Angel Shilpi

Angel Shilpi Hey, Myself Angel shilpi from Patna , Bihar..
(1)

24/11/2023
26/02/2022

बारहवीं के बाद इंटर करने का ज्ञान देख लीजिए आपलोग😊

12/10/2021
Hi friends
12/02/2021

Hi friends

17/12/2020
Hi friends kaise ho sb.
15/10/2020

Hi friends kaise ho sb.

15/07/2020

भारत: 24 घन्टे में
कोरोना से 553 लोगों की मौत
संक्रमित लोगों की संख्या
9 लाख के पार…

14/07/2020

Hi friends kaise h sab koi?

corona bahot tezi se fail raha h Bihar me.
Apna khyal rakhe or duri bana ke rakhe🙏

"आसान नहीं एक औरत होना"मैं जब पैदा हुई तो मुझसे बाप रूठ गया , ख़ानदान रूठ गया , जैसे तैसे चलना सीखा , फिर बोलना सीखा , फि...
16/04/2020

"आसान नहीं एक औरत होना"

मैं जब पैदा हुई तो मुझसे बाप रूठ गया , ख़ानदान रूठ गया , जैसे तैसे चलना सीखा , फिर बोलना सीखा , फिर जैसे तैसे बड़ी हुई , स्कूल जाना शुरू किया , मेरी शिक्षा पर भी उंगलियां उठनी शुरू हुईं , स्कूल के लिए साइकिल से जब निकलती थी तो रास्ते में मनचले बाइक से पीछा करना शुरू कर देते थे , जो जी में आए कहते थे , बेहद गंदे और अश्लील शब्दों का प्रयोग कर मेरे ना चाहते हुए भी मुझे पुकारते थे , जैसे मैं उनकी जागीर हूँ । क्लास में जाती तो टीचर की गन्दी निगाह मेरे तन के अंगों पर पड़ती , उसकी भी अश्लील और ओछी हरकतें सहनी पड़ती । फिर कॉलेज का दौर शुरू हुआ , बस में सफ़र करती तो , मनचले किसी न किसी बहाने से मेरे जिस्म के अंगों पर स्पर्श करते , ब्रेक लगती तो मेरे ऊपर आ जाते , मैं अकेली , सहमी हुई सी बेबस लड़की , कुछ न कर पाती थी । कॉलेज के अंदर का माहौल स्कूल से भी ज़्यादा गंदा और अश्लील था , फिर शाम को जब कोचिंग से निकलती , तो मेरे बाप की उम्र के लोग मुझे खा जाने वाली नज़र से देखते , मुझे उस समाज में डर लगने लगा था , जहाँ पर स्त्री को देवी कहा जाता है । दिल में एक ख़ौफ़ होता था कि न जाने मेरे साथ कब और क्या हो जाए , मैं सहमी हुई सी घबराई हुई सी चुपचाप निकल जाती थी । जब शादी का वक़्त आया तो माँ बाप ने भी बोझ समझ कर विदा कर दिया , कुछ वक़्त ससुराल में बिताने के बाद पति का प्यार ख़त्म हो गया , मैं उनके लिए केवल उनकी हवस को शांत करने का सामान बन चुकी थी , सास-ससुर का दुर्व्यवहार , जहेज़ के ताने सहती रही । जब बच्चे हुए तो सारी जवानी अपने पति के लिए और बच्चों के पालन पोषण में कुर्बान कर दिया । और ज़िन्दगी का आख़री पड़ाव आया , जब आँखों में रौशनी ना रही , तो सोचा की अपने बच्चों के साए में जीवन काट लूंगी , लेकिन ऐसा न हुआ , बच्चों ने भी वृद्धाश्रम ( Old Home ) छोड़ दिया , अब जब अपने बच्चों की याद आती है तो कंपते हुए हाँथ आसमान की तरफ उठा कर बच्चों की ख़ुशी और सलामती के लिए दुआ कर , बिलख कर रो के अपना मन हल्का कर लेती हूँ । मैं एक बेटी थी , पत्नी थी , बहू थी , माँ भी थी , परंतु मुझे जीवन के किसी भी पड़ाव पर सम्मान न मिल सका । इस जीवन और इस समाज से बस इतना ही सीखा मैंने , इतना आसान नहीं है एक औरत होना ।

💃💃

मर्दो का सबसे घिनौना रूप देखना हो तो, भीड़ (कहे या मेले) में देखे, इनके हाथ इनके नियंत्रण में नही होते है स्प्रिंग की तरह...
15/04/2020

