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बुरा लगे तो मेरी बहन माफ करना ये पोस्ट बहुत जरूरी थी अपलोड करनी #लड़कियों_को_आदर_सहित_समर्पित लड़के ने नम्बर मांगा आप ने ...
08/08/2023

बुरा लगे तो मेरी बहन माफ करना
ये पोस्ट बहुत जरूरी थी अपलोड करनी
#लड़कियों_को_आदर_सहित_समर्पित

लड़के ने नम्बर मांगा आप ने दे दिया...
लड़के ने तस्वीर मांगी आप ने दे दी...
लड़के ने वीडियो कॉल के लिए कहा आप ने कर ली...
लड़के ने दुपट्टा हटाने को कहा आप ने हटा दिया...
लड़के ने कुछ देखने की ख्वाहिश की आप ने पूरी कर दी...
लड़के ने मिलने को कहा आप माँ बाप को धोखा देकर आशिक़ से मिलने पहुंच गयीं...
लड़के ने बाग में बैठ कर आप की तारीफ़ करते हुए आपको सरसब्ज़ बाग दिखाए आपने देख लिये...
फिर जूस कार्नर पर जूस पीते वक़्त लड़के ने हाथ लगाया, इशारे किये, मगर कोई बात नहीं अब नया ज़माना है यह सब तो चलता ही है...
फिर लड़के ने होटल में कमरा लेने की बात की, आप ने शर्माते हुए इंकार कर दिया, कि शादी से पहले यह सब अच्छा तो नहीं लगता न...
फिर दो तीन बार कहने पर आप तैयार हो गयीं होटल के कमरे में जाने के लिए...
आप दोनों ने मिल कर खूब एंजॉय किया...
अंडरस्टेंडिंग के नाम पर दुल्हा दुल्हन बन गए protection use ki बस बच्चा पैदा न हो इस पर ध्यान दिया...
फिर एक दिन झगड़ा हुआ और सब खत्म क्योंकि हराम रिश्तों का अंजाम कुछ ऐसा ही होता है...
लेकिन लेकिन...
यहां सरासर मर्द गलत नहीं है, वह भेड़िया है, वह मुजरिम है, वह सबकुछ है...
क्योंकि आप ने तो तस्वीर नहीं दी थी वह जबर्दस्ती आपके मोबाइल में घुस कर ले गया था...
आप ने तो अपना नम्बर नहीं दिया वह लड़का खुद आप के मोबाइल से नम्बर ले गया था...
आप ने तो वीडियो कॉल नहीं की वह लड़का खुद आप के घर पहुंच गया था आपको लाइव देखने...
जूस कार्नर पर भी जबरदस्ती ले गया था गन प्वाइंट पर...
होटल के कमरे तक भी वह आपको जबर्दस्ती आपके घर से ले गया था...
तो मुजरिम तो सिर्फ लड़का है आप तो बिल्कुल भी नहीं...
बच्ची हैं आप कोई चार साल की?
आपको समझ नहीं आती?
यह कचरे में पड़ी लाशें देख कर भी आपको अक़्ल नहीं आती?
यह बिना सर के मिलने वाले धड़ आपकी अक़्ल पर कोई चोट नहीं देते?
यह सोशल मीडिया पर आए दिन ज़्यादती के बढ़ती हुई घटना आपको कुछ नहीं बताती?
जूस कार्नर पर जाना,
आपको नहीं पता था कि एक होटल के ईकमरे में या चारदीवारी में जिस्मों की प्यास बुझाई जाती है,
सब पता था आपको, सब पता है आपको...
होटल के कमरे में मुहब्बत के अफसाने नहीं लिखे जाते,वहां कोई इबादत नही होती है
फिर शिकायत होती है के चार लड़कों ने ग्रुप रेप कर दिया...
क्या लगता है वह आपका जो आपकी इज्ज़त का ख्याल रखे जो खुद आपको इसी मकसद के लिए लेकर जा रहा है?
अपनी सीमा में रहेंगी तो आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता...
जिस्म के भूखो से दूर ही रहे लड़का हो या लड़की प्यार जैसे पवित्र रिश्ते को बदनाम ना करे प्यार दिल देखकर करे ना कि जिस्म देखकर l❣ जब तक तुम साथ नही दोगी तब तक किसी लड़के की कोई औकात नही हैं कि वो तुम्हे किसी होटल के रूम तक ले जा सके।।।। गलत लगे तो मुझे माफ कीजिएगा!!!🙏

लेख लम्बा हैलेकिन अगर मणिपुर समस्या की जड़ें जानने की इच्छा है तो पढ़ें 👇वो लोग जो मणिपुर का रास्ता नहीं जानते। पूर्वोत्...
22/07/2023

लेख लम्बा है
लेकिन अगर मणिपुर समस्या की जड़ें जानने की इच्छा है तो पढ़ें 👇
वो लोग जो मणिपुर का रास्ता नहीं जानते। पूर्वोत्तर के राज्यों की राजधानी शायद जानते हो लेकिन कोई दूसरे शहर का नाम तक नहीं बता सकते उनके ज्ञान वर्धन के लिए बता दूं

"मणिपुर समस्या: एक इतिहास"

जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने पूर्वोत्तर की ओर भी कदम बढ़ाए जहाँ उनको चाय के साथ तेल मिला। उनको इस पर डाका डालना था। उन्होंने वहां पाया कि यहाँ के लोग बहुत सीधे सरल हैं और ये लोग वैष्णव सनातनी हैं। परन्तु जंगल और पहाड़ों में रहने वाले ये लोग पूरे देश के अन्य भाग से अलग हैं तथा इन सीधे सादे लोगों के पास बहुमूल्य सम्पदा है।

