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02/02/2024

*प्रारम्भिक शिक्षा में डिप्लोमा (डी०एल०एड०) पाठ्यक्रम के सत्र 2024-26 में नामांकन हेतु डी०एल०एड० संयुक्त प्रवेश परीक्षा, 2024 के आयोजन के संबंध में आवश्यक सूचना*

*बिहार डीएलएड एडमिशन के लिए आवेदन करना चाहते हैं तो इसके लिए आवेदन 2 फरवरी 2024 से शुरू कर दिया गया है, और इसके लिए आवेदन करने का अंतिम तिथि 15 फरवरी 2024 है। डीएलएड एक 2 साल का कोर्स होता है जिसे पूरा करने के बाद आप शिक्षक भर्ती परीक्षा में बैठ सकते हैं। डीएलएड कोर्स करने के बाद आप कक्षा 1 से कक्षा 5 तक के छात्र-छात्राओं को पढ़ा सकते हैं। छोटी कक्षा को पढ़ाने वाले टीचर के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण कोर्स माना जाता है।*

*• प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के नामांकन हेतु मेधा सूची एवं संस्थानों की प्राथमिकता (Merit-Cum-Choice) के आधार पर संस्थान आवंटित होगा, जिसके लिये समिति द्वारा अलग से विज्ञप्ति प्रकाशित की जाएगी।*
*• प्रवेश परीक्षा (Entrance Test) प्रवेश परीक्षा ऑनलाइन (Computer Based Test) से आयोजित होगी। इस परीक्षा में 120 प्रश्न होंगे जो वस्तुनिष्ट एवं बहुवैकल्पिक होंगे।*
*• प्रवेश परीक्षा की अवधि (Duration of Entrance Test) प्रवेश परीक्षा की अवधि 150 मिनट (2:30 घंटा) की होगी।*

*Bihar Deled Admission 2024 Application Fee*

*General / OBC / BC RS 960*
*SC / ST / PH RS 760*
*Payment Mode Online*

*Bihar Deled Admission 2024 Education Qualification*

*• आवेदक अनिवार्य तौर पर बिहार राज्य के मूल निवासी होना चाहिए*
*• आवेदक परीक्षार्थी ने 50% अंकों के साथ 12वीं कक्षा पास किया हो और 45% Reserved categories*
*• आवेदक 12वीं कक्षा का परीक्षा देने वाले है वो भी फॉर्म भर सकते है।*
*• आवेदक की आयु कम से कम 17 साल होनी चाहिए आदि*

*Documents Required For Bihar D.El.Ed Online Apply 2024*

*• आधार कार्ड*
*• दसवीं की मार्कशीट और प्रमाण पत्र*
*• 12वीं का मार्कशीट और प्रमाण पत्र*
*• जाति प्रमाण पत्र SC/ST BC/EBC (EWS)*
*• फोटोग्राफ*
*• मोबाइल नंबर*
*• ईमेल आईडी आदि*

*APPLY D.EL.ED 2024-26 APPLICATION FORM*
*CLICK HERE 👉* *https://www.deledbihar.com/login*
*👉 आवेदन करने का अंतिम तिथि 15 फरवरी 2024*

*🆕BSSC Important Information Regarding BSSC 2nd Inter Level Combined* *Competitive Examination:**➡️Qualification:- 12th ...
21/09/2023

*🆕BSSC Important Information Regarding BSSC 2nd Inter Level Combined* *Competitive Examination:*

*➡️Qualification:- 12th Pass✔️*

🔘आवेदन शुरू होने की तिथि:- 27.09.2023
🔘आवेदन करने की अंतिम तिथि:- 11.11.2023

*🟢कुल पदों की संख्या- 11,098*

*➡️Documents Required:*

1.👉आधार कार्ड
2.👉मोबाइल नम्बर
3.👉इमेल आईडी
4.👉10वी मार्कशीट
5.👉12वी मार्कशीट
6.👉लाइव फ़ोटो (फ़ॉर्म भरते समय फ़ोटो खींचा जायेगा)
7.👉 साइन
8.👉आवासीय प्रमाण पत्र
9.👉नॉन क्रिमिलियर (EBC/BC)
10.👉जाती प्रमाण पत्र (SC/ST)

🔘Fees:

💶General/OBC/EBC/EWS- ₹540
💶SC/ST- ₹135
💶All Categories Female- ₹135

*👉Computer certificate DCA/ ADCA*
*👉Typing certificate Hindi/ English*

*👉ये सब डॉक्यूमेंट बनवा लेना है, वेरिफिकेशन के समय काम आएगा।*

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*शिव की माला में गुंथे 108 मुण्ड किसके?* 💀🔱🌷🚩 🌷 भगवान शिव और सती का अद्भुत प्रेम शास्त्रों में वर्णित है। इसका प्रमाण है...
10/07/2023

