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Vedic Shlokas Vedic Shlokas embark on a journey into the realm of ancient wisdom and spiritual enlightenment. Welcome to the official page of "Vedic Shlokas"!

Here, we embark on a transformative journey into the realm of ancient wisdom and spiritual enlightenment. Our page is dedicated to exploring the profound teachings of Sanskrit Shlokas and their timeless values, offering insights and guidance for a meaningful and fulfilling life. Join us as we delve into the depths of Sanskrit literature, uncovering the hidden gems of wisdom contained within the Sh

lokas. We bring you a rich tapestry of Shlokas from revered texts such as Chanakya Niti, Vidur Niti, Raja Bharthari's Shatak, Rigveda, and other Vedic scriptures. Through our curated content, we strive to make this ancient wisdom accessible, relevant, and applicable to our modern lives. Here, you will find a treasure trove of Sanskrit Shlokas and their meanings in Hindi. We go beyond mere translations, diving deep into the essence of each Shloka to extract its profound teachings. Our aim is to bridge the gap between ancient wisdom and contemporary living, empowering you to integrate these teachings into your daily life and experience positive transformations. Explore our posts, videos, and articles that unravel the deeper meanings, practical applications, and spiritual significance of the Shlokas. We provide historical context, insightful commentaries, and practical guidance, helping you connect with the wisdom of the ages and apply it to various aspects of your life, including personal growth, relationships, success, ethics, and spirituality.

19/11/2023

हमारे बुजुर्गों से ही हमारी पहचान होती हैं।

18/11/2023

धर्म की बातें किसको बेकार लगती है?

दश धर्मं न जानन्ति धृतराष्ट्र निबोध तान् ।
मत्तः प्रमत्तः उन्मत्तः श्रान्तः क्रुद्धो बुभुक्षितः ॥
त्वरमाणश्च लुब्धश्च भीतः कामी च ते दश ।
तस्मादेतेषु सर्वेषु न प्रसज्जेत पण्डितः ॥
भावार्थ :
दस प्रकार के लोग धर्म के विषय की बातों को महत्त्वहीन समझते हैं । ये लोग हैं - नशे में धुत्त व्यक्ति, लापरवाह, पागल, थका-हारा व्यक्ति, क्रोध, भूख से पीड़ित, जल्दबाज, लालची, डरा हुआ तथा काम पीड़ित व्यक्ति । विवेकशील व्यक्तियों को ऐसे लोगों की संगति से बचना चाहिए । ये सभी विनाश की ओर ले जाते हैं ।

यह श्लोक हमें बताता है कि धृतराष्ट्र ने अपने पुत्रों को दस प्रकार के लोगों की चेतावनी दी है जो धर्म के विषय में उदासीन और अज्ञानी हैं। इन लोगों में शामिल हैं नशे में धुत्त, लापरवाह, पागल, थका-हारा, क्रोधी, भूख से पीड़ित, जल्दबाज, लालची, डरा हुआ और काम पीड़ित व्यक्ति। इन लोगों की संगति से बचने का सुझाव दिया जा रहा है और इस से यह सिखने को मिलता है कि एक बुद्धिमान व्यक्ति को इस प्रकार के लोगों से दूर रहना चाहिए ताकि वह सकारात्मक दिशा में अग्रसर हो सके।

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16/11/2023
29/09/2023

गायत्री महामंत्र वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है जिसकी महत्ता ॐ के लगभग बराबर मानी जाती है। यह यजुर्वेद के मन्त्र 'ॐ भूर्भुवः स्वः' और ऋग्वेद के छन्द 3.62.10 के मेल से बना है।

इस मंत्र में सवितृ देव की उपासना है इसलिए इसे सावित्री भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण और इसे समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है। इसे श्री गायत्री देवी के स्त्री रूप में भी पूजा जाता है। (source: wikipedia)

इस वीडियो को नियमित रूप से सुनने के लाभ में से कुछ शामिल हैं: आत्मिक शक्ति, शांति और सुख की प्राप्ति बुद्धि, ज्ञान और संवेदनशीलता की वृद्धि मानसिक चंचलता को नियंत्रित करना और मन को शांत करना सत्य, ज्ञान और ब्रह्मचर्य के गुणों का विकास करना आध्यात्मिक संयम, ध्यान और स्वयं को पुरुषार्थ के माध्यम से उन्नत करना गायत्री मंत्र एक प्राचीन और प्रभावशाली मंत्र है जिसे नियमित रूप से सुनने और जप करने से हम आत्मिक और मानसिक विकास को प्राप्त कर सकते हैं।

