Bharat Hisar

Bharat Hisar Contact information, map and directions, contact form, opening hours, services, ratings, photos, videos and announcements from Bharat Hisar, Social Media Agency, .

वाल्मीकि जाति के लोगों को लीडरशिप पैदा करनी चाहिए मगर वह धार्मिक ताना-बाना बना रहे हैं जो आने वाले समय में स्वर्ण हिंदुओ...
03/08/2023

वाल्मीकि जाति के लोगों को लीडरशिप पैदा करनी चाहिए मगर वह धार्मिक ताना-बाना बना रहे हैं जो आने वाले समय में स्वर्ण हिंदुओं की सुरक्षा के काम आएगा।

रिजल्ट सामने है बजरंग दल और r.s.s. हिंदू वाहिनी जैसे बहुत से संगठनों में वाल्मीकि जाति के लोग दिखाई देते हैं जो अपने आपको अब सूर्यवंशी चंद्रवंशी कहने लगे हैं नागवंशी को छोड़कर वह सभी चीजें अपनाने लगे हैं जो वैदिक साहित्य से जुड़ी हुई है।

धर्म को मानना किसी को अपना गुरु मानना किसी को अपना आराध्य मानना भारत का संविधान इस बात की पूर्ण रूप से स्वतंत्रता देता है और ना ही इसमें कोई बुराई है स्वतंत्र व्यक्ति समान व्यक्ति किसी भी धर्म में जा सकता है किसी भी महापुरुष को अपना गुरु बना सकता है मगर संविधान साथ में उसके प्रचार की भी अनुमति देता है और प्रचार अगर गलत तरीके और गलत हाथों में चला जाए तो वह पूरे समूह को आग की भट्टी में झोंक देता है।

वाल्मीकि जाति में अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर कोई ऐसा सामाजिक लीडर दिखाई नहीं देता जो वाल्मीकि जाति की आर्थिक सामाजिक राजनीतिक व्यवस्था सुधार दें धार्मिक व्यवस्था के इतने महात्मा और नेता इसलिए दिखाई देते हैं क्योंकि उन्हें पीछे से पुष्ट करने वाले हिंदुत्व के लोग हैं जिन्हें राम की चिंता है उन्हें रामायण की भी चिंता है जिन्हें रामायण की चिंता है उन्हें वाल्मीकि की भी चिंता है।क्योंकि राम शब्द को राजनीति में भरपूर रूप से इस्तेमाल किया जाता है और उसकी सिक्योरिटी के लिए वाल्मीकि जाति के लोगों को इस्तेमाल किया जाने लगा है।

मंडल कमीशन में कमंडल यात्रा इसका एक प्रमाण हो सकता है जिसमें हमारे लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया

ऐसा ना हो हमारी भावनाओं के साथ लोग अपना साहित्य जोड़कर हमारा राजनीतिक फायदा उठा ले और हमें उसी पायदान पर लाकर खड़ा कर दें जिस पायदान से हम पलायन करना चाहते हैं उसे छोड़कर एक नए आयाम में आना चाहते हैं।

देश विदेश में बसे वाल्मीकि जाति के लोग राजनीति का महत्वपूर्ण लोगों का समूह इकट्ठा करने में सक्षम नहीं हुए मगर वाल्मीकि के नाम पर जब भी कोई एट्रोसिटी हो जाए जातिसूचक गाली हो जाए तो सभी एक जगह खड़े हो जाते हैं। जबकि यह चीजें जानबूझकर की जाती है ताकि यह लोग इन चीजों से ना निकले और लीडरशिप की तरफ ना जा सके।

पढ़ा-लिखा तबका ही हर व्यवस्था में खड़ा दिखाई देता है हर एट्रोसिटी में खड़ा दिखाई देता है तो हमें यह षड्यंत्र समझना होगा के यह जो भी एट्रोसिटी हो रही है वह हमारे पढ़े लिखे लोगों के लिए षड्यंत्र रचा जा रहा है।

मुझे बहुत कम लोग बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर की विचारधारा पर काम करते हुए दिखाई दे रहे हैं वह गांधी की विचारधारा पर काम कर रहे हैं सड़क रोकना ,जाम करना ,आमरण अनशन करना, भूख हड़ताल करना डॉक्टर अंबेडकर का मंसूबा नहीं था डॉक्टर अंबेडकर का मंसूबा था सामाजिक परिवर्तन और व्यवस्था परिवर्तन
जो राजनीतिक और सामाजिक मंसूबे से पूरी हो सकती है