*शिव की माला में गुंथे 108 मुण्ड किसके?* 💀🔱🌷🚩

🌷 भगवान शिव और सती का अद्भुत प्रेम शास्त्रों में वर्णित है। इसका प्रमाण है सती के यज्ञ कुण्ड में कूदकर आत्मदाह करना और ‌सती के शव को उठाए क्रोधित शिव का तांडव करना। हालांकि यह भी शिव की लीला थी क्योंकि इस बहाने शिव 51 शक्ति पीठों की स्थापना करना चाहते थे।

🔱 शिव ने सती को पहले ही बता दिया था कि उन्हें यह शरीर त्याग करना है। इसी समय उन्होंने सती को अपने गले में मौजूद मुंडों की माला का रहस्य भी बताया था।

💀 *मुण्ड माला का रहस्य*💀

एक बार नारद जी के उकसाने पर सती भगवान शिव से जिद करने लगी कि आपके गले में जो मुंड की माला है उसका रहस्य क्या है। जब काफी समझाने पर भी सती न मानी तो भगवान शिव ने राज खोल ही दिया। शिव ने पार्वती से कहा कि इस मुंड की माला में जितने भी मुंड यानी सिर हैं वह सभी आपके हैं। सती इस बात का सुनकर हैरान रह गयी।

सती ने भगवान शिव से पूछा, यह भला कैसे संभव है कि सभी मुंड मेरे हैं। इस पर शिव बोले यह आपका 108 वां जन्म है। इससे पहले आप 107 बार जन्म लेकर शरीर त्याग चुकी हैं और ये सभी मुंड उन पूर्व जन्मों की निशानी है। इस माला में अभी एक मुंड की कमी है इसके बाद यह माला पूर्ण हो जाएगी। शिव की इस बात को सुनकर सती ने शिव से कहा मैं बार-बार जन्म लेकर शरीर त्याग करती हूं लेकिन आप शरीर त्याग क्यों नहीं करते।

🔱 शिव हंसते हुए बोले 'मैं अमर कथा जानता हूं इसलिए मुझे शरीर का त्याग नहीं करना पड़ता।' इस पर सती ने भी अमर कथा जानने की इच्छा प्रकट की। शिव जब सती को कथा सुनाने लगे तो उन्हें नींद आ गयी और वह कथा सुन नहीं पायी। इसलिए उन्हें दक्ष के यज्ञ कुंड में कूदकर अपने शरीर का त्याग करना पड़ा।

शिव ने सती के मुंड को भी माला में गूंथ लिया। इस प्रकार 108 मुंड की माला तैयार हो गयी। सती ने अगला जन्म पार्वती के रूप में हुआ। इस जन्म में पार्वती को अमरत्व प्राप्त होगा और फिर उन्हें शरीर त्याग नहीं करना पड़ा।

10/07/2023

बंगाल में सेना के घायल सैनिक को अस्पताल ले जाते समय गाङी रोक ली यह हालत है। देख लो अपने बच्चों का भविष्य यही हाल है जहाँ इनकी संख्या तीस परसैंट हो गई या सैकुलर सरकार है जो इनको सपोर्ट करती है और हिंदुओ का दुश्मन हिंदू ही है इतने हालात ख़राब होने पर हिंदुओ की आँख बंद है जब तक सैकुलर हिंदुओ के साथ नहीं होगा तब तक योगी मोदी को कोसते रहेंगे जागो अभी भी समय है इनका विरोध करना है या सरेंडर करना है ये आप पर है इनकी हिम्मत देखो सेना से टक्कर ले रहे है आप तो हो ही क्या ???? सेना बिना ऑर्डर गोली नही चला सकती वरना एक मिनिट में सब के सब डेडबोडी बन जाती ।

*🚩 Kanwar Yatra: क्या आप जानते हैं कांवड़ियां क्यों लगाते हैं 'बोल-बम' के जयकारे, भगवान शिव से जुड़ी है कहानी 🚩*भगवान शिव ...
10/07/2023

*🚩 Kanwar Yatra: क्या आप जानते हैं कांवड़ियां क्यों लगाते हैं 'बोल-बम' के जयकारे, भगवान शिव से जुड़ी है कहानी 🚩*

भगवान शिव के भक्तों के लिए सावन का महीना ख़ास महत्व रखता है। पूरे साल वो श्रावण मास का इन्तजार करते हैं। इस दौरान शिव मंदिरों की रौनक देखने लायक होती है।

*सावन महीने में ही भक्त कांवड़ यात्रा के लिए निकलते हैं।*

भक्त कांवड़ लेकर गंगा अथवा किसी पवित्र नदी से जल लेने जाते हैं और उस जल दे भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है।