अतः अंग्रेज़ों ने सबसे पहले यहाँ के लोगों को देश के अन्य भूभाग से पूरी तरह काटने को सोचा। इसके लिए अंग्रेज लोग ले आए इनर परमिट और आउटर परमिट की व्यवस्था। इसके अंतर्गत कोई भी इस इलाके में आने से पहले परमिट बनवाएगा और एक समय सीमा से आगे नहीं रह सकता। परन्तु इसके उलट अंग्रेजों ने अपने भवन बनवाए और अंग्रेज अफसरों को रखा जो चाय की पत्ती उगाने और उसको बेचने का काम करते थे।

इसके साथ अंग्रेज़ों ने देखा कि इस इलाके में ईसाई नहीं हैं। अतः इन्होने ईसाई मिशनरी को उठा उठा के यहां भेजा। मिशनरीयों ने इस इलाके के लोगों का आसानी से धर्म परिवर्तित करने का काम शुरू किया। जब खूब लोग ईसाई में परिवर्तित हो गए तो अंग्रेज इनको ईसाई राज्य बनाने का सपना दिखाने लगे। साथ ही उनका आशय था कि पूर्वोत्तर से चीन, भारत तथा पूर्वी एशिया पर नजर बना के रखेंगे।

अंग्रेज़ों ने एक चाल और चली। उन्होंने धर्म परिवर्तित करके ईसाई बने लोगों को ST का दर्जा दिया तथा उनको कई सरकारी सुविधाएं दी।

धर्म परिवर्तित करने वालों को कुकी जनजाति और वैष्णव लोगों को मैती समाज कहा जाता है।

तब इतने अलग राज्य नहीं थे और बहुत सरे नगा लोग भी धर्म परिवर्तित करके ईसाई बन गए। धीरे धीरे ईसाई पंथ को मानने वालों की संख्या वैष्णव लोगों से अधिक या बराबर हो गयी। मूल लोग सदा अंग्रेजों से लड़ते रहे जिसके कारण अंग्रेज इस इलाके का भारत से विभाजन करने में नाकाम रहे। परन्तु वो मैती हिंदुओं की संख्या कम करने और परिवर्तित लोगों को अधिक करने में कामयाब रहे। मणिपुर के 90% भूभाग पर कुकी और नगा का कब्जा हो गया जबकि 10% पर ही मैती रह गए। अंग्रेजों ने इस इलाके में अफीम की खेती को भी बढ़ावा दिया और उस पर ईसाई कुकी लोगों को कब्जा करने दिया।

आज़ादी के बाद:

आज़ादी के समय वहां के राजा थे बोध चंद्र सिंह और उन्होंने भारत में विलय का निर्णय किया। 1949 में उन्होंने नेहरू को बोला कि मूल वैष्णव जो कि 10% भूभाग में रह गए है उनको ST का दर्जा दिया जाए। नेहरू ने उनको जाने को कह दिया। फिर 1950 में संविधान अस्तित्व में आया तो नेहरू ने मैती समाज को कोई छूट नहीं दिया। 1960 में नेहरू सरकार द्वारा लैंड रिफार्म एक्ट लाया जिसमे 90% भूभाग वाले कुकी और नगा ईसाईयों को ST में डाल दिया गया। इस एक्ट में ये प्रावधान भी था जिसमे 90% कुकी - नगा वाले कहीं भी जा सकते हैं, रह सकते हैं और जमीन खरीद सकते हैं परन्तु 10% के इलाके में रहने वाले मैती हिंदुओं को ये सब अधिकार नहीं था। यहीं से मैती लोगों का दिल्ली से विरोध शुरू हो गया। नेहरू एक बार भी पूर्वोत्तर के हालत को ठीक करने करने नहीं गए।

उधर ब्रिटैन की MI6 और पाकिस्तान की ISI मिलकर कुकी और नगा को हथियार देने लगी जिसका उपयोग वो भारत विरुद्ध तथा मैती वैष्णवों को भागने के लिए करते थे। मैतियो ने उनका जम कर बिना दिल्ली के समर्थन के मुकाबला किया। सदा से इस इलाके में कांग्रेस और कम्युनिस्ट लोगों की सरकार रही और वो कुकी तथा नगा ईसाईयों के समर्थन में रहे। चूँकि लड़ाई पूर्वोत्तर में ट्राइबल जनजातियों के अपने अस्तित्व की थी तो अलग अलग फ्रंट बनाकर सबने हथियार उठा लिया। पूरा पूर्वोत्तर ISI के द्वारा एक लड़ाई का मैदान बना दिया गया। जिसके कारण Mizo जनजातियों में सशत्र विद्रोह शुरू हुआ। बिन दिल्ली के समर्थन जनजातियों ने ISI समर्थित कुकी, नगा और म्यांमार से भारत में अनधिकृत रूप से आये चिन जनजातियों से लड़ाई करते रहे। जानकारी के लिए बताते चलें कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट ने मिशनरी के साथ मिलकर म्यांमार से आये इन चिन जनजातियों को मणिपुर के पहाड़ी इलाकों और जंगलों की नागरिकता देकर बसा दिया। ये चिन लोग ISI के पाले कुकी तथा नगा ईसाईयों के समर्थक थे तथा वैष्णव मैतियों से लड़ते थे। पूर्वोत्तर का हाल ख़राब था जिसका पोलिटिकल सलूशन नहीं निकाला गया और एक दिन इन्दिरा गाँधी ने आदिवासी इलाकों में air strike का आर्डर दे दिया जिसका आर्मी तथा वायुसेना ने विरोध किया परन्तु राजेश पायलट तथा सुरेश कलमाड़ी ने एयर स्ट्राइक किया और अपने लोगों की जाने ली। इसके बाद विद्रोह और खूनी तथा सशत्र हो गया।