शासक आदेश देता है और जनता उसका पालन करती है सांसद बनने के लिए विचारधारा पर ही अमल करना होगा ना की किसी और की विचारधारा को अपने घर में लाकर बढ़ाना होगा।

✍️✍️✍️

भारत के बहिष्कृत लोग।।भारत के अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के लोग ही शोषित क्यों हैं बहिष्कृत क्यों है ,दलित क्यों हैं, अछू...
22/06/2023

भारत के बहिष्कृत लोग।।

भारत के अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के लोग ही शोषित क्यों हैं बहिष्कृत क्यों है ,दलित क्यों हैं, अछूत क्यों हैं, क्या उन्होंने देश की संपत्ति को हड़प लिया ,क्या उन्होंने व्यापार करने के लिए जमीन पर कब्जा कर लिया, क्या उन्होंने सरकारी पदों को पाने के लिए देश में सिविल वॉर पैदा कर दिया।।

इनमें से कुछ भी इन लोगों ने नहीं किया जिसके कारण इन्हें दलित नारायण, हरिजन, अछूत घोषित किया गया हो।।

इन लोगों में तो बड़े सहमें हुए लोग हैं जो अपने काम धंधे को ढूंढते हुए घूमते हैं जिन्हें सिर्फ काम के नाम पर कुछ सरकारी कार्यालय या सड़क पर खड़े होकर मजदूरी ढूंढने पड़ती है।।

फिर इतना शोषण क्यों लड़कियों का इनके बलात्कार होता है नौजवानों की हत्या कर दी जाती है बड़ी-बड़ी बस्तियों को आग लगा दी जाती है जो कि शहर से दूर होती है।।

यह किसी के चोरी नहीं करते डाका नहीं मारते लड़कियों को नहीं छेड़ते बलात्कार नहीं करते बैंक रोबरी नहीं करते देश घोटाला नहीं करते फिर भी यह बहिष्कृत है।।

शायद बहिष्कृत होने का कारण है यह इस देश के मूल लोग हैं और मूल लोगों ने जाति को अपना आराध्य मान लिया है और जाति ब्राह्मण व्यवस्था की मूल संपत्ति है।।

शायद आज जाति को सामान्य समुदाय के लोग भी इतना नहीं ढो रहे जितना अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के लोग उसे बढ़ावा देने पर उतारू हो गए हैं।।

बहिष्कार का अपमान का शासन प्रशासन में हिस्सेदारी ना होने का कारण है हम लोगों ने ब्राह्मण व्यवस्था की बनाई हुई जाति के नाम से गुलामी को स्वीकार कर लिया है।।

जिस से निकलते निकलते हमारी उम्र निकल जाती है और उसके बाद हम एक बात कहते ( जाति है कि जाती ही नही )।।

जाति से प्रताड़ित लोग जाति की लड़ाई लड़ते हैं थोड़ा सक्षम हो जाते हैं तो वह वर्ग को भूल जाते हैं और जाति को ब्राह्मण बनिए,राजपूत की तरह दिखने पर उतारू हो जाते हैं ।।

जबकि हर जाति का ब्राह्मण व्यवस्था में एक क्राइटेरिया दिया हुआ है जो आर्थिक आधार पर नहीं सुधर सकता उसके सामाजिक और सांस्कृतिक सुधार करने होंगे।।

जाति अपनाने का मामला नहीं है जाति दफनाने का मामला है।।

✍️✍️✍️

कबीरा कात के ताक को वस्त्र दिए बनाएंरंगारंग हर रंग रंग दिए मन को कैसे रंगाए।।गली-गली छान के ढूंढे मंदिर मकान खुदाएखुद भी...
19/06/2023

कबीरा कात के ताक को वस्त्र दिए बनाएं
रंगारंग हर रंग रंग दिए मन को कैसे रंगाए।।

गली-गली छान के ढूंढे मंदिर मकान खुदाए
खुद भी पागल हो चला बालक पगला बनाए।।

मिट्टी के एक बुत को प्रभु लिया बनाएं
लाखों प्रभु बाजार बीके असली कौन बताएं।।

फेरे माला काट की अग्नि राख बनाए।।
डरिए मरिया मीत से उसको भूत बताएं
कहके भभूत राख को उसको माथे लगाए
भूत प्रेत सब सच है बाल्कन को बताएं।।

झूठ है भूत कहानियां झूठ प्रेत बाधाएं
ज्ञान से मन को रंग रंग लियो जीवन सफल बनाएं।।

