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11/11/2024

रमा जी ने अपना पर्स और बैग सीट पर रखा और एक चादर फैला कर बर्थ पर बैठ गई ।‘वाराणासी से पुणे’, साप्ताहिक एक्सप्रेस ट्रेन ध...
09/11/2024

रमा जी ने अपना पर्स और बैग सीट पर रखा और एक चादर फैला कर बर्थ पर बैठ गई ।

‘वाराणासी से पुणे’, साप्ताहिक एक्सप्रेस ट्रेन धीरे-धीरे प्लेटफॉर्म छोड़ रही थी। सफर करने वाले यात्रियों के रिश्तेदार हाथ हिलाकर उन्हें रुखसत कर रहे थे। कई माताएं अपने आंसू पोंछ रही थी, शायद अपनों से बिछड़ने का गम आंखों से झर रहा था ।रमा जी की आंखें भी भीग उठी।
वह भी तो अपने सुहाग को आज पूरी तरह से विदा कर आयी थी। आज ही केशव जी के ‘अस्थी कलश’ को गंगा में प्रवाहित किया था ।

केशव हमेशा कहते थे’ अंतिम निद्रा अपनी गंगा मैया की ही गोद में लेना है मुझे ।जब मैं ना रहूं तो मेरी अस्थियां गंगा में ही प्रवाहित करना ।’

“और अगर मेरी गाड़ी पहले छूट गई तो? रमा जी चिढ़कर कहती तो हंसकर कहते “नहीं, यहां मैं तुम्हारी नहीं चलने दूंगा !” मेरी ट्रेन एक्सप्रेस है।’

‘मैं आप की गाड़ी को लाल झंडी दिखाकर रोक लूंगी”रमा तुनक कर कहती।

पर उतना वक्त ही नहीं मिला
और सच ही हुआ। अच्छे भले केशव अभी 65 की उम्र ही तो थी, हंसमुख जिंदा दिल स्वस्थ अचानक दिल का दौरा पड़ा और रमा को अकेला छोड़कर चले गए।

रमा को स्टेशन पर छोड़ने बेटा बहू आए थे।
ट्रेन निकलने में अभी आधा घंटा था। बहु बार-बार घड़ी देख रही थी। रमा ने कहा ” बेटा कहां तक तुम लोग यहां खड़े रहोगे निकलो तुम्हारे प्लेन का टाईम हो रहा होगा !”
“ठीक है मां, अपना ख्याल रखना और तुम्हारा वहां आने का विचार बने तो बताना मैं टिकट भेज दूंगा।”
बेटा उसे बार-बार अपने साथ स्टेट्स रहने का आग्रह कर रहा था, परंतु रमा का मन नहीं मान रहा था….. और पिछले अनुभवों से वह यह भी जानती थी कि बहू को उनके साथ रहना बहुत नहीं भाता था ।उसकीआजादी में खलल पड़ती थी।
और फिर….. कितनी ही यादें है केशव कि उस घर में।

तभी कुपे का दरवाजा नाॅक हुआ। शायद कोई और सहयात्री हो? क्योंकि सामने की बर्थ खाली थी। देखा तो टी.सी. आया था। रमा ने पूछा तो बोले अगले स्टेशन से रिजर्वेशन है।
रमा थोड़ी देर तक यूं ही बैठी रही।

