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28/10/2021

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28/10/2021

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फिर 6 दिन बाद मैं कॉलेज गई तो वो गेट के बाहर मेरा इंतज़ार कर रहा था … मैं बिना कुछ बोले उसकी बाईक पर बैठ गई… वो सीधे अपन...
03/01/2020

फिर 6 दिन बाद मैं कॉलेज गई तो वो गेट के बाहर मेरा इंतज़ार कर रहा था … मैं बिना कुछ बोले उसकी बाईक पर बैठ गई… वो सीधे अपने घर ले गया और पूछा- आज भी करवओगी या नहीं …? मैं बोली- आज पूरी तरह तैयार हूँ … तुम कंडोम ले आये? वो बोला- हाँ ले आया … फिर हम घर के अन्दर घुसे और उसने गेट बंद कर दिया

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फिर 6 दिन बाद मैं कॉलेज गई तो वो गेट के बाहर मेरा इंतज़ार कर रहा था … मैं बिना कुछ बोले उसकी बाईक पर बैठ गई… वो सीधे अपन...

नमस्ते! मेरा नाम जैस्मीन माथुर है और मैं नई दिल्ली से हूँ. मैं 24 और गर्व अरियन हूँ. मैं तो बस मेरे दिल्ली विश्वविद्यालय...
02/01/2020

नमस्ते! मेरा नाम जैस्मीन माथुर है और मैं नई दिल्ली से हूँ. मैं 24 और गर्व अरियन हूँ. मैं तो बस मेरे दिल्ली विश्वविद्यालय से बीएससी खत्म. मैं बहुत खूबसूरत और आकर्षक है.मेरा एक दोस्त मुझे मेरे अपने पोर्टफोलियो को शुरू करने के लिए पूछने के लिए और जनता को जो मुझे करने के लिए प्यार करता है नग्न मेरे गर्म शरीर दिखाने

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नमस्ते! मेरा नाम जैस्मीन माथुर है और मैं नई दिल्ली से हूँ. मैं 24 और गर्व अरियन हूँ. मैं तो बस मेरे दिल्ली विश्वविद्या.....

मेरा नाम प्रतिभा शर्मा है.यह मेरी दूसरी कहानी है.पिछली बार मैं मेरे पति पांच दोस्तों के द्वारा गड़बड़ कर दिया गया है.यह ...
02/01/2020

मेरा नाम प्रतिभा शर्मा है.यह मेरी दूसरी कहानी है.पिछली बार मैं मेरे पति पांच दोस्तों के द्वारा गड़बड़ कर दिया गया है.यह पिछले साल हुआ जब मैं अपने रिश्तेदार के अंतिम संस्कार समारोह में भाग लेने के लिए यात्रा कर रहा था.मेरे पति अपने काम में व्यस्त था तो मैं अपने दम पर वहाँ जाना है ….

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मेरा नाम प्रतिभा शर्मा है.यह मेरी दूसरी कहानी है.पिछली बार मैं मेरे पति पांच दोस्तों के द्वारा गड़बड़ कर दिया गया ह....

नमस्कार, आज मैं आप मेरे जीवन की कहानी बताने जा रहा हूँ. मैं मेरी अपनी बहन के साथ सेक्स किया है जब हम छुट्टी के लिए हमारे...
01/01/2020

नमस्कार, आज मैं आप मेरे जीवन की कहानी बताने जा रहा हूँ. मैं मेरी अपनी बहन के साथ सेक्स किया है जब हम छुट्टी के लिए हमारे भव्य माँ के घर के लिए पर जाएँ.

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नमस्कार, आज मैं आप मेरे जीवन की कहानी बताने जा रहा हूँ. मैं मेरी अपनी बहन के साथ सेक्स किया है जब हम छुट्टी के लिए हमा.....

नमस्कार मित्रों मै अनिल आज आपके सामने अपने जीवन की एक सच्ची कहानी लेकर आया हूं। कहानी शुरू करने से पहले मै आपको अपने बार...
01/01/2020

नमस्कार मित्रों मै अनिल आज आपके सामने अपने जीवन की एक सच्ची कहानी लेकर आया हूं। कहानी शुरू करने से पहले मै आपको अपने बारे में बता देता हूं। मेरी उम्र अभी ३२ साल की है, मेरी शादी को अब सात साल हो चुके है। मेरी बीवी और मै दोनों ही रेगुलर सेक्स करते है, जिससे हम दोनों ही बहुत खुश है।

मेरी बीवी का नाम अनामिका है, और मै प्यार से उसे अनु बुलाता हूं। यह कहानी मेरे शादी के कुछ महीनों बाद की है। शुरू में अनु गांड चुदाई से बहुत डरती थी। मैने उसे कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन वो मेरी बात मानती ही नही थी। आप इस कहानी में पढिए कि, किस तरह से मैने उसे गांड चुदाई के लिए मनाया और अपनी बीवी की गांड का मजा लिया।

तो चलिए अब आपका अधिक समय न लेते हुए मै सीधे कहानी पर आता हूं। मेरी अनु अब भी बहुत सजती संवरती है, उसे देखकर मेरे मोहल्ले के लडके भी उसके पीछे पड जाते है। अनु का फिगर भी बहुत सेक्सी है, उसके पूरे बदन में मुझे उसकी गांड सबसे ज्यादा पसंद थी।

हमारी अरेंज मैरिज हुई थी, शादी से पहले जब मै अपने घरवालों के साथ उसे देखने गया था, तब से ही मै उसकी गांड का दीवाना हो चुका था। अनु का ड्रेसिंग सेंस भी लाजवाब था, जो उसको और चार चांद लगाता था।

शादी से पहले हमने सिर्फ चुमाचाटी की, बाकी उसने मुझे कहीं पे भी हाथ लगाने नही दिया। हम दोनों ही यह सब सुहागरात के लिए बचाकर रख रहे थे। खैर सुहागरात की कहानी किसी और दिन बताऊंगा, लेकिन आज तो अनु के गांड उदघाटन की कहानी है।

शादी के बाद हम दोनों ने सब कुछ किया, लेकिन मै जैसे ही अनु की गांड को हाथ लगाता, वो मुझे मना कर देती। मुझे मेरी अनु की जो चीज सबसे ज्यादा पसंद है, उसी को मै भोग नही पा रहा था।

हमारी शादी के दो महीने बाद मैने एक तरकीब लगाई, जिससे मुझे अनु अपनी गांड मारने से ना रोके। मैने अनु के लिए एक सरप्राइज डिनर प्लान किया। फिर डिनर के बाद, मै उसे लेकर एक ड्राइव पर गया। तब हम दोनों ऐसे ही बातें कर रहे थे, तो मैने उससे पूछा कि, “अनु तुम्हारी सबसे वाइल्ड फैंटेसी क्या है?”