मर्दो का सबसे घिनौना रूप देखना हो तो, भीड़ (कहे या मेले) में देखे, इनके हाथ इनके नियंत्रण में नही होते है स्प्रिंग की तरह हर लड़की, स्त्री की छाती और नितंबो पर चिपकते रहते है, इनका शारीर भी लड़कियों पर गिरता रहता है, घर वाले लड़कियों को ऐसे घेर कर चलते है जैसे गीदड़ हो चारो ओर, हर लड़का मर्द बुड्ढा तक, इस अवसर का आत्मिक आनंद उठाने से नही चुकता, जान बूझ कर दूसरी ओर देखते हुए सामने आती लड़की पर चढ़ जाना चाहते है, और बेचारी,, लडकिया इनकी यौनिकता को भोगती रहती है, यदि बोली तो अगली बार से घर से निकलना बंद। इनके हाथ भी कमाल के निशानेबाज़ होते है सीधे लक्ष्य की और बढ़ कर ही दम मारते है, अब आप छाती को बचा लो,, तो पीछे से चिपकेंगे, चिकोटी काटेंगे, जननांग पर हाथ मारेंगे,,गजब सुख मिलता है इनको हाथ मारने में।

छोटेपन में कई बार भीड़ में इसे भोगा है, थोड़ी बड़ी हुई तो इस व्यवहार ने आक्रामक तेवर ले लिया, कोई हाथ लगाने की कोशिश करता तो मेरा क्रोध प्रचंड होने लगता, आँखों में आँखे डाल कर उसकी नियत पढ़ती और सावधान हो जाती, वो छुअन आत्मा को छलनी कर देती,थी,,, खैर,,,

फिर बाद के दिनों में भीड़ में ही इनको खिंच कर मारने लग गई, हाथ पकड़ कर मोड़ देती, सामने आते हुए लिजलिजे प्राणी को खा जाने वाली निगाहों से देखती, और दो चार गालियां भी बक देती,, फिर सोचती थी कि काश हमारे शरीर में करंट होता तो हर उस को झटका देती जो बिना मर्जी हमे छूने की कोशिश करता हो,,,,।

,,,अब दूर से खड़े अन्य लड़कियों को इसका सामना करते देखती हूँ, और इन अबलाओ के चेहरे पर आई मज़बूरी, लाचारी, बेबसी महसूस करती हूँ मज़े की बात कि अच्छे घर के मर्द, लड़के भी इसे इंजॉय करने के लिए भीड़ में घुसते है, इनकी लोलुपता इनके चेहरे से टपकती रहती है,,,

जय हो ,, कन्या पूजन पूरा हुआ,,,।

जिन्दा रावण का क्या करे, जो भेष बदल कर हमारे आसपास घूम रहे है।

अंगुलियाँ तो सभी पर अठेगी?? क्योंकि पुरुष हो या नारी समाज में गलतियाँ कोई एक करता हैं और बदनाम पूरे गांव या शहर हो जाती है ।

फिलहाल मे देख लो शाहीन बाग नचाने वाले को एक है मगर बदनाम पूरा शाहीन बाग है ।

अगर आप लोग हमारे बात से सहमत है तो ही शेयर करें अन्यथा रहने दें धन्यवाद

 #मेरे_पापा_की_औकातपाँच दिन की छूट्टियाँ बिता कर जब ससुराल पहुँची तो पति घर के सामने स्वागत में खड़े थे।अंदर प्रवेश किया ...
14/04/2020

#मेरे_पापा_की_औकात

पाँच दिन की छूट्टियाँ बिता कर जब ससुराल पहुँची तो पति घर के सामने स्वागत में खड़े थे।
अंदर प्रवेश किया तो छोटे से गैराज में चमचमाती गाड़ी खड़ी थी स्विफ्ट डिजायर!

मैंने आँखों ही आँखों से पति से प्रश्न किया तो उन्होंने गाड़ी की चाबियाँ थमाकर कहा:-"कल से तुम इस गाड़ी में कॉलेज जाओगी प्रोफेसर साहिबा!"

"ओह माय गॉड!!''

ख़ुशी इतनी थी कि मुँह से और कुछ निकला ही नही। बस जोश और भावावेश में मैंने तहसीलदार साहब को एक जोरदार झप्पी देदी और अमरबेल की तरह उनसे लिपट गई। उनका गिफ्ट देने का तरीका भी अजीब हुआ करता है।

सब कुछ चुपचाप और अचानक!!

