27/02/2020
दंगों पर पत्रकारिता एक सवाल ???
सच्चाई दिखाना सच्चाई को सामने लाना ही पत्रकारिता है धर्म की बात करने के लिए तो हर धर्मों में विद्वान पर्याप्त मात्रा में मौजूद है
देश की शांति व्यवस्था को बनाने और बिगाड़ने में पत्रकारिता का एक अहम रोल
देश की जनता वही देखती है जो पत्रकार दिखाता है
आज के समय में निष्पक्ष पत्रकारों की संख्या केवल 5% है
95% पत्रकार भेदभाव और मानसिकता से त्रस्त होकर जनता और देश की नहीं नेताओं की भाषा बोलते हैं वह कहीं ना कहीं धर्म व जाति से प्रेरित होकर पत्रकारिता करते हैं
आज के समय की पत्रकारिता और पत्रकारों की मानसिकता पर डिपेंड है कि वह जनता को क्या दिखाना और दर्शाना चाहते हैं
चोर कभी यह नहीं कहता कि मैंने चोरी की है
पूछे जाने पर चोर कहता है कि मैं बेकसूर हूं मुझ निर्दोष को फंसाया जा रहा है
पंजाब में जाकर कवरेज करेंगे तो वहां पंजाबी बोलते लोग दिखाई देंगे
महाराष्ट्र में जाकर कवरेज करेंगे तो वहां मराठी बोलते लोग दिखाई देंगे
बंगाल में जाकर कवरेज करेंगे तो वहां बंगाली बोलते लोग दिखाई देंगे
तमिलनाडु में जाकर कवरेज करेंगे तो वहां तमिल बोलते लोग दिखाई देंगे
गुजरात में जाकर कवरेज करेंगे तो वहां गुजराती बोलती लोग दिखाई देंगे
एक उदाहरण निम्न प्रकार है
यदि हमें दो प्रदेशों के के बीच हुई लड़ाई जैसे पंजाब और गुजरात के बीच हुई लड़ाई के बारे में पत्रकारिता करनी है और पता करना है कि पंजाब की गलती है गुजरात की तो हमें पंजाब में जाकर भी निष्पक्ष कवरेज करनी होगी और गुजरात में भी जाकर निष्पक्ष कवरेज करनी होगी दोनों जगह की कवरेज करने के बाद अपने विवेक से सच्चाई का पता लगाना होगा कि गलती पंजाब की है या गुजरात की और इन दोनों की लड़ाई क्यों और कैसे हुई तब उस सच्चाई को जनता के सामने लाना होगा मगर आज की पत्रकारिता 95% विपरीत दिशा में की जा रही है जो कि देश के लिए खतरा और पत्रकारों के दायरे से बाहर है ।
इसी तरह हमारी मानसिकता पर डिपेंड है कि हम किस क्षेत्र में जाकर कवरेज कर रहे हैं जिस क्षेत्र की परिस्थिति पर हम कवरेज कर रहे हैं उस क्षेत्र के लोग अपनी ही भाषा में हमें जवाब देंगे ना की दूसरे की भाषा में
हम पत्रकार हैं हमें पीड़ितों की आवाज को बुलंद करना चाहिए और जनता और शासन प्रशासन को बताना चाहिए कि कहां गलत हो रहा है ऐसा करने में धर्म जाति व राजनीति पत्रकारिता के आड़े नहीं आनी चाहिए निष्पक्ष पत्रकारिता करनी चाहिए जोकि 95% पत्रकार नहीं करते हैं यह एक चिंता का विषय है
क्राइम आज तक न्यूज़ एडिटर सरताज खान की कलम से