The Pasi Landlords

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The Pasi Landlords Rajpasis was the ruler's of awadh ( 945 - 1207 ) .AD
पासी/राजपासी अवध

" मै रूदौली में ही मौजूद हूं "  राजभर समुदाय जो नकली समुदाय हैं पासी राजाओं पर अपना हक जता रहे है चाहे जितने जूठ फरेब तर...
16/12/2023

" मै रूदौली में ही मौजूद हूं "

राजभर समुदाय जो नकली समुदाय हैं पासी राजाओं पर अपना हक जता रहे है चाहे जितने जूठ फरेब तरीके से कोशिश कर लें उनका झूठ दुनियां के सामने बेनकाब हो चुका है
इस गलतफहमी में न रहे जिसमे वो जी रहे है 🙂✌️

जय राजा रुद्रमल पासी

कुंवर प्रताप रावत
The pasi landlord

रुदौली ( रुद्रावली ) के शासक राजा रुदभर पासी की नगरी रुदौली के प्रवेश द्वार पर हुआ उनका नामकरण  पासी योद्धाओं को उनके रण...
15/12/2023

रुदौली ( रुद्रावली ) के शासक राजा रुदभर पासी की नगरी रुदौली के प्रवेश द्वार पर हुआ उनका नामकरण
पासी योद्धाओं को उनके रणकौशल उनके द्वारा देश के लिए लड़े गए लड़ाईयों को याद रखने का सही तरीका यही है

रूदौली, जिला अयोध्या

जय महाराजा रुद्रमल पासी
The Pasi Landlords
Kunwar Pratap Rawat

New updateपासी कुल शान की महाराजा गंगा बक्श रावत  की जय जय कुंवर रणजीत सिंह रावत
05/12/2023

New update

पासी कुल शान की महाराजा गंगा बक्श रावत की जय
जय कुंवर रणजीत सिंह रावत

पासी राजा गंगा बक्श रावत जी का प्राचीन किला जिसके सिर्फ अवशेष बचे है जिसपर भू माफियाओ कि गंदी नजर के चलते वहां अवैध खुदा...
04/12/2023

पासी राजा गंगा बक्श रावत जी का प्राचीन किला जिसके सिर्फ अवशेष बचे है जिसपर भू माफियाओ कि गंदी नजर के चलते वहां अवैध खुदाई कर रहे थे जिसकी सूचना राजित राम जी ने सोशल मीडिया के जरिए हम सभी को दिया

मैंने तत्काल गंगा बक्श रावत जी के वंशज कुंवर अरुण रावत जी को इसकी सूचना दी अरुण रावत जी ने फौरन मामले लो संज्ञान में लेते हुए एसडीएम नवाबगंज से मिलकर ज्ञापन दिया है आज FIR लिखी जा चुकी है ,भू माफियो पर कुर्की भी हो सकती है

महाराजा गंगा बक्श रावत अमर रहे
वीर कुंवर रणजीत सिंह रावत अमर रहे है

कुंवर प्रताप रावत
( The pasi landlord )

मेरे साथी  मुझसे पूछते है भैया आजकल अपडेट नही रहते है ना कोई स्टोरी ना कोई वीडियो ना कोई पोस्ट कही दिखते भी नही...      ...
02/12/2023

मेरे साथी मुझसे पूछते है भैया आजकल अपडेट नही रहते है ना कोई स्टोरी ना कोई वीडियो ना कोई पोस्ट कही दिखते भी नही...
सभी भाईयों का प्रेम हमेशा मेरे साथ रहा पर कुछ समय से मुझे समय न मिल पाने के कारण मेरे पास जवाब नही था
पर एक बात मैं जानता हूं समय के अनुसार खुद को अपडेट रखना चाहिए, नही तो भूतकाल धूल की मिट्टी से ढक जाती है ,,

जल्द ही मिलेंगे नए अंदाज में......
चमक भी होगा धमक भी होगा और landlord भी continue होगा.........

Kunwar Pratap Rawat
( The pasi landlord )

14/11/2023

रुदौली क्षेत्र मवई चौराहा स्थित बगल गांव मानापुर के रहवैया राहुल पासी भाई ने इन्वाइट किया कहा की भाई दीपावली के शुभ अवसर पर महाराजा सुहेलदेव पासी के नाम से चिराग जलाना है मुझे भाईयो में शामिल होकर बड़ी खुशी हुई राहुल भाई बड़े ही अच्छे स्वभाव के सामाजिक व्यक्ति है जो सबके सुख दुख के साथी है

Kunwar post 📯
The Pasi Landlords

दो दिन पहले महाबली  #वीरा_पासी की कर्मभूमि  #भीरा_गोविन्द_पुर  #रायबरेली में सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में महाबली वी...
05/11/2023

दो दिन पहले महाबली #वीरा_पासी की कर्मभूमि #भीरा_गोविन्द_पुर #रायबरेली में सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में महाबली वीरा पासी की सेना टुकड़ी से सम्बंधित #तलवारे खुदाई में प्राप्त हुई हैं, बताया जा रहा है यह तलवारे #बैसवारा की शान #राणा_बेनी_माधव_बख्स_सिंह जी ज़ब भीरा गोविन्दपुर में अंग्रेजों से युद्ध लड़ रहें थे तब #बडैला नामक तालाब (झील )में युद्ध के दौरान रह गयी थी,,, कुछ वर्ष #पहले भी खुदाई में इस गाँव में तलवारे और युद्ध से सम्बंधित #हथियार प्राप्त हुए थे!!
दिनांक 3 नवंबर 2023 को एक #किसान के खेत से यह #तलवारे खुदाई में मिली हैं, हमें हमारे #नायकों पर बहुत गर्व है जिन्होंने भारत की #आजादी में अपना अहम योगदान दिया है