यह सुनकर पहले तो वो थोडा शरमाई लेकिन फिर बोलने लगी, “मै एक बार आपसे खुले में चुदना चाहती हूं, जहां हमे देखने वाला कोई न हो।”

इस पर मैने उसे कहा, “अगर तुम चाहो, तो आज ही तुम्हारी यह फैंटेसी पूरी कर देते है।”

इस पर वो तो बहुत खुश हुई, उसने मुझसे कहा, “तो मुझे ले चलो फिर ऐसी जगह जहां हमे देखने वाला कोई न हो।”

तभी मैने उससे कहा, “मै तो तुम्हारी फैंटेसी पूरी कर रहा हूं, तुम्हे भी तो मेरी इच्छा पूरी करनी चाहिए।”

अनु को पता था, मेरी इच्छा क्या है। तो उसने तुरंत मुझसे कहा, “पहले आपने जो कहा है, वो करो। फिर आप जो चाहेंगे जैसे चाहेंगे मै वैसे ही करूंगी।”

मुझे तो बस यही चाहिए था, मैने तुरंत अपनी गाडी शहर से बाहर ले ली। हमारे शहर से बाहर निकलकर कुछ दूरी पर ही एक पुरानी हवेली थी, जो अब एक खंडहर बन चुकी थी। तो मैंने अपनी गाडी वहीं ले जाकर लगा दी, और पहले खुद अंदर जाकर देख आया कि, कहीं अंदर कोई है तो नही। अंदर कोई नही था।

फिर मै अनु के पास आया और उससे कहा, “बोलो मेरी जान, कहां से शुरू करें?”

तो अनु ने मेरा हाथ पकडा और मुझे खींचते हुए एक दीवार के पीछे ले गई। वहां से हमे सड़क पर जाने वाले लोग नही देख सकते थे। वहां जाते ही उसने अपनी दोनों बाहें मेरे गले मे डालकर मेरे होठों पर अपने नाजुक कोमल होंठ रख दिए। मुझे अनु के रसीले होंठ बडे पसंद थे, जिसे मै घंटो तक चूमते हुए रह सकता था।

मैने भी अब देर न करते हुए उसको चूमते हुए अपने हाथ उसके बदन पर घुमाने शुरू कर दिए। अब मै अनु के उरोजों को अपने हाथों से दबा रहा था। अनु ने भी मुझे चूमते हुए मेरे लंड को अपने हाथ मे ले लिया। अनु के हाथ का स्पर्श पाते ही मेरा लौडा भी मस्त फूलने लगा था। मैने अनु से अलग होते हुए पूछा, “तुम कैसे चुदना पसंद करोगी? पूरी नंगी होकर या अधनंगी होकर।”

तो अनु ने कहा, “अब जैसे तुम चाहो, वैसे चोद डालो मुझे कोई फर्क नही पडता।”

तो मैने उसकी कमीज को ऊपर उठाकर निकाल दिया, और उसके स्तनों को उसकी ब्रा के ऊपर से ही चूसने लगा था। यहां मै आप सभी लोगों को एक बात बताना चाहूंगा, कभी भी किसी भी लडकी के साथ सीधे चुदाई पर मत उतर आना। चुदाई के पहले उसे उत्तेजित करना बहुत महत्व रखता है।

मै अपनी अनु के बूब्स मसलते हुए चूस भी रहा था। वो मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहला रही थी। मैने उसकी ब्रा को थोडा ऊपर की ओर खिसका दिया, तो उसके स्तन मेरे सामने नंगे हो गए। अब मैने उसके स्तनों पर अपना मुंह लगा दिया। अनु ने भी मेरी पैंट की चेन खोलकर अपना हाथ अंदर डाल दिया। अब अनु अंदर ही मेरे लौडे से खेल रही थी, लेकिन मेरे लंड को आजादी चाहिए थी।

मैने उसे रोककर अपने लंड को ही बाहर निकालकर उसके हाथ मे थमा दिया। मै फिर से अनु के बूब्स को चूसने में लग गया। थोडी देर बाद मैने सोचा कि, अनु की फैंटेसी है तो क्यों न हम खुलकर सेक्स करें। यही सोचकर मैने उसकी कमीज को उसके बदन से अलग कर दिया, और अगले ही पल उसकी ब्रा का हूक भी खोल दिया। अब मेरी अनु ऊपर से पूरी तरह नंगी थी, उसका गोरा बदन अंधेरे में भी मै साफ देख सकता था। ऐसी बला की खूबसूरत अप्सरा के लिए तो मुरदे भी जाग जाए।

अब अनु ने भी मेरे लंड को छोडकर मेरी शर्ट के बटन खोलना शुरू कर दिया था। अनु मुझे उत्तेजित करने में अपनी तरफ से कोई कसर नही छोड रही थी, वो मेरे छाती पर अपना हाथ फेरने लगी। और बीच बीच मे मेरे निप्पल को अपनी उंगली में लेकर दबा देती।

मैने भी अब अपने हाथ नीचे ले जाकर उसकी सलवार का नाडा खोलने की कोशिश में लगा दिए। लेकिन मुझसे नाडा नही खुल रहा था, यह बात अनु को भी समझ आ गई। तो उसने खुद ही अपनी सलवार उतारकर उसे बगल में रख दिया और फिर से मुझसे आकर चिपक गई।