खुद के पास पुरानी इंडिगो है और मेरे लिए और भी महंगी खरीद लाए।

6 साल की शादीशुदा जिंदगी में इस आदमी ने न जाने कितने गिफ्ट दिए।
गिनती करती हूँ तो थक जाती हूँ।
ईमानदार है रिश्वत नही लेते । मग़र खर्चीले इतने कि उधार के पैसे लाकर गिफ्ट खरीद लाते है।

लम्बी सी झप्पी के बाद मैं अलग हुई तो गाडी का निरक्षण करने लगी। मेरा फसन्दीदा कलर था। बहुत सुंदर थी।

फिर नजर उस जगह गई जहाँ मेरी स्कूटी खड़ी रहती थी।
हठात! वो जगह तो खाली थी।

"स्कूटी कहाँ है?" मैंने चिल्लाकर पूछा।

"बेच दी मैंने, क्या करना अब उस जुगाड़ का? पार्किंग में इतनी जगह भी नही है।"

"मुझ से बिना पूछे बेच दी तुमने??"

"एक स्कूटी ही तो थी; पुरानी सी। गुस्सा क्यूँ होती हो?"

उसने भावहीन स्वर में कहा तो मैं चिल्ला पड़ी:-"स्कूटी नही थी वो।

मेरी जिंदगी थी। मेरी धड़कनें बसती थी उसमें। मेरे पापा की इकलौती निशानी थी मेरे पास।

मैं तुम्हारे तौफे का सम्मान करती हूँ मगर उस स्कूटी के बिना पे नही। मुझे नही चाहिए तुम्हारी गाड़ी। तुमने मेरी सबसे प्यारी चीज बेच दी। वो भी मुझसे बिना पूछे।'"

मैं रो पड़ी।
शौर सुनकर मेरी सास बाहर निकल आई।

उसने मेरे सर पर हाथ फेरा तो मेरी रुलाई और फुट पड़ी।

"रो मत बेटा, मैंने तो इससे पहले ही कहा था।

एक बार बहु से पूछ ले। मग़र बेटा बड़ा हो गया है।

तहसीलदार!! माँ की बात कहाँ सुनेगा?

मग़र तू रो मत।

और तू खड़ा-खड़ा अब क्या देख रहा है वापस ला स्कूटी को।"
तहसीलदार साहब गर्दन झुकाकर आए मेरे पास।

रोते हुए नही देखा था मुझे पहले कभी।
प्यार जो बेइन्तहा करते हैं।

याचना भरे स्वर में बोले:- सॉरी यार! मुझे क्या पता था वो स्कूटी तेरे दिल के इतनी करीब है। मैंने तो कबाड़ी को बेचा है सिर्फ सात हजार में। वो मामूली पैसे भी मेरे किस काम के थे? यूँ ही बेच दिया कि गाड़ी मिलने के बाद उसका क्या करोगी? तुम्हे ख़ुशी देनी चाही थी आँसू नही। अभी जाकर लाता हूँ। "
फिर वो चले गए।

मैं अपने कमरे में आकर बैठ गई। जड़वत सी।

पति का भी क्या दोष था।

हाँ एक दो बार उन्होंने कहा था कि ऐसे बेच कर नई ले ले।

मैंने भी हँस कर कह दिया था कि नही यही ठीक है।
लेकिन अचानक स्कूटी न देखकर मैं बहुत ज्यादा भावुक हो गई थी। होती भी कैसे नही।

वो स्कूटी नही #"औकात" थी मेरे पापा की।

जब मैं कॉलेज में थी तब मेरे साथ में पढ़ने वाली एक लड़की नई स्कूटी लेकर कॉलेज आई थी। सभी सहेलियाँ उसे बधाई दे रही थी।
तब मैंने उससे पूछ लिया:- "कितने की है?
उसने तपाक से जो उत्तर दिया उसने मेरी जान ही निकाल ली थी:-" कितने की भी हो? तेरी और तेरे पापा की औकात से बाहर की है।"

