क़िस्सागोई

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क़िस्सागोई दिल को छू लेने वाले किस्से कहानियां

ट्रेन अपनी रफ़्तार से भागी चली जा रही है। कटनी जंक्शन कुछ देर पहले गुज़रा है। रात के ग्यारह बजे के आसपास का समय होगा। द्...
12/06/2023

ट्रेन अपनी रफ़्तार से भागी चली जा रही है। कटनी जंक्शन कुछ देर पहले गुज़रा है। रात के ग्यारह बजे के आसपास का समय होगा। द्वितीय श्रेणी स्लीपर डिब्बे में अधिकांश यात्री अपनी अपनी सीट पर ओढ़ने बिछाने की व्यवस्था करके लेट गए हैं। जो कटनी स्टेशन से सवार हुए हैं वे सामान सीटों के नीचे खिसका कर लेटने की तैयारी में हैं। वह अभी तक सिकुड़ी सिमटी खिड़की से टिकी बैठी रही है। खिड़की का काँच बन्द होने पर भी झिरी से आने वाले हवा के झोंके शरीर में सिहरन पैदा करने लगे तब उसने सीट के नीचे से अपना बैग खींच कर स्वेटर निकाल कर पहना और फिर उसी तरह गुमसुम बैठ गई....

परिस्तिथियों से जूझती एक औरत की कहानी

ओरियन एक केंद्रीय पात्र है, कहानी के कई प्रमुख पात्रों के बीच, जिसमें एक अलग किस्म का नायकत्व है। उसकी नेतृत्व क्षमता दे...
12/04/2023

ओरियन एक केंद्रीय पात्र है, कहानी के कई प्रमुख पात्रों के बीच, जिसमें एक अलग किस्म का नायकत्व है। उसकी नेतृत्व क्षमता देख कर उसे एक ऐसे मिशन की कमान दी जाती है— जो कुछ और सहनायकों के साथ पृथ्वी के अतीत से लेकर भविष्य तक के एक ऐसे सुधार पर आधारित होता है, जिसकी नाकामी का अर्थ पृथ्वी से संपूर्ण मानवजाति के अंत के रूप में सामने आने वाला था। उनके पास नाकाम होने का विकल्प ही नहीं था और कामयाबी के इकलौते विकल्प पर जूझने के लिये वे सारे बेलिग्रांट्स अपनी जान तक देने को तैयार थे।

उपरोक्त कहानी एक महागाथा है जो अलग-अलग कालखंडों में चलती है और इसकी शुरुआत वर्तमान में एक सोये शहर के जागने के साथ ही एक ऐसे हादसे से दो चार होने से होती है, जिसकी कोई एक्सप्लेनेशन दुनिया में किसी के पास नहीं थी। क्रिसमस पार्टी मना कर देर रात सोया शहर जब उठता है तो बीच चौराहे पर एक ऐसे कटे हुए हाथ के दर्शन होते हैं, जो इंसान का नहीं था बल्कि अलग बनावट का था और किसी ऐसे क्रीचर का था, जो आकार में इंसान के ढाई गुना होना चाहिये— लेकिन ऐसा कोई जीव इस दुनिया में मौजूद नहीं था....

अलग-अलग टाईमलाइन में चलने वाली एक ऐसी कहानी जो है पृथ्वी के उस अतीत से जुडी जो कभी सामने ही नहीं आया...

सुबह तहसील पहुँचते ही रिज़वाना ने देखा कि दो पुलिस कांस्टेबल कमरे के बाहर उसका इन्तेज़ार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि व...
05/03/2023

सुबह तहसील पहुँचते ही रिज़वाना ने देखा कि दो पुलिस कांस्टेबल कमरे के बाहर उसका इन्तेज़ार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे रायसेन ज़िले से हैं उस ज़िले की कोई लड़की अस्सी प्रतिशत जल गई है जिसे गम्भीर स्थिति में यहाँ मेडिकल कालिज के बर्न वार्ड में भर्ती कराया गया है। वे तहसीलदार साहिब के घर गए थे ताकि उसके मृत्यु पूर्व बयान के लिए किसी नायब तहसीलदार एवं कार्यपालिक मजिस्ट्रेट की ड्यूटी लगाई जा सके। जिन्होंने उसको यह बयान लेने के लिए आदेशित किया है, आदेश पुलिस के आवेदन सह सूचनापत्र पर दर्ज है जो उसने ले लिया है...