अब अनु सिर्फ पैंटी में थी, तो उसने मुझे भी पूरा नंगा करने के लिए मेरी पैंट उतारना शुरू कर दिया। और अगले ही पल उसने नीचे बैठकर मेरी चड्डी भी खींचकर मेरे पैरों में गिरा दी। अब मेरा लौडा उसके सामने तनकर खडा था, और अपने पूरे जोश के साथ झटके भी मार रहा था। अनु ने पहले मेरे लंड के टोपे की खाल को पूरा पीछे खींचा और फिर सिर्फ टोपे को अपने मुंह मे लेकर उस पर जीभ फिराने लगी। उसने आज यह मेरे साथ पहली बार किया था, और इस वजह से मेरे मुंह से अब आह निकल गई। उसने ऐसे ही एक दो बार करने के बाद, मेरा पूरा लंड ही अपने मुंह मे डाल लिया और किसी कुल्फी की तरह उसे चूसने और चाटने लगी। मुझे लगा कि, अगर अब यह नही रुकी तो मेरा अभी हो जाएगा, तो मैने उसे रोक दिया।

अब मेरी बारी थी उसको पूरी नंगी करके उसकी चुत का स्वाद चखने की। मैने उसे उठाकर खडी कर दिया, और उसके चुचियों को मसलते हुए मै नीचे बैठ गया। अब उसकी चुत और मेरे बीच सिर्फ उसकी पैंटी थी। अनु को डिजाइनर पैंटी पहनने का शौक है, और उसने आज ट्रांसपरेंट पैंटी पहनी थी। मैने पहले तो उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चुत को सूंघकर देखा, और फिर उसकी पैंटी को हल्का सा साइड में हटाकर अपनी एक उंगली से उसकी भग्नासा को रगड दिया।

मेरी इस हरकत से वो पूरी तरह से सिहर सी गई। फिर मैने उसकी पैंटी को निकाल दिया और अब हम दोनों ही पूरी तरह से नंगे हो चुके थे। ठंडी ठंडी हवा का स्पर्श वातावरण को और भी रोमांचित बना रहा था। मैने अब अपनी उंगलियों से अनु की चुत की फांकों को खोलकर अपनी जीभ वहां लगा दी। मेरे जीभ वहां लगाते ही उसके हाथों ने मेरे सर पर दबाव देना शुरू कर दिया। मै भी अब पूरे जोश के साथ उसकी चुत को चाट रहा था, और उसके रस का रसपान कर रहा था।

उसकी चुत चाटते वक़्त मैने अपने हाथ पीछे ले जाकर उसके चूतड़ों पर जमा दिए, और धीरे धीरे अनु की गांड के छेद को सहलाने लगा। अब अनु से भी रुकना मुश्किल हो रहा था, तो उसने मुझसे कहा, “अब जल्दी से अपना मूसल मेरे अंदर डालकर चुदाई शुरू कर दो।”

मै आज कोई जल्दबाजी नही करना चाहता था, पता नही ऐसे खुले में करने का मौका फिर कभी मिले या नही। मै इस मौके का सही तरीके से फायदा उठाना चाहता था।

मैने अनु को वहां दीवार के सहारे खडी कर दिया और फिर उसको उठाकर नीचे से अपना लंड उसकी चुत में डाल दिया। दीवार ज्यादा मजबूत नही थी, तो मै दीवार का अधिक सहारा नही ले सकता था।

अनु की चुत ने लंड जाते ही उसने मेरे लंड पर उछलना शुरू कर दिया। आज अनु सिसकारिया लेते हुए अपने मुंह से कामुक आवाजें भी निकाल रही थी। अब अनु खुद ही मेरे लंड पर ऊपर नीचे हो रही थी। अनु मुझसे कहने लगी, “कम आह ऑन अनिल, आह और जोर आ से। चोदो ओ मुझे। आह आ”

अनु की कामुक सिसकियों की वजह से मै और भी जोश में उसकी चुदाई कर रहा था। कुछ देर तक ऐसे ही करने के बाद मैने वहीं एक साफ जगह देखकर अनु को नीचे लिटाया। और फिर चुदाई जारी रखी।

अनु भी मस्त होकर चुदवा रही थी। अनु मेरी पीठ में अपने नाखून गाडने लगी थी, लेकिन उस दर्द में भी आज एक मिठास थी। अब मैने भी ताबडतोड तरीके से चुदाई करना शुरू कर दिया था। मेरे तेज धक्कों की वजह से अनु अब झडने के करीब थी। तो उसने मुझसे कहा, “जल्दी करो अनिल, और अंदर डालो। मै आनेवाली हूं।”

मैने भी उसकी बात सुनकर उसको और अपने करीब लेकर धक्कों की गती को बढा दिया। अगले दस-बारा धक्कों के बाद ही अनु के साथ ही मैने भी अपना माल उसकी चुत के अंदर ही छोड दिया। हम दोनों ही एक साथ झड चुके थे, और झडने के बाद भी हम दोनों कुछ देर तक वैसे ही एक-दूसरे की बाहों में पडे रहे। थोडी ही देर में अनु ने मुझे उठाते हुए कहा, “नीचे जमीन चुभ रही है, उठो जल्दी से।”

फिर हम दोनों उठ गए, उठते ही अनु मेरे गले लग गई और बोलने लगी, “आज के लिए थैंक्स। मैने कभी नही सोचा था कि, हम इस तरह खुले में कभी सेक्स कर पाएंगे।”

इतना कहकर उसने मेरे गालों पर एक चुम्मी दे दी। और फिर हम दोनों ने ही अपने अपने कपडे पहनना शुरू कर दिया। कपडे पहनते ही हम एक बार फिर से गले लगे और फिर गाडी में बैठकर घर की तरफ चल दिए। घर पहुंचकर हमने समय देखा तो ग्यारह बज चुके थे। सबसे पहले तो हम दोनों ही फ्रेश हो गए, और फिर चेंज करके बेडरूम में आ गए।

बेडरूम में आते ही मैने अब अनु को छेडने के लिए कहा, “अब मैने तो तुम्हारी इच्छा पूरी कर दी, अब तुम्हारी बारी है, मेरी इच्छा पूरी करने की।”

इतना कहकर मैने उसकी तरफ देखते हुए आंख मार दी। तो उसने भी बडी अदा के साथ शरमाते हुए मुझसे कहा, “आप खुद ही अपनी इच्छा पूरी कर लो, आपको रोका किसने है?”

