली में गीत।।
फागुन हँसता झूम रहा है, लगा रहा है आग।
नर नारी सब सुध बुध खोये, खेल रहे हैं फाग।।

मस्त मगन पौधे लहराये, छेड़ रहे संवाद।
कोयल कूक रही बागों में, मिटे हृदय अवसाद।।
मधुर मधुर मधुपों का गुंजन,खिला खिला आकाश।
इन्द्रधनुष सा नभ पर छाया, माधव बना प्रकाश।।mamta mehrotra 26/2/23

कोयलिया  कूक रही उपवन में,  नाचे तोते  मोर।ऋतुराज आया  है,  सभी  मचायें  शोर।।कण  कण में  मस्ती छाई है,  आया  है   मधुमा...
26/02/2023

कोयलिया कूक रही उपवन में, नाचे तोते मोर।
ऋतुराज आया है, सभी मचायें शोर।।
कण कण में मस्ती छाई है, आया है मधुमास।
बौराया लगे मस्त महीन, कहते फागुनी मास।।
पीले पीले पुष्प खिले है, पीली सरसों गात।
मदमाते मकरंद भरे से, दिखता है हर पात।।
तरुणाई छाई पुष्पों पर, मदमाता है भृंग।
हरी भरी रंगीन छटाये, रंग भरा हो श्रृंग।।
हर मन में उत्साह भरा है, गली गली में गीत।।
फागुन हँसता झूम रहा है, लगा रहा है आग।
नर नारी सब सुध बुध खोये, खेल रहे हैं फाग।।

मस्त मगन पौधे लहराये, छेड़ रहे संवाद।
कोयल कूक रही बागों में, मिटे हृदय अवसाद।।
मधुर मधुर मधुपों का गुंजन,खिला खिला आकाश।
इन्द्रधनुष सा नभ पर छाया, माधव बना प्रकाश।।

27/01/2023
एक ज़िंदगी और लम्बा सफ़र
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