1971 में पाकिस्तान विभाजन और बांग्ला देश अस्तित्व आने से ISI के एक्शन को झटका लगा परन्तु म्यांमार उसका एक खुला एरिया था। उसने म्यांमार के चिन लोगों का मणिपुर में एंट्री कराया जिसका कांग्रेस तथा उधर म्यांमार के अवैध चिन लोगों ने जंगलों में डेरा बनाया और वहां ओपियम यानि अफीम की खेती शुरू कर दिया। पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड दशकों तक कुकियों और चिन लोगों के अफीम की खेती तथा तस्करी का खुला खेल का मैदान बन गया। मयंमार से ISI तथा MI6 ने इस अफीम की तस्करी के साथ हथियारों की तस्करी का एक पूरा इकॉनमी खड़ा कर दिया। जिसके कारण पूर्वोत्तर के इन राज्यों की बड़ा जनसँख्या नशे की भी आदि हो गई। नशे के साथ हथियार उठाकर भारत के विरुद्ध युद्ध फलता फूलता रहा।

2014 के बाद की परिस्थिति:

मोदी सरकार ने एक्ट ईस्ट पालिसी के अंतर्गत पूर्वोत्तर पर ध्यान देना शुरू किया, NSCN - तथा भारत सरकार के बीच हुए "नागा एकॉर्ड" के बाद हिंसा में कमी आई। भारत की सेना पर आक्रमण बंद हुए। भारत सरकार ने अभूतपूर्व विकास किया जिससे वहां के लोगों को दिल्ली के करीब आने का मौका मिला। धीरे धीरे पूर्वोत्तर से हथियार आंदोलन समाप्त हुए। भारत के प्रति यहाँ के लोगों का दुराव कम हुआ। रणनीति के अंतर्गत पूर्वोत्तर में भाजपा की सरकार आई। वहां से कांग्रेस और कम्युनिस्ट का लगभग समापन हुआ। इसके कारण इन पार्टियों का एक प्रमुख धन का श्रोत जो कि अफीम तथा हथियारों की तस्करी था वो चला गया। इसके कारण इन लोगों के लिए किसी भी तरह पूर्वोत्तर में हिंसा और अशांति फैलाना जरूरी हो गया था। जिसका ये लोग बहुत समय से इंतजार कर रहे थे।

हाल ही में दो घटनाए घटीं:

1. मणिपुर उच्च न्यायालय ने फैसला किया कि अब मैती जनजाति को ST का स्टेटस मिलेगा। इसका परिणाम ये होगा कि नेहरू के बनाए फार्मूला का अंत हो जाएगा जिससे मैती लोग भी 10% के सिकुड़े हुए भूभाग की जगह पर पूरे मणिपुर में कहीं भी रह, बस और जमीन ले सकेंगे। ये कुकी और नगा को मंजूर नहीं।

2. मणिपुर के मुख्यमंत्री बिरेन सिंह ने कहा कि सरकार पहचान करके म्यांमार से आए अवैद्य चिन लोगों को बाहर निकलेगी और अफीम की खेती को समाप्त करेगी। इसके कारण तस्करों का गैंग सदमे में आ गया।

इसके बाद ईसाई कुकियों और ईसाई नगाओं ने अपने दिल्ली बैठे आकाओं, कम्युनिस्ट लुटियन मीडिया को जागृत किया। पहले इन लोगों ने अख़बारों और मैगजीन में गलत लेख लिखकर और उलटी जानकारी देकर शेष भारत के लोगों को बरगलाने का काम शुरू किया। उसके बाद दिल्ली से सिग्नल मिलते ही ईसाई कुकियों और ईसाई नगाओं ने मैती वैष्णव लोगों पर हमला बोल दिया। जिसका जवाब मैतियों दुगुना वेग से दिया और इन लोगों को बुरी तरह कुचल दिया जो कि कुकी - नगा के साथ दिल्ली में बैठे इनके आकाओं के लिए भी unexpected था। लात खाने के बाद ये लोग अदातानुसार विक्टम कार्ड खेलकर रोने लगे।

अभी भारत की मीडिया का एक वर्ग जो कम्युनिस्ट तथा कोंग्रस का प्रवक्ता है अब रोएगा क्योंकि पूर्वतर में मिशनरी, अवैध घुसपैठियों और तस्करों के बिल में मणिपुर तथा केंद्र सरकार ने खौलता तेल डाल दिया है।

17/07/2023

~~ गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था ~~

गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था...
ऐतवार ठाकुर नाई, दुखी राम मोची, दुखन मिस्री लुहार था......
छोटे छोटे घर थे, हर आदमी बडा दिलदार था......
कही भी रोटी खा लेते, हर घर मे भोजन तैयार था......
कैईता की सब्जी मजे से खाते थे।
जिसके आगे शाही पनीर बेकार था.....

दो मिनट की मैगी ना, झटपट सतू तैयार था.....
नीम की छांव और बैर का पेड़ सदाबहार था.....
गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था.....

लोग कमर में कस के बजा लेते ढोलक पूरा गांव संगीतकार था..... खेमन राम किरी. दुग्धेश्वर ब्याश की तान था...
बाल नाट्य कला परिषद और रवि बाल मंडली के नाटक और जितेन्द्र शर्मा और मनीष पासवान के कोमेडी ही सुपरहिट था....काह़ा वेव सीरीज के खुमार था..
गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था..

