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KEY VERSE:"Notwithstanding I have a few things against thee, because thou sufferest thatwoman Jezebel, which calleth her...
22/12/2023

KEY VERSE:
"Notwithstanding I have a few things against thee, because thou sufferest that
woman Jezebel, which calleth herself a prophetess, to teach and to seduce my servants to commit fornication.
and to eat things sacrificed unto idols. "Rev.2:20

The aim of seduction
is to pollute the heart of others with the thoughts of immorality to commit sexual
sins.

It is only subtil and corrupted hearts that can think of puttíng on short skirts or gowns, transparent
and under sized clothing that the harlots wear that tight and stick's to their body like glue, advertising
their shapes and parts of their body without repentance.

Immortality and Seductive Dressing is a sin against the Almighty God.

ये कहाणी एक ऐसे लड़के की है जो प्रेम शब्द के बारे में कुछ नहीं जानता था। उसने कभी भी प्रेम के बारे में नहीं जाना था। चलि...
31/10/2023

ये कहाणी एक ऐसे लड़के की है जो प्रेम शब्द के बारे में कुछ नहीं जानता था। उसने कभी भी प्रेम के बारे में नहीं जाना था। चलिए हम उस लड़के के प्रेम कहानी (love story ) को जानते थे। एक लड़का था, वह काफी खुश रहता था। उसके जीवन में कोई गम नहीं था। अभी उसकी पढ़ाई ख़त्म नहीं हुए थी। हम आपको बता दें कि वह लड़का पढ़ने में बहुत तेज था।

उससे हर टीचर खुश रहते थे। जब वह अगली कक्षा में गया तो उसके कक्षा में एक नई लड़की का दाखिला हुआ। वह लड़की पढ़ने में काफी सही थी। यह लड़का मन का काफी साफ था, वह हमेशा लड़कियों से तो बात करता था लेकिन कोई बुरा नजर नहीं डालता था।

अब नई लड़की उस लडके की कक्षा में आई थी। पहले तो इन दोनों में कोई बात नहीं होती थी। लेकिन वह कहते है न कि नियति जो चाहे वह कर सकती है। कुछ समय बाद ही पढ़ाई से जुडी काम के लिए बातें शुरू होने लगी।

पहले तो काफी कम बातें होती थी लेकिन उन दोनों को एक दूसरे से बात करने में काफी मजा आता था। वह अब बहुत सी बाते करने लगे। उन्हें अब धीरे-धीरे प्रेम भी होने लगा लेकिन उन्हें इसका पता नहीं चला। लड़की तो बहुत जल्द समझ गई कि उसे प्रेम हो गया है। वह लड़के के साथ रहने के लिए तैयार हो गई।

Love Story

मेल डॉमिनेटिंग इंडस्ट्री में जिस समय को एक्ट्रेसेस के लिए सबसे बुरा दौर माना जाता है, उस दौर में शबाना आजमी के नाम लगाता...
25/09/2023

मेल डॉमिनेटिंग इंडस्ट्री में जिस समय को एक्ट्रेसेस के लिए सबसे बुरा दौर माना जाता है, उस दौर में शबाना आजमी के नाम लगातार तीन नेशनल अवार्ड जीतने का रिकॉर्ड है। जब एक्ट्रेसेस का एक फिक्स रोल होता था कि, पहले रूठना है, फिर हीरो गाना गाएगा, फिर हिरोइन भी सारी हैरेसमेंट भूलकर साथ में गाने लगेगी, उस दौर में शबाना आजमी ने ऐसी फिल्मे की है जिनकी वजह से शबाना आजमी काबिल एक्ट्रेस कहा जाता था हिरोइन नही। फिल्म स्पर्श के आखिर में उनके किरदार से जब नसीर का किरदार मिलने जाता है तो फिल्म ओपन एंडिंग पर खत्म हो जाती है। क्युकी नसीर का किरदार शबाना के किरदार के साथ बहुत बुरा सुलूक करता है, और उस वक्त की फिल्मों का चलन था कि हीरो कुछ भी करे, हिरोइन को हर हाल में माफ करना ही हैं। उस दौर में शबाना की ये फिल्म ओपन एंडिंग पर खत्म होती हैं।

About Shabana Azami

इस आर्टिकल मे आप सिखेंगे की "कैसे अपने YouTube चैनल को बढ़ाएं: एक सफल YouTube चैनल बनाने के तरीके". How to grow your you...
02/09/2023

इस आर्टिकल मे आप सिखेंगे की "कैसे अपने YouTube चैनल को बढ़ाएं: एक सफल YouTube चैनल बनाने के तरीके". How to grow your youtube channel in 1 week.

यूट्यूब चैनल बढ़ाने के तरीके: कैसे एक पॉपुलर YouTube चैनल बनाएं in 2023

YouTube आजकल एक अद्वितीय प्लेटफार्म है जहां आप वीडियो साझा करके अपनी अद्वितीय पहचान बना सकते हैं और पैसे कमा सकते हैं। एक सफल YouTube चैनल बनाने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण कदमों को ध्यान में रखना होगा। इस लेख में, हम आपको बताएंगे कि कैसे आप अपने YouTube चैनल को बढ़ा सकते हैं।

न्यूट्रल हिंदी से "YouTube वीडियो के लिए कम्पटीशन कम कीवर्ड कैसे लक्ष्यित करें: प्रक्रिया और उदाहरण" को अब आपके साथ साझा करता है:

How To Grow Youtube Channel

1) पेरासिटामोल का उपयोग।Paracetamol का उपयोगआमतौर पर सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, दांत दर्द, पीठ दर्द और मासिक धर्म मे...
22/06/2023

1) पेरासिटामोल का उपयोग।

Paracetamol का उपयोग
आमतौर पर सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, दांत दर्द, पीठ दर्द और मासिक धर्म में ऐंठन जैसी स्थितियों से जुड़े मामूली दर्द को दूर करने के लिए किया जाता है। यह सामान्य सर्दी और फ्लू सहित विभिन्न बीमारियों से जुड़े बुखार को कम करने में भी प्रभावी है।
माइग्रेन, गठिया और मांसपेशियों में दर्द, हल्के रुमेटीइड गठिया / ऑस्टियोआ में भी उपयोग होता है।

2)
पेरासिटामोल के बारे में जानकारी।

About Paracetamol

दोस्तों जीवन में इंसान को वक़्त रहते कुछ बाते सिख लेनी चाहिए, जो उसके जीवन को बेहतर बना सके। ऐसे में जीवन में क्या सही है...
16/06/2023

