13/12/2023
Bk mamta
Abudhabi center UAE
🇦🇪🇲🇰🇮🇳 वंदे मातरम् ओम शांति
आज हम पांडवों के बारे में जानकारी समझेंगे जब भी महाभारत की बात होती है तो एक तरफ पांडव दिखाते हैं दूसरी तरफ कौरव ।
उन में पांडवों के नाम है
🌸 युधिष्ठिर
🏵️भीम
🌺अर्जुन
🌷नकुल
🏵️सहदेव
और दूसरी तरफ कौरव थे
कौरव थे 100उनमें दो मुख्य थे
😡 दुशासन और 😡दुर्योधन उनके साथ बहुत बड़े-बड़े दिग्गज थे
🏵️भीष्म पितामह,
🏵️द्रोणाचार्य ,
🏵️कृपाचार्य
🏵️कर्ण ,
🏵️ अश्वत्थामा
पांडवों ने जिन गुरुओं से पढ़ाई पढ़ी उनकी गोद में पले बड़े जब भगवान ने उनको स्वीकारा तो वह उनके अगेंस्ट खड़े हो गए कृष्ण थे तभी सारे पचड़े हुए कृष्णा ना होते तो कोई युद्ध नहीं होता तो हमें कृष्णा ने ही जगाया कि अपना हक लो
तो चेक करना कि हम जिन धर्म गुरु से शिक्षा ले रहे थे उन्हीं धर्म गुरुओं से कन्यादान महादान जैसी बातों को सीखा जिन गुरुओं ने हमें भक्ति पढ़ाई लौकिक पढ़ाई पढ़ाई परंपरा सिखाई जिस क्षण भगवान हमारे जीवन में आया वह हमारे अगेंस्ट खड़े हो गए वह गुरु हमसे और हम उनसे अलग खड़े हो गएतो यह महाभारत युद्ध ही तो है
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तो वहां दिखाए पांडव और कौरवों की लड़ाई में अर्जुन को सबसे बड़ा दिखाया और श्री कृष्ण अर्जुन को समझते थे पर हैरानी वाली बात है कि 100 कौरव थे और उनमें से एक कौरव को भी अर्जुन ने नहीं मारा, सारे कौरवों को मारा भीम ने दुर्योधन किसने मारा भीम ने दोनों जांघ को फाड़ के अलग कर दिया, दुशासन की पूरी छाती फाड़ दी भीम ने, 98 बाकी कौरव भी भीम भीम ने ही मारे ।
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और अर्जुन ने सिर्फ एक ही मारा वह भी अपना ही भाई वह था कर्ण , अपना ही दादा भीष्म पितामह, अपना ही गुरु द्रोणाचार्य, कृपाचार्य इन सबको अर्जुन ने ही मारा, युधिष्ठिर ने भी किसी खास को नहीं मारा नकुल सहदेव ने भी ऐसे छोटे-मोटे को ही मारा कोई किसी खास को नहीं मारा।
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तो इसका अर्थ है भीम है योग और अर्जुन है ज्ञान, भगवान आकर ज्ञान देता है पल-पल साथ रहता है पर मार कौन रहा है भीम, भीम के हाथ में क्या दिखाते हैं गदा , तो गदा 7 दिन के कोर्स में योग का प्रतीक दिखाया गया है विष्णु जी के चार हाथ दिखाएं ना शंख ,चक्र ,गदा , पदम् तो गदा योग का प्रतीक हैतो दुशासन और दुर्योधन काम और क्रोध का प्रतीक है और बाकी 98 है छोटे-मोटे बेकार और जितने भी विकार हैं वह ज्ञान से नहीं मरते, सभी विकार योग से ही खत्म होंगे जो लोग रोज ज्ञान सुनते हैं और सोचते हैं कि हमारे विकार खत्म हो जाए तो यह सोचना गलत है तो वह धोखे में है कौरवों को केवल भीम ही मार सकता है यानि योग |