काली माटी से चंदा आहरा मे नहा लेते, साबुन और स्विमिंग पूल बेकार था....
सोखी राम के बगीचा में डोलपता खेल लेते, हमे कहाँ PUBG का खुमार था..... बुजुर्गो की कहानी सुन लेते, कहाँ टेलीविज़न और अखबार था.....
खुश थे, सभी लोगों में बहुत प्यार था.... गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था !!!
🙏 मझिआंवा नगर बस्ती की जय 🙏..✍️ मनीष

तुम सब ज्योति मौर्या पर लगे रहो उधर टमाटर ने आलू से ये बोलकर Break up कर लिए की तुमारी औकात क्या है मैं तुम्हारे साथ नही...
15/07/2023

तुम सब ज्योति मौर्या पर लगे रहो उधर
टमाटर ने आलू से ये बोलकर
Break up कर लिए की तुमारी औकात क्या है
मैं तुम्हारे साथ नही रह सकती
सुने में आ रहा हैं कि टमाटर और सेव में नजदिकियां बढ़ रही है

यदि हमारे पूर्वजों को हवाई जहाज बनाना नहीं आता, तो हमारे पास  #विमान शब्द भी नहीं होता.!यदि हमारे पूर्वजों को Electricit...
12/07/2023

यदि हमारे पूर्वजों को हवाई जहाज बनाना नहीं आता, तो हमारे पास #विमान शब्द भी नहीं होता.!

यदि हमारे पूर्वजों को Electricity की जानकारी नहीं थी, तो हमारे पास #विद्युत शब्द भी नहीं होता।

यदि "Telephone" जैसी तकनीक प्राचीन भारत में नहीं थी तो #दूरसंचार शब्द हमारे पास क्यों है ?

Atom और electron की जानकारी नहीं थी तो #अणु और #परमाणू शब्द कहाँ से आये?

Surgery का ज्ञान नहीं था तो, #शल्य_चिकित्सा शब्द कहाँ ये आया?

विमान, विद्युत, दूरसंचार ये शब्द स्पष्ट प्रमाण है, कि ये तकनीक भी हमारे पास थी।

बिना परिभाषा के कोई शब्द अस्तित्व में रह नहीं सकता।

सौरमण्डल में नौ ग्रह है व सभी सूर्य की परिक्रमा लगा रहे है, व बह्ममाण्ड अनन्त है, ये हमारे पूर्वजों को बहुत पहले से पता था। रामचरित्र मानस में काक भुशुंडि - गरुड संवाद पढ़िये, बह्ममाण्ड का ऐसा वर्णन है, जो आज के विज्ञान को भी नहीं पता।

अंग्रेज़ जब 17-18 सदी में भारत आये तभी उन्होंने विज्ञान सीखा, 17 सदी के पहले का आपको कोई साइंटिस्ट नहीं मिलेगा।

17 -18 सदी के पहले कोई आविष्कार यूरोप में नहीं हुआ, भारत आकर सीखकर, और चुराकर अंग्रेज़ों ने अविष्कार करे।

भारत से केवल पैसे की ही लूट नहीं हुयी, ज्ञान की भी लूट हुयी है।

वेद ही विज्ञान है और हमारे ऋषि ही वैज्ञानिक हैं

🙏 जय सनातन🚩 जय भारत🇮🇳

18/06/2023
11/06/2023

ताजमहल को प्रेम का प्रतीक कहा जाता है, मैं नहीं मानता। जब बंगाल में लोग भूख से मर रहे थे, उस समय एक शहंशाह ने लगान के पैसे से ताजमहल बनवाया था। उससे बड़ा प्रेम का प्रतीक तो बिहार का वह मजदूर है, जिसने एक चट्टान से गिरकर मरते हुए अपनी पत्नी को देखा, तो हथौड़ा उठाकर उस चट्टान के बीच से रास्ता बना डाला। दशरथ माझी मेरे लिए शहंशाह से बड़ा है। प्रेम का प्रतीक दिखाना है तो चट्टान के बीच बने उस रास्ते को दिखाइए। अगर मैं विदेश से आने वाले मेहमानों को कुछ दिखाऊंगा तो धनुषकोटि के वह पत्थर दिखाऊंगा जहां राम ने समुद्र में पुल बनाया था, क्योंकि सीता तक पहुंचने के लिए राम की ओर से बनवाया गया वह पुल प्रेम और स्नेह का प्रतीक है।

08/06/2023
यह दिखने में एक कप से गिरी हुई चाय है लेकिन इसको जूम करने पर आप देखेंगे कि कितनी सुंदर पेंटिंग बनी हुई है
06/02/2023

यह दिखने में एक कप से गिरी हुई चाय है लेकिन इसको जूम करने पर आप देखेंगे कि कितनी सुंदर पेंटिंग बनी हुई है

विनायक दामोदर सावरकर जी का अंडमान निकोबार का कैदी बिल्ला। जिस पर लिखा है-कैदी नंबर 32778, (अर्थात उससे पूर्व इतने लोग वह...
06/02/2023

विनायक दामोदर सावरकर जी का अंडमान निकोबार का कैदी बिल्ला।
जिस पर लिखा है-
कैदी नंबर 32778, (अर्थात उससे पूर्व इतने लोग वहां सजा हेतु जा चुके थे)

धाराएं- 121, 121A, 109,302।

सजा- 50 वर्ष
24-12-1910 से 23-12-1960 तक

(यह सजा जब बताई गई तो सावरकर ने तन कर कहाँ था कि इतने वर्षों तक ब्रिटिश साम्राज्य भारत में नहीं रहेगा, भारत वासी उसको उखाड़ फेकेंगे)।