दोस्तों जीवन में इंसान को वक़्त रहते कुछ बाते सिख लेनी चाहिए, जो उसके जीवन को बेहतर बना सके। ऐसे में जीवन में क्या सही है और क्या गलत है यह बात का हमे बहुत अच्छे से ज्ञान होना चाहिए। इसलिए दोस्तों आज के इस लेख में हम आपके लिए कुछ ऐसे ही कोट्स को हिंदी में लेकर आये हैं जो आपको जीवन के बारे में ऐसी बाते सिखाएगी,

Reality Of Life Quotes In Hindi

अपने से दूर बसे संबंधियों, मित्रों, परिवार जनों तथा विभिन्न अधिकारी यो को पत्र लिखने की आवश्यकता पड़ती है| पत्र के द्वार...
15/06/2023

अपने से दूर बसे संबंधियों, मित्रों, परिवार जनों तथा विभिन्न अधिकारी यो को पत्र लिखने की आवश्यकता पड़ती है| पत्र के द्वारा हम अपनी बात अत्यंत सुगमता से उन तक पहुंचा सकते है|

यद्यपी आजकल दूरभाष, तार, ई-मेल, इंटरनेट, टेलीफोन, मोबाईल फोन आधी द्वारा भी यह कार्य किया जाता है परंतु फिर भी पत्र का महत्व कम नही हुआ है क्योंकि :

•पत्रों द्वारा विस्तार से अपनी बात व्यक्त की जा सकती है|

•पत्रों द्वारा विचारों को प्रेषित करना अन्य साधनों की अपेक्षा सस्ता है|

•अधिकारीयों तक अपनी बात पहुंचाने, शिकायत करने, आवेदन या प्रार्थना आदी के लिए केवल पत्र का ही सहारा लिया जा सकता है, अन्य साधनो का नाही|

•पत्रों को दस्तावेजी़ साक्ष्य के रूप मे रखा जा सकता है और आवश्यकता पड़ने पर उनका पुनरावलोकन एवं प्रयोग किया जा सकता है|

Informal Letter Format In Hindi

बहुत समय पहले की बात है हिन्दू पंचांग के अनुसार लगभग 9 लाख वर्ष पूर्व त्रेतायुग में एक अत्यंत प्रतापी सूर्यवंशी राजा दशर...
04/06/2023

बहुत समय पहले की बात है हिन्दू पंचांग के अनुसार लगभग 9 लाख वर्ष पूर्व त्रेतायुग में एक अत्यंत प्रतापी सूर्यवंशी राजा दशरथ हुआ करते थे। इनकी राजधानी का नाम अयोध्या था। राजा दशरथ बहुत ही न्यायप्रिय और सदाचारी राजा थे। उसके शासन में सभी प्रजा सुखपूर्वक अपना जीवन व्यतीत करती थी। महान प्रतापी सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र और यशस्वी राजा भागीरथी राजा दशरथ के पूर्वजों में से एक थे। राजा दशरथ अपने पूर्वजों की भाँति धार्मिक कार्यों में अत्यधिक संलग्न थे। राजा दशरथ के कोई संतान नहीं थी। जिससे वह अक्सर उदास रहता था। राजा दशरथ की तीन रानियां थीं। पहली रानी का नाम कौशल्या, दूसरी रानी का नाम सुमित्रा और तीसरी रानी का नाम कैकेयी था, राजा दशरथ एक महान धनुर्धर थे। वह गाली गलौच में माहिर था। वह राजा दशरथ के मन में हमेशा शब्द की ध्वनि सुनकर लक्ष्य को बिना देखे ही भेद सकता था। इसी चिंता में डूबे राजगुरु वशिष्ठ ने एक दिन दशरथ को पुत्रेष्टि यज्ञ करने का सुझाव दिया। उन्होंने श्रृंगी ऋषि की देखरेख में यह यज्ञ किया। इस यज्ञ में खूब दान-पुण्य किया गया। इस यज्ञ के बाद प्रसाद के रूप में खीर तीनों रानियों को खिलाई गई। कई महीनों के बाद तीनों रानियों के चार पुत्र हुए। सबसे बड़ी रानी कौशल्या की राम, कैकेयी की भरत और सुमित्रा की लक्ष्मण और शत्रुधन थीं।

बहुत समय पहले की बात है हिन्दू पंचांग के अनुसार लगभग 9 लाख वर्ष पूर्व त्रेतायुग में एक अत्यंत प्रतापी सूर्यवंशी रा.....

मथुरा में भोजवंशी राजा उग्रसेन राज्य करते थे। उनके आक्रामक पुत्र कंस ने उन्हें सिंहासन से हटा दिया और स्वयं मथुरा के राज...
04/06/2023

मथुरा में भोजवंशी राजा उग्रसेन राज्य करते थे। उनके आक्रामक पुत्र कंस ने उन्हें सिंहासन से हटा दिया और स्वयं मथुरा के राजा बन गए। एक बार राजा कंस था जो देवकी का भाई था। वह अपनी बहन देवकी को उसके ससुराल छोड़ने जा रहा था कि रास्ते में थकान के कारण उसे नींद आ गई। वह रथ में सोते-सोते अपनी बहन की ससुराल जाने लगा। अचानक उसे एक सपना आया। उस स्वप्न में बताया गया कि तेरी बहन अर्थात् देवकी के गर्भ से उत्पन्न आठवां पुत्र, जिसे तू प्रसन्नतापूर्वक उसकी ससुराल ले जा रहा है, तुझे मार डालेगा। कंश घबराहट में नींद से जाग गया। कंश के बाद अपने सपने के बारे में बताता है। उसने वासुदेव (देवकी के पति) से उसे मारने के लिए कहा। तब देवकी ने कंस से याचना करते हुए कहा कि मैं स्वयं अपने बालक को लाकर तुम्हें सौंप दूंगी, तुम्हारे देवर जो निर्दोष है उसे मारने से क्या लाभ होगा। कंस ने देवकी की बात मानी और वासुदेव और देवकी को मथुरा के कारागार में डाल दिया। कुछ समय जेल में रहने के बाद, देवकी और वासुदेव को एक संतान की प्राप्ति हुई। कंस को जैसे ही इस बात का पता चला, वह कारागार में आया और उस बालक को मार डाला। इसी तरह कंस ने देवकी और वासुदेव के सात पुत्रों को एक-एक करके मार डाला। जब आठवें बच्चे की बारी आई तो जेल में पहरेदारी दोगुनी कर दी गई। जेल में कई सिपाही तैनात थे। लेकिन उस दिन तैनात जवान थकान और नींद की कमी के कारण गहरी नींद में सो गए। आठवां पुत्र हुआ। उस दिन भारी बारिश हो रही थी। बालक श्रीकृष्ण को सूप में रखकर वासुदेव जी चले गए।

मथुरा में भोजवंशी राजा उग्रसेन राज्य करते थे। उनके आक्रामक पुत्र कंस ने उन्हें सिंहासन से हटा दिया और स्वयं मथुरा ...