अनु ने चेंज करके एक झीनी सी नाइटी पहन ली थी, और अंदर से सिर्फ पैंटी थी। मैने गंजी और लुंगी पहनी हुई थी। अनु की बात सुनने के बाद, मैंने अनु को पकडकर अपने पास लिया। फिर उसके पीछे से होकर मै उससे चिपक कर खडा हो गया। जिस वजह से अब मेरे लंड महाशय अनु की गांड की दरार में दस्तक दे रहे थे।

अनु की गांड में जाने के खयाल मात्र से ही मेरा लौडा शायद थोडा ज्यादा ही फूल गया था। अनु ने अपने हाथ पीछे लाकर मेरे लंड पर रखते हुए कहा, “जो भी करोगे, थोडा आराम से करना। सुना है गांड मरवाने में बहुत दर्द है।”

मैने उसे समझाते हुए कहा, “थोडा दर्द तो होगा ही शुरू में, लेकिन एक बार करने के बाद फिर तो मजे ही मजे है।”

इतना कहते हुए मैने उसकी नाइटी को ऊपर उठा दिया और पैंटी के ऊपर से ही उसकी गांड के छेद को सहलाने लगा। फिर मैने अनु को बिस्तर पर बैठने को कहा, और मै किचन में चला गया। किचन में जाकर मैने फ्रिज से आइसक्रीम उठा ली, और उसे बिस्तर के बगल वाले टेबल पर रख दिया।

अनु के पास जाकर मैने सबसे पहले अनु की नाइटी को निकालकर साइड कर दिया। अनु को अपने शरीर पर बाल रखना बिल्कुल पसंद नही है, तो वो हमेशा क्लीन शेव ही रहती है। मैने अनु को पीठ के बल लिटा दिया और आइसक्रीम को लेकर उसकी चुचियों पर डाल दिया। ठंड आइसक्रीम चुचियों पर लगने से उसके निप्पल तन गए थे। फिर मैने अपने मुंह से उसके चुचियों पर लगी आइसक्रीम को साफ करना शुरू किया। मैने महसूस किया कि, यह सब अनु को बहुत उत्तेजित कर रहा है।

मैंने अब थोडा नीचे होकर उसकी नाभी में और चुत के ऊपर भी आइस क्रीम डाल दी। अब अनु अपनी कमर हिलाने लगी थी, मै अनु के बगल में बैठा था। अनु की टांगे चौडी करके अब मै उनके बीच आ गया। अनु की टांगो को उठाकर अपने कंधे पर ले लिया, जिस वजह से उसकी गुलाबी चुत बिल्कुल मेरे मुंह के पास आ गई।

अब मैने आइस क्रीम साफ करना शुरू कर दिया। अनु खुद अपनी कमर हिला-हिलाकर मुझसे अपनी चुत चटवा रही थी। थोडी देर बाद, मैने अनु को उल्टी करके लिटा दिया, और उसकी चुत के नीचे दो तकिए लगा दिए, जिससे उसकी गांड थोडी ऊपर को उठ जाए और उसकी गांड का छेद मेरे सामने खुलकर आए।

अब मैने बची हुई पूरी आइस क्रीम को अनु के चुटडों पर गिरा दिया और मै नीचे झुककर वहां से आइसक्रीम चाटने लगा। अनु की चुत अब तक गीली जो चुकी थी, और पानी बहा रही थी। तो मैने अपनी उंगली को अनु की चुत घुसा दिया और फिर उसे बाहर निकालकर अनु की गांड में डालने लगा। जिससे अनु के चुतरस से उसकी गांड को थोडी चिकनाहट मिले और उसे ज्यादा दर्द न हो। ऐसा बहुत देर तक करने के बाद मैने अपना थोडा थूक लेकर भी अनु की गांड के छेद में मल दिया। अब अनु की गांड में जाने का रास्ता भी पूरी तरह चिकना हो गया था।

मेरे इतना देर कोशिश करने के बावजूद मै अनु की गांड में सिर्फ एक उंगली ही घुसा पा रहा था। तो मैने धीरे धीरे करके एकसाथ उसकी गांड में दो उंगली घुसाने की कोशिश करने लगा। अनु की गांड बहुत कसी हुई थी, तो मुझे बहुत मुश्किल होने लगी। लेकिन कुछ देर तक प्रयास करने के बाद मै अपनी कोशिश में कामयाब हुआ। मैने कुछ देर अपनी दोनों उंगलियां उसकी गांड के छेद में अंदर बाहर की जिससे छेद थोडा खुल जाए।

अब समय आ चुका था मेरी बीवी की गांड के उदघाटन का, उससे पहले मैने उसे लंड चिकना करने के लिए कहा। तो उसने तुरंत उठकर मेरे लंड को अपने मुंह मे भर लिया और अगले ही पल मेरा लंड उसके थूक से सना हुआ था। अब मैने उसको पहले की तरह लिटाया और अपना लंड अनु की गांड के छेद पर रखकर अनु से कहा, “जान, मेरे लिए थोडा सा दर्द सहन कर लेना।”

इतना कहते ही मैने एक तेज धक्के के साथ अपने लंड को उसकी गांड में पेल दिया। पहले धक्के के साथ मेरे लंड का टोपा उसकी गांड में चला गया था। लेकिन इतने से ही अनु को बहुत दर्द होने लगा, वो चिल्लाने लगी। मुझे लंड निकालने के लिए विनती करने लगी।

मैने कुछ देर वैसे ही शांत रहकर उसको गर्म करने की कोशिश शुरू कर दी। उसके चूचों को मसलते हुए मै उसकी घुंडीयो को भी भींच रहा था। अनु भी बीच बीच मे सिसकारियां ले रही थी। कुछ देर रुकने के बाद मैने अपने लंड का दबाव बढाना शुरू किया, तो लंड उसकी गांड में अपनी जगह बनाता हुआ अंदर की ओर जा रहा था। अब मेरा आधा लंड उसकी गांड में गायब हो चुका था, तो अनु बोलने लगी, “आज के लिए इतना काफी है, बाकी बाद में करते है। अभी मुझे बहुत तेज जलन हो रही है, उसे बाहर निकाल लो।”

मुझे पता था कि, अगर आज यह मौका हाथ से छूटा तो फिर कभी नही मिलनेवाला। तो मैने उसे प्यार से समझाते हुए एक और धक्के के साथ अपना पूरा लंड ही उसकी गांड में उतार दिया। मैने अनु के मुंह पर अपना हाथ रखा और अपने धक्के जारी रखे। उसकी गांड कसी हुई होने से मुझे लंड को अंदर बाहर करने में बहुत तकलीफ हो रही थी। और अनु का भी दर्द से बुरा हाल था। लेकिन फिर भी वो मेरे लिए सब सहन कर रही थी।

कुछ देर बाद मेरे लंड ने उसकी गांड में अपनी जगह बना ली और अब अनु भी अपनी कमर हिलाने लगी थी। इसका मतलब अनु का दर्द भी चला गया था। अब अनु भी मजे से अपनी गांड मरवा रही थी।, मैने अपने हाथ बढाकर उसकी चुचियां पकड ली, और उन्हें दबाते हुए अनु की गांड को चोदने लगा। मै कुछ देर में ही झडने के करीब था, और तेज धक्के मारने के बाद मैने अपने वीर्य को अनु की गांड में ही भर दिया।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी हमे जरूर बताइए। धन्यवाद।

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नमस्कार मित्रों मै अनिल आज आपके सामने अपने जीवन की एक सच्ची कहानी लेकर आया हूं। कहानी शुरू करने से पहले मै आपको अपन....