अब सेलुलर जेल की कुछ यातनाओं को बिंदुवार देखिए-

1- कुल तीन कटोरा समुद्री खारा पानी नहाने के लिए।

2- कोल्हू के बैल की तरह तेल निकालना, चाहे कैदी कितना ही बीमार क्यो न हो।

3- नारियल को छीलकर रस्सी बनाना जिससे हाथों से खून रिसने लगता था।

4- एक बार से अधिक शौच जाने के लिए जेल के वार्डर से विनती कर कागज मागना फिर जेल के डॉक्टर को अर्जी लिखना उसके अप्रूवल के बाद जेलर और जेल सुपरिडेंट से अनुमति लेना। तबतक कैदी को उसकी कोठरी में ही शौच हो जाता था। जिसकी सफाई कैदी को स्वयं ही करनी होती थी वह भी एक दिन बाद। अनुमान लगाइए की जिस कैदी को पेचिस हो जाता होगा उसपर क्या बीतती होगी।

5- कुछ कैदीतो पागल हो जाते थे।

6- क्रांतिकारियों को बेड़ियों में रखा जाना। जिसमें दीवाल में कील गाड़कर जंजीरे उसी में फसा दी जाती थीं ताकि आदमी बैठ न सके, फिर लोहे के एंगेल से पावों को ऐसा बाधा जाता था कि कैदी घुटना तक न मोड़ सके। लैट्रिन पेशाब भी उसी अवस्था में अपने वस्त्रों में ही करता था।

7- छोटी- छोटी त्रुटि होने पर बेतों से पिटाई होती थी, पीठ की चमड़ी उधड़ जाती थी।

8- वर्ष में केवल दो पत्र भेजने और प्राप्त करने की अनुमति दी गई थी। यदि कोई गलती कैदी से हो जाती तो वो भी अवसर चला जाता था। फिर एक साल बाद यह अवसर मिलता था कि अपने परिजनों का पत्र प्राप्त कर सके तथा भेज सके।

सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने पर प्रकाशित किया गया 60 साल तक भारत में प्रतिबंधित रहा नाथूराम गोडसे का अंतिम भाषण -      ...
06/02/2023

सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने पर प्रकाशित किया गया
60 साल तक भारत में प्रतिबंधित रहा नाथूराम गोडसे
का अंतिम भाषण -
#मैंने_गांधी_को_क्यों_मारा !

30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोड़से ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी लेकिन नाथूराम गोड़से घटना स्थल से फरार नही हुए बल्कि उसने आत्मसमर्पण कर दिया
नाथूराम गोड़से समेत 17 देशभक्तों पर गांधी की हत्या का मुकदमा चलाया गया इस मुकदमे की सुनवाई के दरम्यान #न्यायमूर्ति_खोसला से नाथूराम जी ने अपना वक्तव्य स्वयं पढ़ कर जनता को सुनाने की अनुमति माँगी थी जिसे न्यायमूर्ति ने स्वीकार कर लिया था पर यह कोर्ट परिसर तक ही सिमित रह गयी क्योकि सरकार ने नाथूराम के इस वक्तव्य पर प्रतिबन्ध लगा दिया था लेकिन नाथूराम के छोटे भाई और गांधी की हत्या के सह-अभियोगी गोपाल गोड़से ने 60 साल की लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट में विजय प्राप्त की और नाथूराम का वक्तव्य प्रकाशित किया गया l

