16/03/2024
"ज़िंदगी को गणित की तरह समझने में लगे हुए है,
इसकी शुरुआत और अंत ढूंढ़ ने में लगे हुए है,
हर किसी के नजरों में खुद को बेहतर बनाने में लगे हुए है,
ना जाने क्यों हम अपने आप को समाज के हिसाब से
ढलने में लगे हुए है I"