15/02/2021
ये तस्वीर मेरी गैलरी में काफी दिनों से धूल फांक रही थी, दरअसल जब अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के सेलुलर जेल का ज़िक्र होता है तो मुझे दो चेहरे याद आते हैं, एक तो ये जिसकी तस्वीर जिसे शेर अली अफरीदी कहते हैं, दूसरा एक छद्म वीर सावरकर की। सावरकर क्यों वीर हैं ये आज तक कोई इतिहासकार बता नहीं सका, हत्ता की जेल में सावरकर का वज़न बढ़ गया था और वो माफीनामा पर बाहर आकर पेंशन डकार रहे थे जबकि शेर अली अफरीदी अपने साथियों से कुछ बड़ा करने का वादा करते थे, एक दिन वो लम्हा आ गया( 8 फरवरी) जिसका शेर अली इंतेज़ार कर रहे थे, ब्रिटिश इंडिया के एक बड़े अफसर लार्ड मेयो का दौरा होता है अंडमान में, आगे आगे पूरा दस्ता और लार्ड मेयो दस्ते में बाहिफाज़त चल रहा था, अचानक झाड़ियों से एक आदमी चीते की फुर्ती सा कूदा और लार्ड मेयो की गर्दन में खंजर पेवस्त हो चुका था, लार्ड मेयो को आनन फानन में उनके जहाज़ पर लाया गया जहां से उन्हें कलकत्ता इलाज के लिए रवाना किया गया। लेकिन लार्ड मेयो की जान निकल चुकी थी, खंजर बुरी तरह से पेवस्त हो चुका था। इतने बड़े अंग्रेज़ी अफसर का कत्ल इससे पहले इंडिया में नहीं हुआ था, लंदन तक चूल्हे हिल गई, अविभाज्य भारत के सिंध इलाके का ये शेर 27 फरवरी को फांसी पर लटका दिया गया। शेर अली अफरीदी को वीर कह कर उसकी वीरता मैं खतरे में नहीं डालना चाहता। बाकी आप समझदार हैं।
Sarfaraz Nazeer