*मैंने गांधी को क्यों मारा*

नाथूराम गोड़से ने गांधी हत्या के पक्ष में अपनी
150 दलीलें न्यायलय के समक्ष प्रस्तुति की
नाथूराम गोड़से के वक्तव्य के कुछ मुख्य अंश....
नाथूराम जी का विचार था कि गांधी की अहिंसा हिन्दुओं
को कायर बना देगी कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी को मुसलमानों ने निर्दयता से मार दिया था महात्मा गांधी सभी हिन्दुओं से गणेश शंकर विद्यार्थी की तरह अहिंसा के मार्ग पर चलकर बलिदान करने की बात करते थे नाथूराम गोड़से को भय था गांधी की ये अहिंसा वाली नीति हिन्दुओं को
कमजोर बना देगी और वो अपना अधिकार कभी
प्राप्त नहीं कर पायेंगे...
1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोलीकांड
के बाद से पुरे देश में ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ
आक्रोश उफ़ान पे था...
भारतीय जनता इस नरसंहार के #खलनायक_जनरल_डायर
पर अभियोग चलाने की मंशा लेकर गांधी के पास गयी
लेकिन गांधी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन
देने से साफ़ मना कर दिया
महात्मा गांधी ने खिलाफ़त आन्दोलन का समर्थन करके भारतीय राजनीति में साम्प्रदायिकता का जहर घोल दिया महात्मा गांधी खुद को मुसलमानों का हितैषी की तरह पेश करते थे वो #केरल_के_मोपला_मुसलमानों द्वारा वहाँ के
1500 हिन्दूओं को मारने और 2000 से अधिक हिन्दुओं
को मुसलमान बनाये जाने की घटना का विरोध
तक नहीं कर सके
कांग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में #नेताजी_सुभाष_चन्द्रबोस
को बहुमत से काँग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गांधी ने #अपने_प्रिय_सीतारमय्या का समर्थन कर रहे थे गांधी ने सुभाष चन्द्र बोस से जोर जबरदस्ती करके इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर कर दिया...
23 मार्च 1931 को भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी गयी पूरा देश इन वीर बालकों की फांसी को
टालने के लिए महात्मा गांधी से प्रार्थना कर रहा था लेकिन गांधी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए देशवासियों की इस उचित माँग को अस्वीकार कर दिया
गांधी #कश्मीर_के_हिन्दू_राजा_हरि_सिंह से कहा कि
#कश्मीर_मुस्लिम_बहुल_क्षेत्र_है_अत:वहां का शासक
कोई मुसलमान होना चाहिए अतएव राजा हरिसिंह को
शासन छोड़ कर काशी जाकर प्रायश्चित करने जबकि हैदराबाद के निज़ाम के शासन का गांधी जी ने समर्थन किया था जबकि हैदराबाद हिन्दू बहुल क्षेत्र था गांधी जी की नीतियाँ
धर्म के साथ बदलती रहती थी उनकी मृत्यु के पश्चात
सरदार पटेल ने सशक्त बलों के सहयोग से हैदराबाद को
भारत में मिलाने का कार्य किया गांधी के रहते ऐसा करना संभव नहीं होता
पाकिस्तान में हो रहे भीषण रक्तपात से किसी तरह से अपनी जान बचाकर भारत आने वाले विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली मुसलमानों ने मस्जिद में रहने वाले हिन्दुओं का विरोध किया जिसके आगे गांधी नतमस्तक हो गये और गांधी ने उन विस्थापित हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया गया
महात्मा गांधी ने दिल्ली स्थित मंदिर में अपनी प्रार्थना सभा
के दौरान नमाज पढ़ी जिसका मंदिर के पुजारी से लेकर
तमाम हिन्दुओं ने विरोध किया लेकिन गांधी ने इस विरोध को दरकिनार कर दिया लेकिन महात्मा गांधी एक बार भी किसी मस्जिद में जाकर गीता का पाठ नहीं कर सके
लाहौर कांग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से विजय
प्राप्त हुयी किन्तु गान्धी अपनी जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया गांधी अपनी मांग
को मनवाने के लिए अनशन-धरना-रूठना किसी से बात
न करने जैसी युक्तियों को अपनाकर अपना काम
निकलवाने में माहिर थे इसके लिए वो नीति-अनीति का लेशमात्र विचार भी नहीं करते थे
14 जून 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था लेकिन गांधी ने वहाँ पहुँच कर
प्रस्ताव का समर्थन करवाया यह भी तब जबकि गांधी
ने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश
पर होगा न सिर्फ देश का विभाजन हुआ बल्कि लाखों
निर्दोष लोगों का कत्लेआम भी हुआ लेकिन गांधी
ने कुछ नहीं किया....
धर्म-निरपेक्षता के नाम पर मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति के जन्मदाता महात्मा गाँधी ही थे जब मुसलमानों ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाये जाने का विरोध किया तो महात्मा गांधी ने सहर्ष ही इसे स्वीकार कर लिया और हिंदी की जगह हिन्दुस्तानी (हिंदी+उर्दू की खिचड़ी) को बढ़ावा देने लगे बादशाह राम और बेगम सीता जैसे शब्दों का
चलन शुरू हुआ...
कुछ एक मुसलमान द्वारा वंदेमातरम् गाने का विरोध करने
पर महात्मा गांधी झुक गये और इस पावन गीत को भारत
का राष्ट्र गान नहीं बनने दिया
गांधी ने अनेक अवसरों पर शिवाजी महाराणा प्रताप व
गुरू गोबिन्द सिंह को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा वही दूसरी
ओर गांधी मोहम्मद अली जिन्ना को क़ायदे-आजम
कहकर पुकारते था
कांग्रेस ने 1931 में स्वतंत्र भारत के राष्ट्र ध्वज बनाने के
लिए एक समिति का गठन किया था इस समिति ने
सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र को भारत का
राष्ट्र ध्वज के डिजाइन को मान्यता दी किन्तु गांधी जी
की जिद के कारण उसे बदल कर तिरंगा कर दिया गया
जब सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में सोमनाथ
मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया गया तब गांधी जी जो कि मन्त्रीमण्डल के सदस्य
भी नहीं थे ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव
को निरस्त करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला
भारत को स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान को एक समझौते के तहत 75 करोड़ रूपये देने थे भारत ने 20 करोड़ रूपये
दे भी दिए थे लेकिन इसी बीच 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल ने आक्रमण से क्षुब्ध होकर 55 करोड़ की
राशि न देने का निर्णय लिया | जिसका महात्मा गांधी ने
विरोध किया और आमरण अनशन शुरू कर दिया जिसके परिणामस्वरूप 55 करोड़ की राशि भारत ने पाकिस्तान
को दे दी महात्मा गांधी भारत के नहीं अपितु पाकिस्तान
के राष्ट्रपिता थे जो हर कदम पर पाकिस्तान के पक्ष में
खड़े रहे फिर चाहे पाकिस्तान की मांग जायज हो या
नाजायज गांधी ने कदाचित इसकी परवाह नहीं की
उपरोक्त घटनाओं को देशविरोधी मानते हुए नाथूराम
गोड़से जी ने महात्मा गांधी की हत्या को न्यायोचित
ठहराने का प्रयास किया...
नाथूराम ने न्यायालय में स्वीकार किया कि माहात्मा गांधी बहुत बड़े देशभक्त थे उन्होंने निस्वार्थ भाव से देश सेवा की
मैं उनका बहुत आदर करता हूँ लेकिन किसी भी देशभक्त
को देश के टुकड़े करने के एक समप्रदाय के साथ पक्षपात करने की अनुमति नहीं दे सकता हूँ गांधी की हत्या के
सिवा मेरे पास कोई दूसरा उपाय नहीं था...!!
#नाथूराम_गोड़सेजी द्वारा अदालत में
दिए बयान के मुख्य अंश...
मैने गांधी को नहीं मारा
मैने गांधी का वध किया है..
वो मेरे दुश्मन नहीं थे परन्तु उनके निर्णय राष्ट्र के
लिए घातक साबित हो रहे थे...
जब व्यक्ति के पास कोई रास्ता न बचे तब वह मज़बूरी
में सही कार्य के लिए गलत रास्ता अपनाता है...
मुस्लिम लीग और पाकिस्तान निर्माण की गलत निति
के प्रति गांधी की सकारात्मक प्रतिक्रिया ने ही मुझे
मजबूर किया...
पाकिस्तान को 55 करोड़ का भुगतान करने की
गैरवाजिब मांग को लेकर गांधी अनशन पर बैठे..
बटवारे में पाकिस्तान से आ रहे हिन्दुओ की आपबीती
और दुर्दशा ने मुझे हिला के रख दिया था...
अखंड हिन्दू राष्ट्र गांधी के कारण मुस्लिम लीग
के आगे घुटने टेक रहा था...
बेटो के सामने माँ का खंडित होकर टुकड़ो में बटना
विभाजित होना असहनीय था...
अपनी ही धरती पर हम परदेशी बन गए थे..
मुस्लिम लीग की सारी गलत मांगो को
गांधी मानते जा रहे थे..
मैने ये निर्णय किया कि भारत माँ को अब और
विखंडित और दयनीय स्थिति में नहीं होने देना है
तो मुझे गांधी को मारना ही होगा
और मैने इसलिए गांधी को मारा...!!
मुझे पता है इसके लिए मुझे फाँसी ही होगी
और मैं इसके लिए भी तैयार हूं...
और हां यदि मातृभूमि की रक्षा करना अपराध हे
तो मै यह अपराध बार बार करूँगा हर बार करूँगा ...
और जब तक सिन्ध नदी पुनः अखंड हिन्द में न बहने
लगे तब तक मेरी अस्थियो का विसर्जन नहीं करना...!!
मुझे फाँसी देते वक्त मेरे एक हाथ में केसरिया ध्वज
और दूसरे हाथ में #अखंड_भारत का नक्शा हो...
मै फाँसी चढ़ते वक्त अखंड भारत की जय
जयकार बोलना चाहूँगा...!!
हे भारत माँ मुझे दुःख है मै तेरी इतनी
ही सेवा कर पाया....!!
#नाथूराम_गोडसे