कोई नई बात नही है की तलवारे मिली आए दिन कही ना कही कुछ ना कुछ वीरों की धरती रायबरेली से मिलती रहती है
अभी तो बहुत कुछ दबा हुआ है

हमें राणा बेनी माधव और वीरा पासी पर गर्व है 🚩🚩

|| अवध के वीर सपूत || जय राणा जय वीरा ||

Kunwar-Post 📯
( The Pasi Landlords )

~ पासी समाज से विशेष अपील बाबत ध्यान दें~           पासी पासवान का षडयंत्र समझ लीजिए  चिराग दुसाध की चतुराई अपने पिता श्...
30/10/2023

~ पासी समाज से विशेष अपील बाबत ध्यान दें~

पासी पासवान का षडयंत्र समझ लीजिए चिराग दुसाध की चतुराई अपने पिता श्री राम विलास दुसाध से सीखी और उसे सफल बनाने के लिए 20 साल बाद फिर से कोशिश.....

ये दोनो फ़ोटो में दो शक्सियत है जिनकी राजनेता के रुप में बड़ी पहचान है आधिकारिक नाम राम विलास पासवान और उनके बेटे चिराग़ पासवान

बस जरा ठहरिए....
उत्तर प्रदेश के 90% पासियो को आज भी इस बात से कंफ्यूजन है और वो राम विलास पासवान को पासी समझते हैं

बस यही खेल समझ लीजिए

80 और 90 के दशक की राजनिति को ध्यान से समझना पड़ेगा यह वह दौर था जब उत्तर प्रदेश में झूठ फरेब ,सही गलत विचारधाराओ की लड़ाई के बीज बोए जा रहे थे और लड़ाई के लिए चाहिए लोग यानि जनता.....

जनता जिसके तरफ कुर्सी उसके तरफ़

राम विलास पासवान अपने समय में उभरते हुए नेता थे जिन्होने अपनी राजनिति बिहार से शुरु की वो जाति के दुसाध थे पर लिखते पासवान थे इसका फायदा यूपी में कैसे मिलने वाला था इसका अंदाजा उनको नही था बाद में पता चला।

जैसे मुलायम सिंह यादव ने अहिरो/यादवों से राजनीत शुरु की....
कांशीराम ने जाटव/चमारों से शुरु की....
क्योंकि सबकी शुरुवात खुद के घर से ही होती है.. उसी तरह से राम विलास पासवान अपनी जाति दुसाध से राजनीत शुरु की..... ।

पहले राम विलास पासवान को ये नही पता था की उत्तर प्रदेश में पासी बिरादरी के लोग पासवान लिखते है राम विलास जी एक महत्वाकांक्षी नेता थे उनका कद दिन प्रतिदिन बढ़ रहा था किसी कारण वश उनका गोरखपुर तरफ़ जाना हुआ ......
जब कई लोगो के नाम पासवान सुना तो मन ही मन खुशी हुई की बिहार में दुसाध मिलते ही मिलते हैं अब यूपी में भी हमारी संख्या है ये बात मन में पड़ी रही फिर उन्होंने यूपी के राजनीत में रुचि लेना शुरु कर दिया...

राम बिलास जी जब यूपी के राजनेताओं से मिलते तो यूपी के नेता लोग उन्हे पासी समझते क्योंकि उनके नाम के आगे पासवान लिखा था.... बातों बातों में किसी ने उन्हे कह दिया की उत्तर प्रदेश में पासवानो की संख्या बहुत बड़ी है आजकल लोग जाति की ही राजनिति करते है....
ये बात भी उनके दिमाग़ में बैठी रही फिर उन्होंने और रुचि ली तब जाकर मालूम पड़ा की मामला ये नही जो मैं सोच रहा था उत्तर प्रदेश के खासतौर से गोरखपुर के पासी , नाम के आगे पासवान लिखते और कहलाते थे

थोड़ी बहुत उनको निराशा हुई की पर उनका राजनिति में बढ़ता कद उनको और हिम्मत दिया वो लखनऊ के पासियो से किसी तरह संपर्क साधा और मिलना जुलना शुरु किया मीटिंग लेना शुरु किया , पर किसी को नहि बताया कि वो दुसाध है ,,बस वो पासवान नाम का फायदा उठाया......

लेकीन बकरे की अम्मा कब तक खैर मनायेगी
1998 में लखनऊ सिकंदरबाग पर एक मीटिंग में एक पासी महिला ने जैसे उसको माइक मिला बोलने के लिए तो उस महिला ने तुरंत कहा-

"की राम बिलास जी पासी नही दुसाध है "

इतना कहा ही था लोगो ने लपक के माइक छीन लिया और वहां बड़ा बवाल हुआ और उसी दिन से राम विलास पासवान की राजनिति उत्तर प्रदेश से खतम हो गई

क्योंकि पासियो ने ये आरोप लगाए की राम बिलास पासवान जब दूसरे जाति के है तो उनको पहले सच बताना चाहिए था , उन्होंने पासियो को अंधेरे में क्यो रखा

पर राम बिलास पासवान के कुछ चमचे जो लाभ और ख्याति के लिए खुद के स्वार्थ को देखते हुए पासियो को बेवकूफ बनाकर पासी समाज को बेचने का काम कर रहे है
..... वो झूठा प्रचार प्रसार में लगे है की राम विलास पासवान पासी जाति के है और उनके बेटे चिराग़ पासवान को पासी होने के नाते स्पोर्ट करो
जो बिलकुल गलत जानकारी है ....

ऐसे गद्दार मानसिकता वाले अपने समाज में कुछ नीच लोग है उनको समझिए वो विभीषण का काम कर रहें है

फिर बाद में लोग कहेंगे पासी समाज पीछे है पीछे क्यों है
यही कारण है जो बताया जिसका मन जब चाहे पासी बनकर चला आय और आप लोग पता भी नही करते है की कौन क्या है


कुंवर-post 📯
The Pasi Landlord

जारी रहेगा.........