*कांवड़ यात्रा पर निकलने वाले श्रद्धालु इस दौरान कई तरह के नियमों का पालन करते हैं।*

कांवड़ियों की सुविधा के लिए कई तरह के इंतजाम भी किये जाते हैं ताकि वो बिना किसी कष्ट के भोलेबाबा को जल चढ़ा सकें। क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कांवड़ यात्री भगवान शिव की जयजयकार के साथ 'बोल-बम' के नारे क्यों लगाते हैं। चलिए आज जानते हैं।

*भगवान शिव को प्रिय है बोल बम*

कांवरियों द्वारा बोले जाने वाले बम नारे के पीछे एक कहानी बताई जाती है। प्रचलित कथा के मुताबिक, जब राजा दक्ष द्वारा कराये जा रहे यज्ञ में माता सती ने अपना शरीर त्याग दिया था तब गुस्से में आकर भगवान शिव ने दक्ष की गर्दन ही काट दी थी। इसके पश्चात राजा दक्ष को पुनर्जीवित करने के लिए शिवजी ने उन्हें बकरे सिर लगा दिया था।

बकरे का सिर लगे होने की वजह से दक्ष के मुंह से जो बोली निकली वह भगवान शिव को बहुत अच्छी लगी और उनका क्रोध भी कम हो गया। दक्ष का घमंड टूट गया था और उसकी बोली सुनकर भगवान शिव प्रसन्न हो गए थे। यही वजह है कि शिव भक्त अपने प्रिय भगवान को प्रसन्न करने के लिए बम-बम हर-हर बम-बम, बोल बम के नारे लगाते हैं। सावन के महीने में महादेव का आशीर्वाद पाने के लिए कांवड़िये यह जयकारा जरूर लगाते हैं।

*इन शब्दों से मिलता है हौसला*

सावन के महीने में कांवड़ यात्रा का आयोजन किया जाता है। यह यात्रा काफी कठिन होती है और कई तरह के नियमों का पालन करना होता है। कांवड़ यात्री कंधे में पवित्र जल लेकर कई किलोमीटर तक नंगे पैर पैदल यह यात्रा करते हैं। हौसलाअफजाई के लिए सभी भक्त शिवजी के नारे लगाते हुए अपनी यात्रा पूरी करते हैं।

*कई बार थकावट और ऊर्जा की कमी के कारण कांवड़ियों का मनोबल टूटने लगता है लेकिन बोल बम और भगवान शिव के जयकारे उन्हें मंजिल तक पहुंचा देते हैं।*

*नोट:* यह सूचना इंटरनेट पर उपलब्ध मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है। लेख से संबंधित किसी भी इनपुट या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी और धारणा को अमल में लाने या लागू करने से पहले कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

*आखिर मिल ही गया दुनिया का सबसे अमीर भिखारी, ये है भरत जैन, मुंबई में रहते हैं, कुल संपत्ति 7.5 करोड़ हैं* ◆ वे भीख मांग...
08/07/2023

*आखिर मिल ही गया दुनिया का सबसे अमीर भिखारी, ये है भरत जैन, मुंबई में रहते हैं, कुल संपत्ति 7.5 करोड़ हैं*

◆ वे भीख मांगकर हर महीने 60,000-75,000 रुपए कमाते हैं

◆ उनका मुंबई में 1.2 करोड़ रुपए की क़ीमत वाले दो बेडरूम का फ्लैट है।

एक बार 94 साल के एक बूढ़े व्यक्ति को मकान मालिक ने किराया न दे पाने के कारण उसे मकान से निकाल दिया। बूढ़े व्यक्ति के पास ...
08/07/2023

एक बार 94 साल के एक बूढ़े व्यक्ति को मकान मालिक ने किराया न दे पाने के कारण उसे मकान से निकाल दिया। बूढ़े व्यक्ति के पास एक पुराना बिस्तर, कुछ एल्युमीनियम के बर्तन, एक प्लास्टिक की बाल्टी और एक मग आदि के अलावा शायद ही कोई और सामान था। बूढ़े ने मालिक से किराया देने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया। पड़ोसियों को भी बूढ़े आदमी पर दया आयी और उनके कहने पर मकान मालिक को किराए का भुगतान करने के लिए उस बूढ़े आदमी को कुछ दिनों की मोहलत देने के लिए मना लिया।

वह बूढ़ा आदमी अपना सामान अंदर ले गया। रास्ते से गुजर रहे एक पत्रकार ने रुक कर यह सारा नजारा देखा। उसने सोचा कि यह मामला उसके समाचार पत्र में प्रकाशित करने के लिए उपयोगी होगा। उसने एक शीर्षक भी सोच लिया,
”क्रूर मकान मालिक, बूढ़े को पैसे के लिए किराए के घर से बाहर निकाल देता है।”

