12/06/2023
शायद किसी लम्बे सुनसान रास्ते का भ्रम है यह
या फिर एक गहरी नींद का
या शायद स्वप्नों की स्मृतियों का।
एक ठोकर के बाद दुख रहा है पैर का अंगूठा
नाखून के ठीक नीचे से बहता हुआ रक्त
जमीन पर गिरते ही थक्के में बदल गया है...
पढ़िये अशोक कुमार जी की कविता