अचानक पैरों में जान नही रही थी। सब लड़कियाँ वहाँ से चली गई थी। मगर मैं वही बैठी रह गई। किसी ने मेरे हृदय का दर्द नही देखा था। मुझे कभी यह अहसास ही नही हुआ था कि वे सब मुझे अपने से अलग "गरीब"समझती थी। मगर उस दिन लगा कि मैं उनमे से नही हूँ।
घर आई तब भी अपनी उदासी छूपा नही पाई। माँ से लिपट कर रो पड़ी थी। माँ को बताया तो माँ ने बस इतना ही कहा" छिछोरी लड़कियों पर ज्यादा ध्यान मत दे! पढ़ाई पर ध्यान दे!"
रात को पापा घर आए तब उनसे भी मैंने पूछ लिया:-"पापा हम गरीब हैं क्या?"
तब पापा ने सर पे हाथ फिराते हुए कहा था"-हम गरीब नही हैं बिटिया, बस जरासा हमारा वक़्त गरीब चल रहा है।"
फिर अगले दिन भी मैं कॉलेज नही गई। न जाने क्यों दिल नही था। शाम को पापा जल्दी ही घर आ गए थे। और जो लाए थे वो उतनी बड़ी खुशी थी मेरे लिए कि शब्दों में बयाँ नही कर सकती। एक प्यारी सी स्कूटी। तितली सी। सोन चिड़िया सी। नही, एक सफेद परी सी थी वो। मेरे सपनों की उड़ान। मेरी जान थी वो। सच कहूँ तो उस रात मुझे नींद नही आई थी। मैंने पापा को कितनी बार थैंक्यू बोला याद नही है। स्कूटी कहाँ से आई ? पैसे कहाँ से आए ये भी नही सोच सकी ज्यादा ख़ुशी में। फिर दो दिन मेरा प्रशिक्षण चला। साईकिल चलानी तो आती थी। स्कूटी भी चलानी सीख गई।
पाँच दिन बाद कॉलेज पहुँची। अपने पापा की "औकात" के साथ। एक राजकुमारी की तरह। जैसे अभी स्वर्णजड़ित रथ से उतरी हो। सच पूछो तो मेरी जिंदगी में वो दिन ख़ुशी का सबसे बड़ा दिन था। मेरे पापा मुझे कितना चाहते हैं सबको पता चल गया।
मग़र कुछ दिनों बाद एक सहेली ने बताया कि वो पापा के साईकिल रिक्सा पर बैठी थी। तब मैंने कहा नही यार तुम किसी और के साईकिल रिक्शा पर बैठी हो। मेरे पापा का अपना टेम्पो है।
मग़र अंदर ही अंदर मेरा दिमाग झनझना उठा था। क्या पापा ने मेरी स्कूटी के लिए टेम्पो बेच दिया था। और छः महीने से ऊपर हो गए। मुझे पता भी नही लगने दिया।
शाम को पापा घर आए तो मैंने उन्हें गोर से देखा। आज इतने दिनों बाद फुर्सत से देखा तो जान पाई कि दुबले पतले हो गए है। वरना घ्यान से देखने का वक़्त ही नही मिलता था। रात को आते थे और सुबह अँधेरे ही चले जाते थे। टेम्पो भी दूर किसी दोस्त के घर खड़ा करके आते थे।
कैसे पता चलता बेच दिया है।
मैं दौड़ कर उनसे लिपट गई!:-"पापा आपने ऐसा क्यूँ किया?" बस इतना ही मुख से निकला। रोना जो आ गया था।
" तू मेरा ग़ुरूर है बिटिया, तेरी आँख में आँसू देखूँ तो मैं कैसा बाप? चिंता ना कर बेचा नही है। गिरवी रखा था। इसी महीने छुड़ा लूँगा।"
"आप दुनिया के बेस्ट पापा हो। बेस्ट से भी बेस्ट।इसे सिद्ध करना जरूरी कहाँ था? मैंने स्कूटी मांगी कब थी?क्यूँ किया आपने ऐसा? छः महीने से पैरों से सवारियां ढोई आपने। ओह पापा आपने कितनी तक़लीफ़ झेली मेरे लिए ? मैं पागल कुछ समझ ही नही पाई ।" और मैं दहाड़े मार कर रोने लगी। फिर हम सब रोने लगे। मेरे दोनों छोटे भाई। मेरी मम्मी भी।
पता नही कब तक रोते रहे ।
वो स्कूटी नही थी मेरे लिए। मेरे पापा के खून से सींचा हुआ उड़नखटोला था मेरा। और उसे किसी कबाड़ी को बेच दिया। दुःख तो होगा ही।
अचानक मेरी तन्द्रा टूटी। एक जानी-पहचानी सी आवाज कानो में पड़ी। फट-फट-फट,, मेरा उड़नखटोला मेरे पति देव यानी तहसीलदार साहब चलाकर ला रहे थे। और चलाते हुए एकदम बुद्दू लग रहे थे। मगर प्यारे से बुद्दू। मुझे बेइन्तहा चाहने वाले राजकुमार बुद्दू.