फिर उसने किराएदार बूढ़े की और किराए के घर की कुछ तस्वीरें भी ले लीं।
पत्रकार ने जाकर अपने प्रेस मालिक को इस घटना के बारे में बताया। प्रेस के मालिक ने तस्वीरों को देखा और हैरान रह गए। उन्होंने पत्रकार से पूछा, कि क्या वह उस बूढ़े आदमी को जानता है?
पत्रकार ने कहा, नहीं।
अगले दिन अखबार के पहले पन्ने पर बड़ी खबर छपी। शीर्षक था,
”भारत के पूर्व प्रधान मंत्री गुलजारीलाल नंदा एक दयनीय जीवन जी रहे हैं”।
खबर में आगे लिखा था कि कैसे पूर्व प्रधान मंत्री किराया नहीं दे पाने के कारण कैसे उन्हें घर से बाहर निकाल दिया गया।
टिप्पणी की थी कि आजकल फ्रेशर भी खूब पैसा कमा लेते हैं। जबकि एक व्यक्ति जो दो बार पूर्व प्रधान मंत्री रह चुका है और लंबे समय तक केंद्रीय मंत्री भी रहा है, उसके पास अपना ख़ुद का घर भी नहीं??
दरअसल गुलजारीलाल नंदा को वह स्वतंत्रता सेनानी होने के कारण रु. 500/- प्रति माह भत्ता मिलता था। लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इस पैसे को भी अस्वीकार कर दिया था, कि उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों के भत्ते के लिए स्वतंत्रता की लड़ाई नहीं लड़ी। बाद में दोस्तों ने उसे यह स्वीकार करने के लिए विवश कर दिया कि उनके पास जीवन यापन का अन्य कोई स्रोत नहीं है। अतः वो इसी पैसों से वह अपना किराया देकर गुजारा करते थे।

अगले दिन तत्कालीन प्रधान मंत्री ने मंत्रियों और अधिकारियों को वाहनों के बेड़े के साथ उनके घर भेजा। इतने वीआइपी वाहनों के बेड़े को देखकर मकान मालिक दंग रह गया। तब जाकर उसे पता चला कि उसका किराएदार कोई और नहीं बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री श्री गुलजारीलाल नंदा जी हैं जो दो दो बार भारत के पूर्व प्रधान मंत्री रह चुके हैं।

मकान मालिक अपने दुर्व्यवहार के लिए तुरंत गुलजारीलाल नंदा जी के चरणों में झुक गया। अधिकारियों और वीआईपीयों ने गुलजारीलाल नंदा से सरकारी आवास और अन्य सुविधाएं को स्वीकार करने का अनुरोध किया। श्री गुलजारीलाल नंदा ने इस बुढ़ापे में ऐसी सुविधाओं का क्या काम, यह कह कर उनके प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया।

और अंतिम श्वास तक वे एक सामान्य नागरिक की तरह, एक सच्चे स्वतंत्रता सेनानी बन कर ही रहे। 1997 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी व एच डी देवगौड़ा के मिलेजुले प्रयासो से उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

अफ़्रीका में अब तक की सबसे गर्म रात रिकॉर्ड की गई।🔥 अद्रार, अल्जीरिया में रात का न्यूनतम तापमान 39.6°C (103.3°F) दर्ज़ क...
08/07/2023

अफ़्रीका में अब तक की सबसे गर्म रात रिकॉर्ड की गई।🔥

अद्रार, अल्जीरिया में रात का न्यूनतम तापमान 39.6°C (103.3°F) दर्ज़ किया गया है।☀️

08/07/2023

*_तेलंगाना में फलकनुमा एक्सप्रेस के 4 डिब्बों में लगी आग, कोई जनहानि नहीं_*
हैदराबाद: तेलंगाना में शॉर्ट सर्किट के कारण फलकनुमा एक्सप्रेस के चार डिब्बों में आग लग गई है. यह आग यह घटना यदाद्रि भुवनागिरी जिले के पगिडीपल्ली और बोम्मईपल्ली के बीच हुई है. बताया जा रहा है कि सतर्क अधिकारियों ने तुरंत ट्रेन को वहीं रोक दिया और दो बोगियों में सवार यात्रियों को उतार दिया, जिससे कोई भी जनहानि नहीं हुई है. बताया जा रहा है कि आग लगने से चार बोगियां जलकर राख हो गई हैं.

