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23/05/2022

राज्य निवडणूक आयोगाने राज्यातील प्रलंबित 13 महानगरपालिकांच्या प्रभागांची आरक्षण सोडत काढण्याचे अधिसूचना जाहीर केली आहे. नवी मुंबई, वसई विरार, उल्हासनगर, कोल्हापूर, अकोला, अमरावती, नागपूर, सोलापूर, नाशिक, पुणे, पिंपरी चिंचवड, कल्याण डोंबिवली आणि ठाणे महापालिकेच्या आरक्षण सोडतीचा कार्यक्रम 13 जूनपर्यंत जाहीर केला आहे.
निवडणूक आयोगाने येत्या 31 मे रोजी 13 प्रलंबित महापालिकांच्या प्रभागांचे आरक्षण सोडत काढली जाणार आहे. महापालिकांच्या आरक्षण सोडतीचा कार्यक्रम 27 मे ते 13 जूनपर्यंत सुरू राहणार आहेत. 'नवी मुंबई, वसई विरार, कल्याण-डोंबिवली, कोल्हापूर, ठाणे, उल्हासनगर, नाशिक, पुणे, पिंपरी-चिंचवड, सोलापूर, अमरावती, अकोला व नागपूर महानगरपालिका सार्वत्रिक निवडणूक 2022 आरक्षण सोडतीचा कार्यक्रम जाहीर केला आहे.

23/05/2022
India is biggiest democratic country in the world, and elections are the heart of democratic process they allow common m...
23/05/2022

India is biggiest democratic country in the world, and elections are the heart of democratic process they allow common man to choose who will represent them ? Who will form the government responsible and accountable to shape policy .

Election is huge task in democratic setup. Where population is more than 100 crore and voters are in crores. Contesting elections and winning elections are two different things. But for both you need a effective managing team. Even if you loose elections but how candidate fought and managed election is also important for political parties. It requires careful management of complex technology, resources, managing activists, leaders and more important communication of information to the public. If these parts are not effectively managed then candidate and party will be in mess.

So what is electoral management ? How are election managed ? What are the key tasks involved? What is campaign management ? How strategis are designed ?

To be contd ......

Jamshhid Khan
Director
Prachaar Abhiyaan

Congress

17/05/2022

Supreme Court decision Today.

Election without OBC Reservation

Election in Marathwada and Vidarbha regions to be declared soon as there is less rain.

Election in Konkan, Mumbai after Monsoon season probably in October 2022

 #अग्निशिला मई 2022 संपादकीयअब होकर ही रहेंगे महानगरपालिका चुनावमनपा चुनाव को लेकर फिर एक बार सुप्रीम कोर्ट सख्त हो चुकी...
15/05/2022

#अग्निशिला मई 2022 संपादकीय

अब होकर ही रहेंगे महानगरपालिका चुनाव

मनपा चुनाव को लेकर फिर एक बार सुप्रीम कोर्ट सख्त हो चुकी है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर चुनाव की प्रक्रिया को पूर्ण करने का आदेश जारी किया है. मुंबई सहित अन्य स्थानों पर चुनाव को लेकर सरकार की नीतियां टालमटोल की है जबकि चाहे आम जनता हो या पूर्व नगरसेवक सभी चाहते हैं कि जल्द से जल्द चुनाव हो जाएं.

मुंबई मनपा चुनाव को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार का आड़े हाथ लिया. ओबीसी आरक्षण को लेकर चुनाव प्रक्रिया को स्थगित करने वाली महाराष्ट्र की सरकार अपरोक्ष तौर पर सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश की अवमानना ही कर रही थी. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि दो सप्ताह के भीतर चुनाव की घोषणा करे. मुंबई मनपा का चुनाव और ओबीसी आरक्षण इसका कोई तालमेल नहीं है. ओबीसी के हितैषी बताने की चल रही कवायद में महाविकास आघाड़ी से लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी भी शामिल है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपनी भूमिका स्पष्ट करने के बाद अब राज्य सरकार को भी अपनी भूमिका स्पष्ट करने की जरूरत है. वैसे सरकार चाहती नहीं कि चुनाव समय पर हों.