🙏 🙏🙏जय हिंद🇮🇳जय हिन्दुस्तान 🙏🙏🙏

06/02/2023

रामायण में सभी राक्षसों का वध हुआ था लेकिन💥
सूर्पनखा का वध नहीं हुआ था
उसकी नाक और कान काट कर छोड़ दिया गया था ।
वह कपडे से अपने चेहरे को छुपा कर
रहती थी ।
रावन के मर जाने के बाद वह
अपने पति के साथ शुक्राचार्य के पास
गयी और जंगल में उनके आश्रम में रहने लगी ।

राक्षसों का वंश ख़त्म न
हो
इसलिए, शुक्राचार्य ने शिव
जी की आराधना की ।
शिव जी ने
अपना स्वरुप शिवलिंग शुक्राचार्य को दे कर
कहा की जिस दिन कोई "वैष्णव" इस पर
गंगा जल चढ़ा देगा उस दिन
राक्षसों का नाश हो जायेगा ।
उस आत्म
लिंग को शुक्राचार्य ने वैष्णव मतलब
हिन्दुओं से दूर रेगिस्तान में स्थापित
किया जो आज अरब में "मक्का मदीना" में है ।
सूर्पनखा जो उस समय चेहरा ढक कर
रहती थी वो परंपरा को उसके बच्चो ने
पूरा निभाया आज भी मुस्लिम औरतें
चेहरा ढकी रहती हैं ।
सूर्पनखा के वंसज
आज मुसलमान कहलाते हैं ।
क्युकी शुक्राचार्य ने इनको जीवन दान
दिया इस लिए ये शुक्रवार को विशेष
महत्त्व देते हैं ।
पूरी जानकारी तथ्यों पर आधारित सच है।⛳

जानिए इस्लाम केसे पैदा हुआ..
👉असल में इस्लाम कोई धर्म नहीं है .एक मजहब है..
दिनचर्या है..
👉मजहब का मतलब अपने कबीलों के
गिरोह को बढ़ाना..
👉यह बात सब जानते है कि मोहम्मदी मूलरूप से
अरब वासी है ।
👉अरब देशो में सिर्फ रेगिस्तान पाया जाता है.
वहां जंगल
नहीं है, पेड़ नहीं है. इसीलिए वहां मरने के बाद जलाने
के
लिए लकड़ी न होने के कारण ज़मीन में दफ़न कर
दिया जाता था.
👉रेगिस्तान में हरीयाली नहीं होती.. एसे में रेगिस्तान
में
हरा चटक रंग देखकर इंसान चला आता जो की सूचक
का काम करता था..
👉अरब देशो में लोग रेगिस्तान में तेज़ धुप में सफ़र करते थे,
इसीलिए वहां के लोग सिर को ढकने के लिए
टोपी 💂पहनते थे.
जिससे की लोग बीमार न पड़े.
👉अब रेगिस्तान में खेत तो नहीं थे, न फल, तो खाने के
लिए वहा अनाज नहीं होता था. इसीलिए वहा के
लोग
🐑🐃🐄🐐🐖जानवरों को काट कर खाते थे. और अपनी भूख मिटाने के
लिए इसे क़ुर्बानी का नाम दिया गया.
👉रेगिस्तान में पानी की बहुत कमी रहती थी,💧 इसीलिए
लिंग (मुत्रमार्ग) साफ़ करने में पानी बर्बाद न
हो जाये
इसीलिए लोग खतना (अगला हिस्सा काट देना ) कराते
थे.
👉सब लोग एक ही कबिले के खानाबदोश होते थे इसलिए
आपस में भाई बहन ही निकाह कर लेते थे|
👉रेगिस्तान में मिट्टी मिलती नहीं थी मुर्ती बनाने
को इसलिए मुर्ती पुजा नहीं करते थे|
खानाबदोश थे ,
👉 एक जगह से दुसरी जगह
जाना पड़ता था इसलिए कम बर्तन रखते थे और एक
थाली नें पांच लोग खाते थे|