24 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में जन्मे किसानों के मसीहा क्रांतिकारी   मदारी पासी जी की जयंती पर देश वासियों ...
24/10/2023

24 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में जन्मे किसानों के मसीहा क्रांतिकारी मदारी पासी जी की जयंती पर देश वासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। किसानों के मसीहा कहे जाने वाले क्रांतिकारी मदारी पासी जिन्होंने ( एका आंदोलन 1920-1921) के बल पर किसानों की आवाज बुलंद की और अंग्रेजों के नाक में दम कर दी आज ऐसे महान क्रांतिकारी की जयंती पर देशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

💐💐💐🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

लखनऊ निर्माता महाराजा लाखन पासी की जयंती पर आप सभी देशवासियों,लखनऊ वासियो व पूरे समाज को हार्दिक शुभकामनाएं         आज ल...
16/10/2023

लखनऊ निर्माता महाराजा लाखन पासी की जयंती पर आप सभी देशवासियों,लखनऊ वासियो व पूरे समाज को हार्दिक शुभकामनाएं

आज लखनऊ में जितनी बड़ी पुरानी इमारते है ज्यादातर नवाबी समय की है ,कहने को नवाबों ने तराशा है पर नवाबो और मुगलों ने वही स्थान क्यों चुना जहां पहले पासी राजाओं के भवन महल और मंडप थे ....!

उत्तर साफ है नवाब और मुगल यहां के नहीं थे और उन्हे यहां की धरातल की जानकारी भी नही थी गोमती नदी किनारा होने से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र रहा है इसलिए सबसे ऊंचा माना जानें वाला लाखन टेकरा ( लाखन टीला ) जो महाराजा लाखन पासी का कोट कहलाता था इसलिए महराज जी ने ऐसी जगह का चुनाव किया जहां बाढ़ का खतरा ना हो और जहां किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज है ये महाराजा लाखन पासी का महल और किला हुआ करता था ...... ।

नाम भले ही पासी राजाओं का भुला दिया गया हो नाम भले नवाबों का आता हो ,पर उसके नीचे दबे अवशेष ये गवाही देती है नवाबों और मुगलों से पहले यहां प्राचीन भवनों के कोने कोने पर निर्माण हुए थे जिसे उनसे पूर्व के पासी राजाओ ने बनवाया था......।

Kunwar Pratap Rawat
( The Pasi Landlords 📯 )

07/10/2023

30 सितंबर Birth anniversary special, श्री धर्मवीर पासी जी अपने समय के महान शक्सियत थे श्री धर्मवीर जनता के ऐसे नेता थे जो भारत के वंचित, पिछड़े और दबे-कुचले लोगों के गौरव और स्वाभिमान से प्यार करते थे।
उनकी एक झलक मिली मुझे आपके सामने है red circle में

04/10/2023

सूरज पासी ने किया बड़ा खुलासा दो समाज को आपस में लड़ने की थी साजिश पर विफल

02/10/2023

सुहेलदेव आर्मी और सूरज पासी ने दिया ज्ञापन कुर्मी vs पासी मामला करवाने वाले मनोज पटेल को भेजे जेल , योगेश पासी पर मुकदमा वापस लें

27/09/2023

लोह-गांजर का मैदान यहां हुआ था आल्हा ऊदल और बिजली पासी का युद्ध स्थानीय लोगों ने क्या जानकारी दी
गंजरिया - लोह गांजर यानी लोहे का मैदान यह नाम अंग्रेज़ी दस्तावेज़ अनुसार
गांजर नाम कैसे पड़ा...?

"यह गांजर नाम यहां के मूलनिवासी ( पासियो ) के युद्ध प्रिय आचरण के कारण पड़ा "

#आल्हा_ऊदल #बिजली_पासी

ब्रिटिश कालीन फोटो 1858         यह फ़ोटो महाराजा बिजली पासी के किले का है जिसे एक अंग्रेज चित्रकार द्वारा बनाया गया था ज...
26/09/2023

ब्रिटिश कालीन फोटो 1858

यह फ़ोटो महाराजा बिजली पासी के किले का है जिसे एक अंग्रेज चित्रकार द्वारा बनाया गया था जिसकी सुंदरता और भव्यता का कोई जवाब नही.....।

इसके चारो तरफ़ झील दिखाई देती है , सन 1857 की क्रांति में इसकी निगरानी करते हुए अंग्रेज सैनिक दिख रहे है और उसके बीच मोटी दीवारों से सुसज्जित चौकोर बनावट का किला दिख रहा है जिसके दक्षिणी सिरे पर निगरानी हेतु एक बुर्ज दिख रहा है...।

यह किला भारतीय फौजों का ठिकाना बन गईं थीं विद्रोही फौजों का जमावड़ा ना बन जाए ये चिंता अंग्रेजो को सताती थी इसलिए अंग्रेजो ने इस किले को तोपो से उड़वा दिया था ......।

Kunwar- पोस्ट 📯
The Pasi Landlords

02/09/2023
कड़ा और कालिंजर ये सब पासियो के अधिकार में था कन्नौज के राजा जयचंद की हार के बाद , अवध के पूरब दक्षिण ( प्रयागराज कौशांब...
01/09/2023

कड़ा और कालिंजर ये सब पासियो के अधिकार में था

कन्नौज के राजा जयचंद की हार के बाद , अवध के पूरब दक्षिण ( प्रयागराज कौशांबी तरफ़ के भाग ) दोवाब में पासियो ने पुन कब्जा कर लिया ,

सरकारी दस्तावेज़ एस बात के ठोस प्रमाण है की इन्ही पासियो ने पश्चिम में ' राजपासी' तथा मध्य में ' भर ' नाम से खुद को स्थापित किया था ,1896 में लिखित पुस्तक गुजिस्ता ए लखनऊ में अबुल हलीम शरर्र स्पष्ट तौर पर लिखा है " भर और पासी एक ही नस्ल के दो अलग अलग नाम से जानी जानें वाली एक जाति है " ।

अंग्रेज़ी दस्तावेज़ अनुसार कड़ा और कालिंजर पर पासी राजाओं का अधिपत्य था बाद में यह मुस्लिम सुलतानों के हाथो में जाता रहा है .....