मुंबई मनपा पर तो प्रशासक के तौर पर मुंबई महानगरपालिका के आयुक्त को विराजित किया गया है. इसके चलते गत 5 वर्ष से आम लोगों बीच जाने वाले सभी भूतपूर्व नगरसेवक घर पर ही बैठे हैं, क्योंकि उन्हें कोई अधिकार शेष बचा नहीं है. मुंबई मनपा में हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट हो या गली का काम, इसे लेकर पूर्व नगरसेवक जनता से कट रहे हैं. जिसका खामियाजा उन्हें आने वाले चुनाव में निश्चित तौर पर भुगतना पड़ेगा. ओबीसी आरक्षण को लेकर राज्य सरकार की भूमिका भी स्पष्ट नहीं है. अन्यथा जो वार्ड पहले ओबीसी थे, वहां पर चाहे आरक्षण कुछ भी हो हर एक राजनीतिक पार्टियां उस सीट पर ओबीसी को ही उम्मीदवारी देकर न्याय कर सकती थी. इसके लिए चुनाव से पलायन करना कोई दर्द की दवा नहीं है. वैसे मुंबई महानगरपालिका की बात करें तो 27 लाख रुपए खर्च कर नई प्रभाग संरचना गठित की गई. अब मुंबई में 227 के बजाय 236 नगरसेवक होंगे. इस पूरी कवायद में बड़े पैमाने पर सरकारी मशीनरी का भी इस्तेमाल हुआ. इस नई संरचना को बनाने के लिए लाखों रुपए का खर्च भी हुआ. इसके बावजूद राज्य सरकार ने आनन फानन में इस नई संरचना को रद्द करने का काम किया. वैसे मुंबई महानगरपालिका में शिवसेना का राज है और राज्य की सत्ता में नगर विकास विभाग भी शिवसेना के पास है. यानी पहले नई प्रभाग संरचना करने के दौरान मुंबई महानगरपालिका आयुक्त और नगर विकास मंत्री ने संवाद हुआ ही नहीं. अन्यथा इतना बड़ा निर्णय रद्द करने की नौबत ही नहीं आती. वैसे मुंबई महानगर पालिका में कार्यरत अधिकारियों का दावा है कि उनके पास चुनाव का पूरा खाका तैयार है. चुनाव आयोग को यह पेश करने के बाद तारीख घोषित हो सकती है, लेकिन अभ बारिश का बहाना कर राज्य सरकार जून में होने वाले संभावित चुनाव को अक्टूबर तक लेकर जाना चाहती है. जबकि सूत्रों की बात पर विश्वास किया जाए, तो फरवरी 2023 में ही नए चुनाव लेने की मंशा है.

राज्य सरकार, मुंबई महानगरपालिका, चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट के बीच में मुंबई का आम आदमी पिस रहा है. उनके रोजाना कामों को लेकर मंुबई महानगरपालिका की यंत्रणा शत प्रतिशत सक्षम नहीं है. आज मुंबईकर ट्िवटर के माध्यम से शिकायत उच्च अधिकारियों तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं. क्योंकि निचले स्तर पर काम की कोई गारंटी नहीं है. एेसी स्थिति में स्थानीय स्तर पर नगरसेवक को भी किसी भी तरह का अधिकार न होने के चलते मुंबई महानगरपालिका में अफसरों का राज आ चुका है. इसी के चलते कई सारे प्रोजेक्ट, जिनकी कीमत दोगुना-तिगुना हो चुकी है, इसे लेकर आवाज बुलंद करनेवाले घर पर ही बैठे हैं. ओबीसी आरक्षण को आगे कर मुंबई महानगरपालिका के चुनाव आगे-आगे करने वाली सरकार जमीनी स्तर की हकीकत से रूबरू नहीं है. अन्यथा फरवरी 2022 में है मुंबई महानगरपालिका के चुनाव संपन्न हो जाते और प्रशासक नियुक्त करने की नौबत नहीं आ पड़ती.

अनिल गलगली

https://www.facebook.com/100063458869642/posts/460647956060496/

#अग्निशिला मई 2022 संपादकीय

अब होकर ही रहेंगे महानगरपालिका चुनाव

मनपा चुनाव को लेकर फिर एक बार सुप्रीम कोर्ट सख्त हो चुकी है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर चुनाव की प्रक्रिया को पूर्ण करने का आदेश जारी किया है. मुंबई सहित अन्य स्थानों पर चुनाव को लेकर सरकार की नीतियां टालमटोल की है जबकि चाहे आम जनता हो या पूर्व नगरसेवक सभी चाहते हैं कि जल्द से जल्द चुनाव हो जाएं.