शालिनी की मन को झकझोर देने वाली दास्तान...

संध्या की वर्षा , हमेशा मुझे असीम सुख देती है , मन करता है  कांतामयी इस बुहार का आलिंगन अपनी बाँहों में भर लूँ ..समेट लू...
12/11/2022

संध्या की वर्षा , हमेशा मुझे असीम सुख देती है , मन करता है कांतामयी इस बुहार का आलिंगन अपनी बाँहों में भर लूँ ..समेट लूँ उस हर एक बूँद को अपने हृदय में , जो बूँद मुझे मेरी " वैशाली " सी प्रतीत होती है !

वैशाली नोहरा मेरी स्वर्गीय धर्म पत्नी , जिसके साथ व्यतीत प्रत्येक पल का स्मरण मात्र ही मुझे आज भी युवा बना देता है ।।

वैसे युवा होने या न होने के कोई वैज्ञानिक सिद्धान्त नही , लेकिन आयु 47 से जा लगी है मेरी ।।
और मेरे मन ने आखिर मान ही लिया है , कि मैं अब वो नही..

दिल को छू लेने वाली एक कहानी

बहुत पहले सर्च लाइट ने कुछ दूरी पर एक स्कूनर को देखा था, जिसके सारे पाल चढ़े हुए थे, शायद यह वही यान था जिसे पहले शाम को ...
12/11/2022

बहुत पहले सर्च लाइट ने कुछ दूरी पर एक स्कूनर को देखा था, जिसके सारे पाल चढ़े हुए थे, शायद यह वही यान था जिसे पहले शाम को देखा गया था। इस समय तक हवा फिर से पूरब की ओर बहने लगी थी, और उस खतरे को महसूस कर के क्लिफ पर मौजूद तमाशबीन काँप गये, जिसमें वह इस समय था। उसके और बन्दरगाह के बीच में विशाल सपाट शैल-भित्ति थी, जिससे समय-समय पर काफी अच्छे जहाजों को नुकसान उठाना पड़ा था, और इसके वर्तमान चौथाई से बहने वाली हवा से, बिलकुल असंभव था कि वह किनारे तक पहुँच जाये।

अब ज्वार आने का समय लगभग हो चुका था, लेकिन लहरें इतनी विशाल थीं कि उनके कुंडों में किनारे की उथल-पुथल लगभग दृश्यगत थी—

ब्राम स्टोकर की जगत प्रसिद्द कहानी

बकवास! हो सकता है कि कुछ बेचारे ग़लत न भी हों, जहां बचा सकते हों, लोगों को बचाते हों, बहुत अच्छा, क्योंकि ऐसे लोग भी हैं,...
08/11/2022

बकवास! हो सकता है कि कुछ बेचारे ग़लत न भी हों, जहां बचा सकते हों, लोगों को बचाते हों, बहुत अच्छा, क्योंकि ऐसे लोग भी हैं, जो मरहम के कटोरे को सागर के जैसा समझते हैं, अगर यह बस उनका हो। कुल मिला कर यह सब बस झूठ का पिटारा है। अब देखो। तुम यहाँ अजनबी की तरह आती हो, और चर्च के इस परिसर को देखती हो...

काउंट ड्रैकुला की अनोखी कहानी

भोपाल की श्यामला हिल्स पहाड़ी और तात्याटोपेनगर एरिया के बीच गहराई में जो बरसाती नाला बहता है वही बाणगंगा है। अधिक बारिश ...
01/11/2022

भोपाल की श्यामला हिल्स पहाड़ी और तात्याटोपेनगर एरिया के बीच गहराई में जो बरसाती नाला बहता है वही बाणगंगा है। अधिक बारिश हो जाए तो यही नाला विकराल रूप धर लेता है। इसी के किनारे दोनों ओर झुग्गियों की बिल्कुल अव्यवस्थित बस्ती है। झुग्गियों के बीच बीच से आने जाने के संकरे रास्ते हैं जिन की नालियों से गन्दा पानी बहता है।

इस बस्ती में रहने वाला मँगतराम गोदरेज कम्पनी के शो रूम पर चपरासी का काम करता है। दो बच्चे सीता और शंकर 18-20 वर्ष के हो चुके हैं। पत्नि का नाम गंगूबाई है। मँगतराम को शराब पीने की ऐसी लत है कि...