मेरा उड़नखटोला चाहे कैसा भी है मगर मेरे पापा की खून-पसीने की कमायी से बना है, और ये मुझे अपनी जान से भी प्यारा है
कितना कुछ करते हैं हमारे मॉ- बाप हमारे लिए, सोच कर दिल भर जाता है, उनकी जगह कोई नहीं ले सकता , कोई भी नहीं 😘🙏👫😢🙈👫😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢

सुबह सुबह मिया बीवी के झगड़ा हो गया,बीवी गुस्से मे बोली - बस, बहुत कर लिया बरदाश्त, अब एक मिनट भी तुम्हारे साथ नही रह सक...
14/04/2020

सुबह सुबह मिया बीवी के झगड़ा हो गया,

बीवी गुस्से मे बोली - बस, बहुत कर लिया बरदाश्त, अब एक मिनट भी तुम्हारे साथ नही रह सकती।

पति भी गुस्से मे था, बोला "मैं भी तुम्हे झेलते झेलते तंग आ चुका हुं।

पति गुस्से मे ही दफ्तर चले गया पत्नी ने अपनी मां को फ़ोन किया और बताया के वो सब छोड़ छाड़ कर बच्चो समेत मायके आ रही है, अब और ज़्यादा नही रह सकती इस जहन्नुम मे।

मां ने कहा - बेटी बहु बन के आराम से वही बैठ, तेरी बड़ी बहन भी अपने पति से लड़कर आई थी, और इसी ज़िद्द मे तलाक लेकर बैठी हुई है, अब तुने वही ड्रामा शुरू कर दिया है, ख़बरदार जो तुने इधर कदम भी रखा तो... सुलह कर ले पति से, वो इतना बुरा भी नही है।

मां ने लाल झंडी दिखाई तो बेटी के होश ठिकाने आ गए और वो फूट फूट कर रो दी, जब रोकर थकी तो दिल हल्का हो चुका था,
पति के साथ लड़ाई का सीन सोचा तो अपनी खुद की भी काफ़ी गलतियां नज़र आई।

मुहं हाथ धोकर फ्रेश हुई और पति के पसंद की डीश बनाना शुरू कर दी, और साथ स्पेशल खीर भी बना ली, सोचा कि शाम को पति से माफ़ी मांग लुंगी, अपना घर फिर भी अपना ही होता है पति शाम को जब घर आया तो पत्नी ने उसका अच्छे से स्वागत किया, जैसे सुबह कुछ हुआ ही ना हो पति को भी हैरत हुई। खाना खाने के बाद पति जब खीर खा रहा था तो बोला डिअर, कभी कभार मैं भी ज़्यादती कर जाता हुं, तुम दिल पर मत लिया करो, इंसान हुं, गुस्सा आ ही जाता है"।

पति पत्नी का शुक्रिया अदा कर रहा था, और पत्नी दिल ही दिल मे अपनी मां को दुआएं दे रही थी, जिसकी सख़्ती ने उसको अपना फैसला बदलने पर मजबूर किया था, वरना तो जज़्बाती फैसला घर तबाह कर देता।

अगर माँ-बाप अपनी शादीशुदा बेटी की हर जायज़ नाजायज़ बात को सपोर्ट करना बंद कर दे तो रिश्ते बच जाते है।
प्लीज़ शेयर जरूर करना।

समाज की उन नादान लड़कियो को मेरा संदेश जो लडकियाँ लव के चक्कर में पड़कर        अपने माँ-बाप को छोड़कर          घर से भाग ...
13/04/2020

समाज की उन नादान लड़कियो को मेरा संदेश
जो लडकियाँ लव के चक्कर में पड़कर
अपने माँ-बाप को छोड़कर
घर से भाग जाती हैं

मैं
उन लडकियों के लिए कुछ कहना चाहूंगी

बाबुल की बगिया में जब तू,
बनके कली खिली,
तुमको क्या मालूम की,
उनको कितनी खुशी मिली

उस बाबुल को मार के ठोकर,
घर से भाग जाती हो,
जिसका प्यारा हाथ पकड़ कर,
तुम पहली बार चली

तूने निष्ठुर बन भाई की,
राखी को कैसे भुलाया,
घर से भागते वक़्त माँ का,
आँचल याद न आया

तेरे गम में बाप हलक से,
कौर निगल ना पाया,
अपने स्वार्थ के खातिर,
तूने घर में मातम फैलाया

वो प्रेमी भी क्या प्रेमी,
जो तुम्हें भागने को उकसाये,
वो दोस्त भी क्या दोस्त,
जो तेरे यौवन पे ललचाये

ऐसे तन के लोभी तुझको,
कभी भी सुख ना देंगे,
उलटे तुझसे ही तेरा,
सुख चैन सभी हर लेंगें

सुख देने वालो को यदि,
तुम दुःख दे जाओगी,
तो तुम भी अपने जीवन में,
सुख कहाँ से पाओगी