एंजेल नंबर 666: भाग्य की प्रकटीकरण का संकेत.विचार कीजिए, आपका काम जीवन में आपके लिए महत्वपूर्ण है और आप उसे बढ़ाना चाहते...
25/05/2023

एंजेल नंबर 666: भाग्य की प्रकटीकरण का संकेत.

विचार कीजिए, आपका काम जीवन में आपके लिए महत्वपूर्ण है और आप उसे बढ़ाना चाहते हैं। आप ध्यान देते हैं कि आपको धन, संसाधन और सहायता की आवश्यकता होती है ताकि आप अपने काम को सफलतापूर्वक पूरा कर सकें। इस समय, आपको बार-बार 666 एंजेल नंबर दिखाई देता है।

यह एंजेल नंबर आपको यह बताने के लिए हो सकता है कि आपको धन की प्राप्ति और आर्थिक सहायता के लिए किसी से मदद मांगने का समय है। यह आपको अपने व्यवसायिक या व्यापारिक संबंधों में और उन लोगों के साथ जुड़ने में मदद कर सकता है जो आपके प्रगति के लिए आवश्यक हो सकते हैं।

आपको इस नंबर की संदेशिका को समझने के बाद, आप एक निश्चित समय में धन और संबंधित संसाधनों की खोज और प्राप्ति करने के लिए कदम उठा सकते हैं।

Angel Number 666

पिछले कुछ दिनों से एक अलग ही बुखार महसूस हो रहा था। मुझे पहले भी बुखार हो चुका है लेकिन यह बुखार बहुत अलग लगा। एक-एक करक...
16/03/2023

पिछले कुछ दिनों से एक अलग ही बुखार महसूस हो रहा था। मुझे पहले भी बुखार हो चुका है लेकिन यह बुखार बहुत अलग लगा। एक-एक करके घर के सभी लोग संक्रमित हो गए, उन्होंने कहा कि हमेशा ऐसा ही होता है। उसमें कोरोना के बाद साढ़े तीन बजे ही इम्युनिटी है। गोलियां ठीक होने में वक्त लेती हैं, कमजोरी अभी भी है। एक-एक करके चारों ओर इस बुखार की चर्चा होने लगी। "साथ चल रहा है, साथ चल रहा है" सब कहने लगे। तब पता चला, यह H2N3 वायरस है। वैसे भी अलग-अलग वायरस किसके साथ पैदा होते हैं। तो इस वायरस के बारे में कुछ जानकारी।

Hindi में H2N3 के लक्षण

H2N3 H2N3 इन्फ्लुएंजा ए वायरस

H2N3 H2N3 इन्फ्लुएंजा ए वायरस के लक्षण

H3N2 symptoms in Hindi

आँखों में लगाया हुआ वो काजल़ थोड़ा सा बिखर सा गया था..चेहरे पें फ़िर सें वहीं सवाल उसे दिखाई दे रहें थें.. अपने आप को आई...
20/12/2022

आँखों में लगाया हुआ वो काजल़ थोड़ा सा बिखर सा गया था..चेहरे पें फ़िर सें वहीं सवाल उसे दिखाई दे रहें थें.. अपने आप को आईनें में इस तरह देखकर सांची की आँखें नम़ सी हो गई अभीं और आँखों से आंसूं निकलनें लगें उसके..।

न जाने कितनी देर सांची युहीं खुदकों निहारतें हुए रोनें लगीं।

यें कहानी है दो प्यार करनें वालें दिलों की

" सांची.. ये है मेरे बॉस..", अमोल सांची से कहता है तो सांची पिछे मुड़कर देखती है और उसकी आंंखे एक तरफ़ सामने की ओर देखती...
02/12/2022

" सांची.. ये है मेरे बॉस..", अमोल सांची से कहता है तो सांची पिछे मुड़कर देखती है और उसकी आंंखे एक तरफ़ सामने की ओर देखती रहती है..

"सांची.. सांची.. ", वहीं खड़ा हुआ अमोल सांची को इस तरह से खोये हुए देखकर उसे आवाज़ देता है तो सांची सिर्फ सामने देखते हुए, "हॅलो.. ", कहकर अपना सर झुका लेतीं है।

"अमोल.. मुझें कुछ काम है.. मै चलता हूँ..", इतना कहकर उसके बॉस वहाँ से चले जाते हैं तो फिर अमोल सांची कें सामनें बैठ जाता है।

"माफ करना सांची.. वो क्या है की, ये मेरे नए बॉस है.. अचानक से वो सामने दिख गए तो ऐसे अच्छा नहीं लगता ना अगर मै उनसें बात नहीं करता तों.. इसलिए.. ", अमोल सांची से कह रहा था लेकिन सांची का दिल और दिमाग़ वो तो कब कें कई खोयें हुए थें।

"सांची.. सांची..", अमोल फिरसे सांची कों आवाज़ देता है तो सांची अपनें ख्यालों से बाहर आतीं है।

" सांची.. आपकी तबियत तो ठीक है ना..?? मै देख रहा हुँ कब से आप कहीं खोयीं हुई सी लग रहीं हों...", अमोल सांची से पुछता है.. तो सांची के आँखों सें आंसू निकलनें लगते हैं और सांची अमोल को बिना कुछ कह सीधे कॅफे के वॉशरूम में चली जाती है।

वाॅशरूम का दरवाजा बंद कर सांची फुट फुट कें रोने लगतीं है..।

न जाने कितनी देर तक उसनें इन आंसूओं को रोख के रखा हुआ था।

सांची कई मिनिटों तक रोती रहती है।

यें कहानी है दो प्यार करनें वालें दिलों की

सांची झुमका पहनकर कमरें से बाहर आती है.. सांची की माँ सांची को देखकर अपनें आँखो का काजल़ उसे लगातें हुए बोलतीं है,"कितनी...
02/12/2022

सांची झुमका पहनकर कमरें से बाहर आती है.. सांची की माँ सांची को देखकर अपनें आँखो का काजल़ उसे लगातें हुए बोलतीं है,
"कितनी प्यारी लग़ रहीं हैं मेरी बच्ची.. कहीं मेरी नज़र ना लग़ जाए..."