पुनर्जनम एक किरदार का, जिससे उसके सपने छीन लिए गये.

भेड़ियों की गुर्राहट और भी तेज़ और उग्र होने लगी। उनके सुर्ख जबड़े और किटकिटाते हुए दाँत थे और वे अपने कुंद पंजों वाले पैरो...
30/10/2022

भेड़ियों की गुर्राहट और भी तेज़ और उग्र होने लगी। उनके सुर्ख जबड़े और किटकिटाते हुए दाँत थे और वे अपने कुंद पंजों वाले पैरों से उछल-उछल कर दरवाजे के अंदर आने की कोशिश करने लगे। मैं समझ गया कि इस वक़्त काउंट के खिलाफ संघर्ष करना बेकार है..

काउंट ड्रैकुला की कहानी

अभी आधे घण्टे पहले पुरानी वाली ब्रेकअप कर गई ... अच्छा ही हुआ वरना थक गया था मैं 3 साल से एक ही गुब्बारे में हवा भरते-भर...
27/10/2022

अभी आधे घण्टे पहले पुरानी वाली ब्रेकअप कर गई ... अच्छा ही हुआ वरना थक गया था मैं 3 साल से एक ही गुब्बारे में हवा भरते-भरते ....
टेस्ट बड़ी चीज है ...उसमें अब स्वाद नही था ... वो अपनी आधुनिकता खो चुकी थी उसमें शार्ट रेम थी और स्पेस भी मेरी आउटडेटेड और ओल्ड मेमोरीज से भरा हुआ था ...
उसमें न काबिलियत थी और न न्यू फीचर डाऊनलोड करने की कैपेसिटी .... मैंने कई बार उससे आग्रह किया था कि तुम मॉडर्न बनकर रहा करो ....

जब सब खो देने के बाद इन्सान ये महसूस कर पाये कि उसके पास क्या था..

मैं अपने खुद के कमरे में जागा। अगर मैंने सपना नहीं देखा था, तो काउंट ही मुझे उठा कर यहाँ लाया होगा। मैंने इस विषय में खु...
26/10/2022

मैं अपने खुद के कमरे में जागा। अगर मैंने सपना नहीं देखा था, तो काउंट ही मुझे उठा कर यहाँ लाया होगा। मैंने इस विषय में खुद को संतुष्ट करने की कोशिश की लेकिन किसी ऐसे नतीजे पर नहीं पहुँच पाया, जिस पर सवाल न उठते हों। इस बात से भी इसकी पुष्टि होती थी कि इस बारे में छोटे-मोटे सबूत मौजूद थे— जैसे मेरे कपड़ों को तह लगा कर इस तरह से रखा गया था, जो मेरी आदत नहीं है।

मेरी घड़ी अब भी मेरी कलाई में थी और जाने क्या वजह थी कि मेरा मिजाज निश्चित रूप से काफी बिगड़ा हुआ था। मुझे सबूत ढूँढने चाहिये। एक बात से मैं खुश हूँ। अगर काउंट मुझे यहाँ लाया था और मेरे कपड़े उतारे थे, तो ज़रूर वह काफी जल्दी में रहा होगा, क्योंकि मेरी जेब को छुआ भी नहीं गया था...

पढ़िये काउंट ड्रैकुला की कहानी

एक पत्र सैमुएल एफ़॰ बिलिंगटन, न॰ 7, द क्रीसेंट, व्हिट्बी के पते पर था। दूसरा हर ल्यूटनर, वार्न के नाम था। तीसरा कौट्स एंड...
16/10/2022

एक पत्र सैमुएल एफ़॰ बिलिंगटन, न॰ 7, द क्रीसेंट, व्हिट्बी के पते पर था। दूसरा हर ल्यूटनर, वार्न के नाम था। तीसरा कौट्स एंड कं॰, लंदन के नाम था और चौथा हेरेन क्लॉपस्टॉक तथा बिलरियूथ, बैंकर्स, बुडापेस्ट के नाम। दूसरे और चौथे को सीलबंद नहीं किया गया था। अभी मैं उन्हें देखने ही जा रहा था कि मैंने देखा, दरवाजे का हैंडल घूम रहा है। मैं फिर से अपनी सीट में धंस गया, और अपनी किताब पढ़ना शुरू ही किया था कि काउंट ने हाथ में एक और पत्र लिये हुए कमरे में प्रवेश किया। उसने चिट्ठियाँ मेज़ पर रख दीं और सावधानी से उन पर टिकट लगाये, और फिर मेरी तरफ घूम कर कहा—

