25/09/2022
#आरक्षण* बहुत सही गणित है ,जरा ध्यान दे हमारे गणित पर ।
माना कि 100 व्यक्ति हैं।
और इन 100 व्यक्तियों कोे खाने के लिए 100 रोटियां हैं।
वर्तमान में पिछड़ी जाति *OBC* के *60* व्यक्तियों को खाने के लिए *27* रोटियों की व्यवस्था है।
इसी तरह अनुसूचित जाति *SC* व जनजाति *ST* के *25* व्यक्तियों के एक समूह के लिए *22.5* रोटियों की व्यवस्था है।
अब सामान्य वर्ग के तकरीबन *15 आदमियों* के लिए *50* रोटियां शेष बचती हैं।
पर समस्या ये है कि सामान्य वर्ग *GENERAL* के *15* आदमियों में से *3% ब्राम्हण* जाति के आदमी बेहद *शक्तिशाली* हैं जो शेष बची *50 रोटियों* में से लगभग *45 रोटियां* खा जा रहे हैं।
अब समस्या ये है कि *सामान्य वर्ग के 12* आदमियों के लिए मुश्किल से सिर्फ *5 रोटियां* ही मिल पा रहीं है।
इसी कारण सामान्य जाति के जाट, मराठा, लिंगायत, पटेल या पाटीदार अपने लिए *OBC* की *27 रोटियों* में हिस्सेदारी मांग रहे हैं।
अब समस्या ये है कि *ओबीसी के 60* लोग वैसे ही सिर्फ *27 रोटियों* पर गुजारा करके अपनी जिंदगी चला रहे हैं ऐसे में वो जाट, मराठा और लिंगायत में अपने हिस्से की *27 रोटियां* बांटने को हरगिज तैयार नही हैं।
इस *समस्या* का एक ही *समाधान* है कि कोर्ट द्वारा निर्धारित की गई *50% आरक्षण* की सीमा रेखा को लांघा जाऐ और जाट, मराठा, और लिंगायत के साथ साथ सभी जातियों को उनकी संख्या के अनुपात में शिक्षा & नौकरियों में आरक्षण दिया जाऐ।
अब *60 लोगों* के हिस्से की *27 रोटियों* पर *झपट्टा मारने* से बात नही बनेगी ।
जरूरत इस बात की है कि सारी पिछड़ी जाति *OBC* के लोग *और शाक्य, जाट, गूजर , अहीर , यादव , गडरिया , सुनार, लोहार , कुम्हार , कश्यप , निसाद , कुशवाहा , सैनी माली , मराठा, लिंगायत, पटेल आदि एक मंच पर आऐं* और *उन 3% ब्राम्हण* लोगों से अपना हिस्सा छीने जो सिर्फ 3% होकर 45 रोटियां तोड़े जा रहे हैं।
अगर ये *ब्राह्मण* जाति के *3* लोग *सिर्फ 3 रोटी* खाकर जीना सीख ले तो *समाज मे कोई भी भूखा नहीं रहेगा।
अच्छा लगे तो हर ग्रुप में, SC/ST व पिछड़ा वर्ग OBC के प्रत्येक कॉन्टेक्ट पर कई बार भेजो।
अगर आरक्षण का गणित अभी नहीं समझेंगे तो कभी नहीं समझेंगे आप।
आरक्षण हमारा संवैधानिक अधिकार है, भीख नहीं
'आरक्षण विरोधी', अज्ञानी इतना भी नहीं जानते कि *किस आरक्षण की सीमा 10 वर्ष थी।* अगर जानते हैं तो *गलत प्रचार* करते हैं और अपनी अज्ञान और घटिया सोच का परिचय देते हैं।
राजनितिक ताकतों ने सिर्फ वोट बैंक के लिए भारतीय जनमानस को ये जानने ही नहीं दिया कि आरक्षण केवल 10 वर्ष के लिए ही नहीं है ...... आरक्षण विरोधियों ! ये बातें पहले जान लो :--
दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के आरक्षण समर्थक सभी ये जान लें कि आरक्षण 10 वर्षों के लिए कभी भी नहीं था।
आरक्षण 4 प्रकार के हैं :---
1. पोलिटिकल रिजर्वेशन
2. रिजर्वेशन इन एजुकेशन
3. रिजर्वेशन इन एम्प्लॉयमेंट
4. रिजर्वेशन इन प्रमोशन
*अनुच्छेद 330 के अनुसार लोकसभा में और अनुच्छेद 332 के अनुसार विधानसभा में SC/ST को आरक्षण प्राप्त है और अनुच्छेद 334 में लिखा है कि प्रत्येक 10 वर्षो में लोकसभा और विधान सभा में मिले आरक्षण की समीक्षा होगी* और यही वो अनुच्छेद है जिसकी ग़लतफ़हमी सभी को है।
सभी लोग ये जान लें : *"ये सरासर झूठ है की सभी प्रकार के आरक्षण सिर्फ 10 वर्ष के लिए थे।"*
अब दूसरे तीसरे और चौथे प्रकार के आरक्षण पर आते हैं :--
अनुच्छेद 15 और 16 जो की मूलभूत संवैधानिक अधिकार हैं, इसमें सम्मिलित *15(4) और 16(4) में शिक्षा और रोजगार में SC/ST को आरक्षण दिया गया है*,
और जो ये मूलभूत अधिकार है, इन्हें कोई बदल नहीं सकता~~~ क्योंकि ये मूलभूत संवैधानिक अधिकार हैं।
" संविधान लागू होने के बाद सत्ताधारी वर्ग और विपक्ष ने जानबूझ कर ये ग़लतफ़हमी फैलाई कि रोजगार और शिक्षा में आरक्षण सिर्फ 10 साल के लिए था"
हमारे सभी SC, ST, OBC/ बहुजन/ मूलनिवासी भाइयों से निवेदन है की इस सच्चाई को सबके सामने लायें कि *रोजगार और शिक्षा में आरक्षण सिर्फ 10 साल के लिए नहीं हमेशा के लिए है।*
हमेशा ---- का मतलब:--
*"जाति व्यवस्था जब तक, आरक्षण व्यवस्था तब तक"*