01/04/2023
मानो अतीक के साये ही बन गए हो हम...
- 55 घंटे के सफर में 13 घंटे रहे अतीक के काफिले के साथ
- तीन दिन में 2735 किलोमीटर किया सफर, तीन बार खाया खाना, बाकि चने से किया गुजारा
- जिस अंदेशे से गए थे हम, वह शिवपुरी के पास घटित होते-होते बचा, शिवपुरी में बज्र वाहन के सामने आ गई थी गाय
- मंशा अधूरी रहने पर तिलमिलाया पुलिस बज्र वाहन का ड्राइवर, हमें दे दी थी एक्सीडेंट की धमकी
भोपाल. उत्तरप्रदेश के विधायक राजू पाल की हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल के अपहरण मामले में अदालत ने बाहुबली अतीक अहमद को उसके कर्मो की सजा दे दी है. अतीक अहमद अब त उम्र जेल की सलाखों के पीछे ही रहेगा. अतीक अब वापस गुजरात की जेल में बंद है. अतीक अहमद का फैसला यूपी कोर्ट में होना था, नतीजतन यूपी पुलिस अतीक को लेने के लिए गुजरात पहुंची. साल भर पहले ही विकास दुबे कांड को लेकर संसय और चर्चाओं का बाजार पूरे देश भर में गर्म हो गया था. संभावनाएं जताई जा रही थी कि अतीक के साथ भी कहीं विकास दुबे जैसा मामला न हो जाए. फिर क्या था पूरे देश भर की मीडिया और देश की जनता की नजर अतीक के सफर (गुजरात से यूपी) तक पर पड़ गई.
इस मामले को लेकर मेरे संस्थान और मेरे सर ब्रजेश राजपूत जी ने मुझ (नितिन ठाकुर) पर विश्वास जताया. पहली बार मिले इतने बड़े मामले को कवरेज को लेकर मैं भी काफी उत्साहित था. फिर क्या था... मैं मानो अतीक का साया ही बन गया. तीन दिन (26 से 29 मार्च)में 55 घंटे सफर के दौरान मैं 13 घंटे मानों बिल्कुल अतीक के साए की तरह ही रहा. 13 घंटे तक पुलिस द्वारा ले जाए जा रहे अतीक के काफिले के पीछे मैं लगा रहा. जीवन का पहला अनुभव था, इस दौरान 2735 किलोमीटर का सफर तय किया. तीन दिन में महज तीन बार खाना खाया, बाकि समय चने से ही गुजारा किया.
बाहुबली अतीक के सफर का किस्सा
26 मार्च को मैं भोपाल में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा भाजपा कार्यालय भूमिपूजन का कवरेज कर रहा था, इसी दौरान करीब तीन बजे, ब्रजेश सर का फोन आया कि घर आओ. मैं महज 15 मिनट में सर के घर पहुंचा. सर ने कहा कि तुम्हें और अभिषेक को इंदौर जाना पड़ सकता है. तैयारी कर के रखना, कभी भी फोन आ सकता है. अभिषेक और मैने पूरी तैयारी की और सर के फोन इंतजार करने लगे कि अचानक छह बजे सर का फोन आता है कि घर आ जाओ, जाना है. गाड़ी भी आ रही है. हम सर के घर पहुंचे. सर के घर से यूनिट सिस्टम उठाकर इनोवा कार में रख लिया. सर ने कहा कि इंदौर जाओ तो हम इंदौर के लिए रवाना हो गए. हम ब्रजेश सर से लगातार संपर्क में थे. जैसे सर हमें बताते हम उनके मार्गदर्शन में आगे बढ़ जाते. जैसे ही हम भोपाल से बाहर बड़झिरी तक पहुंचे कि सर का फोन आया कि शिवपुरी जाना है. हमने बड़झिरी से गाड़ी श्यामपुर की ओर मोड़ दी. हम रास्ते में कहीं भी नहीं रुके, 200 किलोमीटर का सफर तय कर रात 11 बजे हमने गुना की एक होटल में भोजन किया. हालांकि हमने गुना के पहले ही एक बार अतीक अहमद को लेकर गाड़ी में से ही लाईव दे दिया, अतीक अहमद के मामले में यह उस रात का पहला लाईव था.