काउंट ड्रैकुला की कहानी

"देख न कितना सजीला है बिल्कुल किसी राजकुमार जैसा ! ""हम्म ! मेरी बला से ..नक्शे देख उसके ..अपने को कितना ओवर स्मार्ट समझ...
16/10/2022

"देख न कितना सजीला है बिल्कुल किसी राजकुमार जैसा ! "
"हम्म ! मेरी बला से ..नक्शे देख उसके ..अपने को कितना ओवर स्मार्ट समझ रहा है "
लेकिन निहारिका से सहमत होने के उपरांत भी मैं उसे ऐसा दिखा रही थी कि मुझे उसकी बातों और उसके दृश्यों से कोई सरोकार नही !
जबकि मैं हृदय हारने की उस सीमा पर पहुँच चुकी थी जहाँ मुझे और अधिक ठेलना ऐसा होगा जैसा झरने के साथ होता है ... झरना गिर के जल के संचयन में वृद्धि करता है और मैं उस अमुक युवा की सुंदरता में जैसे घुलने लगी थी ।
हाँलाकि उसकी दृष्टि अभी तक मेरी दृष्टि से नही...

प्यार के कई रूपों में से एक रूप ऐसा भी होता है...

मैं सन्नाटे में जहां का तहां खड़ा था— क्योंकि मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। न वहाँ कोई घंटी थी, न कड़ा, जिससे द...
07/10/2022

मैं सन्नाटे में जहां का तहां खड़ा था— क्योंकि मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ।

न वहाँ कोई घंटी थी, न कड़ा, जिससे दस्तक दी जा सकती। मुझे नहीं लगता था कि मेरी आवाज़ इन डरावनी दीवारों और अंधेरी खिड़कियों को भेद कर अंदर जा पायेगी। इस बार यह इंतज़ार का समय मुझ से काटे नहीं कट रहा था, और शक और डर मेरे अंदर घर करने लगे थे। यह मैं कैसी जगह और कैसे लोगों के बीच आ गया हूँ? यह मैं किस घोर साहसिक कार्य में शामिल हो गया था? क्या ऐसे हादसे वकीलों के बाबुओं की ज़िंदगी में होते रहते थे, जिन्हें किसी विदेशी को लंदन में जायदाद के सौदों को समझाने के लिये भेजा जाता था? वकीलों का बाबू..

दुनिया भर में मशहूर ब्रैम स्टोकर का कालजयी उपन्यास

जल्दी ही हम पेड़ों से घिरे हुए थे, जो कई जगह पर सड़क पर झुकने लगते थे।फिर हम एक सुरंग से हो कर गुजरे।और फिर से विशाल चट्टा...
23/09/2022

जल्दी ही हम पेड़ों से घिरे हुए थे, जो कई जगह पर सड़क पर झुकने लगते थे।
फिर हम एक सुरंग से हो कर गुजरे।

और फिर से विशाल चट्टानें त्योरियाँ चढ़ाये दोनों ओर से हमारी पहरेदारी कर रही थीं। हालांकि हम बचे हुए थे, हम फुंफकारती हुई हवा का शोर सुन सकते थे, जो चट्टानों के बीच से कराहती और सीटियाँ बजाती गुज़रती थी— और जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे थे, पेड़ों की शाखाएँ आपस में टकरा रही थीं।

ठंड बढ़ती ही जा रही थी और पाउडर के जैसी बर्फ गिरना शुरू हो गई थी, तो जल्द ही हम और आसपास का सारा इलाका सफ़ेद परत से ढक जाता। तीखी हवा में अभी भी कुत्तों के रोने की आवाज़ें घुली हुई थीं। हालांकि जैसे जैसे हम अपने रास्ते पर आगे बढ़ रहे थे— ये हल्की पड़ती जा रही थीं...

ड्रैकुला का वों खौफनाक महल...