"माँ.. आप भीं ना.. भला माँ की नजऱ कभीं बेटीं को लगती़ है क्या..?? चलिए नाष्टा दीजिए जल्दी.. ऑफिस के लिए लेट हो जाऊंगी वरना..", सांची कहतीं है तो उसकी माँ नाष्टा देती है.

नाष्टा खत्म कर सांची अपना टिफीन लेते हुए ऑफिस के लिए निकल रहीं होती है तभीं उसकें पापा वहॉं आतें है और सांची से कहतें है,

" बेटा सांची.. मुझें और तुम्हारी माँ को अमोल पसंद है.. आज तुम उससें सारी बातें कर लेना.. समझीं..?? "

"जी पापा..", इतना कहकर सांची घर से निकलती है. थोड़ी देर बाद वो ऑफिस में पहुँच जातीं हैं.

"अरे वाह.. आज तो दिन में चाँद निकल आया है...", सांची को निहारते हुए उसकी ऑफिस की सबसे क़रीबी दोस्त नैना कहतीं है।

" नैना..। तु भीं ना कभीं नहीं छोड़ती मुझें.. ", सांची आँखे बड़ी करते हुए नैना की ओर देखती है।

"तो आज़ फिरसे कहीं जाना हैं..", नैना एक आँख मारते हुए सांची को बोलतीं है तो सांची सिर्फ अपना सर हिलाती है..।

"सांची.. यार तुझें ना जल्दी से कोई अच्छा लड़का मिल जाए.. मेरी तो यहीं ख्वाहिश है.. तेरी शादी में मै बहुत नाचनें वाली हूँ..", नैना बड़े चाव से बोलने लगती़ है।

यें कहानी है दो प्यार करनें वालें दिलों की

पापा ने सांची से अमोल को मिलने के बारें में कहाँ तो सांची ने, "हाँ", इतना कहकें सर हिलाया अपना.शाम को समोसे खाने के बाद ...
02/12/2022

पापा ने सांची से अमोल को मिलने के बारें में कहाँ तो सांची ने, "हाँ", इतना कहकें सर हिलाया अपना.

शाम को समोसे खाने के बाद सांची और बाकी घरवालों कों भीं ज्यादा भूख नहीं लगीं थीं इसलिए सांची ने सबके लिए बादाम का दुध बनाया.

सब लोगों ने दूध पी लिया तो सांची ग्लास उठाकर उसे धोने के लिए किचन में चली गयी, तभीं उसको उसके पापा की फोन पर चल रहीं बातें सुनाई दी.

"जी बिलकुल पारितोष साहब.. हमें तो कोई गुंजाइश नहीं है, आपका बेटा अमोल हमें बेहद पसंद है हमारी सांची के लिए लेकिन सवाल उन दोनों की ज़िंदगी का है इसलिए उन दोनों का मिलना बेहतर होगा", इतना बोलकर उसके पापा सामने वालें की बातें सुन रहे थें शायद..

"हाँ.. हाँ..", इतना कहकर उसकें पापा फिर बोले,
"जी ठीक है.. आप अमोल को कह देना सांची से बात करनें के लिए.. अगर दोनों बच्चे आपस में राजी हो गए तों हमें भीं बहुत खुशी होगी.. चलिए रखता हूँ.. "

इतना कहकर सांची के पापा ने फोन रख दिया.
सांची किचन में खड़ी सारी बातें सुन रहीं थीं.

"सांची बेटा सुनो तो..", सांची के पापा ने उसें आवाज़ दी तो सांची किचन से बाहर आ गयीं.

यें कहानी है दो प्यार करनें वालें दिलों की

गाना खत्म हुआ तो सांची कमरें का दरवाजा खोल कर बाहर आ गयीं. बाहर कोई नहीं था. तभीं सांची को किचन में से कुछ आवाजें सुनाई ...
02/12/2022

गाना खत्म हुआ तो सांची कमरें का दरवाजा खोल कर बाहर आ गयीं. बाहर कोई नहीं था. तभीं सांची को किचन में से कुछ आवाजें सुनाई दी तों उसनें झांककऱ देखा किचन में.. सांची की माँ काम कर रहीं थीं.. सांची धीमें से अपने कदम बढ़ाते हुए बिना कुछ आवाज़ किए किचन में चली गयीं.. उसने माँ को पिछे सें एक झपकीं दीं तो उसकी माँ बोलीं,
"उठ गयीं सांची मॅडम.. आप को चाय दू या कॉफी??"

माँ की बातें सुनकर सांची माँ कें सामने आकर खड़ी हो गई.. उसनें अपने दोनों हाथ माँ कें कंधों पर बड़े प्यार से रख दिए और बोलने लगीं.

" अरे मेरी प्यारी माँ.. गुस्सा छोड़ भीं दो अब.. तुम गुस्से में अच्छी नहीं लगतीं..। "

" सांची.. बस कर.. अब मुझे मख्खन मत लगा.. दोपहर कों ऐसे बोलते हुए चलीं गयीं जैसे हम तेरे दुश्मन है..",
सांची की माँ बोली.

(मख्खन लगाना मतलब किसी कीं थोडीं तारीफ़ करकें उसको चढ़ाना)

माँ की बातें सुनकर सांची अपने कान पकड़ते हुए बोली,
" अरे मेरी प्यारी माँ.. अब माफ भीं कर दो मुझें.. दोपहर को गुस्से में बहुत कुछ बोल गयीं ना मैं.. मुझें माफ कर दो..
आप लोग मेरे दुश्मन नहीं हों, मुझें भीं पता है आप लोगों को हर वक्त मेरे भविष्य कीं चिंता सताती रहती है, आप लोग यहीं चाहतें है ना की मै शादी कर कें खुश रहूँ.. मुझें पता है सब माँ.. लेकिन माँ मै ऐसे किसी के साथ शादी नहीं कर सकतीं ना?? आखिर मेरीं भीं ज़िंदगी का सवाल है..। "

यें कहानी है दो प्यार करनें वालें दिलों की

"शादी.. शादी और शादी.. बस्स हुआ अब.. मै थक गई हुँ आपकें सवालों कें जवाब देते हुए.. ", ऐसे बोलते हुए सांची अपनें कमरें मे...
01/12/2022

"शादी.. शादी और शादी.. बस्स हुआ अब.. मै थक गई हुँ आपकें सवालों कें जवाब देते हुए.. ", ऐसे बोलते हुए सांची अपनें कमरें में आ गयीं.. उसनें जोर से दरवाज़ा बंद कर लिया और आईने कें सामनें खड़ी होकर अपनें आप को निहारने लगीं... ।

आँखों में लगाया हुआ वो काजल़ थोड़ा सा बिखर सा गया था..चेहरे पें फ़िर सें वहीं सवाल उसे दिखाई दे रहें थें.. अपने आप को आईनें में इस तरह देखकर सांची की आँखें नम़ सी हो गई अभीं और आँखों से आंसूं निकलनें लगें उसके..।

न जाने कितनी देर सांची युहीं खुदकों निहारतें हुए रोनें लगीं।

थोड़ी देर बाद जैसे तैसे खुदकों संभालते हुए सांची नें अपनें आंसूं पौछ दिए और वो अलमारी कें पास गई..