मुंबई मनपा चुनाव को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार का आड़े हाथ लिया. ओबीसी आरक्षण को लेकर चुनाव प्रक्रिया को स्थगित करने वाली महाराष्ट्र की सरकार अपरोक्ष तौर पर सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश की अवमानना ही कर रही थी. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि दो सप्ताह के भीतर चुनाव की घोषणा करे. मुंबई मनपा का चुनाव और ओबीसी आरक्षण इसका कोई तालमेल नहीं है. ओबीसी के हितैषी बताने की चल रही कवायद में महाविकास आघाड़ी से लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी भी शामिल है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपनी भूमिका स्पष्ट करने के बाद अब राज्य सरकार को भी अपनी भूमिका स्पष्ट करने की जरूरत है. वैसे सरकार चाहती नहीं कि चुनाव समय पर हों.

मुंबई मनपा पर तो प्रशासक के तौर पर मुंबई महानगरपालिका के आयुक्त को विराजित किया गया है. इसके चलते गत 5 वर्ष से आम लोगों बीच जाने वाले सभी भूतपूर्व नगरसेवक घर पर ही बैठे हैं, क्योंकि उन्हें कोई अधिकार शेष बचा नहीं है. मुंबई मनपा में हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट हो या गली का काम, इसे लेकर पूर्व नगरसेवक जनता से कट रहे हैं. जिसका खामियाजा उन्हें आने वाले चुनाव में निश्चित तौर पर भुगतना पड़ेगा. ओबीसी आरक्षण को लेकर राज्य सरकार की भूमिका भी स्पष्ट नहीं है. अन्यथा जो वार्ड पहले ओबीसी थे, वहां पर चाहे आरक्षण कुछ भी हो हर एक राजनीतिक पार्टियां उस सीट पर ओबीसी को ही उम्मीदवारी देकर न्याय कर सकती थी. इसके लिए चुनाव से पलायन करना कोई दर्द की दवा नहीं है. वैसे मुंबई महानगरपालिका की बात करें तो 27 लाख रुपए खर्च कर नई प्रभाग संरचना गठित की गई. अब मुंबई में 227 के बजाय 236 नगरसेवक होंगे. इस पूरी कवायद में बड़े पैमाने पर सरकारी मशीनरी का भी इस्तेमाल हुआ. इस नई संरचना को बनाने के लिए लाखों रुपए का खर्च भी हुआ. इसके बावजूद राज्य सरकार ने आनन फानन में इस नई संरचना को रद्द करने का काम किया. वैसे मुंबई महानगरपालिका में शिवसेना का राज है और राज्य की सत्ता में नगर विकास विभाग भी शिवसेना के पास है. यानी पहले नई प्रभाग संरचना करने के दौरान मुंबई महानगरपालिका आयुक्त और नगर विकास मंत्री ने संवाद हुआ ही नहीं. अन्यथा इतना बड़ा निर्णय रद्द करने की नौबत ही नहीं आती. वैसे मुंबई महानगर पालिका में कार्यरत अधिकारियों का दावा है कि उनके पास चुनाव का पूरा खाका तैयार है. चुनाव आयोग को यह पेश करने के बाद तारीख घोषित हो सकती है, लेकिन अभ बारिश का बहाना कर राज्य सरकार जून में होने वाले संभावित चुनाव को अक्टूबर तक लेकर जाना चाहती है. जबकि सूत्रों की बात पर विश्वास किया जाए, तो फरवरी 2023 में ही नए चुनाव लेने की मंशा है.

राज्य सरकार, मुंबई महानगरपालिका, चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट के बीच में मुंबई का आम आदमी पिस रहा है. उनके रोजाना कामों को लेकर मंुबई महानगरपालिका की यंत्रणा शत प्रतिशत सक्षम नहीं है. आज मुंबईकर ट्िवटर के माध्यम से शिकायत उच्च अधिकारियों तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं. क्योंकि निचले स्तर पर काम की कोई गारंटी नहीं है. एेसी स्थिति में स्थानीय स्तर पर नगरसेवक को भी किसी भी तरह का अधिकार न होने के चलते मुंबई महानगरपालिका में अफसरों का राज आ चुका है. इसी के चलते कई सारे प्रोजेक्ट, जिनकी कीमत दोगुना-तिगुना हो चुकी है, इसे लेकर आवाज बुलंद करनेवाले घर पर ही बैठे हैं. ओबीसी आरक्षण को आगे कर मुंबई महानगरपालिका के चुनाव आगे-आगे करने वाली सरकार जमीनी स्तर की हकीकत से रूबरू नहीं है. अन्यथा फरवरी 2022 में है मुंबई महानगरपालिका के चुनाव संपन्न हो जाते और प्रशासक नियुक्त करने की नौबत नहीं आ पड़ती.

अनिल गलगली

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