तभी ट्रेन का हॉर्न जोर से बजा ,गाड़ी की खड़खड़ कुछ अलग सी लगी !कांच में से देखा गाड़ी नदी के ऊपर बने पुल पर से सरपट भाग रही थी।कलकल बहती गंगा का पाट काफी चौड़ा था! रमा हाथ जोड़ कर उसे देखती रही शायद इसी जल में से केशव की आत्मा उससे अंतिम विदाई ले रही थी। धीरे-धीरे नदी आंखों से ओझल होती गई और रमा का दिल भर आया वह फूट-फूट कर रो पड़ी अंदर जमा हुआ दुख आंसुओं के रूप में बहने लगा रोते रोते उसकी आंख लग गयी।
शायद कोई बड़ा स्टेशन आया होगा, पैसेंजर उतर रहे थे उनकी आवाज से रमा की नींद खुली तभी कुपे का दरवाजा किसी ने खटखटाया बाहर से बच्चे के रोने की आवाज भी आ रही थी रमा ने दरवाजा खोला तो देखा एक युवा दंपति और एक 10- 11 महीने का बच्चा गोद में था ,रमा उनिंदीआंखों से देख रही थी, युवक ने बर्थ के नीचे समान जमाया और युवती जो बच्चे की मां थी, चुप करने की कोशिश कर रही थी पर् बच्चा चुप ही नहीं हो रहा था।
सारा सामान ठीक से रखकर युवक ने कहा ‘लाओ मुझे दो, और सुनो प्रीति दूध की बोतल निकाल दो!” युवती ने बच्चे को उस युवक को दे दिया ।बोतल से दूध पीकर बच्चा सो गया करीब आधे घंटे बाद ही बच्चा फिर से रोने लगा।
“देखो, शायद कहीं उसे ठंड तो नहीं लग रही ? लाओ दो मेरे पास “ कह कर युवती ने उसे शॉल लपेट दी और बर्थ पर सुलाने की कोशिश करने लगी। रमा लेटे-लेटे सब देख रही थी मन ही मन सोचने लगी उसके बेटे बहू के भी बच्चा होता तो ऐसा ही होता पर, बहू नहीं चाहती, कहती है अभी जिम्मेदारी नहीं उठानी है, उसे तो अभी करियर पर ही फोकस करना है ।
क्या इस दंपति ने नहीं सोचा ?

सोचते सोचते रमा की आंख लग गई। बीच-बीच में नींद उचट रही थी, बच्चा थोड़ी देर चुप होता और फिर कुलबुलाकर रोने लगता। उसके रोने की आवाज ट्रेन की आवाज में कुछ दब जाती।

सुबह-सुबह रमा टॉयलेट जाने के लिए उठी तो देखा वह युवक बच्चेंको लेकर बोगी के कॉरिडोर में घूम रहा था।
तभी गाड़ी रुकी , युवती ने अपने पति को आवाज देकर कहा “सुनो इसके लिए दूध देखना मिल रहा है क्या?” युवक ने बाहर उतर कर देखा प्लेटफार्म पर सामने स्टॉल था वहां से वह दूध बोतल में भरकर लाया, और साथ में थरमस भरकर चाय।
रमा को भी चाय पीने की तलब होने लगी उसने बाहर देखा बाहर चाय वालों की आवाज गूंज रही थी। तभी उस युवक ने एक कप चाय रमा की तरफ बढ़ाकर कहा “लीजिए आंटी जी,आप भी हमारे साथ चाय लीजिए, गुड मॉर्निंग”। फिर उसने युवती को चाय के लिए पुछा उसने ‘अभी नहीं कहा।’
“सुनो, प्रीति तुम ऊपर की बर्थ पर सो जाओ, चुन्नू को मुझे दे दो” ,युवक ने बच्चे को अपने पास ले लिया । युवती ऊपरी बर्थ पर चढ़ गई और कुछ ही देर में उसे नींद ने घेर लिया ।बच्चा दुध पीने में आनाकानी कर रहा था। शायद उसे मां के दूध की जरूरत है।
रमा ने बॅग में से बिस्कुट निकालकर युवक को दिए वह बिस्कुट बच्चे को खिलाने लगा । बच्चे के मुंह में दो-तीन दांत दिखाई दे रहे थे रमा अब बच्चे को ध्यान से देखने लगी! दस-ग्यारह महिने का होगा देखने में अच्छा गोल मटोल पर कुछ चिड़चिड़ा सा शायद ट्रेन में बैठे-बैठे ऊब गया होगा। बार-बार नीचे उतरने की कोशिश कर रहा था युवक से संभल नहीं रहा था, और उसकी मां –वह निश्चिंत सो रही थी।
रमा ने युवती को ध्यान से देखा यही कोई 24 -25 की होगी। बच्चा तो है पर मां जैसा कोई भाव उसके चेहरे पर नजर नहीं आ रहा है। रमा को अचरज हुआ एक मां कैसे सो सकती हैं जब बच्चा रो रहा हो?
रमा को बच्चे पर दया आ गई उसने आओ यहां कहते हुए बच्चे को बिस्कुट दिखाया तो वह तुरंत रमा की गोद में आ गया।
युवक ने कहा “अरे अरे!.. वह आपको परेशान ‌‌”
“कोई बात नहीं बेटा” कह कर रमा ने उसे गोद में ले लिया और उसके घुंघराले बालों में हल्के हल्के थपकिया देते हुए धीरे-धीरे गुनगुनाने लगी… “चंदा है तू सूरज है तू” बच्चा धीरे-धीरे सो गया! रमा को लगा जैसे वह अपने पोते को सुला रही हो।
कल रात से ठीक से सो नहीं रहा था।
“बच्चा अभी छोटा है एक जगह ज्यादा नहीं रह सकता।
वैसे आप लोग कहां तक जा रहे हैं “?
जी …जलगांव—”
“चलो, अच्छा है, मैं भी वही रहती हूं!”
बच्चे को रमा की गोद से उठाकर युवक ने बर्थ पर सुला दिया।
ट्रेन अपनी गति से दौड़ रही थी।करीब दस बजे वेंडर नाश्ता लेकर आया,
“सुनो,... प्रीति उठो नाश्ता करलो।”
पर प्रीति की आंख खुल नहीं रही थी।
थोड़ी ही देर में बच्चा उठ गया और रोने लगा, तो युवक परेशान हो गया।
शायद इसने पाॅटी की है,रमा ने फिर से ऊपर नजरे उठाकर देखा,वो बेखबर सो रही थी। यह देखकर रमा से रहा न गया, उसने बच्चे का डायपर बदलने मे उस युवक की मदद की। बच्चा फिर सो गया ।
रमा ने कहा “देखो बेटा मां-बाप बनना बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, खासकर मां की…..” पर वह अपनी बात को अनाधिकार चेष्टा समझकर वहीं रुक गई।