कबीर साहब ने ना तप को ना जप को ना दान को तवज्जो दी कबीर साहब ने ज्ञान को तवज्जो दी।।

कुछ शब्द कबीर साहब के नाम।।

✍️✍️✍️

साहित्य समाज का आईना होता है डॉक्टर अंबेडकर अपने आप में समाज परिवर्तन के चलते फिरते साहित्य थे।।हमने चुनिंदा मुद्दों को ...
18/06/2023

साहित्य समाज का आईना होता है डॉक्टर अंबेडकर अपने आप में समाज परिवर्तन के चलते फिरते साहित्य थे।।

हमने चुनिंदा मुद्दों को स्वीकार किया मगर खरे किसी भी मुद्दे पर नहीं उतर पाए जो समाज में बाबा साहब के नाम से प्रचलित हैं।।

भारत में जाति व्यवस्था से मुक्त होना।।
अंतरजातीय विवाह।।
राजनीति में हिस्सेदारी।।
पूना पैक्ट ( राजनीतिक आरक्षण) की समाप्ति।।
हिंदू धर्म से निजात।।
बुद्ध धर्म की शरण में जाना।।
छुआछूत का खात्मा।।
वेद पुराण शास्त्र से अछूतों की मुक्ति।।
पुरुषों के बराबर महिला नेतृत्व निर्माण।।
सरकारी व प्राइवेट संस्थानों में शेड्यूल कास्ट का प्रवेश।।

इनमें से किसी भी एक मुद्दे को पूर्ण रूप से जमीन पर बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर के बाद नहीं उतारा गया काम हो रहा है काम चल रहा है मगर काम पूर्ण हो गया यह अभी तक नहीं कह सकते।।

जहां समस्त वर्ग शूद्र और अछूत से बने एससी एसटी ओबीसी को हिस्सेदारी लेनी थी वह सिर्फ आरक्षण से रोजगार तक सीमित रह गए और रोजगार से परिवार तक सीमित रह गए।।

वह लोग वापसी कर रहे हैं उन्हीं लोगों की चौखट पर उसी धर्म की चौखट पर जिस के खिलाफ बाबा साहब डॉ अंबेडकर खड़े थे।।

पूर्णता एक भी डॉक्टर अंबेडकर का मुद्दा डॉक्टर अंबेडकर का सपना पूरा नहीं हुआ वह सब प्रोसेस में है।।

✍️✍️✍️

पेशा एक नाम अनेक।।भंगी मेहतर मूषक चूड़ा बाल्मीकि मुसल्ली महजबी, डोम,सिर्फ नाम ही नहीं पशुपालन भी निर्धारित किया गया था क...
17/06/2023

पेशा एक नाम अनेक।।

भंगी मेहतर मूषक चूड़ा बाल्मीकि मुसल्ली महजबी, डोम,सिर्फ नाम ही नहीं पशुपालन भी निर्धारित किया गया था कौन जाति क्या पशु पाल सकती है क्या पक्षी पाल सकती है।।

लोगों को लगता है आसान काम है इसलिए सफाई कामगार जातिया इस काम से चिपकी हुई है जबकि यह काम नहीं गुलामी है और गुलामी को खत्म किया जाता है छोड़ा नहीं जा सकता जैसे भारत में धार्मिक मानसिक गुलामी है वैसे ही व्यवसाय में जातिगत सफाई कार्य की गुलामी है जिसको पर्याप्त रूप से बनाए रखने के लिए तरह-तरह के और समय-समय पर नियम बनाए जाते हैं।।

ब्राह्मण व्यवस्था हो बुद्ध व्यवस्था हो जैन व्यवस्था हो हर जगह इन लोगों का जिक्र सुनाई देता है।।

जब मार्क्सवाद पैदा भी नहीं हुआ था तब 1834 में भंगी जाति ने हड़ताल करनी सीख ली थी मकान ,छुट्टी ,वर्दी, पेंशन ,के लिए यह हड़ताल की गई थी Ramblings in Oudh मैं इस हड़ताल का जिक्र मिलता है। सन 1945 में मुंबई लखनऊ आदि कई शहरों में एक बहुत बड़ी हड़ताल सफाई कर्मचारियों ने की गांधीजी ने उसका विरोध किया।।

ऐसी ही हड़ताल दीना भाना साहब ने की थी जिसका असर यह हुआ आज डॉक्टर अंबेडकर उनके अनुयायियों तो क्या दुश्मनों की भी जुबान पर है।।