कड़ा किला जयचंद का किला क्यों....?

ब्रिटिश दस्तावेज़ में कई अनाप शनाप कहानियां दी गई
उसी में से एक कहानी ये है
" की जयचंद की कुतुबुद्दीन ऐबक से हार के बाद सैय्यद कुतुब-उद-दीन ने राजा जय चंद के साथ लड़ाई लड़ी और कनौज पर विजय प्राप्त की; बाद में उसने कर्रा के किले में और उसके भाई मानिक चंद ने मानिकपुर के किले में शरण ली। उनका पीछा करने वाले मुसलमानों ने अपनी सेना को दो टुकड़ियों में विभाजित कर दिया, और मानिकपुर को अपने अधीन करने के लिए कुतुब-उद-दीन के बेटे क़ियाम-उद-दीन के नेतृत्व में एक दल को भेजा, जबकि कुतुब-उद-दीन खुद कर्रा में रहा ...दो महीने के युद्ध ने घेरने वालों और घेरने वालों दोनों के हजारों लोगों को मार डाला, लेकिन अंत में दोनों स्थानों के राजा अपने परिवारों को अपने साथ ले गए, अपने किले छोड़ दिए, और दक्षिण की ओर किसी पहाड़ी क्षेत्र में चले गए।

"तज़किरात-उस-सादात" में कहा गया है कि अवध के गवर्नर कुतुब-उद-दीन एबक भी इन किलों की विजय में मुसलमानों की सहायता के लिए आए थे।

जयचंद का किले में शरण लेने के वजह से आगे चलकर जयचंद का किला कहलाने लगा इसलिए कड़ा का किला जयचंद का नही , बल्की राजा कड़ेदीन पासी का है ,

साक्ष्य सबूत समय आने पर प्रस्तुत कर दिए जायेंगे 🙂

The Pasi Landlords
( कुंवर प्रताप रावत )

31/08/2023

यहां आल्हा ऊदल और बिजली पासी का युद्ध हुआ था | गांजर की लड़ाई | सुनिए लोगो की जुबानी गंजरिया फार्म

उत्तर प्रदेश लोक सेवा प्रयागराज द्वारा आज घोषित उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा सिविल जज परीक्षा 2022 में 230 रैंक से अमन दीप ...
31/08/2023

उत्तर प्रदेश लोक सेवा प्रयागराज द्वारा आज घोषित उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा सिविल जज परीक्षा 2022 में 230 रैंक से अमन दीप ( पासी ) भाई को जज बनने पर ढेर सारी बधाई व शुभकामनाएं 🎉🎉🎉🎉

 #राणा  #बेनी  #माधव  #सिंह  #की  #जयंती  #पर  #शत  #शत  #नमन राणा बेनी माधव सिंह बैसवारा के शक्तिशाली राजा थे, जो एक( ब...
24/08/2023

#राणा #बेनी #माधव #सिंह #की #जयंती #पर #शत #शत #नमन

राणा बेनी माधव सिंह बैसवारा के शक्तिशाली राजा थे, जो एक( बैस राजपूत) थे । जिनका सेनापति महाबली वीरा पासी था ,जानने के लिए पूरा वीडियो The Pasi Landlords you tube channel पर देख सकते है

रोचक किस्सा ये है राणा बेनी माधव सिंह को अंग्रेज पकड़ कर जेल में बंद कर दिया था ,, राजमाता बड़ी चिंतित थी तब राजमाता ने भरी सभा में एलान किया और बीड़ा रखाया और कहा
"कोई है ऐसा दिलेर जो राणा को जेल से छुड़ा सके"
काफी देर बीतने के बाद कोई टस से मस नहीं हुआ मानो हवा ठहर गई हो ,,,, लोगो की सांसे तो सुनाई दे रही थी पर किसी की हां की आवाज़ सुनाई तो क्या किसी के गले से ऊपर नही निकली ।

बड़ी देर बाद भीड़ से शिवदीन पासी नाम का बलिष्ठ नौजवान बाहर आया और उसने बीड़ा उठाया और कहा की मैं छुड़ा के लाऊंगा

वह जेल पहुंच गया और रात को जेल में हर घंटे पर एक बड़ा घंटा बजता था ,, जैसे ही वह घंटा बजता शिवदीन तुरन्त दीवार में कील ठोक देता ताकी कील की आवाज़ किसी को सुनाई ना दे लगभग 4 घण्टे बाद शिवदीन पासी जेल की दीवार फांद कर अन्दर गया और राणा को अपना परिचय दिया तुरन्त चलने को कहा,राणा तुरन्त समझ गए और दीवार फांद कर बाहर आ गए जहां उनके लिए घोड़ा पहले से तैयार था , दोनो अपने अपने घोड़े पर बैठ सरर्र से किले वापस आ गए शिवदीन की बहादुरी देखकर राणा ने उन्हें अपना सेनापति बना लिया उसकी चर्चा चारों तरफ फैल गईं

।। चूंकि शिवदीन पासी ने बीड़ा उठाया था वीरता दिखाई लोग आगे चलकर उसे शिवदीन को ही वीरा पासी के नाम से पुकारने लगे । वह राणा का सेनापति बन सदा राणा के साथ रहता था ।।