“जी आंटी जी आपका कहना बिल्कुल सही है पर …अभी हमारी शादी नहीं हुई है” - युवक ने कहा।
“मैं समझी नहीं”- रमा ने कहा।
बगैर शादी के यह बच्चा….?

“जी… आप ग़लत समझ रही है ,यह मेरा भतीजा है।”

“तो इसके मां बाप ?” - रमा ने पूछा?

प्रीति और मैं, राहुल ,हम दोनों एक ही ऑफिस में काम करते हैं। हम दोनों की शादी तय हो चुकी हैं, अभी 4 महीने बाद ही है।,अचानक कुछ दिन पहले ऑफिस में मेरे पास फोन आया कि मेरे बड़े भाई और भाभी दोनों का एक दर्दनाक एक्सीडेंट हो गया है। मैं तुरंत जाने के लिए तैयार हुआ मैने प्रीति को घटना के बारे में बताया; तो वह भी मेरे साथ चलने को तैयार हो गई।
हम दोनों तुरंत वहां पहुंचे ।भाभी ऑन द स्पॉट खत्म हो चुकी थी़, यह चुनमुन गाड़ी की टक्कर से दूर जाकर गिरा था ।तकदीर का खेल देखिए, इसे खरोच तक नहीं आयी।भैया की सांसे अटकी हुई थी ।जब मैं अस्पताल पहुंचा मुझे देखकर भैया रोने लगे कहने लगे चुनमुन का क्या होगा…… तब मैंने कहा “भैया मैं हूं ना! तभी प्रीति ने चुनमुन को गोद में उठा लिया और भैया के हाथ पर हाथ रख कर कहा “आज से यह हमारा बेटा है,
प्रीति के आश्वासन से भैया के चेहरे पर संतोष के भाव आए। …पर भीतरी चोटों की वजह से वह बच नहीं पाए और उन्होंने आंखें फेर लीं।”
“अब उनके अंतिम संस्कार करके हम वापस अपने शहर लौट रहे हैं।” कहते कहते युवक की आंखें भर आई। ‌
, “ओह……. पर वैसे क्या तुम्हारी भाभी के और कोई रिश्तेदार ….?” रमा ने टटोला।
“नही एक भाई है पर—!!” उस युवक की चुप्पी, बहुत कुछ बोल गई।

रमा मन ही मन में लज्जित हुई, क्या सोच रही थी वह प्रीति के बारे में, एक फ़ूहड़ मां जो अपने बेटे की ठीक से देखभाल नही कर रही है!!
पर वास्तव में वह एक मजबूत इरादों वाली युवती है, जो अपने होने वाले पति का दिलोजान से साथ देने को तैयार हैं।