सांची ने अलमारी खोलीं अपनी और कपड़ों कें नीचें रखी हुई लाल रंग की चुनरी उठा ली, तभीं उस चुनरीं में से एक सुखा हुआ गुलाब और एक तस्वीर नीचें जमीन पर गिर गई..।

सांची नें अलमारी बंद कर दीं..नीचें पड़ीं हुई वो तस्वीर और सुखा हुआ गुलाब उसनें बड़े प्यार सें उठाया और वो अपनें बिस्तर पर आकें बैठ गई उस तस्वीर कों निहारतें हुए और वो खो गयीं अतीत में...

यें कहानी है दो प्यार करनें वालें दिलों की

19/09/2022

"अरे ना भई ना! इस माह तो नही दे पाऊंगा! कानपुर जा रहा हूँ परिवारके साथ.... भांजी की शादी जो है! आने-जाने का खर्चा... उपर से लेन-देन! अगले महिने देखता हूँ!"

"पर आपकी बीमा पॉलिसी की किश्त पांच महिने से नही भरी है | अगर इस माह भी नही भरी तो पॉलिसी बंद हो जाएगी |" बीमा सलाहकार त्रिलोकनाथ चौबेजी ने रामप्रकाश द्विवेदीको चेतावनी दी |

"अरे! कुछ नही!अगले महिने भर दूंगा सारी किश्ते" रामप्रकाशने हामी भरी और चौबेजीने फोन रख दिया |

आईये, मिलते है हमारे रामप्रकाश द्विवेदीसे .... आप दिल्लीके महानगपालिका कार्यालयमे बडेबाबू है... उम्र पैंतालीस साल... इनके परिवारमे है बुढी माताजी, धर्मपत्नी शीलादेवी और स्कुल मे पढते दो बच्चे |

हमारे रामप्रकाशजी बोलें तो एकदम बिंदास... इनका तकिया कलाम ही है -"आज मौज करले कल किसने देखा है!"
"बीमा इत्यादि सब अंधविश्वास है ऐसा इनका मानना है | अब त्रिलोकनाथ चौबे ठहरे उनके दूरके रिश्तेके सालेसाहब!

वो कहते है ना,"सारी दुनिया एक तरफ और जोरू का भाई एक तरफ!" तो रामप्रकाश अपने सालेसाहब की बात टाल नही पाए और आखिरकार तीन लाख का बीमा करवा ही लिया जिसके बीमा किश्त का वार्षिक भुगतान करना है |

इस बात को भी पांच वर्ष हो चुके है | इसी सिलसिलेमे चौबेजीने रामप्रकाश को फोन किया है |

हमारे रामप्रकाश हर वर्ष बीमा किश्तका भुगतान करनेमे आनाकानी करते रहते है और चौबेजी उनसे बीमा किश्त वसुल करनेमे कामयाब हो ही जाते है |

ऐसेही दो माह और बीत गये | चौबेजी ने फिर एक बार रामप्रकाशसे बात की |

"अरे यार! तेरी बहन को राजस्थान घुमा ला रहा हूँ इस बार! फ्लाईट से जायेंगे हम सब! प्रॉव्हिडंट फंडसे रकम उठाई है मैने इसके वास्ते!
नाराज मत हो यार! तेरा काम भी कर दूंगा... बस दो-एक महिनेकी मोहलत दे दे |"

"जिजाजी सुनिए तो - ये पैसे मुझे नही चाहिए | बिमाकिश्त का भुगतान ना करनेकी वजहसे आपकी पॉलिसी बंद हो गई है... उसे शुरु करवा देते है | मै शाखा कार्यालयसे कोटेशन लाया हूँ | कुल सात हजार भरने होंगे | वैसेही बीमा किश्त ना भरनेसे बीमा कव्हर का नुकसान हो रहा है.... पॉलिसीके पुनर्चलनसे फिरसे बिमाकव्हरका लाभ मिलेगा |"

"अमा छोड यार तेरा ये बीमा बीमा! मै कोई मरनेवाला नही हूँ अभी! वो बिमाकिश्त तो बादमे भी भर सकता हूँ लेकिन अभी घुमूंगा-फिरुंगा नही तो क्या बुढापेमे जाऊंगा? चल जाने दे"....! मुंहमे पान चबाते-चबाते बात को टाल दिया |

" देखिए अभी स्पॉट रिवायव्हल हो सकता है | बिना किसी कागजातके पॉलिसी पुनर्चलित हो जाएगी और निगम की तरफसे revival campaign चल रहा है तो लेट फी मे भी काफी छुट मिलेगी |" चौबेजी ने अपनी बात को आगे बढाने की पूरी कोशिश की |

"मैने कहां ना दो-तीन महिनेमे भर दूंगा! और ब्याज का क्या है जितना बढेंगा उतना भर दूंगा सूदसमेत!!क्या समझे!!!" रामप्रकाशने फिर एक बार बातको अनसुना कर दिया |

इस तरह एक साल और बीत गया | रामप्रकाशजी को बीमा किश्त भरने की सुध थी ही नही तो चौबेजीने फिरसे उन्हे कॉल किया |

"अरे, एक बार बता तो दिया ना, जब मेरे पास पैसे आयेंगे तो भर दूंगा बिमे की किश्ते... अभी चार दिन पहले तेरी बहनके लिए सोने के कंगन बनवाए है 50 ग्रामके... अभी पैसे नही है मेरे पास " झुंझलाते हुए रामप्रकाशने फोन काट दिया |

"इतनी उंची आवाज मे किससे बात कर रहे थे जी?" शीलादेवी, रामप्रकाश की धर्मपत्नीने पूछा |

"वो ही, आपके भाईसाहब! कबसे पीछे पडे है बीमा भरवानेके लिए... ये सारे बीमाएजंट एक जैसे होते है... सब कमिशनके पीछे! मै पैसे नही भरुंगा तो कमिशन नही मिलेगा न उसको... इसलिए पीछे पडा है!"