राणा बेनी माधव सिंह का संक्षिप्त इतिहास
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उन्नीसवी शताब्दी में अवध के शासक जो दिल्ली के मुग़ल बादशाहों के प्रतिनिधि थे और नवाब कहलाते थे उन्होंने दिल्ली दरबार की कमजोरी का लाभ उठाकर स्वयं को अवध का स्वतंत्र बादशाह घोषित किया और ‘शाह’ की उपाधि धारण की I अवध की राजधानी नवाब आस्फुद्दौलाह के समय में ही फ़ैजाबाद से स्थान्तरित होकर लखनऊ आ चुकी थी I अवध की बादशाहत कबूल करने वाले पहले नवाब गाजीउद्दीन हैदर थे, जिन्होंने शाहे अवध के रूप में 1819 से 1827 तक शासन किया I अवध के आख़री बादशाह वाजिद अली शाह (1847-1856) थे I चूंकि वाजिदअली शाह नवाब भी कहे जाते है इसलिए कुछ लोगो ने उनकी बादशाहत पर प्रश्न चिह्न भी खड़े किये हैं, पर इतिहास ने उसे स्वीकार नही किया I वाजिद अली शाह के समय रायबरेली जनपद के विख्यात शंकरपुर गढ़ के सामंत राना बेनीमाधव थे I राना को शंकरपुर गढ़ की तालुकेदारी अपने चाचा राजा शिवप्रसाद सिंह से प्राप्त हुयी I शिवप्रसाद सिंह की दो संतानें थी – एक पुत्री और दूसरा पुत्र फ़तेह बहादुर I फ़तेह बहादुर की अल्पायु में ही मृत्यु हो गयी I परिणामस्वरुप राजा शिवप्रसाद को उत्तराधिकारी हेतु अपने भतीजो पर विचार करना पड़ा I राजा साहेब के दो छोटे भाई थे –राम नारायन और शिवगोपाल सिंह I शिवगोपाल सिंह संभवतः निःसंतान थे, किन्तु राम नारायन के तीन पुत्र थे – बेनीमाधव, नरपति सिंह और जोगराज सिंह I इनमे बेनीमाधव सबसे बड़े और प्रतिभाशाली थे I तीर, तलवार और भाला चलाने में वे बेजोड़ थे I दंगल और अखाड़े में भी वे सबसे आगे थे I अश्व-संचालन की उनकी प्रतिभा अद्वतीय थी I उनके इन्ही गुणों पर रीझ कर राजा शिवप्रसाद ने उन्हें गोद लेकर अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया I कालान्तर में तालुकेदारी की कमान हाथ में आते ही बेनीमाधव ने अपनी भू-संपत्ति का विस्तार तो किया ही एक अच्छी खासी सेना भी संगठित कर ली I
राणा बेनी माधव सिंह बैसवारा के राजा थे जिन्होंने अंग्रजो को लोहे चने चबवा दिए ,राणा जी बैस राजपूत थे

लख्ननऊ मे क्रांति का सूत्रपात 30 मई 1857 की रात को हुआ I उस समय बेनीमाधव 15000 सैनिको और सहयोगी तालुकेदारों के साथ वहां उपस्थित थे I बेलीगारद, रेजीडेंसी और आलमबाग़ के युद्ध में राना की महत्वपूर्ण भूमिका रही I बेगम हजरतमहल ने इन युद्धों में राना के अद्वतीय पराक्रम से प्रभावित होकर उन्हे ‘दिलेरजंग’ का ख़िताब अत़ा फरमाया I

क्रांतिकारियों के अभूतपूर्व पराक्रम से कुछ दिनों के लिए लखनऊ पर बेगम का आधिपत्य हुआ I लखनऊ को यह अस्थायी आजादी दिलाने में राना बेनीमाधव की अहम भूमिका थी जिसके लिए बेगम ने राना को ‘खिलअत ‘ भी भेंट की थी I इस आजादी का लाभ उठाकर बेगम हजरतमहल ने राना की सहायता से 5 जूलाई 1857 को अपने 12 वर्षीय बेटे की ताजपोशी नवाब-ए- अवध के रूप में की
उन्नाव के बैसवारा ताल्लुक के राजा राना बेनी माधव सिंह ने रायबरेली के एक बड़े हिस्से में अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ क्रांति की मशाल जलाई थी। अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले राजा बेनी माधव रायबरेली जिले के लिए महानायक बने। सन् 1857 क्रंाति के दौरान जनपद रायबरेली में बेनी माधव ने 18 महीने तक जिले को अंग्रेजों से स्वतंत्र कराया था।

राणा बेनी माधव सिंह की यशोगाथा जानने के लिए वीडियो पूरा the Pasi Landlord चैनल पर जाकर देख सकते है

और साथ सेनापति वीरा पासी की विडीओ भी देखना न भूले ।

राणा बेनी माधव सिंह की जयंती पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं

The Pasi Landlords 📯
( कुंवर प्रताप रावत )

15 अगस्त के शुभ अवसर पर आप सभी लोगो को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं , देश पर न्यौछावर उन सभी वीर वीरांगनाओं को ...
15/08/2023

15 अगस्त के शुभ अवसर पर आप सभी लोगो को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं , देश पर न्यौछावर उन सभी वीर वीरांगनाओं को श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं

आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

शायद पहली बार ऐसा हुआ है की अकादमिक स्तर पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला - "अरबनायसिंग लखनऊ" जो लखनऊ के इतिहास, संस...
20/07/2023