अगर माँ बाप को अपने,
तुम ठुकरा कर जाओगी,
तो जीवन के हर मोड पर,
ठोकर ही खाओगी

जो - जो भी गई भागकर,
ठोकर खाती हैं,
अपनी गलती पर,
रो-रोकर अश्क बहाती हैं

एक ही किचन में,
रोटी के संग साग पकाती हैं,
हुईं भयानक भूल,
सोचकर अब पछताती हैं

जिंदगी में हर पल तू,
रहना सदा ही जिन्दा,
तेरे कारण माँ बाप को,
ना होना पड़े शर्मिन्दा

यदि भाग गई घर से तो,
वे जीते जी मर जाएंगे,
तू उनकी बेटी हैं यह,
सोच - सोच पछताएगे

मेरा ये संदेश हर लडकी तक पहुंचाये
और लडकी ही नही लड़को को भी
गौर करना चाहिए
जय श्री कृष्णा राधे राधे जी 🙏🌷🙏🙏🙏
#सहमत हो तो ही कीजियेगा

 #पत्नि_हो_तो_ऐैसीबेटा अब खुद कमाने वाला हो गया था ...इसलिए  बात-बात पर  अपनी माँ से झगड़ पड़ता था .... ये  वही माँ थी जो ...
13/04/2020

#पत्नि_हो_तो_ऐैसी

बेटा अब खुद कमाने वाला हो गया था ...इसलिए बात-बात पर अपनी माँ से झगड़ पड़ता था .... ये वही माँ थी जो बेटे के लिए पति से भी लड़ जाती थी।मगर अब फाइनेसिअली इंडिपेंडेंट बेटा पिता के कई बार समझाने पर भी इग्नोर कर देता और कहता, "यही तो उम्र है शौक की, खाने पहनने की, जब आपकी तरह मुँह में दाँत और पेट में आंत ही नहीं रहेगी तो क्या करूँगा।"
*
बहू खुशबू भी भरे पूरे परिवार से आई थी, इसलिए बेटे की गृहस्थी की खुशबू में रम गई थी। बेटे की नौकरी अच्छी थी तो फ्रेंड सर्किल उसी हिसाब से मॉडर्न थी । बहू को अक्सर वह पुराने स्टाइल के कपड़े छोड़ कर मॉडर्न बनने को कहता, मगर बहू मना कर देती .....वो कहता "कमाल करती हो तुम, आजकल सारा ज़माना ऐसा करता है, मैं क्या कुछ नया कर रहा हूँ। तुम्हारे सुख के लिए सब कर रहा हूँ और तुम हो कि उन्हीं पुराने विचारों में अटकी हो। क्वालिटी लाइफ क्या होती है तुम्हें मालूम ही नहीं।"
*
और बहू कहती "क्वालिटी लाइफ क्या होती है, ये मुझे जानना भी नहीं है, क्योकि लाइफ की क्वालिटी क्या हो, मैं इस बात में विश्वास रखती हूँ।"
*
आज अचानक पापा आई. सी. यू. में एडमिट हुए थे। हार्ट अटेक आया था। डॉक्टर ने पर्चा पकड़ाया, तीन लाख और जमा करने थे। डेढ़ लाख का बिल तो पहले ही भर दिया था मगर अब ये तीन लाख भारी लग रहे थे। वह बाहर बैठा हुआ सोच रहा था कि अब क्या करे..... उसने कई दोस्तों को फ़ोन लगाया कि उसे मदद की जरुरत है, मगर किसी ने कुछ तो किसी ने कुछ बहाना कर दिया। आँखों में आँसू थे और वह उदास था।.....तभी खुशबू खाने का टिफिन लेकर आई और बोली, "अपना ख्याल रखना भी जरुरी है। ऐसे उदास होने से क्या होगा? हिम्मत से काम लो, बाबू जी को कुछ नहीं होगा आप चिन्ता मत करो । कुछ खा लो फिर पैसों का इंतजाम भी तो करना है आपको।.... मैं यहाँ बाबूजी के पास रूकती हूँ आप खाना खाकर पैसों का इंतजाम कीजिये। ".......पति की आँखों से टप-टप आँसू झरने लगे।
*
"कहा न आप चिन्ता मत कीजिये। जिन दोस्तों के साथ आप मॉडर्न पार्टियां करते हैं आप उनको फ़ोन कीजिये , देखिए तो सही, कौन कौन मदद को आता हैं।"......पति खामोश और सूनी निगाहों से जमीन की तरफ़ देख रहा था। कि खुशबू का का हाथ उसकी पीठ पर आ गया। और वह पीठ को सहलाने लगी।
*
"सबने मना कर दिया। सबने कोई न कोई बहाना बना दिया खुशबू ।आज पता चला कि ऐसी दोस्ती तब तक की है जब तक जेब में पैसा है। किसी ने भी हाँ नहीं कहा जबकि उनकी पार्टियों पर मैंने लाखों उड़ा दिये।"
*
"इसी दिन के लिए बचाने को तो माँ-बाबा कहते थे। खैर, कोई बात नहीं, आप चिंता न करो, हो जाएगा सब ठीक। कितना जमा कराना है?"
*
"अभी तो तनख्वाह मिलने में भी समय है, आखिर चिन्ता कैसे न करूँ खुशबू ?"
*
"तुम्हारी ख्वाहिशों को मैंने सम्हाल रखा है।"
*
"क्या मतलब?"
*
"तुम जो नई नई तरह के कपड़ो और दूसरी चीजों के लिए मुझे पैसे देते थे वो सब मैंने सम्हाल रखे हैं। माँ जी ने फ़ोन पर बताया था, तीन लाख जमा करने हैं। मेरे पास दो लाख थे। बाकी मैंने अपने भैया से मंगवा लिए हैं। टिफिन में सिर्फ़ एक ही डिब्बे में खाना है बाकी में पैसे हैं।" खुशबू ने थैला टिफिन सहित उसके हाथों में थमा दिया।
*
"खुशबू ! तुम सचमुच अर्धांगिनी हो, मैं तुम्हें मॉडर्न बनाना चाहता था, हवा में उड़ रहा था। मगर तुमने अपने संस्कार नहीं छोड़े.... आज वही काम आए हैं। "
*
सामने बैठी माँ के आँखो में आंसू थे उसे आज खुद के नहीं बल्कि पराई माँ के संस्कारो पर नाज था और वो बहु के सर पर हाथ फेरती हुई ऊपरवाले का शुक्रिया अदा कर रही थी।