और साथ में गांधी जी ने यह कहा अगर मेरा दूसरा जन्म हो तो मैं भंगी के घर पैदा होना चाहूंगा।।

1945 में अंतरराष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस में सफाई कर्मचारियों का प्रतिनिधि श्री भोले को बाबा साहब डॉ अंबेडकर ने बना कर भेजा। बहुत से नगर निगम मुंसिपल कमेटी में सफाई कर्मचारियों के विरुद्ध बड़े-बड़े कानून बनाए गए थे यदि एक कर्मचारी 3 दिन तक काम से गैर हाजिर हो तो कर्मचारी को 15 दिन तक की जेल की सजा हो सकती थी उत्तर प्रदेश में इस जुर्म के अंतर्गत सफाई कर्मचारियों को सजाएं दी गई थी और उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की जो रद्द कर दी गई थी।।

आज भी यह गुलामी निरंतर चल रही है ठेकेदारी प्रथा पर जो व्यक्ति नगर पालिका में काम कर रहा है परिवार में महिला सदस्य कहीं ना कहीं घरों में काम कर रही है और यह गुलामी रोमन साम्राज्य की गुलामी से भी दर्दनाक गुलामी है किसी का मल मूत्र उठाना काम नहीं हो सकता भारत में जब डिजिटल बाथरूम लैट्रिन आ गई है तब भी वर्ण व्यवस्था को मानने वाले लोगों को अपने बाथरूम की सफाई के लिए कोई ना कोई चाहिए।।

बहुत सी जगह अनुसूचित जातियों में कुछ जातियों का दर्जा इतना नीचे कर दिया गया है अब उन्हें इस नजर से देखा जाता है कि यह लोग इस काम को कर कर ही खुश है जबकि संपूर्ण अनुसूचित जाति वर्ग के लिए यह नजरिया भारत के सवर्ण लोगों का था।।

✍️✍️✍️

Congratulation taekwondo National silver medalist Subham Singh Dhillod .लखनऊ में चल रही सीनियर taekwondo championship मै...
11/06/2023

Congratulation taekwondo National silver medalist Subham Singh Dhillod .

लखनऊ में चल रही सीनियर taekwondo championship मैं 74to 78kg मैं subham singh ने दूसरा स्थान प्राप्त किया है।।

Congratulation dear

जिस समाज में अधिकारों से ज्यादा चमत्कार को महत्व दिया जाता है उस समाज की नस्ल खत्म हो जाती है।।  ✍️✍️✍️
11/06/2023

जिस समाज में अधिकारों से ज्यादा चमत्कार को महत्व दिया जाता है उस समाज की नस्ल खत्म हो जाती है।।

✍️✍️✍️

डॉक्टर अंबेडकर ने जो किया वह दुनिया भर के लिए एक मिसाल रहे वह हार कर भी जीत गए उन्होंने राजनीति में हार को स्वीकार किया ...
11/05/2023

डॉक्टर अंबेडकर ने जो किया वह दुनिया भर के लिए एक मिसाल रहे वह हार कर भी जीत गए उन्होंने राजनीति में हार को स्वीकार किया और उसी राजनीति के लिए नए प्लान पैदा किए।।

मगर वही जगजीवन राम राजनीति में थे इसलिए उन्होंने नौकरी के प्रावधान किए और वह भी सीमित पार्टी में रहकर और सीमित लोगों के लिए।

बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर ने सामाजिक राजनीतिक पृष्ठभूमि को ही बदल कर रख दिया सदियों की गुलामी के खिलाफ खड़े हो गए और सिर्फ खड़े ही नहीं हुए उन्होंने चुनौती भरे लेख लिखें।।

आज उनका नाम स्वर्णिम अक्षरों में है वही जगजीवन राम एक राजनीतिक पार्टी के सिर्फ नेता बन कर रह गए फिर भी कुछ लोग उन्हें बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर से उत्तम और उज्जवल विचारक घोषित करने की कोशिश कर रहे हैं।।

मगर मुश्किल और कशमकश की बात तो यह है वह बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर के हमदर्द जगजीवन राम को बताते हैं जबकि बाबा साहब डॉ अंबेडकर खुद अपने लेखों में जगजीवन राम पर बहुत ही टीका टिप्पणी करते हैं और बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर के साथ रहने वाले लोग जगजीवन राम को बाबा साहब का दुश्मन बताते हैं।।

✍️✍️✍️

Address


Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Bharat Hisar posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Shortcuts

  • Address
  • Alerts
  • Claim ownership or report listing
  • Want your business to be the top-listed Media Company?

Share