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम अजय है, मै लखनऊ का रहनेवाला हूं. इस कहानी में पढिए, किस तरह से हम मेरे लिए लडकी देखने गए और मुझ...
01/01/2020

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम अजय है, मै लखनऊ का रहनेवाला हूं. इस कहानी में पढिए, किस तरह से हम मेरे लिए लडकी देखने गए और मुझे उसी से चुत चुदाई का मौका मिल गया.

मै आज आप सबके सामने अपने जीवन की एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूं. यह कहानी पिछले साल की है, तब मेरी उम्र 28 साल थी, और घर मे मेरी शादी की बातें चलने लगी थी. घरवालों ने लडकियां भी देखना शुरू कर दिया था.

मै सबसे पहले आपको मेरे बारे में बता देता हूं, मेरी हाइट ५ फुट ११ इंच है. मै रोज जिम जाता हूं, जिस वजह से मेरा बदन भी भरा हुआ और मजबूत है. डोले शोले भी अच्छे खासे है.

अब आपका अधिक समय बर्बाद न करते हुए मै सीधे कहानी पर आता हूं. तो हुआ यूं कि, मेरी शादी के लिए घरवालों ने लडकियां देखना शुरू कर दिया था.

अब तक मुझे भी एक-दो लडकियों की तस्वीरें दिखाई जा चुकी थी. लेकिन मैने यह फैसला अपने माता-पिता पर ही छोड दिया. तो एक दिन उन्होंने मुझसे कहा, “हमे कल लडकी देखने जाना है, तो ऑफिस से छुट्टी ले लेना.”

मैने भी ठीक है कहकर ऑफिस से अगले दिन की छुट्टी ले ली. अगले दिन ठीक समय पर हम लोग घर से निकल गए. हमारे साथ बुआ, चाचा और चाची भी थे.

हम सब मिलकर लडकी देखने गए, वहां जाकर फिर बातें होने लगी. अब तक लडकी हमारे सामने आई नही थी. मेरे घरवालों ने लडकी की तस्वीर देख ली थी, लेकिन मैने नही देखी थी.

फिर कुछ देर बाद, जिसे हम देखने के लिए आए थे, वो लडकी हमारे लिए खाने के लिए लेकर आई. उस लडकी को देखते ही मै देखता ही रह गया. इसे मै पहले से ही जानता था, इसका नाम अश्विनी था.

यह मेरे कॉलेज में पढती थी, और मेरे एक दोस्त के साथ इसका अफेयर भी चला था. मुझे देखकर उसके भी होश उड गए, लेकिन उसने वहां अपने चेहरे पर डर दिखने नही दिया.

खैर जैसे तैसे करके हम वापस घर आ गए, तो घरवालों ने मुझसे लडकी के बारे में पूछना शुरू कर दिया. मैने उनसे कुछ समय मांगकर थोडी देर के लिए वह बात छोड दी.

रात को मै खाना खाकर सोने के लिए अपने कमरे में गया, तब मुझे एक अनजान नंबर से फोन आया. मैने फोन उठाया, तो उधर से अश्विनी बात कर रही थी.

उसने मुझसे कल बाहर मिलने के लिए कहा. मुझे समझ नही आ रहा था कि, क्या हो रहा है? तो मैने भी हां कर दी.

मिलने के लिए अश्विनी ने शहर से बाहर एक रेस्टॉरेंट ढूंढा, और मुझे भी वहीं आने के लिए बोल दिया. तय समय पर मै वहां जा पहुंचा, तो वह वहां पहले से ही मेरा इंतजार कर रही थी.

मेरे वहां जाते ही वो उठकर मेरे पास आई और मुझसे कहा, “बात करने के लिए यह जगह ठीक नही, कहीं ऐसी जगह चलते है, जहां और कोई न हो.”

तो मै उसे शहर के बाहर जहां से एक नदी गुजरती है, वहां ले गया. आम तौर पर वहां दोपहर को कोई नही आता था. वहां जाकर बैठते ही उसने सुबकते हुए रोना शुरू कर दिया.

मुझे समझ ही नही आया कि, उसे अचानक क्या हुआ, जो उसने इस तरह से रोना शुरू कर दिया. मै उसे रोने का कारण पूछने लगा, थोडी देर तक वो कुछ नही बोली.

लेकिन फिर उसने मेरी तरफ मुडते हुए मुझसे कहा, “तुम तो जानते हो मै और आकाश रिलेशनशिप में थे, लेकिन जैसे ही घरवालों ने शादी की बात की, उसने मुझे सीधे मना कर दिया. अब तुम तो मेरे साथ शादी नही करोगे, लेकिन हो सके तो किसी को हमारे बारे में मत बताना.”

इतना कहकर वो अपने आंसू पोछने लगी. मैने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, “तुम एकदम निश्चिंत रहो, किसी को कुछ पता नही चलेगा. मैने अभी तक सोचा नही तुम्हारे लिए हां कर दूं या नही, तुम बताओ तुम्हे क्या लगता है?”

मेरे ऐसे सवाल पूछने पर वो मेरे पास आकर मेरे गाल पर अपना एक हाथ रखते हुए कहने लगी कि, “जो तुम्हे ठीक लगे मेरे राजा.”

फिर उसने अपना दूसरा हाथ मेरी जांघ पर रख दिया, अब मुझे लगा कि, वो मुझे आगे बढने के लिए हरी झंडी दिखा रही है. तो मैने भी उसको अपने पास खींचते हुए उसे गले लगा लिया.