{दोस्तो स्टोरी कैसी लगी... ?}

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💞 इकलौती बेटी 💞अरे पापा आप अभी तक तैयार नहीं हुए। बैग कहां है? आपका। चलिए मैं पैक करती हूं। पापा ने एक उदास नजर निली पर ...
12/04/2020

💞 इकलौती बेटी 💞

अरे पापा आप अभी तक तैयार नहीं हुए। बैग कहां है? आपका। चलिए मैं पैक करती हूं। पापा ने एक उदास नजर निली पर डाली निली बेटा मैं कहीं नहीं जाऊंगा। ये घर तेरी मां की यादों से भरा हुआ है।निली की ‌आंखे भर आई पापा मां को गये छह महीने हो गए हैं आपकी तबियत भी ठीक नहीं है ऐसे में मैं आपको अकेले नहीं छोड़ सकती।आप मेरे घर चल रहे हैं मेरे साथ। बेटा मैं तेरे घर कैसे रह सकता हूं?

बेटी के घर का तो लोग पानी तक नहीं पीते हैं। फिर वहां तेरे सास ससुर भी हैं ।उन्हें मेरा वहां रहना कैसे अच्छा लग सकता है।आखिर हूं तो मैं एक बाहरी आदमी। पापा वो लोग ऐसे नहीं हैं वो मेरे साथ कितने अच्छे हैं।निली पापा का हाथ अपने हाथ में लेकर बैठ गई। पिछली बार आपको शुगर का अटैक आया था । कितनी मुश्किल से ठीक... कहते हुए , उसकी आंखों में आंसू आ गए। पापा मैं आपकी इकलौती बेटी हूं।आपकी सारी जिम्मेदारी अब मेरी है। बस मैं और कुछ नहीं सुनुंगी।

पापा सोच में डूब गए अनिल (दामाद) जी ने तो एक बार भी नहीं कहा। हां ये जरूर कहा था कि पापा हम आते रहेंगे आपसे मिलने।निली तूने दामाद जी को पूछा। अरे पापा उनकी और मेरी राय अलग थोडे़ ही है।निली पापा को लेकर अपने घर आ गई। उसके सास-ससुर समधी को देख कर चौंक गए अनिल ने भी पैर छुए और कहा अच्छा किया पापा जो आप कुछ दिन के लिए यहां आ ग‌ए। पापा रहने तो लगे पर उन्हें लग‌ रहा‌ था कि शायद दामाद और उनके माता-पिता उनके यहां आने से खुश नहीं हैं। एक दिन पापा लॉन में घूम रहे थे कि अचानक उन्हें अनिल की आवाज सुनाई दी।

निली पापा यहां पर कब तक रहेंगे। ऐसा क्यों पूछ रहे हैं आप। वहां पर उनका है ही कौन‌ और उनकी तबीयत भी ठीक नहीं है। अरे तुम समझ नहीं रही हो हमें तो अपने घर में ही अजीब सा महसूस होने लगा है। हमें किसे? अच्छा मम्मी-पापा जी ने कहा आपसे।अब तुम जो भी समझो। अरे वहां पर उनकी अच्छी व्यवस्था कर सकती हो। पापा और नहीं सुन सके कांपते हुए कदमों से वापस आ ग‌ए। अगले दिन जाने की तैयारी करने लगे।