शायद पहली बार ऐसा हुआ है की अकादमिक स्तर पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला - "अरबनायसिंग लखनऊ" जो लखनऊ के इतिहास, संस्कृति और विकास पर है - एवं " लखनऊ के पासी जाति के इतिहास " गिरी इंस्टिट्यूट ऑफ़ डेवलपमेंट स्टडीज, अलीगंज में संपन्न हुआ ।
इसके मुख्य निमंत्रक सुक्रिती शुक्ला जो टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज, मुंबई की स्कॉलर है
अपने पीएचडी के विषय को विस्तार करके आयोजित करने का एक सफल प्रयास किया है.
प्रोफ़ेसर वीणा तलवार ओल्डेनबर्ग (यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यूयोर्क) और प्रोफ़ेसर कजरी जैन (यूनिवर्सिटी ऑफ़ टोरंटो) अपने शोधप्रबंध लखनऊ के लोगो के सामने प्रस्तुत की है .
पहले दिन वीणाजी ने अपने भाषण में लखनऊ के तीन महत्वपूर्ण घटनाओ के बारे में बात किया और प्रोफ़ेसर परमोद कुमार जो गिरी इंस्टिट्यूट ऑफ़ डेवलपमेंट स्टडीज के डायरेक्टर है उन्होंने लखनऊ और अपने इंस्टिट्यूट का सबंध बताया. प्रोफ़ेस विभूति राय और और प्रोफ़ेसर रितु गुलाटी ने लखनऊ के भूविज्ञान और वास्तुकला में प्रकाश डालते हुए विद्यार्थी श्रोताओ को संतुष्ट किया।
इस कार्यक्रम में लखनऊ के मूल निवासियों के इतिहास पर भी एक सत्र हुआ. आमतौर पर यह विषय इस तरह के अकादमिक कार्यक्रमों में शामिल नहीं होता और एक शब्द भी लखनऊ के मूलनिवासियो के बारे नहीं बोला जाता. पर वहा यूटूबर हिस्टोरियन कुंवर रावत को स्थान मिला और एफ्लु के प्रोफ़ेसर श्याम बाबू ने उस सत्र को चेयर किया. १०० श्रोताओ से भरा हुआ हॉल तारीफ करते नहीं रुक रहा था
जब उन्होंने पासी जाति जो लखनऊ और अवध की मूलनिवासी है - उनके बारे में जाना. प्रोफ़ेसर श्याम बाबू ने यहाँ तक कहा की उनके लिए और उनके जैसे कितनो के लिए ये अनुभव आँख खोलने वाला रहा.

Copy post 📯 = sukirti Shukla, Tata institute of social sciences Mumbai scholar


मैं बहुत बहुत थैंक्स बोलूंगा sukurti shukla जी को & उनकी टीम सदस्य Shiva Thorat को जिन्होने मुंबई से बाहर आकर एक बड़े स्तर पर पासी जाति के इतिहास पर चर्चा और इंटरेस्ट दिखाया साथ ही मुझे बतौर as a speekar के रूप में आमंत्रित किया मैं उनको तहे दिल से धन्यवाद देता हूं ।

Kunwar Pratap Rawat
( The Pasi Landlords )

16/07/2023

डाकू बरसाती पासी की कहानी 100 साल के रिटायर्ड कानून-गो की जुबानी | History of daku Barsati Pasi

16/07/2023

नाम रोशन कर दिया भाई ने ❤️📯

बैंकॉक में चल रहे 25वे एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में इलाहाबाद ( सोरांव) के रहने वाले अजय कुमार सरोज ( पासी ) ने पुरुषों...
15/07/2023

बैंकॉक में चल रहे 25वे एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में इलाहाबाद ( सोरांव) के रहने वाले अजय कुमार सरोज ( पासी ) ने पुरुषों की 1500 मीटर दौड़ में देश के लिए स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। जोकि देश के लिए गर्व का विषय हैं।
बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएं..😊





Copy जन जागरण

09/07/2023

Part -3 , यहां सिक्के भी मिलते है भीखम टीला ,सुल्तानपुर jurra patti की हकीकत जानिए इरफ़ान से

06/07/2023

part -2 भीखम टीला jurra patti कि कहानी सुनिए वहां मुस्लिम बुर्जुग के द्वारा

03/07/2023
03/07/2023

4 पुरानी वीडियो राजपासी राजा कंस कंसमंडी

02/07/2023

Part-1 भीखम टीला jurra patti की कहानी निहारिए वहां के अवशेषों को, अलाउद्दीन ख़िलजी यहां रुका था

बेगम की rebal army जिसने चिनहट के युद्ध में भयंकर युद्ध किया और विजय हासिल की , mutiny में यह साफ लिखा है की बेगम की reb...
30/06/2023

बेगम की rebal army जिसने चिनहट के युद्ध में भयंकर युद्ध किया और विजय हासिल की , mutiny में यह साफ लिखा है की बेगम की rebal army में पासी असंख्य संख्या में थे
और उसी चिनहट के युद्ध में माता उदा देवी पासी के पति मक्का पासी कुकुरेल पुल पर अद्भुत शौर्य दिखाया जिन्होंने अंग्रेज़ी तोपो को कंधे से उठाकर नाले में पलट दी , कहते है वही वीरगति हुए ।

उदा देवी पासी बेगम हजरत महल की महिला दस्ते की सेना नायिका थी , और सिकंदर बाग की लड़ाई में 32 अंग्रेजो को मौत के घाट उतार दिया अदम्य साहस का परिचय दिया , कुछ के अनुसार 36 को मारा था ,, पर रिकॉर्ड में 32 ही है ,, जो भी हो वो ऐसी वीरांगना थी जिन्होंने अंग्रेजो के रूह कांपा दी थी ,,

जिनकी मूर्ती सिकंदर बाग में 30 जून 1973 को स्थापित किया गया था,, तभी से उनके सम्मान में 30 जून को वीरांगना उदा देवी जी का जन्मदिन मनाते हुए पूरा समाज चला आ रहा है ,,,।

इस साल 30 जून 2023 को माता उदा देवी पासी जयंती लखनऊ में बड़ी धूम धाम से पिपरी खेड़ा पासी चौराहा वृंदावन में मनाया जायेगा ।