1.30 बजे पहुंच गए रामनगर टोल नाके
हम गुना में करीब एक घंटे रुके और इसके बार रात 12 बजे शिवपुरी के लिए रवाना हो गए. रात 1.30 बजे हम शिवपुरी के टोल नाके पर पहुंच गए, जहां से बाहुबली अतीक अहमद का काफिला राजस्थान से मप्र की बार्डर पर आना था. दिलचस्प बात यह था कि उस रात शिवपुरी रामनगर टोल नाका मीडियाकर्मियों से भरा हुआ नजर आ रहा था. रात 2.00 बजे मप्र की अंतिम बार्डर रामनगर टोल नाके से पहला वॉक थ्रू स्थानीय पत्रकार केके दुबे से बातचीत करते हुए भेजा गया, जिसमें अतीक अहमद की लोकेशन की जानकारी दी गई. इसके बाद तो मानों आंखों में रात कटने लगी और हमारे साथ सभी मीडियाकर्मी बेसब्री से बाहुबली अतीक अहमद के काफिले के आने का इंतजार करने लगे.
छटीं रात, हुआ सबेरा
धीरे-धीरे रात छटीं और सबेरा होता गया, सबेरा होने के साथ ही हमारे काम में भी इजाफा होने लगा. सुबह 5.30 बजे से लाईव की शुरुआत हुई. इसी लाईव प्रक्रिया के बीच हम जिस अतीक अहमद का इंतजार कर रहे थे तो ठीक सुबह 7.00 बजे अतीक अहमद का काफिला रामनगर टोल पर पहुंच गया. इस काफिले के आगे सबसे पहले मप्र पुलिस का फॉलो वाहन, उसके पीछे बज्र वाहन, जिसमें बाहुबली अतीक अहमद बैठा हुआ था. इस वाहन के पीछे एक बज्र वाहन, जिसमें यूपी पुलिस के जवान मौजूद थे तो इस वाहन के पीछे यूपी पुलिस की बुलेरा चल रही थी. खास बात यह है कि अतीक अहमद के काफिले के पीछे गुजरात की साबरमती जेल से ही मीडिया कर्मियों के वाहन भी पीछे लग गए थे. धीरे-धीरे अतीक का काफिला आगे बढ़ता गया तो मीडिया कर्मियों के वाहनों की संख्या में भी बढ़ती गई. शिवपुरी आते-आते मीडियाकर्मियों के वाहनों की संख्या में करीब 50 से 60 के बीच पहुंच गई थी. शिवपुरी से ही हमने भी अपने वाहन को अतीक अहमद के काफिले के पीछे लगा दिया.
जब थम गई थीं सांसे
बाहुबली अतीक अहमद को लेकर जिस बात का अंदेशा था, वह मानो मप्र की अंतिम और यूपी की शुरुआती बार्डर पर ही घटित होते-होते बचा था. हुआ यूं कि जैसे ही अतीक अहमद का काफिला शिवपुरी से खरई चेकपोस्ट से गुजरा कि जिस गाड़ी में अतीक बैठा हुआ था वह गाड़ी से एक गाय टकरा गई और अचानक ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी. पल भर के लिए ऐसा लगा कि मानों जिस बात का अंदेशा था वह पूरा हो गया. हम हड़बड़ाकर अतीक की गाड़ी के पास पहुंचे. हालांकि कुछ देर गाड़ी रोकने के बाद ड्राइवर फिर गाड़ी आगे बढ़ा दी.