फिर मेरी तरफ मुड़ कर उसने मेरी जर्मन से भी ज़्यादा टूटी-फूटी जर्मन में कहा—“यहाँ कोई गाड़ी नहीं है। शायद श्रीमान के आने की ...
23/09/2022

फिर मेरी तरफ मुड़ कर उसने मेरी जर्मन से भी ज़्यादा टूटी-फूटी जर्मन में कहा—

“यहाँ कोई गाड़ी नहीं है। शायद श्रीमान के आने की उम्मीद नहीं की जा रही थी। अब वह बुकोविना आयेगा और कल या परसों लौटेगा, बेहतर हो कि परसों।”

अभी वह बोल ही रहा था कि अचानक घोड़े हिनहिनाने, खौखियाने और बुरी तरह बिदकने लगे, इसलिए ड्राइवर को उन्हें संभालना पड़ा। फिर जल्दी जल्दी क्रॉस बनाते सहयात्रियों की मिलीजुली चिल्लाहटों के बीच पीछे से चार घोड़ों वाली एक बग्घी आई, हमारे आगे निकली गाड़ी के बगल में रुक गई

खौफ पैदा करने वाला कुत्तों और भेदियों का रोना...

"वो लड़की भोली भाली सी" नाम सुन कर रोमांटिक कहानी लगती है, लेकिन ऐसा है नहीं... यह कहानी यूं तो थ्रिल, रोमांच और सस्पेंस...
21/09/2022

"वो लड़की भोली भाली सी" नाम सुन कर रोमांटिक कहानी लगती है, लेकिन ऐसा है नहीं... यह कहानी यूं तो थ्रिल, रोमांच और सस्पेंस से भरी है, लेकिन चूंकि पूरी कहानी एक ऐसी लड़की पर है जिसकी जिंदगी कहानी के दौरान थ्री सिक्सटी डिग्री चेंज होती है, तो बस उसी बदलाव को इंगित करते हुए शीर्षक दिया है— वो लड़की भोली भाली सी। शुरुआत तो उसके भोलेपन और उसके शोषण से ही होती है लेकिन फिर मज़बूत होने के साथ वह बदलती चली जाती है...

एक मासूम सी लड़की, जिसे इस गंदी दुनिया ने एक खतरनाक शय में बदलने पर मजबूर कर दिया...

अमूमन अपने देश में लोगों के दो क्लास मिल जायेंगे— एक वे जो ज़िंदगी को जीते हैं और दूसरे वे जो ज़िंदगी को गुज़ारते हैं। ज...
21/09/2022

अमूमन अपने देश में लोगों के दो क्लास मिल जायेंगे— एक वे जो ज़िंदगी को जीते हैं और दूसरे वे जो ज़िंदगी को गुज़ारते हैं। जो गुज़ारते हैं, उनकी ज़िंदगी बड़े बंधे-टके ढर्रे पर गुजरती है। रोज़ सुबह उठना, नाश्ता पानी करना, खाना लेकर बतौर दुकानदार, रेहड़ी-फड़ के कारोबारी, कारीगर, नौकरीपेशा, मजदूर काम पर निकल लेना और दिन भर अपने काम से जूझना। रात को थक-हार कर घर लौटना और खा पी कर सो जाना— अगले दिन फिर वही रूटीन। रोज़ वही रोबोट जैसी जिंदगी जीते चले जाना और फिर जब शरीर थक कर चलने से इनकार करने लगे तब थम जाना। जरा सा एडवेंचर या एंजाय, शादी या कहीं घूमने जाने के वक़्त नसीब होता है और वे सारी ज़िंदगी रियलाईज नहीं कर पाते कि वे ज़िंदगी को जी नहीं रहे, बल्कि गुज़ार रहे हैं।

सुबोध ऐसे ही एक परिवार का लड़का है।

दूसरे वे होते हैं जो जिंदगी को जीते हैं, क्योंकि वे हर सुख सुविधाओं से लैस होते हैं। उन्हेें जीविका कमाने के लिये दिन रात अपने काम-धंधों में, नौकरी में किसी ग़रीब की तरह खटना नहीं होता। जिनके हिस्से की मेहनत दूसरे करते हैं और जो बिजनेस और बढ़िया नौकरी के बीच भी अपने लिये एक वक़्त बचा कर रखते हैं, जहां वे अपनी ज़िंदगी को जी सकें। एंजाय कर सकें। हर किस्म के एडवेंचर का मज़ा ले सकें। उनके लिये जिंदगी कोई कोर्स नहीं होती कि बस एक ढर्रे पर उसका पालन करना है— बल्कि वह दसियों रंगों के फूलों से भरे गुलदस्ते जैसी है, जहां हर दिन एक नये फूल की सुगंध का आनंद लिया जा सकता है।

ईशानी ऐसी ही लड़की है...

