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आखिर शिवजी के सिर पर क्यों विराजमान हैं चंद्रदेव?चंद्रदेव ने राजा दक्ष की 27 कन्याओं से विवाह किया, लेकिन उन्होंने सिर्फ...
26/11/2024

आखिर शिवजी के सिर पर क्यों विराजमान हैं चंद्रदेव?

चंद्रदेव ने राजा दक्ष की 27 कन्याओं से विवाह किया, लेकिन उन्होंने सिर्फ रोहिणी को अधिक महत्व दिया। इससे अन्य पत्नियां नाराज होकर पिता दक्ष के पास शिकायत करने गईं। दक्ष ने चंद्रदेव को श्राप दिया कि उनका तेज धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा।

चंद्रदेव ने अपनी रक्षा के लिए भगवान शिव की कठोर तपस्या की। शिवजी ने प्रसन्न होकर उन्हें अपने मस्तक पर स्थान दिया और उनके तेज को अमर कर दिया। तभी से चंद्रमा भगवान शिव के सिर पर शोभित हैं, और उन्हें चंद्रशेखर कहा जाता है।

यह कथा हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति से हर समस्या का समाधान संभव है।

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पूरा पढ़े 👇 शिवलिंग की उत्पत्ति की अद्भुत कथापुराणों के अनुसार, शिवलिंग सृष्टि की अनंत ऊर्जा और ब्रह्मांड के मूल स्वरूप ...
25/11/2024

पूरा पढ़े 👇 शिवलिंग की उत्पत्ति की अद्भुत कथा

पुराणों के अनुसार, शिवलिंग सृष्टि की अनंत ऊर्जा और ब्रह्मांड के मूल स्वरूप का प्रतीक है। इसकी उत्पत्ति से जुड़ी एक प्राचीन कथा है।

एक बार ब्रह्मा और विष्णुजी के बीच यह विवाद हुआ कि दोनों में कौन श्रेष्ठ है। तभी अचानक एक अद्भुत अग्निस्तंभ प्रकट हुआ, जो अनंत तक फैला था। उसकी न शुरुआत थी, न अंत। दोनों ने उसकी सीमा जानने का प्रयास किया।

ब्रह्माजी ने हंस का रूप लेकर ऊपर उड़ना शुरू किया और विष्णुजी ने वराह का रूप धारण कर नीचे जाना शुरू किया। लेकिन अनंतकाल तक प्रयास करने के बाद भी वे अग्निस्तंभ की सीमा नहीं जान सके। तभी वहां भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने बताया कि वह अग्निस्तंभ ही उनका प्रतीक स्वरूप है।

यह अग्निस्तंभ ही शिवलिंग का रूप है, जो सृष्टि की उत्पत्ति, पालन और संहार की अनंत ऊर्जा का प्रतीक है।

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धन्यवाद 🥰

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पूरा पढ़े 👇👇 शिवजी के गले में क्यों विराजमान हैं वासुकी नाग?वासुकी नाग, नागों के राजा थे। जब समुद्र मंथन के लिए देवताओं ...
25/11/2024

पूरा पढ़े 👇👇 शिवजी के गले में क्यों विराजमान हैं वासुकी नाग?

वासुकी नाग, नागों के राजा थे। जब समुद्र मंथन के लिए देवताओं और असुरों ने रस्सी की आवश्यकता जताई, तो वासुकी ने अपनी देह को रस्सी बनाने का प्रस्ताव दिया। समुद्र मंथन के दौरान वासुकी को असहनीय कष्ट हुआ, लेकिन उन्होंने कर्तव्य निभाया।

उनके त्याग और निस्वार्थ सेवा से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें अपने गले में स्थान देकर अमरत्व का वरदान दिया। तब से वासुकी नाग महादेव के गले में विराजमान हैं।

यह कथा त्याग और समर्पण का संदेश देती है।

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👇 महादेव कैसे बने गंगाधर? 👇भगीरथ ने अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए मां गंगा को पृथ्वी पर लाने का कठोर तप किया। गंगा ने उ...
25/11/2024

👇 महादेव कैसे बने गंगाधर? 👇

भगीरथ ने अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए मां गंगा को पृथ्वी पर लाने का कठोर तप किया। गंगा ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की लेकिन उनकी वेगवती धारा से पृथ्वी के विनाश का खतरा उत्पन्न हो गया। भगीरथ ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे गंगा के वेग को नियंत्रित करें।

करुणानिधान महादेव ने गंगा की धारा को अपनी जटाओं में समेट लिया। जब गंगा का वेग शांत हुआ, तो उन्होंने उसे अपनी जटाओं से पृथ्वी पर प्रवाहित किया। इस प्रकार भगवान शिव गंगाधर कहलाए।

यह कथा हमें सिखाती है कि सच्चे प्रयास और भक्ति से सभी बाधाओं को दूर किया जा सकता है।

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👇 नीलकंठ कैसे बने महादेव? पूरा पढ़े 👇समुद्र मंथन के दौरान देवता और असुरों ने अमृत की प्राप्ति के लिए समुद्र का मंथन किया...
25/11/2024