यह मंत्र हमारे जीवन को सुख, शांति, ब्रह्मचर्य और आध्यात्मिकता की ओर ले जाता है। यदि आप आध्यात्मिक उन्नति और आत्म-साक्षात्कार की इच्छा रखते हैं, तो गायत्री मंत्र को सुनना और जप करना आपके लिए उपयोगी हो सकता है। इस वीडियो को देखें और गायत्री मंत्र की ध्वनि के साथ अपने मन को शांत करें और आध्यात्मिक ऊर्जा को प्राप्त करें।

song credit: Yoga Vidya Gurukul

जीवन के १० उपयोगी ज्ञानवर्धक श्लोक:नमस्ते दोस्तों! आज हम आपके साथ वेदांती श्लोकों के माध्यम से 10 महत्वपूर्ण जीवन सिखों ...
15/08/2023

जीवन के १० उपयोगी ज्ञानवर्धक श्लोक:

नमस्ते दोस्तों! आज हम आपके साथ वेदांती श्लोकों के माध्यम से 10 महत्वपूर्ण जीवन सिखों को साझा कर रहे हैं। ये श्लोक हमें जीवन के अनमोल मूल्यों की पहचान करने में मदद करते हैं।

श्लोक 1: नास्ति बुद्धिमतां शत्रुः
इस श्लोक से हम सीखते हैं कि बुद्धिमान व्यक्ति का कोई भी शत्रु नहीं हो सकता। बुद्धिमान व्यक्ति विवेकपूर्ण निर्णय लेने में समर्थ होता है और उसकी सोच विकल्पों से परे होती है।

श्लोक 2: विद्या परमं बलम
विद्या ही हमारा सबसे महत्वपूर्ण संसाधन है। यह हमें शक्तिशाली बनाती है, समझदारी देती है, और सफलता की ओर आगे बढ़ने में मदद करती है।

श्लोक 3: सक्ष्मात् सर्वेषों कार्यसिद्धिभर्वति
इस श्लोक से हम जानते हैं कि यदि हम अपने कामों में समर्पित हों और सक्षमता से काम करें, तो हमारी मेहनत से हमेशा सफलता मिलेगी।

श्लोक 4: न संसार भयं ज्ञानवताम्
ज्ञानवान व्यक्ति कभी भी भयभीत नहीं होता, क्योंकि वह सच्चाई की ओर आगे बढ़ता है और जानता है कि भय केवल अज्ञान से होता है।

श्लोक 5: वृद्धसेवया विज्ञानत्
यह श्लोक हमें शिक्षा और बुद्धिमता की महत्वपूर्णता बताता है। वृद्धा सेवा करके हम उनके अनुभव से सीख सकते हैं और विज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

श्लोक 6: सहायः समसुखदुःखः
जीवन में सहयोगी होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। सुख-दुखों में एक-दूसरे का साथ देने से जीवन के संघर्षों को सहने में आसानी होती है।

श्लोक 7: आपत्सु स्नेहसंयुक्तं मित्रम्
यह श्लोक हमें यह सिखाता है कि वास्तविक मित्रता तब दिखती है जब हमारे दोस्त हमारे साथ दुर्घटनाओं के समय में खड़े होते हैं।

श्लोक 8: मित्रसंग्रहेण बलं सम्पद्यते
इस श्लोक से हम यह सिखते हैं कि अच्छे दोस्तों के संग्रहण से हमारी शक्ति और संपत्ति में वृद्धि होती है।

श्लोक 9: सत्यमेव जयते
सत्य कभी हार नहीं सकता। इस श्लोक से हम यह सिखते हैं कि सत्य की विजय हमेशा होती है और असली सफलता सत्य में ही होती है।

श्लोक 10: विज्ञान दीपेन संसार भयं निवर्तते
विज्ञान की प्रकाशित दीप से हम संसार में भय को दूर कर सकते हैं। ज्ञान के माध्यम से हम जान सकते हैं कि आखिरी रूप में सब कुछ अच्छे के लिए ही होता है।

कृपया अपने विचार साझा करने के लिए बेझिझक टिप्पणी करें।

जीवन के १० उपयोगी ज्ञानवर्धक श्लोक:नमस्ते दोस्तों! आज हम आपके साथ वेदांती श्लोकों के माध्यम से 10 महत्वपूर्ण जीवन स....

कोई किसी का मित्र या शत्रु क्यों बनता है ? चाणक्य नीति श्लोक १।
03/07/2023

कोई किसी का मित्र या शत्रु क्यों बनता है ? चाणक्य नीति श्लोक १।

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