22/01/2020
आखिर क्यों ,मनोहर सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है ?
विज के साथ सीएम का शीत युद्ध जारी, महम विधायक बलराज कुंडू भी लगातार सरकार पर जड़ रहे आरोप
इस बार आखिर ऐसा हुआ क्या कि सीएम इतने लाचार से साबित हो रहे हैं।
दा न्यूज इनसाइडर .चंडीगढ़
दूसरे कार्यकाल में सीएम मनोहर लाल की मुश्किल लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसा उनके साथ क्यों हो रहा है। गृह मंत्री अनिल विज जहां लगातार एक के बाद एक बयान दाग कर सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर रहे हैं। दूसरी ओर महम के विधायक बलराज कुंडू भी लगातार मुखर है। दोनों ही मामलों में निपटने में सीएम मनोहर लाल खुद को असहाय मान रहे हैं। हालात यह है कि सीएम न तो विज को चुप करा पा रहे हैं न कुंडू को। यदि मनोहर लाल का पहला कार्यकाल देखे तो हम पाएंगे कि सरकार में उनकी चलती थी। उनका एक एक शब्द न सिर्फ कार्यकर्ता बल्कि विधायक और मंत्री भी मानते थे। इस बार आखिर ऐसा हुआ क्या कि सीएम इतने लाचार से साबित हो रहे हैं। प्रदेश में दस लोकसभा सीट जीतने के बाद बीजेपी विधानसभा चुनाव में बहुमत से चुक गयी। इस स्थिति के लिए पार्टी के कई नेता मनोहर लाल की नीतियों व कार्यप्रणाली का जिम्मेदार मान रहे हैं। क्यों मनोहर के लिए विपरीत बन रहे हालात...।
विज मनोहर विवाद क्या रंग लेगा
बीच गृह मंत्री अनिल विज ने सीआईडी प्रमुख अनिल राव को चार्जशीट करने के आदेश जारी कर दिए। उन्हें पता है यह आदेश माने नहीं जाएंगे। फिर भी उन्होंने यह आदेश जारी कर दिए। हुआ भी वही, स्टोरी लिखा जाने तक विज के आदेश माने भी नहीं गए थे। फिर भी विज ने न सिर्फ आदेश दिए, बल्कि सीएम को पत्र भी लिख दिया। यह पत्र उन्होंने मीडिया में लीक भी कर दिया। इस तरह से बिना कुछ किए वह प्रदेश में खासी चर्चा बटोर गए। विज अपनी छवि आक्रमक नेता के तौर पर बनाना चाह रहे हैं। लेकिन दिक्कत यह है कि उन्हें सीएम खुल कर खेलने का मौका नहीं दे रहे हैं।
तो क्या सीएम पद से मनोहर लाल की छुट्टी हो सकती है
ऐसा अभी होता नजर तो नहीं आ रहा है। हालांकि यह बात सही है कि सीएम की जानकारी के बिना ही विज को गृह मंत्रालय दिया गया है। यह भी सही है कि विज को इस बार मुखर होने की थोड़ी छूट केंद्रीय आलाकमान की ओर से दी गयी है। लेकिन केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि सीएम मनोहर लाल की साफ्ट छवि आैर विज के मुखर तेवर में ऐसा तालमेल बन जाए कि सरकार हर क्षेत्र में प्रभावी नजर आए। लेकिन फिलहाल केंद्र का यह प्रयोग फ्लाप होता नजर आ रहा है। ऐसे में कुछ सियासी हलको में यह चर्चा आम हो रही है कि क्या मनोहर लाल को सीएम पद से हटाया जा सकता है। लेकिन इसकी संभावना अभी खासी कम नजर आ रही है। एक तो यह है कि अभी मनोहर लाल का कोई विकल्प प्रदेश में नहीं है। दूसरी वजह यह है कि जिस तरह से विज आक्रामक है, उन्हें भी सीएम पद पर बिठाने का जोखिम भाजपा शायद ही लें। ऐसे में अभी कुछ समय तक मनोहर लाल ही सीएम के पद पर रह सकते हैं। लेकिन यह भी तय है कि यदि उनका विरोध इसी तरह से बढ़ता रहा तो आने वाला समय उनके लिए खासा मुश्किल भरा हो सकता है। क्योंकि
वर्कर की बेकद्री हुई