👇 नीलकंठ कैसे बने महादेव? पूरा पढ़े 👇

समुद्र मंथन के दौरान देवता और असुरों ने अमृत की प्राप्ति के लिए समुद्र का मंथन किया। मंथन से अनेक रत्न और वस्तुएं निकलीं, लेकिन तभी विषैले कालकूट विष का प्रकट होना हुआ। यह विष इतना घातक था कि पूरे संसार को नष्ट करने की क्षमता रखता था।

समस्त देवता और असुर इस विष से भयभीत हो गए और भगवान शिव से प्रार्थना की। करुणानिधान महादेव ने संसार की रक्षा के लिए वह विष अपने कंठ में धारण कर लिया। देवी पार्वती ने शिवजी के कंठ को पकड़कर विष को नीचे उतरने से रोक दिया। इस विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया, और तभी से उन्हें "नीलकंठ" कहा जाने लगा।

यह कथा हमें सिखाती है कि अपने प्रियजनों और समाज की रक्षा के लिए बलिदान देना ही सच्चे धर्म का पालन है।

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धन्यवाद 🥰

#महादेव #नीलकंठ #भगवान_शिव #समुद्रमंथन #हिन्दूमिथोलॉजी #शिवभक्ति #भोलेनाथ #जयशिवशंकर

25/11/2024
इग्नोर न करे शुभ प्रभात 🙏        #शिव
25/11/2024

इग्नोर न करे शुभ प्रभात 🙏

#शिव

अभी तक सो रहे हो क्या शुभ प्रभात लिखो सभी 🙏❤️
24/11/2024

अभी तक सो रहे हो क्या शुभ प्रभात लिखो सभी 🙏❤️

इग्नोर न करें महादेव का आशीर्वाद ले 🙏❤️
24/11/2024

इग्नोर न करें महादेव का आशीर्वाद ले 🙏❤️

🙏🥰
24/11/2024

🙏🥰

यहाँ भगवान महादेव के 108 नाम दिए गए हैं:1. शिव2. महेश्वर3. शंभू4. पिनाकी5. शशिशेखर6. वामदेव7. वीरभद्र8. शूलपाणि9. महादेव...
24/11/2024

यहाँ भगवान महादेव के 108 नाम दिए गए हैं:

1. शिव

2. महेश्वर

3. शंभू

4. पिनाकी

5. शशिशेखर

6. वामदेव

7. वीरभद्र

8. शूलपाणि

9. महादेव

10. अनंत

11. क्षितिनाथ

12. कृत्तिवास

13. पाशुपति

14. महाकाल

15. कृपालु

16. सोमेश्वर

17. गंगाधर

18. ललाटाक्ष

19. कालकाल

20. कृपानिधि

21. भीम

22. परशुहस्त

23. मृगपाणि

24. जय

25. चंद्रशेखर

26. भस्मांग

27. भूतनाथ

28. सर्वेश्वर

29. सदाशिव

30. विश्वनाथ

31. वीरभद्र

32. गणनाथ

33. प्रजापति

34. हिरण्यरेता

35. दुर्धर्ष

36. गिरीश

37. गिरिश्वर

38. अनघ

39. भुजंगभूषण

40. भर्ग

41. त्रिलोकेश

42. शितिकण्ठ

43. गिरीन्द्र

44. कुष्माण्ड

45. विश्वरूप

46. वृषभध्वज

47. महाबल

48. आत्मयोग

49. जगद्व्यापी

50. लोकबन्धु

51. भोलनाथ

52. हर

53. त्रिनेत्र

54. स्वयम्भू

55. आप्तकाम

56. त्रिलोकेश

57. गंगाधिप

58. जटाधर

59. कैलाशपति

60. कामारी

61. नागनाथ

62. रुद्र

63. उमापति

64. अहिर्बुध्न्य

65. दिगम्बर

66. अशुतोष

67. सहस्राक्ष

68. सच्चिदानंद

69. अच्युत

70. प्राणनाथ

71. मृत्युंजय

72. अमरेश्वर

73. शर्व

74. त्रिनयन

75. कामांगनाशक

76. यज्ञस्वरूप

77. सर्वज्ञ

78. पंचवक्त्र

79. विष्णुवल्लभ

80. सदानन्द

81. हरिकेश

82. पुरारि

83. सुरेश्वर

84. हरिहरात्मका

85. गौरीनाथ

86. वैद्यनाथ

87. नागेश्वर

88. भीषण

89. कपाली

90. कामनाश

91. भुवनेश्वर

92. विश्वमूर्ति

93. अंधकासुरसूदन

94. भैरव

95. सोमनाथ

96. शूलिन

97. चंद्रहास

98. नीलकण्ठ

99. परशुपाणि

100. जटामुकुटधर

101. त्रिशूलधारी

102. रुद्राक्षमालाधारी

103. चन्द्रमौलि

104. कैलाशवासी

105. गंगाधर

106. उमाकांत

107. आदिनाथ

108. ओंकार

महादेव के इन नामों का जप करने से भक्तों को असीम शुभफल प्राप्त होता है।

#शिव #शिवभक्त

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