उसने मेरा कोई विरोध नही किया, उल्टा वो भी मेरे बालों में और पीठ पर अपने हाथ फेरने लगी. कुछ देर आलिंगनबद्ध रहने के बाद मैने उसे अलग करते हुए उससे पूछा, “क्या तुम तैयार हो?”

उसने मेरी ओर देखते हुए बस अपनी आंखे मूंद ली. उसके आंखे बंद करते ही मैने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए.

उसके मुलायम से होंठो को मै अब चूसते हुए अपने हाथों को उसके बदन पर घुमा रहा था. वो भी अब पूरी तरह से मजे के मूड में आ चुकी थी.

अश्विनी भी अब आगे बढकर मेरे लंड को पैंट के ऊपर से ही दबाने लगी थी. उसकी इस हरकत की वजह से मुझमे और जोश आ गया, और अब मै और जोर जोर से उसके होठों का रसपान करने लगा.

कुछ देर बाद मैने उसके होठों को छोडकर कपडों के ऊपर से ही उसके स्तनों को अपनी हथेली में भर लिया. उसके स्तनों को छूते ही उसके मुख से एक हल्की सी आह निकल गई.

मैने भी धीरे धीरे उसके स्तनों को मसलना शुरू कर दिया था और वो मेरे लौडे को अब पैंट के बाहर निकालने की कोशिश में लगी हुई थी.

मेरा लंड अब तक अपने पूरे आकार में आकर तांडव मचाने के लिए तैयार बैठा था. मेरा लंड अपने पूरे आकार में होने की वजह से अश्विनी मेरे लंड को पैंट के बाहर निकाल नही पा रही थी.

अब मुझसे भी कंट्रोल नही हो रहा था, तो मैने उठकर अपनी पैंट निकाल दी. फिर उसके हाथ को लेकर अपने अंडरवियर में डाल दिया.

अब वो मेरे लौडे के साथ खेलने लगी. मैने भी अब उसकी कुर्ती को ऊपर उठाकर अपना हाथ उसके पेट पर रख दिया.

मैने जैसे ही अपना हाथ उसकी चुचियों पर ले जाने की कोशिश की, तो उसकी कुर्ती टाइट होने की वजह से नही ले जा पाया.

अब हम दोनों की नजरें मिली, और अगले ही पल उसने खुद ही अपनी कुर्ती उतारकर बगल में रख दी. हम दोनों ही जानते थे कि, इस वक्त यहां कोई नही आनेवाला तो हम दोनों ही इस मामले में बेफिकर थे.

उसके कुर्ती उतारते ही मैने अपने हाथ से उसकी ब्रा को नीचे खिसका दिया और अपना मुंह सीधा ले जाकर उसकी चुचियों की घुंडीयो पर रख दिया. अब मै मदहोश होकर उसकी चुचियों को निचोडते हुए चूस रहा था.

कुछ देर उसकी चुचियां चूसने के बाद, मैने अपना हाथ उसकी तपती हुई चुत पर रख दिया. अश्विनी भी पीछे नही थी, उसने अब तक मेरे लंड को अपने हथेली में भरकर मुठिया रही थी.

उसकी सलवार के नाडे को मैने एक झटके में खोल दिया, और अगले ही पल वो बस पैंटी में अपनी चुत छिपाए मेरे पास थी.

मैने पहले तो अपना सर झुकाकर उसकी चुत की खुशबू को सूंघ लिया, और फिर उसके बालों में अपना हाथ घुसाकर उनके मुंह को अपने लंड पर दबा दिया.

उसने भी बिना कोई हिचकिचाहट के मेरे लंड को अपने मुंह मे भर लिया और चूसने लगी. मैने भी उसे घुमा लिया ताकि मै भी उसकी चुत का स्वाद चख पाऊं.

कुछ देर तक एक दूसरे को मुंह से खुश करने के बाद, मैने उसे सीधी करके लिटा दिया, और खुद उसके ऊपर आ गया.

अश्विनी ने खुद मेरे लंड को अपनी चुत का रास्ता दिखाया, और मैने एक जोर के झटके के साथ अपने लंड को उसकी चुत में डाल दिया. वो पहले से ही काफी बार चुदी होने के कारण उसे कुछ खास दर्द नही हुआ.

अब जैसे ही मै ऊपर से एक धक्का मारता, वो नीचे से अपनी गांड उचका देती. मेरे हर एक धक्के का जवाब दे रही थी वो.

कुछ देर तक इसी तरह उसकी धकमपेल चुदाई करने के बाद, हम दोनों एकसाथ ही झड गए. मैने अपना सारा माल उसकी चुत में गिराने की बजाय उसके पेट पर उडेल दिया.

फिर अपने शरीर को साफ करके हम दोनों वहां से निकल गए. मैने पहले उसको उसके घर छोड दिया और फिर खुद अपने घर आ गया. अब हम दोनों पती-पत्नी है, और हंसी खुशी जीवन बिता रहे है.

आपको यह कहानी कैसी लगी, कमेंट करके जरूर बताइए. धन्यवाद.

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नमस्कार दोस्तों मेरा नाम अजय है, मै लखनऊ का रहनेवाला हूं. इस कहानी में पढिए, किस तरह से हम मेरे लिए लडकी देखने गए और म.....

नमस्कार मित्रों मेरा नाम अजय सक्सैना है मैं आज आपके सामने एक कहानी लेकर आया हूं। जो कि मेरे बचपन की है इस कहानी में आप प...
01/01/2020

नमस्कार मित्रों मेरा नाम अजय सक्सैना है मैं आज आपके सामने एक कहानी लेकर आया हूं। जो कि मेरे बचपन की है इस कहानी में आप पढ़िए कैसे मैंने अपने गर्लफ्रेंड की सेक्सी चुदाई की।

यह कहानी तब की है जब मैं अपनी पहली रिलेशनशिप में था। अब आपका ज्यादा समय न लेते हुए मै सीधे कहानी पर आता हूं।

मेरी प्रेमिका का नाम अंजली है, उसका रंग दूध सा साफ है। अंजली का फिगर भी मस्त है, जिसे देखकर किसी का भी लंड खडा हो जाए।

