31/07/2023
आओ बढ़ाएँ एक पग को संग-संगी,
क़ातिलाना नज़ारे से जुदा कर दें।
उड़ा दे धूप के साए सभी ग़म,
मुस्कराएँ ज़िंदगी की चांदनी भर दें।
दिल की गहराई से उठते हैं ये आवाज़,
दिल और जज़्बातों की धरती संभाल दें।
गुलज़ार साहब की तरह छाएँगे छाप,
ख़्वाबों की नई उड़ान, नए अंदाज़ बना दें।