दो एकदम अलग क्लास में जन्मे लोगों के बीच पनपे इश्क की दास्ताँ

बीच की धरती के हरे-भरे उभरे हुए पहाड़ों के परे खुद कार्पेथियन की ऊंची-ऊंची पहाड़ियों तक जंगल की विस्तृत ढलानें फैली हुई थी...
21/09/2022

बीच की धरती के हरे-भरे उभरे हुए पहाड़ों के परे खुद कार्पेथियन की ऊंची-ऊंची पहाड़ियों तक जंगल की विस्तृत ढलानें फैली हुई थीं। हमारे दायीं और बायीं तरफ ऊंचे-ऊंचे पहाड़ थे— जिन पर ढलती शाम का सूरज अपनी किरणें पूरी दिलदारी से बिखेर रहा था और इस श्रंखला के सभी खूबसूरत रंगों को उजागर कर रहा था। चोटियों के नीचे गहरा नीला और बैंगनी, जहां चट्टानें घास से मिलती थीं, वहाँ हरा और भूरा— और आरी के दांतों जैसी ऊंची नीची पहाड़ियाँ और नुकीली चट्टानों का अंतहीन सिलसिला था, जब तक वे दूर होती हुई खुद ही दृष्टि से ओझल न हो जाएँ— जहां से शानदार बर्फीली चोटियों का सिलसिला शुरू हो जाता है।

पहाड़ों के बीच कहीं कहीं विशाल घाटियां हैं, जिनके बीच से, हालांकि सूरज अपनी रौशनी सिकोड़ने लगा था— फिर भी गिरते हुए झरनों की सफ़ेद झिलमिलाहट साफ दिखाई दे जाती थी। हम एक पहाड़ी के नीचे से निकल कर ढलान से होते हुए बर्फ से ढकी एक पहाड़ी की चोटी पर चढ़ने लगे, जो ऐसी दिखती थी, जैसे हम अपने बल खाते रास्ते पर उड़ रहे हैं। तभी मेरे एक साथी यात्री ने मेरी बांह को छुआ...

जोनाथनको लेकर लोगों का खौफ

दरअसल यह एक महागाथा है इंसान और जिन्नात के बीच बनी उस कहानी की, जो जाहिरी तौर पर आपको अलग और अनकनेक्टेड लग सकती है लेकिन...
21/09/2022

दरअसल यह एक महागाथा है इंसान और जिन्नात के बीच बनी उस कहानी की, जो जाहिरी तौर पर आपको अलग और अनकनेक्टेड लग सकती है लेकिन हकीक़त में दोनों के ही सिरे आपस में जुड़े हुए हैं। इंसान की बैकग्राउंड पख्तूनख्वा की है, जहां आप पख्तून पठानों की सामाजिक संरचना के साथ उनके आपसी संघर्ष और जिन्नातों के साथ उनके इंटरेक्शन के बारे में पढ़ेंगे और जिन्नातों की बैकग्राउंड पश्चिमी पाकिस्तान से लेकर तुर्कमेनिस्तान, सीरिया और ओमान के बीच रेगिस्तानी और सब्ज मगर बियाबान इलाकों में बसी उनकी चार अलग-अलग सल्तनतों की हैं....

इन्सान और जिन्नातों के बीच हुए एक संघर्ष की दास्तान

सोचिये कि एक दिन आप नींद से जागते हैं और पाते हैं कि आप उस दुनिया में ही नहीं हैं जो आपने सोने से पहले छोड़ी थी तो आपको ...
21/09/2022

सोचिये कि एक दिन आप नींद से जागते हैं और पाते हैं कि आप उस दुनिया में ही नहीं हैं जो आपने सोने से पहले छोड़ी थी तो आपको क्या महसूस होगा… सन दो हजार बत्तीस की एक दोपहर न्युयार्क के मैनहट्टन में एक सड़क के किनारे पड़ी बेंच पर जागे एडगर वैलेंस के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था।

वह जिस जगह को और जिस दुनिया को देख रहा था वह उसने पहले कभी नहीं देखी थी, जबकि वह अपने आईडी कार्ड के हिसाब से न्युयार्क में रहने वाला एक अमेरिकी था… उसे यह नहीं याद था कि वह अब कौन था लेकिन धीरे-धीरे उसे यह जरूर याद आता है कि वह तो भारत के एक गांव का रहने वाला था और वह भी उस वक्त का जब मुगलिया सल्तनत का दौर था और अकबर का बेटा जहांगीर तख्त नशीन था....

