27/12/2023
शहरक एकजुटता मे स्त्रीक सहयोग!
पार्ट1
मासक अन्तिम सप्ताह , ताहूँमे अग्रिम वेतन तेहनाले सन भेटय छै अपितु घरक बेर-बेगरता लगले रहय छैक, जेना तेना मध्यमवर्गीय परिवारक गाड़ी धुकुर धुकुर घीच-तीर चलै छै! जिम्मेदार लोक अप्पन घरक गाड़ी केर स्टेरिंग सावधानी आ मुजगुति हाथे पकड़िने रहित अछि ,अपितु अंगे-सम्मान अछि बर'-बीमारी, दवाई-दारू, आ हित अंगित लगले रहैत छै! पाइक खगता सदैव रहिते छैक मध्यमवर्गीय परिवारमे जँ बजट सँ फाजुल किंवा सम्हारि नै चलत त' माह समाप्त होति होति दोसरक आगू हाथ पसारके नौबत आबि जाइ छैक!
एकदिन भोरे भोर सूति उठि ऑफिस जाय हेतु नित्यकर्म मे लागिल रही ,एतबे मे पछिला गली सँ कान मे कानके आवाज पड़ल हम कोठा पर सँ हुलकी दैत देखबाकेँ प्रयास करिते रहीं की रघवा बाजल
~भाय मिश्राक' कंटिरबा हस्पतालमे भर्ती छै चारि दिन सँ
~की भेलैक?
~बोखार लागल छैक , आउ न नीचा चलिके देखिए कि भेलैक!
~हा अबै छी!
फेर सोचलो किआ नै पहिने नहा ली फेर ऑफिस जाइत घड़ी देखैत चलि जाइब ,नै त' अहि मास तेसर छुट्टी भ' जाइत अहि गुनधुन मे रही कि कनिया
~ठाड़ भ' की सोचै छीय , आई ऑफिस नहि जेबाक अछि?
~हां जेबे त' अपितु मिश्राजी कंटिरबा बड्ड बीमार छै जाके एकबेर देख लै छी फेर जाइब
~अहाँ जाऊ ऑफिस हम देखै छी
~ठीक छै!
हमरा ऑफिस जेबाक उपरांत आकांशा (कनिया) मिश्राजी बेटाक खोज-खबरि लेब' पहुँचली
~की भेलैन योगेश क'?
डबडबाएल आँखि आओर अटैची मे किछु ढूरैत
~आउ कनिया चारि दिन पहिने बौआके बोखार लागि गेल रहैक डबास लग ल' गेलिए , तहिआ सँ पानि चढ़ि रहल छै अपितु कोनो सुधारे नै... आब कहैय डेंगू भ' गेलैक
मिश्रानी क' आँखिक बांध टूटी गेल रहैक , जेना लगलिन ई नोरक टघार कलेजा चिड़ने जाइत होइ
~होस राखौथि बौआ नीक भ' जेतैन , रागनी खन्ना ल'ग देखबतहुँ ओ नीक डागटर छैक ,हमर ननैदक दियर हुनके सँ ठीक भेल रहतिन
त'ते मे आओर मौगी सभ आबि गेल रहैक ,हुनकर बात सुनि आओर लोक सभ कतो आर देखेबाक गप कर' लगलै
~पप्पा पहिने रागनी खन्ना लग ल' जाइ बला छलखिन्ह अपितु पाइय अभावमे डबासे लग........
मिश्रानीक कंटिरबी बजली
~कते फीस छै से
~१२०० रुपये आओर बेड चार्ज ३००० एकदिनका छैक दवाई दारू अलग
लगभग सभ अप्पन हाथ ठाड़ करैत , मासक अंतिम सप्ताह छैक ५००-७०० सँ बेसीक जोगार नहि भ' पाइत!
बेहट बाली बजली
~एगो काज करै छी जिनका लग' जे अछि से कर्जा रूपमे मिश्रानी क' मदद करियो योगेशक इलाज सेहो भ' जेतैन ककरो कोनो असरि सेहो नै परत!
किछु गोटे छोड़ि सभक आपसी सहमति बनलिन पाई जुटाके रागनी खन्ना ल'ग ल' गेलखिन्ह ,आई योगेश हस्पताल सँ ठीक भ' आइब गेल अछि ,मिश्राजी काल्हि सँ काज पर सेहो जेता शीघ्र ओ कर्जा सेहो चुकेता ,आई अप्पन बस्ती के प्रति धन्यवाद व्यक्त करैत अश्वशन देलिन अछि !
© Mohan K Jha Everyone