रेलवे के जीएम अरुण कुमार जैन घटनास्थल पर पहुंचे हैं. उन्होंने बताया कि यदाद्रि भुवनागिरी जिले में फलकनुमा एक्सप्रेस ट्रेन में आग लग गई है. फलकनुमा एक्सप्रेस की चार बोगियां जल गईं हैं. उन्होंने बताया कि सतर्क अधिकारियों की सूझबूझ के कारण ट्रेन को समय पर रोक दिया गया था, जिससे कोई भी जनहानि नहीं हुई है
इसे पहले झारखंड में 27 जून को गांधीधाम-हावड़ा से चलने वाली गरबा एक्सप्रेस के ट्रेन के पहिये में आग लग गई थी. यह आग गया-धनबाद ग्रेंड कोड लाइन में चेंगरो से चौधरीबांध रेलवे स्टेशन के बीच लगी. आग पर समय रहते काबू पाया गया था, जिसके बाद परिचालन शुरू हो सका. दरअसल, सुबह में जब गरबा एक्सप्रेस गुजरी तो चौधरीबांध के ट्रैक मैन की नजर पहिये में लगी आग पर पड़ी. ट्रैक मैन ने इसकी सूचना धनबाद सुरक्षा नियंत्रण को दी. सूचना पर ट्रेन को रुकवाया गया और आग पर काबू पाया गया.

*_पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने दो गुटखा कंपनियों को भेजा 100 करोड़ के मानहानि का नोटिस, जानें क्यों भड़के बागेश्वर सरकार_*...
08/07/2023

*_पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने दो गुटखा कंपनियों को भेजा 100 करोड़ के मानहानि का नोटिस, जानें क्यों भड़के बागेश्वर सरकार_*
जबलपुर। देश और प्रदेश में पंडित धीरेंद्र शास्त्री किसी न किसी वजह से चर्चाओं में जरुर रहते हैं. कभी अपने विवादित बयान को लेकर तो कभी हिंदू राष्ट्र की मांग को लेकर. कुछ दिनों से चर्चाओं में दबे रहने के बाद एक फिर पंडित धीरेंद्र शास्त्री खबरों में हैं. बात ये है कि पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और बागेश्वर धाम के दिल्ली में सैकड़ों पोस्टर लगे हुए हैं. जिनमें पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा के आयोजन का आमंत्रण है और उसके ठीक नीचे गुटखा कंपनियों के विज्ञापन लगे हुए हैं. जिस पर बागेश्वर जन सेवा समिति की ओर से आपत्ति जताई गई है. साथ ही 100 करोड़ के जुर्माने की बात कही है.
बागेश्वर ने भेजा 100 करोड़ मानहानि का नोटिस:दिल्ली में बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की फोटो के साथ गुटखा कंपनी और एक पान मसाला ने पोस्टर लगवाए हैं. बागेश्वर जन सेवा समिति ने पोस्टर्स पर आपत्ति जताते हुए इन दोनों ही कंपनियों को लीगल नोटिस भेजा है. यदि यह कंपनियां पोस्टर अलग नहीं करती हैं तो इनके खिलाफ 100 करोड़ रुपए के मानहानि के दावे की बात भी कही गई है. समिति के कहने पर जबलपुर के एडवोकेट प्रणव पाठक और एडवोकेट रश्मि पाठक की ओर से गुटखा कंपनियों को लीगल नोटिस भेजे गए हैं. जिसमें गुटखा कंपनियों से तुरंत इन पोस्टर्स को निकालने के लिए कहा गया है. साथ ही कंपनियों को अपना माफीनामा पेश करने की हिदायत दी गई है. और ऐसा नहीं करने पर इन कंपनियों के खिलाफ 100 करोड़ रुपए की मानहानि का दावा करने का लीगल नोटिस समिति के वकीलों द्वारा दिया गया है.
बागेश्वर सरकार की छवि से खिलवाड़: वकीलों ने अपने नोटिस में इस बात का जिक्र किया है कि यदि गुटखा कंपनियां इन पोस्टर्स को वापस नहीं लेती है, तो गुटखा कंपनियों के खिलाफ भारतीय कानून की धारा 420 406 467, 468 के तहत कार्रवाई की जा सकती है. हाई कोर्ट के एडवोकेट रश्मि पाठक का कहना है कि "इन गुटखा कंपनियों की वजह से बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र शास्त्री की छवि को बहुत नुकसान पहुंचा है. बागेश्वर जन सेवा समिति कभी भी ऐसे किसी काम में शामिल नहीं होती. जिसका नुकसान समाज को हो, इसलिए गुटखा कंपनियों की तरफ से किए गए प्रयास को रोका जाना चाहिए. इनमें से दो गुटखा कंपनी है. इन पोस्टर्स में जिन लोगों ने दिल्ली में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा का आयोजन किया है. उनके नाम और फोटो भी लगे हुए हैं."

