15/04/2020
मर्दो का सबसे घिनौना रूप देखना हो तो, भीड़ (कहे या मेले) में देखे, इनके हाथ इनके नियंत्रण में नही होते है स्प्रिंग की तरह हर लड़की, स्त्री की छाती और नितंबो पर चिपकते रहते है, इनका शारीर भी लड़कियों पर गिरता रहता है, घर वाले लड़कियों को ऐसे घेर कर चलते है जैसे गीदड़ हो चारो ओर, हर लड़का मर्द बुड्ढा तक, इस अवसर का आत्मिक आनंद उठाने से नही चुकता, जान बूझ कर दूसरी ओर देखते हुए सामने आती लड़की पर चढ़ जाना चाहते है, और बेचारी,, लडकिया इनकी यौनिकता को भोगती रहती है, यदि बोली तो अगली बार से घर से निकलना बंद। इनके हाथ भी कमाल के निशानेबाज़ होते है सीधे लक्ष्य की और बढ़ कर ही दम मारते है, अब आप छाती को बचा लो,, तो पीछे से चिपकेंगे, चिकोटी काटेंगे, जननांग पर हाथ मारेंगे,,गजब सुख मिलता है इनको हाथ मारने में।
छोटेपन में कई बार भीड़ में इसे भोगा है, थोड़ी बड़ी हुई तो इस व्यवहार ने आक्रामक तेवर ले लिया, कोई हाथ लगाने की कोशिश करता तो मेरा क्रोध प्रचंड होने लगता, आँखों में आँखे डाल कर उसकी नियत पढ़ती और सावधान हो जाती, वो छुअन आत्मा को छलनी कर देती,थी,,, खैर,,,
फिर बाद के दिनों में भीड़ में ही इनको खिंच कर मारने लग गई, हाथ पकड़ कर मोड़ देती, सामने आते हुए लिजलिजे प्राणी को खा जाने वाली निगाहों से देखती, और दो चार गालियां भी बक देती,, फिर सोचती थी कि काश हमारे शरीर में करंट होता तो हर उस को झटका देती जो बिना मर्जी हमे छूने की कोशिश करता हो,,,,।
,,,अब दूर से खड़े अन्य लड़कियों को इसका सामना करते देखती हूँ, और इन अबलाओ के चेहरे पर आई मज़बूरी, लाचारी, बेबसी महसूस करती हूँ मज़े की बात कि अच्छे घर के मर्द, लड़के भी इसे इंजॉय करने के लिए भीड़ में घुसते है, इनकी लोलुपता इनके चेहरे से टपकती रहती है,,,
जय हो ,, कन्या पूजन पूरा हुआ,,,।
जिन्दा रावण का क्या करे, जो भेष बदल कर हमारे आसपास घूम रहे है।
अंगुलियाँ तो सभी पर अठेगी?? क्योंकि पुरुष हो या नारी समाज में गलतियाँ कोई एक करता हैं और बदनाम पूरे गांव या शहर हो जाती है ।
फिलहाल मे देख लो शाहीन बाग नचाने वाले को एक है मगर बदनाम पूरा शाहीन बाग है ।
अगर आप लोग हमारे बात से सहमत है तो ही शेयर करें अन्यथा रहने दें धन्यवाद