"हां! त्रिलोकीभैय्यासे बात हुई थी मेरी | थोडे पैसे है मेरे पास, क्यों ना हम बीमेकी किश्ते भर दे!" शीलादेवीने सुझाव दिया |

लेकिन अब पॉलिसी शुरु करवानेके लिए वैद्यकीय जांच की आवश्यकता थी तो रामप्रकाशने फिरसे आनाकानी की |

अब चौबेजीने भी तय कर लिया की अब और रामप्रकाशसे बीमेकी बात नही करेंगे |

तीन साल बाद -

"त्रिलोकीभैय्या, आप कुछ मेरी बीमा पॉलिसीके पुनर्चलनके बारेमे बता रहे थे... उसे शुरु करवा लेते है | और नया बीमा भी करवायेंगे दस लाख का!फॉर्म लेकर कब आईयेगा?" रामप्रकाश का स्वर आत्मग्लानीसे भरा हुआ था |

चौबेजी को पता चल चुका था की रामप्रकाश को दिल की बिमारी हो गई है | और तो और पचास की उम्रमे ही उनके दोनो फेफडे भी खराब हो चुके है | डॉक्टरो का कहना है की ऑपेरेशन करवाना होगा और जिसके सफलता के चान्सेस बहोत कम है |

रामप्रकाश के पास जो थोडीबहूत जमापुंजी थी वो वैद्यकीय इलाज मे खर्च हो गई | पुश्तैनी जमीन को बेचकर ऑपरेशन की व्यवस्था भी हो चुकी है |

लेकिन अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरी बुढी माँ, बीबी-बच्चोका क्या होगा यह चिंता उन्हे सताए जा रही है | अब उन्हे अपनी पुरानी बीमा पॉलिसी की याद आयी है... और पत्नी के कंगन बेचकर बीमा पॉलिसी के पुनर्चलन का तथा नया बीमा कराने का उनका इरादा है |
.... लेकिन अब यह संभव नही है | अपनी जरुरते तथा शौक पूरे करते समय उन्हे परिवारकी आर्थिक सुरक्षा के लिए बीमा कवच जारी रखना चाहिए था.... बल्की समय-समय पर उसे बढाना चाहिए था यह रामप्रकाश की समझ मे आ चुका है.... लेकिन अब बहोत देर हो चुकी है.... बहोत देर हो चुकी है!

©वैशाली जोशी

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वक़्त मुश्किल और आसान नहीं होता वक़्त सिर्फ वक़्त होता है, जो अपनी गति से चलता रहता है | हालात वक़्त को मुश्किल और आसान बना ...
04/08/2022

वक़्त मुश्किल और आसान नहीं होता वक़्त सिर्फ वक़्त होता है, जो अपनी गति से चलता रहता है | हालात वक़्त को मुश्किल और आसान बना देते हैं | इंसान कितना ही बुद्धिमान क्यों न हो परन्तु जब वो किसी विपत्ति में आता है तो उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है, और वो बहुत हिम्मत भी दिखता हैं परन्तु उसकी हिम्मत भी उसका साथ एक हद तक ही दे पाती है | परन्तु जो आखिर तक हिम्मत न हारें वो इंसान जीत को जरूर पाता है | मुश्किल वक़्त में हिम्मत कैसे बनायें रखें हमेशा सकारात्मक रहें :- वक़्त चाहे जितना भी बुरा हो परन्तु इंसान को हमेशा सकारात्मक रहना चाहिए | मानव स्वाभाव ऐसा ही है, लोग बुरे वक़्त में सकारात्मक नहीं रह पाते , अगर थोड़ा सा भी कुछ होता है तो मनुष्य जल्दी परेशान हो जाता है जिसके कारण वो सकारात्मक नहीं सोच पाता | परन्तु अगर आप थोड़ा हिम्मत करें तो आप उस परेशानी से निकल सकते हैं और आप अपनी सोच को सकारात्मक बना सकते हैं | औरों से प्रेरणा लें :- दुनिया में कई ऐसे लोग हैं, जिनकी परेशानी आपसे बड़ी होती है | भगवान ने आपको अगर सही सलामत इंसान बनाया है तो आपको उनका शुक्रियादा करना चाहिए क्योकि धरती में ऐसे लोग भी हैं जिनको भगवान ने शरीर से भी सही नहीं बनाया फिर भी वो इस धरती में खुश हैं और हिम्मत से अपनी ज़िंदगी जी रहे हैं | सच्चाई को स्वीकारना सीखें :- बहुत से लोग ऐसे हैं जो सच्चाई को जल्दी से स्वीकार नहीं करते | जिसके कारण उन्हें चल रही परेशानी से ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है | अगर आप मुश्किल वक़्त में हिम्मत बनाएं रखना चाहते हैं तो आप सच्चाई को स्वीकार करें | अगर आप किसी भी परेशानी का सामना करना सीख लें या फिर आप सच्चाई को स्वीकार लेते हैं तो आप उस परेशानी का सामना करने की हिम्मत रखते हैं |

वक्त सबका आता है थोडा इतजार किजिये...

29/06/2022

अमीर बनने के लिए कुदरत के कुछ नियम- १.0

कुदरत के नियमों से ये साबित होता है कि पैसे कमाने के लिए और पैसो के साथ साथ नाम, रुतबा कमाने के लिए कुदरत के कुछ नियम है जो की आपकी सोच, विचारों को गहराई तक बदल सकते है। जिससे आप एक अच्छी राह पर चलकर हजारों, लाखों पैसे कमा सकते है। इसीलिए इस पूरी स्रुष्टि का और कुदरत के नियमों को जानना आवश्यक है। इनका हमसे क्या नाता है ये भी जानना जरुरी है।

हॉ, संबंध है, बहोत ही गहरा संबंध है। क्योंकि हम सभी सजीव स्रुष्टि के नियमों के अनुसार एक आयु लेकर जन्म लेते है और अपनी जन्म से मृत्यु समय तक इस दुनियाँ में जीते है। एक तरह से सफर करते है इस जीवन की यात्रा का।

हम सभी इस प्रकृति का अंश है या फिर, यहाँ पर हर बडेसे- बड़े जीव से लेकर छोटेसे-छोटे जीवाणु को भी जीने का हक़ है। फिर भी हम सारे इंसान इन सब जीवोंसे बिल्कुल निराले है।

क्योंकि हम खुदके अस्तित्व की पहचान अपने मृत्यु के बाद भी खुदके कर्तुत्व से, खुदको अमर करके रख सकते है। अपनी पहचान निरंतर रख सकते है। हम लिख सकते है, हम बोल सकते है। हम खुदके audio -video बनाकर , खुदकी जिंदगी की किताबें बनाकर उन्हें सालों-साल अपने अस्तित्व की पहचान दुनियाभर में मशहूर कर सकते है।

https://www.irablogging.com/blog/amir-banne-ke-liye-kudrat-ke-kuch-niyam_15116

19/06/2022

श्वेता एक साॅफ्टवेयर इंजीनीयर हैं।श्वेता की शादी तय हुई तो श्वेता के मम्मीको एक अलगही चिंता सताने लगी। श्वेता शादी होने के बाद दूर चली जायेगी ये उसकी चिंता नहीं थी।चिंताका कारण था श्वेता का स्वभाव।