अकवन को हिंदी में मदार कहते हैं और इसे एक जहरीले पौधे के रूप में जाना जाता है। मदार का पौधा किसी जगह पर उगाया नहीं जाता ...
08/07/2023

अकवन को हिंदी में मदार कहते हैं और इसे एक जहरीले पौधे के रूप में जाना जाता है। मदार का पौधा किसी जगह पर उगाया नहीं जाता है। यह पौधा अपने आप ही कहीं पर भी उग जाता है हालांकि यह पौधा अपने आप में औषधीय गुणों से लबरेज है। मदार का वैज्ञानिक नाम कैलोत्रोपिस गिगंटी है। यह आमतौर पर पूरे भारत में पाया जाता है। भारत में इसकी दो प्रजातियां पाई जाती हैं-श्वेतार्क और रक्तार्क। श्वेतार्क के फूल सफेद होते हैं जबकि रक्तार्क के फूल गुलाबी आभा लिए होते हैं। इसे अंग्रेजी में क्राउन फ्लावर के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इसके फूल में मुकुट/ताज के समान आकृति होती है। इसके पौधे लंबी झाड़ियों की श्रेणी में आते हैं और 4 मीटर तक लम्बे होते हैं। इसके पत्ते मांसल और मखमली होते हैं। मदार का फल देखने में आम के जैसे लगता है, लेकिन इसके अंदर रुई होती है, जिसका इस्तेमाल तकिये या गद्दे भरने में किया जाता है। इसमें फूल दिसंबर-जनवरी महीने में आते हैं और अप्रैल-मई तक लगते रहते हैं।

मदार मुख्य रूप से भारत में पाया जाता है, लेकिन दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका में भी यह बहुतायत में पाया जाता है। थाईलैंड में मदार के फूलों का उपयोग विभिन्न अवसरों पर सजावट के लिए किया जाता है। इसे राजसी गौरव का प्रतीक माना जाता है और मान्यता है कि उनकी इष्ट देवी हवाई की रानी लिलीउओकलानी को मदार का पुष्पहार पहनना पसंद है। कंबोडिया में अंतिम संस्कार के आयोजन के दौरान घर की आंतरिक सजावट के साथ ही कलश या ताबूत पर चढ़ाने और अंत्येष्टि में इसका उपयोग किया जाता है।

हिंदुओं के धर्म ग्रंथ शिव पुराण के अनुसार मदार के फूल भगवान शिव को बहुत पसंद है इसलिए शांति, समृद्धि और समाज में स्थिरता के लिए भगवान शिव को इसकी माला चढ़ाई जाती है। मदार का फूल नौ ज्योतिषीय पेड़ों में से भी एक है। स्कन्द पुराण के अनुसार भगवान गणेश की पूजा में मदार के पत्ते का इस्तेमाल करना चाहिए। स्मृतिसार ग्रंथ के अनुसार मदार की टहनियों का इस्तेमाल दातुन के रूप में करने से दांतों की कई बीमारियां दूर हो जाती हैं। भारतीय महाकाव्य महाभारत के आदि पर्व के पुष्य अध्याय में भी मदार की चर्चा मिलती है। इसके अनुसार ऋषि अयोद-दौम्य के शिष्य उपमन्यु की आंखों की रोशनी मदार के पत्ते खा लेने के कारण चली गई थी। मदार की छाल का इस्तेमाल प्राचीन काल में धनुष की प्रत्यंचा बनाने में किया जाता था। लचीला होने के कारण इसका उपयोग रस्सी, चटाई, मछली पकड़ने की जाल आदि बनाने के लिए भी किया जाता है।

औषधीय गुण

वैसे तो मदार को एक जहरीला पौधा माना जाता है, और कुछ हद तक यह सही भी है, लेकिन यह कई रोगों के उपचार में भी कारगर है। मदार देश का एक प्रसिद्ध औषधीय पौधा है। इसके पौधे के विभिन्न हिस्से कई तरह के रोगों के उपचार में कारगर साबित हुए हैं। इनमें दर्द सहित मधुमेह के रोगियों में रक्त शर्करा के स्तर को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। मदार के औषधीय गुणों की पुष्टि कई वैज्ञानिक अध्ययन भी करते हैं। वर्ष 2005 में टोक्सिकॉन नामक जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार मदार का दूध बहते हुए खून को नियंत्रित करने में उपयोगी है। मदार का कच्चा दूध कई प्रकार के प्रोटीन से लबरेज हैं, जो प्रकृति में बुनियादी रूप में मौजूद होते हैं।