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹दुशासन को ताकत से मार सकते है और दुर्योधन को छल से, क्रोध को जिद से जीत सकते हैं लेकिन काम विकार को छल से जीतना पड़ता है काम विकार बल से नहीं जीता जा सकता जब भीम उसकी जांघ को फाड़ता था इधर-उधर फेंकता था वह फिर चिपक जाती थी माना लोग रोज प्रतिज्ञा करते हैं की पवित्र रहेंगे लेकिन उनका मन फिर चिपक जाता हैं
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼तब भगवान इशारा करते हैं कि एक इधर फेंका एक इधर फेंका इसका अर्थात पूरा सिस्टम ही पलट दिया माना बाबा ने इशारा किया कि खुद को और सामने वाले को भी आत्मा समझो जब हम आत्मा समझेंगे तो हम पवित्रता को धारण कर सकेंगे और आत्मा स्त्री होती है ना पुरुष होती है
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भीम खाने में बहुत तेज था जो मर्जी आए वह खाता रहता था इसका अर्थ हैं हमारी ब्राह्मण जीवन की जो पहले धारणा है योग ,तो योग का मतलब है अपनी मन बुद्धि को योग में बैठकर स्वमान, संकल्प, जितना हो उतना इसको देते रहो जैसे मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूं, मैं ईश्वर की संतान हूं मैं शांति स्वरूप हूं मैं विश्व कल्याणकारी आत्मा हूं मैं यज्ञ रक्षक हूं मैं सतयुग में राज्य करने वाली स्वराज्य अधिकारी आत्मा हूं इसतरह से, इसको खाली कर दिया इसको तो यह मन माना भीम बैचेन हो उठता हैं
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और ज्ञान का मतलब है आपसे आपके मुख से निकल गए वचन और आपका प्रेक्टिकल जीवन कैसा है
कर्ण का मतलब है सुनी सुनाई बातें, कान, सुनी सुनाई बातों से कई बार योगी भी भड़क जाते हैं सुनील सुनाई बातों को केवल ज्ञान ही मार सकता है
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भीष्म पितामह -🌺परंपराओं को भीष्म पितामह कहा गया है भीष्म पितामह को अमृतम का वरदान था जो अमर है जो परंपराओं से चला आ रहा है वह तो अमर है मारेगा ही नहीं ज् अंत समय में ज्ञान के इतने बाद मार दिए फिर भी वह मर नहीं रहा है जैसे बीके बनने के बाद भी बहम रहता है कि इतना तो मानना ही चाहिए किसी को जैसे जो जैसा आराध्य को मानते हैं उसको थोड़ा बहुत तो मानना ही चाहिए BK बनने के बाद भी हमसे परंपराएं कुरीतियों संशय मरता नहीं है तो दिखाते हैं कि भीष्म पिता को नारी ने ही मारा।
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तू संसार में जितने भी कुरीतियों हैं परंपराएं हैं उन सबको ब्रह्माकुमारी बहने ही खत्म करेंगी नई परंपराएं बनेगी भीष्म पिता की मृत्यु के बाद । भीष्म पिता भी गंगा पुत्र थे माना परंपराएं कोई भी दूषित नहीं थी लेकिन खड़ी किसकी तरफ थी भगवान के विरुद्ध तो जो भी भगवान के और यज्ञ के विरुद्ध खड़ा हुआ है वह मारा जाएगा चाहे वह सही है या गलत है यह याद रखना