इस सरकार में सबसे ज्यादा बेकद्री इसके वर्कर की हो रही है। कई ऐसे मौके आए, जब वर्कर इस बात का रोना रोते नजर आए कि उनकी बात को सुना ही नहीं जा रहा है। इसके लिए ज्यादातर नेता सीएम को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। सीएम कई मौकों पर वर्कर की अनदेखी कर चुके हैं। विधानसभा चुनाव से पहले भी सीएम सार्वजनिक तौर पर वर्कर की बेइज्जती कर गए। इससे पार्टी का एक बड़ा तबका निष्क्रिय हो गया। इन हालात में अब भी बदलाव होता नजर नहीं आ रहा है। अभी भी वर्कर की ज्यादा नहीं सुनी जा रही है।
न घोटाले थमे न भ्रष्टाचार
कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने में एक बड़ी भूमिका घोटाले और भ्रष्टाचार की रही है। लेकिन इस सरकार में भी यह कम नहीं हो रहे हैं। मनोहर के दूसरे कार्यकाल में धान घोटाला हुआ। जिससे आम किसान को आर्थिक तौर पर दिक्कत का सामना करना पड़ा। विधानसभा तक में यह मामला उठा। इसके बाद भी सरकार इस घोटाले की तह तक नहीं पहुंच पायी। ऐसे में एक बड़ा वोटर्स तबका यह मान कर चल रहा है कि सरकार जानबूझ कर घान घोटालेबाजों तक पहुंचना नहीं चाह रही है। इसलिए बार बार फिजिकल वैरिफिकेशन कराने के बाद भी इस दिशा में कुछ नहीं हुआ। इससे सरकार की छवि भ्रष्टाचार को लेकर आम आदमी के मन में कुछ कम हुई है। इसी तरह से भ्रष्टाचार भी बढ़ रहा है। आम आदमी इससे बेहद त्रस्त है।
विपक्ष तो चुप है फिर दिक्कत क्या?
कांग्रेस के पास वर्कर नहीं है। नेता है, जो ग्राउंड में उतरना नहीं चाह रहे हैं। क्योंकि पता है अभी विधानसभा चुनाव दूर है। एक आध नेता के छोटे छोटे बयान को यदि छोड़ दिया जाए तो प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस फिलहाल मौन ही नजर आ रही है। कांग्रेस की नीति रही है कि जनता को परेशान होने दो। तभी वह सरकार से विमुख होकर उन्हें वोट देगी। इसी थ्यूरी पर अभी भी कांग्रेस चल रही है। जहां तक इनेलो की बात है, वह अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। जेजेपी सरकार के साथ है। ऐसे में आवाज उठाने वाला बचा ही कौन?
विज ही क्यों बोल रहे हैं
इसलिए क्योंकि कुछ मंत्री स्थिति बदलना चाह रहे हैं। उन्हें पता है कि मतदाता तेजी से भाजपा से छिटक रहा है। दूसरे कार्यकाल में पिछले कार्यकाल की तुलना में सरकार की लोकप्रियता तेजी से कम हो रही है। विज समेत कुछ मंत्रियों को चिंता यह है कि यदि इसी तरह से चलता रहा तो आने वाल समय खासा दिक्क्तों वाला हो सकता है। इसलिए वह बोल रहे हैं। हालांकि ज्यादातर मंत्री अभी भी सीएम के खिलाफ बोलने से बच रहे हैं। लेकिन वह कहीं न कहीं यह तो मान कर चल रहे हैं कि वह खुलकर काम नहीं कर पा रहे हैं। गृह मंत्री अनिल विज के तेवर उन्हें भी कहीं न कहीं अच्छे लग रहे हैं।
रहस्मयमी है हारे हुए मंत्रियों की चुप्पी
मनोहर अकेले ही मुश्किल हालात में हैं। हारे हुए मंत्री भी उनके बारे में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। इसमें से ज्यादातर मंत्री अपनी हार की वजह भी सीएम की कार्यप्रणाली को ही मान कर चल रहे हैं। इसलिए वह विज के बयान से सहमत होते नजर आते हैं। यह अलग बात है कि इस पर वह खुल कर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। मनोहर के लिए दूसरी दिक्कत यह है कि उनके पास अपने विधायकों व मंत्रियों की टीम नहीं है। जो उनके लिए ढाल का काम कर सके। सीएम अपने विधायकों व मंत्रियों की बजाय अधिकारियों पर ज्यादा यकीन करते हैं। इसलिए भी उनके प्रति नाराजगी बढ़ रही है।