16/05/2025
2024 के लोकसभा चुनाव के बाद नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं, लेकिन इस बार बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। इसके बावजूद, कई बड़े नेताओं और विशेषज्ञों का मानना है कि नरेंद्र मोदी 2029 में भी प्रधानमंत्री बन सकते हैं। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने संबोधन में कहा है कि 2029 में एनडीए की सरकार बनेगी और वे फिर प्रधानमंत्री बनेंगे। अमित शाह ने भी स्पष्ट कहा कि विपक्ष चाहे जो कर ले, 2029 में भी एनडीए और मोदी जी ही आएंगे।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी दावा किया है कि मोदी 2029 में प्रधानमंत्री बनेंगे, इसलिए उत्तराधिकारी पर चर्चा का कोई सवाल ही नहीं है। अर्थशास्त्री स्वामिनाथन अय्यर ने भी संभावना जताई है कि मोदी 2029 में चौथी बार प्रधानमंत्री बन सकते हैं, क्योंकि विपक्ष में उन्हें चुनौती देने वाला कोई बड़ा नेता नहीं है।
हालांकि, कुछ ज्योतिषीय आकलनों में यह भी कहा गया है कि 2029 तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने रह सकते हैं, लेकिन यह सब भविष्य की परिस्थितियों और राजनीति पर निर्भर करेगा। वहीं, कुछ विश्लेषणों में योगी आदित्यनाथ या नितिन गडकरी जैसे नेताओं के नाम भी संभावित उत्तराधिकारी के तौर पर सामने आते हैं।
जहां तक सवाल है कि कितने प्रतिशत लोग चाहते हैं कि मोदी जी 2029 में भी प्रधानमंत्री बनें, तो हाल-फिलहाल में ऐसा कोई सर्वे या डाटा सामने नहीं आया है, जिसमें स्पष्ट रूप से 30%, 60%, 90% या 100% जैसी कोई संख्या बताई गई हो। मीडिया रिपोर्ट्स, नेताओं के दावे और राजनीतिक विश्लेषण तो यही संकेत देते हैं कि मोदी की लोकप्रियता अभी भी काफी मजबूत है, लेकिन जनता की राय समय के साथ बदल भी सकती है।
लोकतंत्र में हर चुनाव में जनता का मूड बदल सकता है। 2024 के चुनाव में भी बीजेपी को अपेक्षित बहुमत नहीं मिला, जिससे यह साफ है कि जनता का समर्थन स्थायी नहीं होता। ऐसे में 2029 में कितने प्रतिशत लोग मोदी को फिर प्रधानमंत्री देखना चाहेंगे, यह कहना अभी मुश्किल है।
राजनीतिक माहौल, विपक्ष की मजबूती, सरकार की नीतियां और जनता की उम्मीदें-इन सब बातों पर 2029 के चुनाव का परिणाम निर्भर करेगा। फिलहाल, बीजेपी और एनडीए के नेता जरूर आत्मविश्वास से भरे हुए हैं, लेकिन जनता का अंतिम फैसला चुनाव के समय ही सामने आएगा।
इसलिए, 30%, 60%, 90% या 100% जैसी कोई निश्चित संख्या अभी नहीं कही जा सकती। यह सब भविष्य की राजनीति, सरकार के कामकाज और विपक्ष की रणनीति पर निर्भर करेगा। फिलहाल, मोदी जी की लोकप्रियता और उनकी पार्टी का आत्मविश्वास जरूर ऊंचा है, लेकिन लोकतंत्र में जनता ही सबसे बड़ी निर्णायक होती है।