👉कबीले की अधिक से अधिक संख्या बढ़े इसलिए हर एक
को चार बीवी रखने की इज़ाजत दि..
🔥अब समझे इस्लाम कोई धर्म नहीं मात्र एक कबीला है..
और इसके नियम असल में इनकी दिनचर्या है|
नोट : पोस्ट पढ़के इसके बारे में सोचो.
#इस्लाम_की_सच्चाई
अगर हर हिँदू माँ-बाप अपने बच्चों को बताए कि अजमेर दरगाह वाले ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने किस तरह इस्लाम कबूल ना करने पर पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता को मुस्लिम सैनिकों के बीच बलात्कार करने के लिए निर्वस्त्र करके फेँक दिया था और फिर किस तरह पृथ्वीराज चौहान की वीर पुत्रियों ने आत्मघाती बनकर मोइनुद्दीन चिश्ती को 72 हूरों के पास भेजा थातो शायद ही कोई हिँदू उस मुल्ले की कब्र पर माथा पटकने जाए

"अजमेर के ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती को ९० लाख हिंदुओं को इस्लाम में लाने का गौरव प्राप्त है. मोइनुद्दीन चिश्ती ने ही मोहम्मद गोरी को भारत लूटने के लिए उकसाया और आमंत्रित किया था... (सन्दर्भ - उर्दू अखबार "पाक एक्सप्रेस, न्यूयार्क १४ मई २०१२).

अधिकांश मुर्दा हिन्दू तो शेयर भी नहीं करेंगे,,धिक्कार है ऐसे हिन्दुओ पर

06/02/2023

”शिवलिंग”’क्या है ?

लिंग का अर्थ संस्कृत में चिन्ह, प्रतीक होता है।

जिस प्रकार पुरुषलिंग का अर्थ हुआ पुरुष का प्रतीक इसी प्रकार स्त्रीलिंग का अर्थ हुआ स्त्री का प्रतीक (अन्यथा स्त्री शब्द के साथ इसे जोड़ने का क्या औचित्य होता?) ठीक वैसे ही शिवलिंग का अर्थ है जो शिव
का अंश या प्रतीक है उसे ही शिवलिंग कहा जाता है।

शिवलिंग का अर्थ लिंग या जननांग नहीं होता। दरअसल ये गलतफहमी, जानबूझकर कुछ विशिष्ट श्रेणी के इतिहासकारों और मूर्खों द्वारा भाषा के रूपांतरण ( literal translation) और हमारे पुरातन धर्म ग्रंथों और प्रतीकों की महानता को नष्ट कर दिए जाने
का एकमात्र प्रयास है

यदि हम हिंदी के एक शब्द “सूत्र” को ही लें तो
सूत्र को ‘डोरी/धागा’, गणितीय सूत्र, कोई भाष्य अथवा लेखन कई रूपों में आप व्याखित कर सकते

उसी प्रकार “अर्थ” शब्द का भावार्थ ‘सम्पति’ भी हो सकता है और ‘मतलब’ भी
शून्य,आकाश,अनन्त,ब्रह्मांड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से इसे लिंग कहा गया अर्थात जिसका कोई अन्त नहीं है न ही शुरुआत

स्कन्दपुराण में कहा है -

“आकाशं लिंगमित्याहु: पृथ्वी तस्य पीठिका।
आलय: सर्व देवानां लयनार्लिंगमुच्यते ॥”
अर्थात् आकाश स्वयं लिंग है।शिवलिंग वातावरण सहित घूमती धरती (उसका आधार) तथा सारे अनन्त ब्रह्मांड (क्योंकि,ब्रह्मांड गतिमान है) का अक्ष/धुरी ही लिंग है अर्थात एक दिन सब उसी आकाश में समा जायेगा व फिर से एक नयी सरंचना बनेगी।)
ब्रह्माण्ड में दो ही चीजें हैं : ऊर्जा और पदार्थ , हमारा शरीर पदार्थ से निर्मित है और आत्मा ऊर्जा है। इसी प्रकार शिव ‘पदार्थ’ और शक्ति ‘ऊर्जा’ का प्रतीक बन कर शिवलिंग कहलाते है।

ब्रह्मांड में उपस्थित समस्त ठोस तथा उर्जा शिवलिंग में निहित है.
वास्तव में शिवलिंग हमारे ब्रह्मांड की आकृति है. (The universe is a sign of Shiva Lingam.)

शिवलिंग भगवान शिव और देवी शक्ति (पार्वती) का आदि-अनादि एकल रूप है तथा पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतीक भी अर्थात इस संसार में न केवल पुरुष का और न केवल प्रकृति (स्त्री) का वर्चस्व है बल्कि दोनों का समान है।

शिवलिंग' को 3 रूपों में बांटा गया है

शैव संप्रदाय के अनुसार 'शिवलिंग''परशिव', 'पराशक्ति' और 'परमेश्वर' तीन रूपों में बंटा है। ऊपर वाले भाग को 'परशिव' और बीच वाले हिस्से को 'पराशक्ति' कहते हैं।
इन्हीं से मिलकर 'परमेश्वर' का रूप सृजित होता है, जिसका संबंध आत्मा से है।
'शिव का प्रतीक' ‘पराशक्ति’ परिपूर्णता में भगवान शिव का ‘आकार’ है परन्तु ‘परशिव’ परिपूर्णता में वे ‘निराकार’ हैं

परमेश्वर का शाब्दिक अर्थ ‘परम ईश्वर’ है।संपूर्ण ब्रह्मांड की उत्पत्ति का मूल कारण परमेश्वर है

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