स्कूल टाईमसेही श्वेता पढ़ाई में अव्वल थी।वह शुरू से ही पढ़ाकू थी। पढ़ाई छोड़के उसका कहीं ओर ध्यान कभी गयाही नहीं। अब नोकरीमे भी यही हाल है। सिर्फ नोकरी ही उसके दिल और दिमाग में रहती थी। काम तो पुरे लगनसे करती हैं।अगर ओव्हरटाईम करना पड़े तो भी वह उसी लगनसे करती हैं ।इसी कारण उसे बहोत जल्दी बढ़त मिली।

ये अपने काम में इतनी दंग रहती है की बाकी किसी चीज के तरफ उसका ध्यान कभी जाता ही नही। ना चुल्हाचौका मालूम है ना घर ग्रहस्ती कैसे संभालते ये मालूम है।

श्वेता के मां ने उसे ये सब चिजे सिखाने की बहुत कोशिश की परंतु ये चिजे सिखने के लिए श्वेता के पास वक्त कहा था?

श्वेता का मंगेतर भी साॅफ्टवेयर इंजीनियर हैं
उसकी तुम्हारे काम में मदत हो सकती है ऐसा कुछ समझाबुझाकर उसे शादी के लिए राजी कर लिया गया ।

श्वेता की मां की चिंता दिन ब दिन बढ़ती गयी क्यूंकि वह ऑफीस के कामके अलावा कुछ नहीं करती थी।अगर कुछ बताओ तो टाल देती थी।
ये लड़की घर संसार कैसी करेगी यही चिंता उसकी मां को खायी जा रही थी।

श्वेता की मां का चिंताग्रस्त चेहरा देखकर समधन जी समझ गयी उन्होंने पूछा,

" समधन जी किस चिंता में खोयी हो? कुछ अड़चन हो तो बताओ।"

श्वेता की मां ने काफ़ी सोचा और फीर सबकुछ समधनजीको बतानेका सोच लिया।

"समझ नहीं आ रहा कैसे आपको बताऊं पर बताना जरूरी हैं।कल आगे जाके कुछ समस्या न खड़ी हो जाए इसलिए बताती हूं। हमारी श्वेता सिर्फ पढ़ाकू हैं।बाकी कुछ काम उसे आता नहीं।
दुनियादारी क्या होती हैं उसे पता नहीं। खाना बनाना तो आता ही नहीं।उसका सिर्फ अपनी नोकरी पर ध्यान रहता है। हमें डर लगने लगा की उसे ये काम करनेकी मानसिक बिमारी तो नही। आपके साथ रिश्ता जोड़ने के लिए हां तो कह दिया है हमने परंतु बाद में कोई अड़चन आगयी तो हम ही झूठ साबित होंगे। माफ़ करना समधनजी मुझे लगता है आप एकबार इस शादीके बारे में फिर से सोच लेना अच्छा हैं।
शादी तो उसे करनी है परंतु इसका स्वभाव ऐसा हैं।

"इतनीसी बात है। " समधनजी श्वेता के मां की बात बिच में काटकर बोली।

" मैं भी इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाती हूं। मै इंजीनियरिंग पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अच्छी तरह से जानती हूं।आप फ़िक्र न करें मैं उसे सब सिखा दुंगी।"

"परंतु आपको"।

" श्वेता अब मेरी जिम्मेदारी है। अगर कोई ग़लती हुयी तो उसके लिए मैं जिम्मेदार रहूंगी।"

समधनजीकी बात सुनकर श्वेता के मां को चैनकी राहत मिली।

शादी का मुहरत समीप आगया।श्वेता दुल्हन के रूप में बहुत खुबसुरत लग रही थी।

"कन्या को बुलाईये।" गुरूजी ने कहां।

श्वेता को बुलाने उसके कमरे में जाकर देखा तो वह कमरेमे नहीं थी।सबके पसीने छुट गये।श्वेता की होनेवाली सांस को बात समझमे आयी। वह सिधी टेरेसपर गयी। उन्होंने देखा वहां श्वेता लॅपटाॅप पर किसी क्लायंट से व्हिडीयो काॅलपर मिटींग कर रही थी। उसकी सास वहीं बाजू में रुक गयी।

क्लायंट भी आश्चर्य चकीत हुआं।जिसकी शादीको कुछ मिनीट बाकी है वह व्हिडिओ मिटींग कर रही है।

मिटींगके बाद अपनी सांस को वहां देखकर उसने पूछा, " डेडलाईन मिस हुती क्या?।"
" तुम्हारा मतलब शादीके मुहूर्त से हैं।"
" जी हां। वही"
" टाईम एक्स्टेंड कर लिया है। अभी चल।"

शादी हो गयी। बिदाई के समय श्वेता के मां को बहोत रोना आया तब श्वेता ने उसे समझाया।
"मां जगह बदल गयी तो इतना क्यों रोना?"
श्वेता के मां ने सरपे हाथ मार लिया तो उसके सांस को हंसी आगयी। श्वेता का पती श्वेता के यही स्वभावके प्यार में था।

अब कसौटी थी श्वेता के सांस की।

श्वेता की ज़िम्मेदारी उन्होंने अपने सर पर ली थी अब उन्हें श्वेता को संसार करनेके,घर संभालने के काबील बनाना था।

श्वेता की मां का चिंताग्रस्त चेहरा देखकर समधन जी समझ गयी उन्होंने पूछा,
" समधन जी किस चिंता में खोयी हो? कुछ अड़चन हो तो बताओ।"

श्वेता की मां ने काफ़ी सोचा और फीर सबकुछ समधनजीको बतानेका सोच लिया।

समझ नहीं आ रहा कैसे आपको बताऊं पर बताना जरूरी हैं।कल आगे जाके कुछ समस्या न खड़ी हो जाए इसलिए बताती हूं। हमारी श्वेता सिर्फ पढ़ाकू हैं।बाकी कुछ काम उसे आता नहीं।
दुनियादारी क्या होती हैं उसे पता नहीं। खाना बनाना तो आता ही नहीं।उसका सिर्फ अपनी नोकरी पर ध्यान रहता है। उसे ये काम करनेकी मानसिक बिमारी तो नही। आपके साथ रिश्ता जोड़ने के लिए हां तो कह दिया है हमने परंतु बाद में कोई अड़चन आती तो हम ही झूठ साबित होंगे। माफ़ करना समधनजी मुझे लगता है आप एकबार इस शादीके बारे में फिर से सोच लेना अच्छा हैं।
शादी तो उसे करनी है परंतु इसका स्वभाव ऐसा हैं।

