29/06/2023
: मातृभाषा
हमारा हिन्दुस्तान एक ख़्वाब है,
अनेक मातृभाषा की किताब है,
माँ की कोख से माँ की गोद तक,
जिसमें करते सवाल-जवाब है।
श्रीनगर की कश्मीरी से लेकर,
कन्याकुमारी की तमिल तक,
मिज़ोरम की मिज़ो से लेकर,
गुजरात की गुजराती तक,
ऐसा भाषाओं का माध्यम है,
मिलता जुलता सा सैलाब है।
सब की भाषा है अलग-अलग,
मेल-जोल सबका लाजवाब है।
धर्म जाति रंग रूप से बढ़कर,
मातृभाषा हमारी पहचान है,
ये भाषा हमें बनाती इंसान है।
माँ की गोद में जन्म के बाद,
पहला बोल हमारी ज़बान है।
मुल्क के बाहर की भाषा से,
हमारी मातृभाषा मिटती नहीं,
वो भाषा भी किसी की पहचान है।
कहीं कहते है माँ, कहीं अम्मी,
नाम, भाषा अलग, एहसास है एक,
यही एहसास भाषा का गुणगान है।
मातृभाषा है एक माध्यम शिक्षा का,
बच्चों का समझना बनाती आसान है।
© Aksh*ta Gupta