The Pasi Landlords

27/06/2023

राजा बेल्हा पासी का इतिहास प्रतापगढ़ का पुराना नाम बेला था 100 साल के बुर्जुग से सुनिए part - 2

अंग्रेजो ने कई जातियों की परंपराएं अवध भर में घूम घूम कर अपनी किताबो में दर्ज की है यहां तक कि कुर्मी भी कहते है की वो र...
26/06/2023

अंग्रेजो ने कई जातियों की परंपराएं अवध भर में घूम घूम कर अपनी किताबो में दर्ज की है

यहां तक कि कुर्मी भी कहते है की वो राजा थे उनका इतिहास था ,
रैकवार ठाकुर भी कहते थे की वो राज किए है
बैस राजपूत भी कहते है की वो राज किए..
बिसेन राजपूत भी कहते की राज किए..
यहां तक कि कुछ जगहों पर ( लोधी obc ) स्वीकार किए है की कुछ जगह पर उनकी स्टेट रही

और तो और पासी जाति के लोगो ने बार बार कहा की हमने यहां राज किया है यहां हमारी जागीर थी

पर भइया वह राजभर या बनौटा भर लोग जो अंग्रेजो को मिले थे उनको पता ही नही था की वो राजा थे
ये कैसे संभव है ? उनका इतिहास उनको ही नही पता हो

जैसे लोनिया अब चौहान लगाता है और खुद को पृथ्वीराज चौहान से जोड़ने लगता है

उनको इतिहास पता चला लगभग 1930 के बाद क्षत्रिय बनो आंदोलन में जो हिन्दू महासभा और आर्य समाजियों द्वारा संचालित होती थी

जैसे ( अखिल भारतीय राजभर क्षत्रिय महासभा ) 😁

क्योंकि उस समय कई जातियों का संस्कृतिकरण किया जा रहा था वेदों और गजेटियर की मदद से उनके इतिहास को गढ़ा जा रहा था और पुस्तके छपवा कर बांटी जा रही थी
ये बात सामाजिक वैज्ञानिक अच्छे से ये जानते है 😁

कम से कम 20 से ज्यादा जातियाँ तो आज़ादी के बाद पैदा हुई सर्वे से हुआ था खुलासा 🙃

इसलिए ( tradition परंपराओ ) को पढ़िए जो 1880 से पहले लिखे गए है सब पता चल जायेगा

Bhars say's भरो ने कहा
People say's लोगो ने कहा
Pasi say's पासियो ने कहा
में बड़ा फर्क है

अंग्रेज लिखते हुए आश्चर्य प्रकट करते है
"अवध में भर बड़े प्रसिद्ध थे पर आज के जो भर है उनको कुछ भी नहीं पता की उन्होंने कभी राज किया है ,पूछने पर भर से संबंधित कोई विवरण नही दे पाते, जबकि उलट पासियो ने खुलकर स्वीकार किया की उनके पूर्वजों ने यहां राज किया है और यह भी कहा है जो प्राचीन भर थे वही है "

यहां तक कि पासियो ने ही कहा की राजा त्रिलोकचंद पासी थे जबकि कही भी किसी जगह किसी राजभर समुदाय या बनौटा भर समुदाय ने ये तक नहीं कहा की राजा त्रिलोकचंद राजभर थे

बयान पासी से लिया जाता था और अंग्रेज लिखता भर है और आज के राजभर अपने को गजेटियर वाले भर से जोड़कर देखता है 😁🤣

गजेटियर में जो भर से संबंधित कहानी है वह या तो मुसलमानों ने दी है या राजपुतो ने या खुद पासियो ने बतलाई है
उस समय के राजभर प्राचीन इतिहास से अनभिज्ञ थे उनको कुछ पता ही नहीं था....पर पासियो को पता था

अब उनको इस लिए पता चल रहा है की उन्होंने गजेटियर पढ़कर अपना इतिहास रचा हैं

बनौटा इतिहास किंग 👑


सौजन्य से :- ( The Pasi Landlords )
कुँवर प्रताप रावत

25/06/2023

दादा जी की कहानी की सत्यता को जानने के लिए हम लोग गोंडे गांव पहुंचे तो पता चला शीतला प्रसाद जी के पूर्वजों में कोई कालिदीन था और इनका खानदानी संबंध समाहुता देवलपुर के पासियो से है!
जब हम लोग भीखम टीले पर बसने वाले मुस्लिम समाज के लोगो से मिले तो उन्हों ने अपने आप को मीरानपुर में रहने वाले लोगो के वंश होने की बात की
इसी टीले पर बसने वाले सब से बुजुर्ग व्यक्ति ने यह स्वविकार भी किया की यह टीला पासियो की जाति भरो का था।
उक्त बातें सत्यता की ओर ले जाती है लेकिन मुझे लगता की इस से संबंधित अभी और शोध की आवश्यकता है

उक्त के अतिरिक्त जब आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने जब अंग्रेजो के समय में इसका सर्वे किया तो , Furiher की आर्कोलॉजिकल रिपोर्ट संदेह पूर्ण रूप से कुछ और कहती है इसी को आधार मान कर लैंड रेवेन्यू सेटलमेंट रिपोर्ट्स गैजेटियर आदि में इसी को कन्फर्म कर दिया गया है

इस वीडियो को देखने वाले लोग जुरापट्टी मीरानपुर गोंडे समहूता और देवलपुर के पासी बंधु या लाला राज बहादुर लाला कायस्थ के वंशज यदि टीले से संबंधित आपकी वंश परंपरा में स्मृति शेष हो तो कमेंट अवश्य करे हम और हमारी इतिहास शोध टीम आप के द्वारा दी गई बहुमूल्य जानकारी जांच के उपरांत वीडियो की जानकारी में सुधार कर के दबे इतिहास को बाहर लाएंगे।