चार सौ साल पहले मर चुके ऐसे इंसान की कहानी जो न सिर्फ नए ज़माने में बल्कि एक नए और अजनबी जिस्म में वापस जागा था...

यह कहानी सौमित्र बनर्जी की आत्मकथा के रूप में लिखा एक ऐसा दस्तावेज है, जो अंत में एक रोमांचक मोड़ के साथ जब अपनी परिणति ...
21/09/2022

यह कहानी सौमित्र बनर्जी की आत्मकथा के रूप में लिखा एक ऐसा दस्तावेज है, जो अंत में एक रोमांचक मोड़ के साथ जब अपनी परिणति पर पहुंचता है तो इस कहानी के उस मुख्य पात्र को यह पता चल पाता है कि रियलिटी में वह अपने कमरे के अंदर अपने बेड पर सोता ही रहा था, लेकिन एक वर्चुअल दुनिया में उसने एक ऐसे रहस्यमयी शख़्स सौमित्र बनर्जी के जीवन के बारे में सबकुछ जान लिया था— जो एक अभिशप्त जीवन को जीते हुए उसी के ज़रिये अपने जीवन से मुक्ति पाता है।

कहानी में जो भी है, वह भले एक आभासी दुनिया में चलता है लेकिन कुछ अहम किरदारों का गुज़रा हुआ अतीत है— जिसमें क़दम-क़दम पर रहस्य और रोमांच की भरपूर डोज मौजूद है। सभी कैरेक्टर अपनी जगह होते तो वास्तविक हैं लेकिन वे रियलिटी में रहने के बजाय दिमाग़ के अंदर क्रियेट की गई एक वर्चुअल दुनिया में रहते हैं, जहां उनकी शक्तियां एक तरह से असीमित होती हैं...

आभासी दुनिया में चलने वाली एक खतरनाक कहानी

मेरे यह कहने पर कि मैं समझा नहीं, उसने आगे कहा—“आज सेंट जॉर्ज दिवस की शाम है। क्या आपको नहीं पता कि आज की रात, जब घड़ी मे...
21/09/2022

मेरे यह कहने पर कि मैं समझा नहीं, उसने आगे कहा—

“आज सेंट जॉर्ज दिवस की शाम है। क्या आपको नहीं पता कि आज की रात, जब घड़ी में रात के बारह बजते हैं, दुनिया की सारी बुरी शक्तियाँ अपने पूरे शबाब पर होती हैं? आपको पता भी है कि आप कहाँ जा रहे हैं, और किसके पास जा रहे हैं?”

वह इतनी परेशान लग रही थी कि मैंने उसे दिलासा देने की कोशिश की, लेकिन कोई फाइदा नहीं हुआ। अंत में उसने अपने घुटने टेक दिये और मुझसे प्रार्थना करने लगी कि मैं न जाऊँ— या कम से कम एक दो दिन ठहर कर जाऊँ। यह सब बहुत हास्यास्पद था, लेकिन मुझे अच्छा नहीं लगा...

काउंट के महल में जोनाथन के अनुभव

ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिये टेन मिलियन डॉलर की ईनामी रकम वाला एक रियलिटी शो 'द ब्लडी कैसल' लांच होता है जो हॉरर थीम पर होता...
21/09/2022

ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिये टेन मिलियन डॉलर की ईनामी रकम वाला एक रियलिटी शो 'द ब्लडी कैसल' लांच होता है जो हॉरर थीम पर होता है। यह शो सेशेल्स के एक निजी प्रापर्टी वाले हॉगर्ड आइलैंड पर आयोजित होता है जहां हांटेड प्लेस के तौर पर मशहूर किंग्समैन कैसल में कंटेस्टेंट्स को सात दिन और सात रातें गुजारनी होती है और जो भी कंटेस्टेंट सबसे बेहतर ढंग से सामने आने वाली हर चुनौती से लड़ेगा, उस हिसाब से उसे वोट मिलेंगे... सबसे ज्यादा वोट पाने वाला विनर होगा...