अचानक एक झटका लगा और ट्रेन रुक गई। प्रीति नीचे उतर आयी तब चुनमुन रमा जी की गोद में बैठ कर हंस-खेल रहा था।
“देखो तो… मम्मी की नींद हो गई।” रमा ने कहा तो प्रीति ने बच्चे को अपनी गोद में उठा कर चूम लिया। वह बोली
“इसने परेशान तो–”
“अरे नहीं अच्छा लगा मुझे” रमा ने हंस कर कहा।
“हम कब तक पहुंचेगे जलगांव —?”
“दो तीन घंटे ‌समझ लो थोडी लेट हो गई है।” राहुल ने कहा।
दोपहर का लंच आ गया चुनमुन थाली देखकर मचलने लगा। “ये सब तो तीखा है, क्या खिलाऊं?” प्रिती ने राहुल की तरफ देखकर कहा।
“सुनो बेटी, दूध बचा है ना ? इसे दूध रोटी चूर के खिला दो।लाओ मुझे दो मैं खिला दूं?
रमा ने कटोरी में रोटी चूर कर दूध मिलाया और “ये चम्मच मम्मी का, ये पापा का” करते करते चुनमुन को खिला दिया।
“आंटी आपके भी पोती या पोते होंगे ना?”
“आप प्रयाग में ,अकेली?” प्रीति ने जानना चाहा।

रमा ने संक्षेप में सब बताया।और हाथ धोने उठ गई।
रमा हाथ धो कर आयी तब भी उनकी लाल आंखों से पता चल रहा था कि बाथरूम में जाकर वो अपने आंसू धोकर आयी हैं।
“सुनो राहुल मैंने अपनी छुट्टियां बढाने कि अर्जी का मेल कर दी है, बॉस का अफर्मेशन भी आ गया है।”
रमा के मन में विचारों का बवंडर उठा अभी शादी नहीं हुई है और पहले ही बच्चे कि जिम्मेदारी…!! अपने मधुमास के दिनों को बच्चे के डायपर बदलने मे बिताना और वह भी खुशी से ,कितनी नेकदिली है,और ये चुनमुन बेचारा, उसे तो अपनी मां के बारे में कुछ भी पता नहीं; तभी रात में रो रहा था अपनी मां की गोद खोज रहा होगा।
इधर राहुल सोच रहा था… पती के वियोग का दुख और अकेलापन इस सब के बावजूद कितनी आत्मीयता जैसे कोई सगा हो।

अचानक ट्रेन की गति धीमी होते हुए दिखाई दी।गाड़ी का विसल जोर से बजा शायद सिग्नल नहीं था। लगता है जलगांव आउटर आ गया है, बस जलगांव आने ही वाला है। प्रीति सामान समेटना शुरू करो।… आंटी जी आप कहां रहती हैं? हम आप को जाते जाते ड्राप कर देंगे।”

“अच्छा बेटा, तुम्हारा फोन नंबर तो दे देना,. और हां कभी समय मिले तो घर आना,फोन करना…. ।

इतने कम समय में, इस ट्रेन के सफर ने, कितना अपनापन महसूस करा दिया है।…. रमा जी ने सोचा।

रमा को अपना नंबर देकर राहुल ने कहा “चुनमुन अपनी नानी से कहना, मम्मी पापा की शादी में उनको जरूर जरूर आना है।”
“अरे आना ही पड़ेगा, चुनमुन को तैयार कौन करेगा और दूधरोटी कौन खिलाएगा?”
प्रीति ने झुककर रमा के पांव छुए तो भरे गले से रमा ने उसे आशिश दे कर गले लगाया और कहा “सदा सुखी रहो।”
रमा ने महसूस किया कि सचमुच ट्रेन के इस सफ़र में बहुत कुछ खोया तो कुछ पाया भी!
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श्रीमती प्रतिभा परांजपे,
जबलपुर, म.प्र।

KEY VERSE:"Notwithstanding I have a few things against thee, because thou sufferest thatwoman Jezebel, which calleth her...
22/12/2023

KEY VERSE:
"Notwithstanding I have a few things against thee, because thou sufferest that
woman Jezebel, which calleth herself a prophetess, to teach and to seduce my servants to commit fornication.
and to eat things sacrificed unto idols. "Rev.2:20

The aim of seduction
is to pollute the heart of others with the thoughts of immorality to commit sexual
sins.

It is only subtil and corrupted hearts that can think of puttíng on short skirts or gowns, transparent
and under sized clothing that the harlots wear that tight and stick's to their body like glue, advertising
their shapes and parts of their body without repentance.

Immortality and Seductive Dressing is a sin against the Almighty God.

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