26/04/2023
मैं राम पर लिखूँ मेरी हिम्मत नहीं है कुछ
तुल्सी ने बाल्मीक ने छोड़ा नहीं है कुछ
फिर ऐसा कोई खास कलमवर नहीं हूँ मैं
लेकिन वतन की खाक से बाहर नहीं हूँ मैं
कोई पयामे हक़ हो वो सब है मेरे लिए
दुनिया का हर बुलंद अदब है मेरे लिए
वो राम जिसका नाम है, जादू लिए हुए
लीला है जिसकी ओम की खुशबु लिए हुए
अवतार बन के आई थी ग़ैरत शबाब की
भारत में सबसे पहली किरन इन्क़िलाब की
हर गाम जिसका सच का फरेरा ही बन गया
बनबास ज़िंदगी का सवेरा ही बन गया
एक तर्ज़ एक बात है हर खास-ओ-आम से
मिलते हैं कैसे कैसे सबक हमको राम से
ऊँचा उठे तो फ़र्क़ न लाये शऊर में
कोई बढ़े न हद से ज़्यादा ग़ुरूर में
जंगल में भी खिला तो रही फूल की महक
गुदड़ी में रह के लाल की जाती नहीं चमक
दिल से कभी ये प्यार निकाला न जायेगा
माँ बाप का ख्याल भी टाला न जाएगा
बेटा वही जो बाप का फरमान मान ले
शौहर वही जो लाज पे मरने की ठान ले
और बाप वो जो बेटों को लव-कुश बना सके
उनको जगत में जीने के सब गुन सिखा सके
भाई जो चाहे भाई को तलवार की तरह
जरनल जो रखे फ़ौज को परिवार की तरह
राजा वही ग़रीब से इंसाफ कर सके
दलदल से जातपात की हर दम उभर सके
जो वर्ण भेदभाव के चक्कर को तोड़ दे
शबरी के बेर खा के ज़माने को मोड़ दे
इंसान हक़ की राह में हर दम जमा रहे
यह बात फिर फ़ुज़ूल है लश्कर बड़ा रहे
ईमान हो तो सोने का अंबार कुछ नहीं
हो आत्मबल तो लोहे के हथियार कुछ नहीं
रावण की मैंने माना कि हस्ती नहीं रही
रावण का कारोबार है फैला हुआ अभी
छाया है हर एक सिम्त जो अँधेरा घना हुआ
हिंदुस्तान आज है लंका बना हुआ
वो ज़ुल्म से डरे जो उपासक हो राम का
सोने पे जान दे जो उपासक हो राम का
वो राम जिसने ज़ुल्म की बुनियाद ढाई थी
जिसके भगत ने सोने की लंका जलाई थी
हर आदमी ये सोचे जो होश-ओ -हवास है
वो राम से क़रीब है कि रावण के पास है
लोगों को राम से जो मोहब्बत है आजकल
पूजा नहीं अमल की ज़रूरत है आजकल
– शम्सी मिनाई