मेरा प्रतापगढ़ जाना हुआ वहां मेरे आदरणीय जय सिंह नीरज जी सारथी बने कई जगह घुमाए और पासियो के इतिहास की कड़ियां जो रहस्य ...
23/06/2023

मेरा प्रतापगढ़ जाना हुआ वहां मेरे आदरणीय जय सिंह नीरज जी सारथी बने कई जगह घुमाए और पासियो के इतिहास की कड़ियां जो रहस्य में उलझी हुई थी वह धीर धीरे सुलझती जा रही है

जय सिंह नीरज जी के पिता जी के बड़े भाई राम सेवक पासी जिनकी उम्र 100 साल हो गई इस उम्र में अपने जीवन के कई किस्से अनुभवों को हमसे साझा किया जिससे रिकॉर्ड कर लिया गया है आप सभी को उससे रूबरू करवाएंगे

बेल्हा पासी , भीखम पासी की वीरता उनका युद्ध वर्णन जो उन्होंने अपने आजा बाबा से सुनी और जीवन के बढ़ते पड़ाव में कायस्थों से सुनी आज भी उनकी यादाश्तो में बसी हुई है
बाकी बरसाती डाकू से तो अपने जीवन में कई बार वास्ता पड़ा कैसे मदद की कैसे आदमी थे बरसाती पासी ...? कई चीजे मिलकर मालूम पड़ी ।
अब आपको पता चलेगी जानकारी के इस पड़ाव में आप और हम एकसाथी बने हमराही बने

The Pasi Landlords 📯 एक खोजी दस्ता आपके खोए हुए इतिहास को आपके समक्ष ला प्रस्तुत करेगा

The Pasi Landlords
( कुंवर प्रताप रावत )

जय वीर पासी समाज

22/06/2023

बरासराय में महाराजा सुहेलदेव पासी का बोर्ड समाज के लोगो द्वारा लगाया गया 10 जून विजय दिवस

अखिल भारतीय पासी समाज प्रतापगढ को बहुत बहुत धन्यवाद

21/06/2023

सोमवंशी राजपूतों का उत्थान और हंडौर के पासी राजा का वध | पंचों सिद्धि | बलबन | सोमवंशी | पासी

18/06/2023

700 साल पहले हंडौर कभी पासियो की राजधानी रही | अब कैसा दिखता है handaur | History of Pratapgarh

बरासराय आर्थत  " भर सराय " सराय का अर्थ  ठिकाना से है ( अर्थ निकलता भरो का ठिकाना ) पासियो का पुराना नाम भर है  by- जय स...
17/06/2023

बरासराय आर्थत " भर सराय " सराय का अर्थ ठिकाना से है ( अर्थ निकलता भरो का ठिकाना ) पासियो का पुराना नाम भर है by- जय सिंह नीरज, प्रतापगढ़ ।

13 वी 14 वी सदी में बेलागढ़ आधुनिक प्रतापगढ़ में भरो और मुस्लिम एवं राजपूत के मध्य बड़े कड़े संघर्ष चल रहे थे और संघर्ष अकबर के समय तक भी चला ।

नतीजा भरो का पतन हुआ बचे कुचे भर दूर दराज आसपास के जंगलों में आश्रय लिया जहां रुके वह भर नाम से जगहें जानी गई । जैसे भर सराय, भरवारी, भरखनी आदि जैसा की अंग्रेज इतिहासकार यह पता लगाते है मध्यकाल के भरो के नाम में बड़ा परिवर्तन हुआ " भा " शब्द बिगड़ " ब " हो गया

जगहों के नाम भी " भा - ब " में परिवर्तित हुए
" भा " शब्द " बा " शब्द
भाराछा बराछा
भरा सराय बरासराय
भरोली बरोली
भारघाट बारघाट ।

अउवार
लाउबार
बारडीह
गड़वारा
जेठवारा आदि जैसे अवध क्षेत्र के अगिनत स्थान
मेरे व्यक्तिगत फील्ड सर्वे एवं वंशावली तथा व्यक्तिगत वंश परंपरा का अध्ययन इस तथ्य को पुख्ता करता है !

और इन जगहों पर पासियो की आबादी है अंग्रेजो ने फील्ड सर्वे में पाया की पासियो का कहना है की वो पहले भर नाम से जानें जाते थे और पासियो ने भर नाम को अपने उपजाति में गिनाई जो सबसे बड़ा साक्ष्य है

अखिल भारतीय पासी समाज प्रतापगढ़ द्वारा लगाया गया महाराजा सुहेलदेव पासी जी का बोर्ड उनके कार्य के लिए बहुत बहुत साधुवाद और धन्यवाद ।

The Pasi Landlords

रुदौली छेत्र में मवई ढाल से ऊपर लगा है       "महाराजा बिजली पासी का स्मृति द्वार"  वर्तमान विधायक रामचंद्र यादव जी को धन...
15/06/2023

रुदौली छेत्र में मवई ढाल से ऊपर लगा है
"महाराजा बिजली पासी का स्मृति द्वार" वर्तमान विधायक रामचंद्र यादव जी को धन्यवाद

मवई वही स्थान है जहां अकबर के सेनापतियो और पासियो के मध्य भयंकर युद्ध हुआ था नीचे बहती नदी कल्याणी के किनारे बड़े ही खूबसूरत दिखते है

अंग्रेजो ने 1910 के आसपास अपनी रिपोर्ट में यह कहकर जिक्र किया मवई और रामसनेही घाट के पासी बड़े ही खतरनाक है जो लगातार परेशान करते रहते है ,,

शायद इसीलिए उसी समय थाना मवई आबाद किया गया हो !

Post by the Pasi Landlords
( कुंवर प्रताप रावत )

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