वर्ष 2012 में एडवांसेस इन नैचरल एंड अप्लाइड साइंसेज नामक जर्नल में प्रकाशित एक शोध दर्शाता है कि मदार के पत्ते जोड़ों के दर्द और मधुमेह के उपचार में कारगर हैं। वहीं वर्ष 1998 में कनेडियन सोसायटी फॉर फार्मास्युटिकल साइंसेज में प्रकाशित शोध ने इस बात की पुष्टि की है कि मदार का रस दस्त रोकने में भी उपयोगी है।

इन सब के अलावा मदार के पौधे के विभिन्न हिस्सों को सौ से भी अधिक बीमारियों के उपचार में कारगर माना गया है। बिच्छू के डंक मार देने की स्थिति में भी मदार का दूध डंक वाली जगह पर लगाने से आराम मिलता है। हालांकि मदार का दूध आंखों के संपर्क में आ जाए तो यह मनुष्य को अंधा भी बना सकता है। इसलिए मदार का औषधीय तौर पर इस्तेमाल सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।

*_देश की सबसे उम्रदराज करदाता गिरिजा बाई तिवारी का निधन, 120 साल में ली आखिरी सांस_*सागर। देश की सबसे उम्रदराज करदाता और...
08/07/2023

*_देश की सबसे उम्रदराज करदाता गिरिजा बाई तिवारी का निधन, 120 साल में ली आखिरी सांस_*
सागर। देश की सबसे उम्रदराज करदाता और सागर जिले की बीना विधानसभा की सबसे उम्रदराज मतदाता गिरिजा बाई तिवारी ने शुक्रवार को अंतिम सांस ली. बीना कस्बे के प्रतिष्ठित परिवार की गिरिजा बाई तिवारी पूरे कस्बे में दादी मां के नाम से मशहूर थी, उनके पति सिद्धनाथ तिवारी जाने-माने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और आजादी की लड़ाई में उन्होंने अहम भूमिका बनाई थी. दादी मां के निधन की खबर मिलते ही जिला प्रशासन द्वारा राजकीय सम्मान से उनके अंतिम संस्कार के निर्देश दिए गए, जिसमें बीना एसडीएम सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने उनके निवास पर पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की और राजकीय सम्मान से हुए उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए.
दादी मां के नाम से मशहूर थी गिरिजा बाई तिवारी:देश की सबसे बुजुर्ग करदाता और सागर जिले की बीना की सबसे उम्रदराज मतदाता गिरिजा बाई तिवारी का 120 साल में निधन की खबर फैलते ही बीना और सागर जिले में शोक की लहर दौड़ गई. बीना के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. सिद्धनाथ तिवारी की पत्नी गिरिजा बाई तिवारी का नाम देश की सबसे अधिक उम्र की करदाता और बीना विधानसभा की सबसे बुजुर्ग मतदाता में शामिल था. उनके लिए बीना और सागर जिले में लोग दादी मां कहकर पुकारते थे, उन्होंने शुक्रवार को बीना स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली. गिरिजा बाई के अंतिम दर्शन करने के लिए बीना स्थित उनके आवास पर लोगों का तांता लग गया.
कलेक्टर के निर्देश पर राजकीय सम्मान से हुआ अंतिम संस्कार:गिरिजा बाई तिवारी के निधन की जानकारी जिला प्रशासन को मिलते ही कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारी दीपक आर्य ने बीना एसडीएम को उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान से कराने के निर्देश दिए. कलेक्टर के निर्देश पर बीना के एसडीएम देवेंद्र प्रताप सिंह, प्रशासनिक अधिकारियों के साथ उनके निवास पर पहुंचे और प्रोटोकॉल के तहत उनको श्रद्धांजलि अर्पित की. इसके बाद उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए और बीना के मुक्तिधाम पर उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. उनकी अंतिम यात्रा में बीना सहित सागर जिले और बुंदेलखंड के कई जाने-माने लोग शामिल हुए.

नहीं रहीं मिथुन चक्रवर्ती की मां  बॉलीवुड अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती की मां को लेकर एक दुखद खबर सामने आया है. अभिनेता की मा...
08/07/2023

नहीं रहीं मिथुन चक्रवर्ती की मां बॉलीवुड अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती की मां को लेकर एक दुखद खबर सामने आया है. अभिनेता की मां शांतिरानी चक्रवर्ती का निधन हो गया है. वो लंबे वक्त से बीमार थीं।✍️

02/07/2023

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*♦️💠बारिश के मौसम में सांप काट लें तो बिना समय गंवाए करें ये काम, क्‍या करना चाह‍िए और क्‍या नहीं।*