अंजली के ३२ बी साइज के चुचे एकदम कडक है, जिसे सब घूरते रहते है। अंजली चलते वक्त पीछे से उसकी ३४ की गांड एकदम मस्त मटकती है। अंजली की पतली कमर तो और भी सेक्सी थी, उसकी कमर को देखकर मुझे दिशा पताणी की याद आ जाती है।

मेरे कॉलेज में भले ही सबको हमारी रिलेशनशिप के बारे में पता है, लेकिन फिर भी मेरे पीठ पीछे सारे अंजली के बारे में सेक्सी बातें करते रहते है। और करेंगे भी कैसे नही, अंजली है ही इतनी कडक माल।

अंजली और मै पिछले छह महीने से एक साथ थे। हम दोनों ही एक दूसरे को सही से समझते थे, वो भी मेरा बहुत खयाल रखती थी। कुछ ही दिनों में वैलेंटाइन डे आने वाला था।

जैसे कि आप सब जानते हो, वैलेंटाइन डे मतलब आशिकों का त्यौहार होता है। हम दोनों ने वैलेंटाइन डे पर घूमने जाने का प्लान बनाया।

आखिर में हमने तय कीया कि, हम दोनों पास के कोई हिलस्टेशन चलते है। अब तक हम दोनों ने सेक्स के अलावा बाकी सब कर लिया था। और सेक्स करने की हमे कोई जल्दी भी नही था, या किसी के मन मे वैसा कोई खयाल भी नही था।

लेकिन उस दिन हम दोनों के बीच सब कुछ हो गया। तो हम दोनों ही तय समय पर सुबह सुबह एकसाथ हिलस्टेशन के लिए निकले।

दिनभर हम दोनों घूमते रहे, आसपास की सारी जगह देखने के बाद रात को हमे खाना खाकर वापस घर के लिए निकलना था। हम दोनों खाना खाने के लिए एक रेस्टोरेंट में गए।

वहां से खाना खाकर निकलने में हमे देर हो गई, और इसी बीच हमारी गाडी भी छूट गई। हमने दूसरी कोई गाड़ी के लिए देखा, लेकिन उस समय और कोई भी गाडी नही मिली।

आखिरकार हम दोनों ने वह रात किसी होटल में गुजारने की ठान ली। और ऑनलाइन ही एक अच्छे होटल में एक कमरा बुक कर लिया। फिर वहां से हम सीधे होटल में चले गए।

दिनभर घूमने की वजह से हम दोनों ही काफी थक चुके थे। कमरे में घुसते ही मै तो सीधे जाकर बिस्तर पर लेट गया। अंजली बाथरूम में जाकर फ्रेश होने लगी, वापस आकर उसने मुझे भी फ्रेश होने के लिए कहा।

लेकिन मेरे आलस की वजह से मैने उसे मना कर दिया तो वो कहने लगी, “तुम्हारे लिए आज एक सरप्राइज है, जल्दी से फ्रेश होकर आ जाओ।”

उसकी बात सुनकर मै भी फ्रेश होने के लिए बाथरूम में घुस गया। जल्दी से फ्रेश होकर बाहर आया, तो मै बस अंजली को देखता ही रह गया। अंजली ने एक सेक्सी सी ट्रांसपरेंट नाइटी पहनी थी।

उसके नाइटी के ऊपर से ही उसकी ब्रा और पैंटी का पता चल रहा था। आज शायद अंजली के मन मे कुछ और ही चल रहा था, तभी वो इतनी हॉट बनकर बिस्तर पर मेरे आने का इंतजार कर रही थी।

उसे देखकर मै वहीं रुककर उसे देखने लगा था। तो अंजली ने मुझसे कहा, “अब पास भी आओगे, या वहीं से खडे खडे देखते रहोगे।”

तब जाकर मै उसके पास जाकर बिस्तर पर बैठ गया। मैने बिना कुछ बोले सीधा अंजली के होठों पर अपने होंठ रख दिए, और उसे बेतहाशा चूमने लगा।

लेकिन थोडी ही देर में उसने मुझे खुद से अलग करते हुए कहा, “थोडा तो सब्र करो मेरे राजा, आज यह अंजली पूरी की पूरी तुम्हारी है।”

इतना बोलकर उसने मुझे अपने और पास खींच लिया। हम दोनों ही अभी बिस्तर पर बैठे हुए थे, अंजली मेरे सामने बैठे हुए मेरे सीने पर अपना सर रखी हुई थी।

मैने अपने दोनों हाथ उसके बगल से ले जाकर उसके सीने पर रख दिए थे। वो भी आज मेरी किसी बात का विरोध नही कर रही थी। तभी मैने धीरे से अपना एक हाथ अंजली के चूची पर रख दिया और उसे हल्के से सहलाने लगा।

आज तो अंजली भी मस्त मूड में थी। उसने भी तुरंत पीछे अपना हाथ लाकर मेरे सीने पर घुमाना शुरू कर दिया। उसकी इस हरकत को देखकर तो मैने और बेशर्म बनते हुए अपने दोनों हाथ उसकी चुचियों पर रख दिए और उन्हें मसलते हुए मसाज देने लगा।

मेरे चुचियां मसलने की वजह से बीच बीच मे अंजली के मुंह से आह निकल जाती। कुछ देर ऐसे ही बैठे बैठे उसकी चुचियां मसलने के बाद, मैने अंजली को वहीं बिस्तर पर लिटा दिया।

खुद जाकर उसके बगल में लेट गया। अब तक मैं उसकी चुचियों को कपडों के ऊपर से ही मसल रहा था, लेकिन अब मैने उसकी नाइटी निकालने की सोची।

मै उसकी नाइटी निकाल ही रह था, तो उसने भी अपने बदन को हल्का सा ऊपर उठाते हुए मेरी सहायता की। उसकी नाइटी को निकालने के बाद मैने भी अपनी शर्ट और पैंट निकाल दी।

अब मै सिर्फ अपनी चड्डी पहने हुए था। अब तक उसके दूध मसलने की वजह से मेरी चड्डी में लंड का साफ पता चल रहा था। मेरे पैंट उतारते ही अंजली की नजर मेरे लंड पर चली गई।

वो बिना अपनी पलके झपकाए मेरे लंड को घूरने लगी थी। तो मैने उसके पास जाकर उसका हाथ लेकर अपने लंड पर रख दिया। पहली बार तो उसने झट से अपना हाथ वहां से हटा लिया, लेकिन दूसरी बार वहीं रहने दिया।