निली बोली पापा ऐसे कैसे जायेंगे आप। पापा उसे ‌डांटने लगे निली मेरी फिजूल में चिंता मत करो अपने पति और सास ससुर का ध्यान रखो बेटा मैं अपना ख्याल खुद रख सकता हूं।निली बेटा बहुत दिन हो गए अब जाना चाहिेए मैं अनिल से बात करती हूं। अभी आपकी तबियत ठीक नहीं है। जब आप ठीक हो जाएंगे तो मैं आपको खुद छोड़ आऊंगी। नहीं निली देखो मैं तुमसे नाराज हो जाऊंगा।निली नाश्ता बनाने लगी।

सोच रही थी कि पापा को किसी ने कुछ तो कहा है। नाश्ता करने के बाद उसने कहा आज पापा जा रहे हैं।वह अपने सास, ससुर और अनिल का चेहरा देख रही थी कि उनके चेहरे पर चमक आ गई थी। तभी उसने कहा कि मैंने एक फैसला किया है कि पापा इतनी बड़ी कोठी में अकेले कैसे रहेंगे। सोच रही हूं कि गरीब बच्चों के लिए उसमें एक छोटा-सा स्कूल खोल दिया जाय।

पापा और मैं मिल कर एक ट्रस्ट बनाएंगे ताकि पापा के बाद भी स्कूल चलता रहे। और पापा आपकी वो जमीन पडी़ है उसे बेच देते हैं दो करोड़ की वैल्यू है उसकी उसे ट्रस्ट के फंड में जमा कर देंगे उसके इंट्रेस्ट से उन गरीब बच्चों की फीस में मदद करेंगे जो कुछ करना चाहते हैं उसमें योगदान देंगे। बाकी आपकी पेंशन और फंड आपके लिए बहुत है। पापा मैं आज से ही इस पर काम शुरू करती हूं। पापा हतप्रभ हो कर उसे देख रहे थे।

अनिल की आंखों के सामने तो अंधेरा छा गया उसके मम्मी पापा का मुंह खुला रह गया। मन ही मन हिसाब करने लगा पांच करोड़ की कोठी दो करोड़ की जमीन और फंड इतना बड़ा नुकसान। जब‌ निली पापा को छोड़कर लौटी तो अनिल उसका इंतजार कर रहा था। ये सब क्या बकवास कर रही थी तुम।निली मुस्कराई और बोली ये बकवास नहीं सच है। ऐसा मैं इसलिए करूंगी कि किसी को भी मेरे पिता की मौत का इंतजार न रहे।

पापा ने मेरी शादी पर ऐसी कौन सी चीज है जो नहीं दी ।अनिल गुस्से से बोला ये तो उनका फर्ज था।फर्ज सिर्फ लड़की के बाप का होता है। क्योंकि उसने लड़की पैदा करने की गलती की है। मैं अपने पापा की इकलौती बेटी हूं। तो क्या मेरा फर्ज नहीं था उनकी देखभाल करने का वो भी ऐसे वक्त में जब उनकी तबीयत ठीक नहीं है। और उन्हें सहारे की जरूरत है।

माफी चाहती हूं कि उनके कुछ दिन यहां रहने से सबको तकलीफ हुई। मैंने कभी तुम्हें तुम्हारे फर्ज निभाने से नहीं रोका। अपने सास ससुर की सेवा में भी कोई कमी नहीं रखी। तुम मुझे मेरे पिता के प्रति मेरा फर्ज निभाने से नहीं रोक सकते। उसकी आवाज में दृढ़ता थी , अनिल खामोश हो कर उसे देख रहा था।.🙏🙏

11/04/2020

बढ़ना चाहिए या नहीं।

11/04/2020

कोरोना वायरस से खुद को बचाएं।।
तभी तो अपना देश बचेगा।
ें_रहें
#सुरक्षित_रहें।

25/03/2020

मोदी भक्त के नमूने

30/12/2019

Hii Kya beti hona paap hai? Aajkal betiyo ko samaj me nichi najar se dekha jata hai ,lekin betiyan har wo kaam kar sakti h jo bete krte hai ,Ye video bhi bet...

30/12/2019

Hii friends, Please iss video ko end tak dekhe. yah bahot achhi kahani hai.is video me dikhaya gya hai ki kaise ek ladki ghar pe baith kar bhi koi bhi kaam k...

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