*♦️Seema Rawat♦️*

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*♦️आमतौर पर बारिश के समय में बिलों में पानी भरने के समय या ज्यादा उमस के वजह से सांप बाहर निकल आते है। गर्मी में वो ज्‍यादात्तर बिलों में ही रहते है लेकिन मानसून आने के साथ ही सांप बिलों से बाहर आ रहे हैं।*

*♦️इसी वजह से मानसून में हर दूसरे दिन किसी न किसी मकान में सांप निकलने की घटनाएं भी सामने आती रहती है। बारिश के इस मौसम में अगर घर में कहीं सांप दिखे, तब क्या करना चाहिए। अगर गलती से सांप ने काट लिया तो तुंरत हमें क्या उपाय करना चाहिए।*

*♦️सांप के डसने या काटने से अलग-अलग लक्षण दिखाई देते हैं।*

*♦️जैसे- काटने वाली जगह पर दर्द-सूजन उल्टी-जी मिचलाना अकड़न-कंपकपी एलर्जी स्किन कलर में चेंज पेट दर्द- दस्त बुखार-सिरदर्द काटने वाली जगह काली पड़ने लगी हो कमजोरी प्यास लगना लो बीपी घाव से खून बहना अंगों के आसपास के हिस्से का सुन्न पड़ना।*

*♦️सांप जहरीला था या नहीं कैसे पहचानें♦️*

*♦️- सांप ने जहां काटा है, यदि वहां दांत के 2 निशान हैं तो समझ जाएं कि सांप जहरीला है। वहीं काटी हुई जगह पर दांत के कई निशान दिख रहे हैं तो समझ जाएं कि सांप जहरीला नहीं है।*

*♦️- क‍िसी को भी सांप काटने पर तुरंत लाल मिर्च का पाउडर खिलाएं। अगर सांप काटने के बाद पीड़ित व्‍यक्ति को मिर्च तीखी नहीं लगी, तो समझ जाइए क‍ि सांप जहरीला था।*

*♦️💠सांप के काटने पर क्या करें और क्या न करें... क्या न करें♦️*

*-♦️ काटे हुए जगह पर टाइट कपड़े न बांधे।*

*- ♦️जहर को चूसकर निकालने की कोशिश न करें।*

*- ♦️काटे हुए जगह पर जहर निकालने के लिए कोई कट न लगाएं।*

*-♦️ एल्कोहल, चाय या कॉफी बिल्कुल भी न पीएं। इससे जहर तेजी से फैल सकता है।*

*-♦️ किसी तरह का ठंड़ा, गर्म सिंकाई न करें। न ही कोई क्रीम लगाएं।*

*- ♦️दर्द के लिए एस्पीरिन न लें। इससे ब्लीडिंग बढ़ सकती है।*

*♦️क्या करें ♦️*

*-♦️ टाइट कपड़े या गहने तुरंत उतार लें।*

*- ♦️जहां पर काटा हो उस हिस्से को हार्ट के लेवल से नीचे रखें।*

*- ♦️घायल को जितना हो सके स्थिर रखें, इससे जहर बॉडी में फैलने से रोक सकते हैं।*

*-♦️ घायल को शांत रखने की कोशिश करें जिससे उसे शॉक लगने से बचाया जा सके।*

*- ♦️काटने के 4 घंटे के अंदर ही एंटीवेनम का इंजेक्शन लगवा लें।*

*- ♦️जहां काटा हो, उसे हल्के कपड़े से कवर कर लें।*

*♦️सांप घर में आ जाएं तो क्‍या करें ♦️-*

*♦️सबसे पहले अपने बचाव के ल‍िए सुरक्षित जगह की तलाश करें।*

*-♦️ कमरे में मिट्टी का तेल या फिनाइल छिड़क दें, उसकी गंध से सांप खुद-ब-खुद बाहर निकल जाएगा।*

*♦️खुद से सांप को मारने या भगाने के बजाय तुरंत किसी सपेरे या एक्सपर्ट को बुलाना चाहिए।*

*♦️सांप के डंसने से बचाव - जो लोग जमीन पर सोते हैं, वो लोग नॉर्मल मच्छरदानी का इस्‍तेमाल करें।*

*- ♦️बाहर पहाड़ी-बगान वाले इलाके में रहने वाले लोग लॉन्ग बूट पहनें।*

*- ♦️बारिश के दिनों में जिन लोगों के घरों में बाग-बगीचा है या मोटर रखने के ल‍िए बनाई जगहों को समय-समय पर छानबीन करते र‍हें।*

*- ♦️जिन जगह पर जहां सांपों का रिस्क रहता है तो वहां पर छड़ी से जमीन पर आवाज करते हुए चलें।*

*-♦️ पत्थरों के नीचे, गड्डे के अंदर जिन जगहों पर सांपों के छुपे होने की आशंका रहती है, उन जगहों से छेड़छाड़ न करें।*

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