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कर्ण -🌺 कर्ण की समझ उन पांचो पांडवों से ज्यादा थी लेकिन वह मर गया अगर वह सही होता तो कृष्णा उनको बचा लेते, अगर भगवान ने उसको मारा था या मरवाया था गलत तरीके से दिखाते हैं कि गलत तरीके से उसको मारा था कर्ण का मतलब है हमारे ढकोसले खोखले उसूल। आने वाले यानी सुने सुनाए कट्टर संस्कार यानी उसका जो कवच था वह कैसा था उससे कोई भेद नहीं सकता था ना ऐसे ही हमारे कड़े संस्कार जिन्हें कोई बदल नहीं सकता था माना हमारे समाज में ऐसी कुरीतियों और ऐसे संस्कार ऐसी प्रथाएं होती हैं जिनका ना चाहते हुए भी लोगों को मानना पड़ता है यानी वह कैसी भी कड़ी कुरीतियों हो पर हर किसी को फॉलो करना ही है तो भगवान ने क्या किया श्री कृष्ण ने क्या किया उसकवच को ही उखाड़ दिया और वह कवच किसका दिया गया था सूर्य का |🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰 कर्ण कैसे लोगो की पहचान - 🌺कर्ण को लग रहा था कि यह पांडव गलत कर रहे हैं जब कुछ लोग मधुवन जाते हैं तो कहेंगे यह गलत है ऐसा नहीं होना चाहिए पैसे की वैल्यू है यह भाई जी कैसे बात करते हैं ऐसा होगा कि नहीं होगा ,वो सकता हैकि नहीं,विनाश होगा कि नहीं होगा सतयुग आएगा कि नहीं आएगा यह सब चलते फिरते कर्ण हैं तो इनसे बच के रहिए नहीं तो भगवान के द्वारा मारे जाओगे, आपके रथ का पहिया ऐसी जगह फंसेगा की निकल नहीं पाएगा, कहलाओगे पांडव भी गोमती पुत्र ही हो भगवान के घर ही हुए हो पर वह पांडव हो जो भगवान के घर से भागे कोई कहता है भगवान इसमें आते हैं उसमें आते हैं वह सारे कर्ण हैं वह सारे मारे जाएंगे क्योंकि वह यज्ञ के खिलाफ खड़े हैं माना यज्ञ की किसी भी मर्यादा का उल्लंघन करना और यज्ञ की बातों में संशय रखना वह सारे कर्ण हैं वह सब मारे जाएंगे बाबा को हर हाल में पांडवों को ही जिताना है चाहे वह योग्य हो या नहीं
🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰, कर्ण ने अर्जुन को तीर मारा था सांप वाला तक्षक सांप तीर पर तक्षक सांप को बिठाकर अर्जुन के एकदम माथे पर लगना था तो उसमें कृष्ण की ताकत दिखाई यादगार में कि उसने पहिए पर जोर लगाया और रथ एक फुट नीचे धस गया और तीर ऊपर से निकल गया तो ज्ञान सिखाता है जब कोई सीधे वार करे तो झुक जाओ उसके सारे अटैक ऊपर से निकल जाएंगे और तुम बच जाओगे और जब-जब घरों में बहस हुई तो हम सब ने क्या किया सामना किया और सामना करते गए तो उनके सारे अटैक हम पर होते गए और अगर झुक जायेंगे तो बच जायेंगे ।
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तक्षक था सांपों का राजा उसने कर्ण से कहा एक बार तेरा साथ दूंगा तेरे तीर पर बैठूंगा फिर भगवान भी सामने आ जाए तो नहीं बचेगा ऐसा वरदान था उसको तो भगवान किसके सामने आता है उसने रथ को ही नीचे कर दियातो इसका अर्थ है कि हमारे जीवन में भी ऐसी परिस्थितियों आती हैं जिसे हम सामना नहीं कर सकते तो वहां झुक जाने में समझदारी होती है फिर वह चाहे कुछ भी करता रहे कहता रहे हम पर प्रभाव नहीं पड़ेगा
🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰🇲🇰और एक कीचक को मारा उसकी दृष्टि और वृति बहुत गंदी थी तो भीम ने द्रौपदी का भेष रखें उसको मार डाला तो इसका अर्थ है हमारी गंदी वृत्ति और दृष्टि को हमारा भीम ही मार सकता है यानी की हम अपनी गलत आदतों को योग के द्वारा खत्म कर सकते हैंऔर दिखाया कि चुपके मारा अंधेरे में इसका अर्थ है की योग एकांत में किया जाता है अंधेरे में माना अमृतवेला जब सब सोए होते हैं तब हम पांडव जाकर अपने इन सब विकारों पर जीत पा रहे होते हैं
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और दुर्योधन को भी अकेले में ही मारा था नदी के किनारे, जो छुप कर बैठ गया था इसी तरह हमारा काम विकार भी चुप कर बैठ जाता है और हम सोचते हैं कि जीत लिया, अंत में अंश और वंश को बाबा निकलवाता है कि युद्ध कर कि आने दे जीत लेंगेऔर जैसे ही काम विकार आता है और वैसे ही आकर को मरवा देते हैं युक्ति से ।
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दुर्योधन को शरीर वज्र होने का वरदान मिला था गांधारी ने उसे देखने का प्रयास किया और कृष्णा ने कहा उसे ढक ले, यह बात इस बात का प्रतीक है कि अगर कोई दुर्योधन होगा, माना किसी मैं दुर्योधन वाले गुण होंगे तो वे मात-पिता से अपनी बात को छुपा लेंगे, वही मारे जाएंगे वहीं हिस्सा हमारा कमजोर हो जाएगा इसका अर्थ है यज्ञ पिता से कुछ भी मत छुपाओ, शिव बाबा से कैसी शर्म।
यह है महाभारत का रहस्य असली महाभारत अभी संगम युग पर चल रहा है जिसमें बाबा कृष्ण बनकर हम अर्जुन को ज्ञान दे रहे हैं और महाभारत को जीतने की युक्तियां रोज मुरली द्वारा सिखा रहे हैं दुनिया के जो भी कौरव है सब आपस में ही लड़के मरे पांडव आपस में कभी नहीं लड़े, अगर हम पांडव का किसी से मतभेद है तो हम पांडव नहीं है जब कोई पांच लोगों में एकता हो तो बोलते हैं पांडव है वह पांडव, तो पांडवों में कभी मत भेद नहीं होता युधिष्ठिर का मतलब है मेरे मन की अवस्थायुधिष्ठिर का अर्थ होता है युद्ध में स्थिर रहना, युधिष्ठिर किसका बेटा था धर्मराज का, लड़े हैं अर्जुन और भीम और सिंहासन दिया युधिष्ठिर को, धारना और सेवा अर्थात नकुल और सहदेव, नकल करके ही हम धारण कर सकते हैं ना, तो इन चारों के बल पर आपकी युद्ध में अवस्था स्थिर बनेगीअवस्था और स्थिति में बहुत अंतर है अवस्था बहुत कल की और स्थिति मना थोड़े बहुत देर की जैसे अभी मेरी स्थिति ठीक नहीं है कहते हैं नातो श्री कृष्ण ने भीष्म पिता को डराया मारा नहीं तो सारी परंपराएं भगवान खुद तोड़ेगा और परंपराएं झुक कर कहेंगे कि दादी आप ही सही हो
युद्ध क्षेत्र में कृष्ण को हाथ में चक्र का पहिया लिए दिखाते हैं यानी सब लोग सोचते हैं रथ का पहिया उठाया हुआ है पर यह इस बात का सूचक है उन्होंने समय का पहिया हाथ में लिया हुआ है और समय का चक्र उठाकर तेज कर दिया, और भीष्म पितामह के पैरों में गिरा है यानी की सारी परंपराएं खत्म हो गई, लोग भी कहने लगे हैं कि वह भक्ति कर करके थक गए हैं कोई प्राप्ति नहीं हो रही लोग भी परंपराओं से थक चुके हैं तो आजकल लोगवा क्या कर रहे हैं परंपराओं से थक रहे हैं और वह अपना नया नई रीति बना रहना आजकल लोग यानी कि वह पुरानी बनी हुई परंपराओं से थक रहे हैं
