16/09/2021
आंखों में ये आंसू बेवतनी और मायूसी के है...ये नम आंखें गवाही हैं कि घरोंदे पर अब सज्जादों के कब्जे में है...ये कहानी है मिलाद बिनफशा और उन जैसे हजारों हजार अफगान शरणार्थियों की जो अपने वतन में तालिबान की वापसी के साथ उजड़ने को मजबूर हो गए...
आंखों में ये आंसू बेवतनी और मायूसी के है...ये नम आंखें गवाही हैं कि घरोंदे पर अब सज्जादों के कब्जे में है...ये कहानी है ...