"इतनीसी बात है। " समधनजीने श्वेता के मां की बात बिच में काटकर बोली।

" मैं भी इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाती हूं। मै इंजीनियरिंग पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अच्छी तरह से जानती हूं।आप फ़िक्र न करें मैं उसे सब सिखा दुंगी।"

"परंतु आपको"।
" श्वेता अब मेरी जिम्मेदारी है। अगर कोई ग़लती हुती तो उसके लिए मैं जिम्मेदार रहूंगी।"

समधनजीकी बात सुनकर श्वेता के मां को चैनकी राहत मिली।

शादी का मुहरत समीप आगया।श्वेता दुल्हन के रूप में बहुत खुबसुरत लग रही थी।
"कन्या को बुलाईये।" गुरूजी ने कहां।
श्वेता को बुलाने उसके कमरे में जाकर देखा तो वह कमरेमे नहीं थी।सबके पसीने छुट ग्रे।श्वेता की होनेवाली बास्को बात समझते आयी। वह सिंधी टेरेसपर गयी। उन्होंने देखा वहां श्वेता लॅपटाॅप पर किसी क्लायंट से व्हिडीयो काॅलपर मिटींग कर रही थी। उसकी सास वहीं बाजू में रुक गयी।

क्लायंट भी आश्चर्य चकीत हुआं।जिसकी शादीको कुछ मिनीट बाकी है वह व्हिडिओ मिटींग कर रही है।

मिटींगके बाद अपनी सांस को वहां देखकर उसने पूछा, " डेडलाईन मिस हुयी क्या?।"

" तुम्हारा मतलब शादीके मुहूर्त से हैं।"

" जी हां। वही"

" टाईम एक्स्टेंड कर लिया है। अभी चल।"

शादी हो गयी। बिदाई के समय श्वेता के मां को बहोत रोना आया तब श्वेता ने उसे समझाया।

"मां जगह बदल गयी तो इतना क्यों रोना?"

श्वेता के मां ने सरपे हाथ मार लिया तो उसके सांस को हंसी आगयी। श्वेता का पती श्वेता के यही स्वभावके प्यार में था।

अब कसौटी थी श्वेता के सांस की।

श्वेता अपने सांस के पास आकर हिचकिचाते हुए बोली

" माजी आपको मेरा प्राॅब्लेम पता है नं।मै हर एक चीजके तरफ टेक्नीकली देखती हूं। मै अपने काम से बाहर आही नहीं सकती।अगर मुझसे कुछ ग़लती हुती तो आप मुझे संभाल लोगी नं!"

" श्वेता तुमने कहा ये बहोत अच्छा हुआ।अब मैं जो कहती हूं वही करना।

श्वेता दिलोजान से अपने सांस ने जो कहा वह सुनने लगी।

"श्वेता आज से ये घर तुम्हारा नया वर्क लोकेशन है ऐसा समझना।जब हम पहली बार नये लोकेशन पर जाते हैं तो क्या करते हैं?

"वहां के वर्क कल्चर के साथ हम अच्छे संबंध बना लेते हैं।

" सही कहा तुमने। अब वही करना हैं।तुम्हारी इंटर्नशीप आजसे शुरू हो रही है।

'इंटर्नशीप' ये टेक्निकल शब्द सुनतेही श्वेताके दिल को तसल्ली मिल गयी। क्यूं की संसार, रिश्ते नाते, ससुराल इन शब्दोंका उसके मन में डर बैठा था।

" श्वेता ये देख हम इंटर्नशीप में अपने सिनीयर्सका काम देखते हैं,उनसे बहुत कुछ सिखते हैं,अगर कुछ प्राॅब्लेम आगये तो उन्हें पूछ लेते हैं अब तुम्हें वही करना हैं।

" ठीक है।आप जो करोगी वो मैं सिख लुंगी।

"अच्छा अब पहले बात आती हैं खाना बनाने की।अपने घर में सिर्फ औरतोंकोही खाना बनाना है ऐसा नियम नहीं है। तुम्हारा पती, तुम्हारे ससूर तुम्हें मदत करेंगे।इस घर में सबको खाना बनाना आता है।तुझे भी सिखना पड़ेगा।

"ओके फिर इसकेलिए मुझे कुछ मदत करनेवाले…"

उसके सांस ने हंसकर उसके हाथ में रेसीपी बुक थमा दी।

" ये अच्छे से पढ़।अच्छे से इस किताब की पढ़ाई कर।

श्वेताने जी जान लगाकर वह बुक पढ़ना शुरू किया।

दो दिन के बाद उसने अपनी सांस के सामने रिपोर्ट रखी।

"मांजी मैंने पुरी तरह से इसका अभ्यास किया है।ये है प्रोजेक्ट रिपोर्ट।खाना बनाते समय जो चिजे हमेशा लगती है उसकी ये लिस्ट है।किस पदार्थ में कितनी कॅलरीज होती हैं ये भी इसमें मैंने लिखा है।आपको खून की कमी है तो बीट आपके लिए अच्छा रहेगा।बीटका हलवा बना सकते हैं।बाबूजी को अर्थि्राइटीस का प्राॅब्लेम है तो उन्हें ड्रम स्टीक खाने में अच्छा रहेगा।और कॅल्शीयम के लिए फल अच्छे रहेंगे।

" अरे मेरी लाडली" सांस ने श्वेता की नजर उतार दी। टेक्निकल भाषा में क्यूं न हो ये लड़की संसार की बातें अच्छी से सिखरही थी।श्वेता के सांस को अच्छा लगा। सांस ने श्वेता का प्रोजेक्ट रिपोर्ट लिया और घर में सबको दिखाया।इस रिपोर्ट पर हंसे के रोये घरवालों को समझमे नहीं आरहा था। सांस ने आंखों के इशारेसे सबको चुप किया।

शादी के भागदौड़ में घरकी हालत बहोत खराब हो चुकी थी।सब चिजे बिखरी पड़ी थी। पर्दे खराब हो गये थे। अब श्वेता को घर कैसे संवरना है ये सिखाना चाहिए।
क्रमशः

भाग 2 पढीये
https://www.irablogging.com/blog/technical-daughter-in-law-part-2_14915

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