तो बानो की सैया पर भीष्म पितामह खड़ा हो चुका है प्राण निकलने बाकी है पहले उसको मारा फिर तीर से निकाल कर बाढ़ गंगा उसके मुंह में डाली तो इसका अर्थ है की सतयुगी परंपराएं पुनर्जीवित होगी और वह परंपराएं ढाई हजार साल चलेंगीतो हम अपने कमरों क्रोध को कैसे जीते हैं यह भगवान अव्यक्त इशारेदेते हैं मुरलियों में उसको फॉलो करना है भीम को इशारा दिया कृष्ण ने कैसे उसको फाड़के फेक देना है जो बाबा मुरली में अभिव्यक्त इशारे देते हैं उसको फॉलो करना है तभी अपने काम क्रोध पर जीत पास सकेंगे अगर सारा को समझ के फॉल नहीं किया तो काम क्रोध को मार नहीं पाओगेभीम कृष्णा के इशारों को समझ के भी समझ के भी फॉलो नहीं करता तो वह कभी भी दुर्योधन को मार नहीं सकता थामाना हम अपने विकारों पर जीत नहीं पा रहे हैं हम अव्यक्त इशारों को फॉलो नहीं कर रहे हैं श्रीमत पर नहीं चल रहे हैंदुनिया की किसी भी चीज पर किसी भी स्थिति पर हमें जो जीत हासिल हो वह कुटिलता से या इस दुनिया के हिसाब से ना हो स्थिति पर जीत हमारी बाबा के तरीके से हो इससे क्या होगा कि हमारे अंदर आने वाली सच्ची की दुनिया के संस्कार भरेंगे, अगर ऐसा नहीं किया और इस दुनिया के हिसाब से उसे स्थिति को जीते उसे काम को किया तो मना काम तो हो गया पर बाबा पर निश्चय काम किया और यह सोचा कि काम तो ऐसे ही चलते हैं तू मन भगवान पर निश्चय भगवान का जिसने हाथ थाम रखा है भगवान उसको करने नहीं देंगे पांडवों की तरफ से कोई भी नहीं मारा था पांडवों की तरफ से तीन लोग मारे थे एक घटोत्कच भले ही पांडव सेवा में था पर था तो राक्षस और दूसरा अभिमन्यु अभिमन्यु क्यों मारा क्योंकि उसे अधूरा ज्ञान था और अधूरे ज्ञान पर भी उसको अभियान था इसका अर्थ है जिसको भी अधूरा ज्ञान होगा वह पांडव मारा जाएगा
और कौन मरा था कर्ण था तो पांडव लेकिन क्या कहलाया सुद्र पुत्र, तो इसका अर्थ है की कारण पांडव पुत्र होते हुए भी उसने काम और क्रोध के संगति की उसको अपना मित्र बनाया इसीलिए वह भगवान के विरुद्ध हो गया इसीलिए वह शुद्र पांडव कहलाया और जो भगवान के विरुद्ध खड़ा होगा है वह मारा जाएगातो भगवान ने बताया कि हमें चल से जीतना है सब कुछ खुद से ही अच्छा करना है कि हम सतयुगी राजकुमार राजकुमारी महाराज महारानी बन चुके हैं और दूसरा काम को जीतने के लिए भाई-भाई की दृष्टि से आत्मा की आत्मा की दृष्टि से देखना है जब हमारे हाथ में सत्ता आएगी नहीं अफसोस करेगी कि यह सही नहीं है भगवान धरती पर आया और हमको पता ही नहीं चल मान गुप्त रूप से हमारे घर के किसी एक सदस्य को पढ़ रहा था और हमें नहीं बताया तो सारी दुनिया इस बात पर अफसोस करेगी तो समझो हम सब इस महाभारत काल में हिस्सा है और इस समय स्वयं हमें भगवान पढ़ रहे हैं तो स्वयं से पूछे मैं भगवान की तरफ हूं या भगवान के विरुद्ध है अगर विरुद्ध हूं तो मारा जाऊंगा