ड्राइवर की धमकी से पीछे नहीं हटे कदम
गाय से वाहन टकराने के चंद मिनटों ड्राइवर ने गाड़ी आगे बढ़ाई, हम भी अतीक अहमद की गाड़ी के साथ चल रहे थे, इसी बज्र वाहन के ड्राइवर ने हमें तीखी निगाहों से देखा और धमकी दी कि तुम मीडिया वालों तुम्हारा एक्सीडेंट करा देंगे. बज्र वाहन के ड्राइवर की यह धमकी साथी अभिषेक शर्मा के कैमरे में कैद हो गई. ड्राइवर की धमकी के बाद मानों ऐसा लग रहा था कि हमने यूपी पुलिस के मंसूबों पर पानी फेर दिया हो. हमने इस धमकी की जानकारी अपने संस्थान एबीपी न्यूज व ब्रजेश सर को दी और हम अपने वाहन से अतीक के काफिले के साथ चल दिए. अतीक का काफिला सुबह 9.00 बजे झांसी रिजर्व पुलिस लाईन में प्रवेश कर गया और इसके बाहर मीडिया का जमावड़ा लग गया. पुलिस ने पुलिस लाइन की घेराबंदी कर दी, मीडिया के प्रवेश पर रोक लगा दी. अतीक को एक घंटे तक यहां पुलिस लाईन में रखा गया. इस दौरान बाहर तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार बनने लगा. इसी बीच में बज्र वाहन के ड्राइवर की धमकी को लेकर चैनल से मुझे सीधे लाईव ले लिया गया और ड्राइवर की धमकी पर लगभग एक घंटे तक लाईव चला.
दोप. 12 बजे फिर शुरु हुआ काफिला
दोपहर 12.00 बजे अतीक अहमद का काफिला झांसी पुलिस लाईन से फिर शुरु हुआ जो बुंदेलखंड एक्सप्रेस पर पहुंचा, यहां से चित्रकूट के लिए रवाना हुआ. हम भी अपने वाहन से बुंदेलखंड एक्सप्रेस से अतीक अहमद के काफिले के पीछे लग लिए. हमने यहां से करीब ढाई सौ किलोमीटर का सफर किया होगा, यहां से चित्रकूट महज 10 किलोमीटर ही शेष बचा था, लेकिन चैनल से फोन आया कि आप वापस भोपाल के लिए रिटर्न हो जाओ, और चल दिए. इस तरह हम 28 मार्च को सुबह 3.00 बजे भोपाल पहुंच गए.
यूपी से गुजरात में भी फिर मिला मौका
मुझे संस्थान और ब्रजेश सर द्वारा दोबारा मौका दिया. अतीक को सजा होने के बाद वापस यूपी से गुजरात ले जाया जाना था. 29 मार्च को मैं सीहोर जिले के नसरुल्लागंज में था, यहां मुझे ब्रजेश सर का दोपहर 3.00 बजे फोन आता है कि वापस झांसी जाना है, अतीक अहमद के काफिले को कवरेज करने, तैयारी के साथ आ जाओ. मैंने अपनी गाड़ी भोपाल के लिए मोड़ दी. ब्रजेश सर के घर शाम 5.00 बजे पहुंच गया. सर से मिला, सर ने कहा अभिषेक और तुम्हें शिवपुरी जाना है. सर के घर पर ही इनोवा कार खड़ी थी, हमने उसमें अपना सामान रखा और शिवपुरी के लिए रवाना हो गए. हम रात 10.00 बजे ब्यावरा पहुंच गए, जहां पहले तो हमने खाना गया. करीब एक घंटे रुकने के बाद हमने ब्यावरा से विदा हुए और करीब रात 1.00 बजे हम शिवपुरी पहुंच गए. शिवपुरी बाइपास के एक ढाबे पर गाड़ी खड़ी कर हम यही अतीक अहमद के काफिले का इंतजार करने लगे.
फिर आया अतीक का काफिला
सुबह 4.30 बजे अतीक अहमद का काफिला यूपी बार्डर से मप्र में प्रवेश हुआ. शिवपुरी रामनगर टोल नाके से ही हमने भी अपनी गाड़ी अतीक अहमद के काफिले के पीछे लगा दी. अतीक अहमद के काफिले में वहीं दो बज्र वाहन, जिसमें एक में अतीक अहमद बैठा हुआ था, आगे फॉलो वाहन और पीछे एक पुलिस का वाहन चल रहा था. पिछली बार की तरह ही अतीक अहमद के काफिले के पीछे मीडियाकर्मियों के वाहन चल रहे थे, हमने भी अपनी गाड़ी लगा दी और चल पड़े. हमने यहां से करीब 300 किलोमीटर का सफर तय किया और राजस्थान के कोटा पहुंच गए. चैनल से फोन आने के बाद हम भोपाल के लिए रवाना हो गए.