एक ऐसे हॉरर रियल्टी गेम शो की कहानी जहाँ किरदारों की जान तक ली जाती है..

"वह बात नहीं है माँ— कभी इतना लंबा सफर अकेले किया नहीं है न, तो घबराहट सी हो रही है। उनका क्या है— बैठे-बैठे फरमान जारी ...
21/09/2022

"वह बात नहीं है माँ— कभी इतना लंबा सफर अकेले किया नहीं है न, तो घबराहट सी हो रही है। उनका क्या है— बैठे-बैठे फरमान जारी कर दिया कि बस पकड़ के चली आओ। अब जिसे जाना है, देखना तो उसे है... नहीं माँ, सुल्तानपुर से लखनऊ तक का ठीक है— ढाई-तीन घंटे की बात रहती है लेकिन दिल्ली? कहते तो हैं कि सात-आठ घंटे में पहुंच जायेंगे लेकिन लंबे सफर में भला कब इस बात की गारंटी रहती है। कब, कहां जाम में फंस जायें, कब रास्ते में कोई बात हो जाये... अरे क्या माँ, शुभ-अशुभ... न बोलने वालों के साथ परेशानियां नहीं आतीं क्या? अकेले जाऊंगी तो यह सब ख्याल तो आयेंगे ही। नहीं... नहीं माँ, कहां छुट्टी मिल पा रही रवि को। वो तो कह रहे थे कि फ्लाईट से चली आओ, पैसे की चिंता नहीं है— लेकिन हम कहां हवाई जहाज पे बैठेंगे। रवि साथ होते तो बात अलग थी— अकेले तो न बाबा न। अनाड़ियों की तरह चकराते फिरेंगे... उससे तो फिर बस ही ठीक है।" वह फोन कान से लगाये अपनी ही धुन में बोले चली जा रही थी और सूटकेस को हैंडल से खींचते प्लेटफार्म से लगी बसों पर लगी स्लेट पढ़ती जा रही थी, जिन पर उनकी मंजिलें लिखी थीं...

अधूरे रह गये इश्क की दास्ताँ, जहाँ अब भी कुछ तो बाकी था..

हम पूरा दिन सुस्त रफ्तार से एक ऐसे देश की यात्रा करते रहे, जो हर तरह की सुंदरता से भरा पड़ा है।कभी-कभी हमें खड़ी पहाड़ियों ...
21/09/2022

हम पूरा दिन सुस्त रफ्तार से एक ऐसे देश की यात्रा करते रहे, जो हर तरह की सुंदरता से भरा पड़ा है।

कभी-कभी हमें खड़ी पहाड़ियों पर छोटे-छोटे कस्बे और किले दिखाई देते, जैसे हमें पुरानी धार्मिक किताबों में दिखते हैं। कभी-कभी हम नदी की बहती हुई धारा पर से हो कर गुजरते— जो पथरीले पहाड़ों के बीच घाटियों में बह रही होती, और ऐसा लगता जैसे उनमें बाढ़ आ गई है। यह बहुत सा पानी ले कर आती है, तेज़ी से बहती है और नदी के किनारों को साफ करती जाती है।

हर स्टेशन पर लोगों के बहुत से समूह होते थे, कभी-कभी तो भीड़ की शक्ल में— जो तरह तरह की पोशाकें पहने होते थे, जिनमें से कुछ गरीब किसान थे। या मैंने उन लोगों को देखा जो फ्रांस और जर्मनी से आ रहे थे, जो छोटी-छोटी जैकेटें, गोल हैट और घर के बने पाजामे पहने होते थे, लेकिन बाक़ी बहुत चित्रलिखित से थे। औरतें अच्छी लगती थीं, लेकिन तभी तक जब तक आप उनके नजदीक न जायें, लेकिन वे कमर से बहुत बेडौल थीं। वे किसी न किसी तरह की सफ़ेद पूरी बाहों की पोशाकें पहने थीं, और उनमें से अधिकांश बड़े-बड़े कमरबंद पहने थीं जिसमें से किसी चीज़ की पट्टियाँ लटक रही थीं— जैसे बैले की पोशाकें होती हैं, लेकिन ज़ाहिर है कि उनके नीचे पेटीकोट भी थे...

जोनाथन हार्कर का रोमांचक सफ़र

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