05/06/2014
विश्व पर्यावरण दिवस(05-06-2014)
पर्यावरण संरक्षण तथा इसे पहुंच रहे खतरों के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर वर्ष 5 जून के दिन को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है।गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों से वर्षा की मात्रा में कहीं अत्यधिक कमी तो कहीं जरूरत से बहुत अधिक वर्षा जिससे कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा पड़ रहा है, समुद्र का बढ़ता जलस्तर, मौसम के मिजाज में लगातार परिवर्तन, पृथ्वी का तापमान बढ़ते जाना जैसे भयावह लक्षण लगातार नजर आ रहे हैं।
मौसम का बिगड़ता मिजाज मानव जाति, जीव-जंतुओं तथा पेड़-पौधों के लिए तो बहुत खतरनाक है ही, साथ ही पर्यावरण संतुलन के लिए भी गंभीर खतरा है। मौसम एवं पर्यावरण विशेषज्ञ विकराल रूप धारण करती इस समस्या के लिए औद्योगिकीकरण, बढ़ती आबादी, घटते वनक्षेत्र, वाहनों के बढ़ते कारवां तथा तेजी से बदलती जीवन शैली को खासतौर से जिम्मेदार मानते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले 10 हजार वर्षों में भी पृथ्वी पर जलवायु में इतना बदलाव और तापमान में इतनी बढ़ौतरी नहीं देखी गई, जितनी पिछले कुछ ही वर्षों में देखी गई है।कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, मीथेन पर्यावरण असंतुलन के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं।लेकिन किसी कानून को बना देने से लोगों में पर्वावरण के लिए कोई खास जागरुकता नहीं फैली है. आज भी लोग बड़ी मात्रा में लगातार प्राकृतिक संसाधनों का हनन करते हैं. पर्यावरण संरक्षण के लिए लोग डींगें तो हांकते हैं लेकिन कोई भी जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं करता. विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर कई लोग घर में गमला लगाकर या पौधे लगाकर अपना कर्तव्य पूरा मानकर खुशफहमी में जीने लगते हैं और बाकि दिन रेड लाइट पर घंटों गाड़ी खड़ी करके पेट्रोल बर्बाद कर देते हैं. यह पर्यावरण संरक्षण नहीं है.
लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हम व्यक्तिगत स्तर पर कुछ नहीं कर सकते. अगर हर इंसान अपने जन्मदिन या किसी खास मौके पर पेड़ लगाए, दोस्तों को पेड़-पौधे गिफ्ट करे, पानी बर्बाद ना करने का प्रण करे, बिजली की बर्बादी को रोके तो हो सकता है कुछ बदले. आखिर किसी को तो शुरुआत करनी होगी. अगर एक परिवार का बड़ा सदस्य पर्यावरण संरक्षण की तरफ ध्यान दे तो उसके बच्चे भी पर्यावरण की तरफ बड़े उदार होंगे.