अब मैने भी उसकी ब्रा को निकालकर उसके चुचियों को आजाद कर दिया। उसकी चुचियां क्या मस्त थी, और उसके हल्के भूरे रंग के निप्पल। उन्हें देखकर मेरा उसे खा जाने का मन किया।

तो मैने उसके एक दूध को अपने हाथ से मसलते हुए दूसरे को अपने मुंह मे भर लिया। अब वो भी मस्त होकर मेरे लंड को सहला रही थी।

कुछ देर उसकी चुचियां चूसने के बाद, मैने धीरे से अपना एक हाथ ले जाकर उसकी चुत के ऊपर रख दिया, और उसके चुत के दाने को ढूंढने लगा। अब तक हम दोनों पर ही हवस हावी हो चुकी थी।

कुछ देर उसकी चुत रगडने के बाद, उसने मेरी चड्डी के अंदर हाथ डालकर मेरे लंड को बाहर निकाल लिया। उसकी इस हरकत को देखकर मैने भी उसकी पैंटी को निकाल दिया, और सीधे उसके ऊपर आ गया।

अब हम दोनों में से कोई भी बात नही कर रहा था। मैने बस एक बार उनकी आंखों में देखते हुए उनके होंठ चुम लिए, और फिर अपने लंड को पकडकर उसकी चुत पर रख दिया।

लंड को उसकी चुत पर रखते ही उसने नीचे से अपनी कमर उठाकर धक्का मारा, लेकिन मेरा लंड फिसलकर बाहर आ गया।

तो मैने फिर से अपने लौडे को उसकी चुत के द्वार पर रख दिया और एक हल्का सा धक्का लगाते ही मेरे लंड का टोपा उसकी चुत के अंदर था। यह हम दोनों का पहली बार था, तो लंड अंदर जाते ही दोनों को ही थोडा दर्द हुआ, लेकिन कुछ देर रुकने के बाद, दर्द कम हो गया।

मैने और एक धक्का लगाकर अपने आधे लंड को उसकी चुत में उतार दिया, तब जाकर उसकी झिल्ली फट गई। उसकी झिल्ली फटते ही, वो जोर से चिल्लाने को हुई लेकिन मैने उसका मुंह बंद कर दिया।

कुछ देर उसकी चुचियां सहलाकर उसका ध्यान दर्द से हटा दिया और फिर से मैने अब अपना काम चालू कर दिया। उसे कुछ देर तक दर्द हुआ, लेकिन उसके बाद तो वो भी अपनी कमर हिलाकर मजे से चुदवा रही थी।

कुछ देर धकमपेल चुदाई करने के बाद, हम दोनों ही निढाल होकर एक दूसरे के आगोश में पडे रहे। कुछ देर आराम करने के बाद, अंजली का फिर से मन करने लगा था।

तो हमारे बीच चुदाई का एक और दौर चला, जो पहली चुदाई से थोडा और मजेदार था। दोनों ही बार मैने अपना माल उसकी चुत के अंदर ही छोड दिया। और फिर हम दोनों एक-दूसरे के आगोश में ही सो गए।

अगले दिन निकलने से पहले मैने उसे कुछ दवाइयां दी, जिससे गर्भ ना ठहरे। और फिर तो हमे जब भी मौका मिलता, हम दोनों चुदाई करते।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी, यह हमें कमेंट करके जरूर बताइए। धन्यवाद।

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नमस्कार मित्रों मेरा नाम अजय सक्सैना है मैं आज आपके सामने एक कहानी लेकर आया हूं। जो कि मेरे बचपन की है इस कहानी में .....

सभी पाठकों को मेरी तरफ से प्रणाम। आज आपके सामने मै अपनी और अपने पडोसी की कहानी लेकर आई हूं। उम्मीद करती हूं कि, आप सभी क...
01/01/2020

सभी पाठकों को मेरी तरफ से प्रणाम। आज आपके सामने मै अपनी और अपने पडोसी की कहानी लेकर आई हूं। उम्मीद करती हूं कि, आप सभी को मेरी यह कहानी पसंद आएगी।

कहानी शुरू करने से पहले मै आप सभी को अपने बारे में बता देती हूं। मेरा नाम श्वेता है, मेरी शादी को तीन साल हो चुके है। और मै एक बच्चे की मां भी हूं।

पिछले साल ही मैने एक बेटे को जन्म दिया है, जिसका नाम हमने सुनील रखा है। मेरे पतीदेव मुझे पूरी तरह से खुश रखते है।

शादी के बाद, दो साल तक हम दोनों लगभग रोज ही चुदाई करते थे। लेकिन कुछ महीनों से मेरे पतीदेव पर ऑफिस में काम का कुछ ज्यादा ही बोझ आने लगा था।

जिस कारण से वो घर आते आते बहुत थक जाते थे, इसी कारण की वजह से पिछले कुछ महीनों में हमने बहुत कम बार संभोग किया है। मेरे पतीदेव के नौकरी की वजह से हम शहर में एक घर किराए पर लेकर रहते थे।

हालांकि गांव में हमारा अपना घर है। अभी जहां हम रहते है, वहां पडोस में एक और परिवार भी रहता था। उस परिवार में सिर्फ दो लोग ही रहते थे, मतलब सिर्फ मिया बीबी ही।

उनकी अभी नई नई शादी हुई थी, और उनकी अब तक कोई संतान नही थी। सीता नाम था उस औरत का, और उसके पतीदेव का नाम अरुण था।

अक्सर दोपहर में सीता हमारे घर मे आ जाय करती थी, फिर हम दोनों बैठकर बातें करते रहते। कभी मै अपने बच्चे को लेकर उसके घर जाती।

अरुण की नजर मुझे शुरू से ही कुछ अजीब सी लगती थी, लेकिन उन्होंने कभी कोई गलत इशारा या हरकत नही की, तो मैंने कभी अपनी आपत्ति नही जताई। अरुण भी अपने ऑफिस से आने के बाद, सुनील को देखने के बहाने हमारे घर आते रहते थे।

थोडी देर सुनील के साथ रहकर उसके साथ खेलकर फिर चले जाते थे। अभी कुछ दिन पहले, सीता के भाई की शादी थी। तो सीता को उसके मायके जाना था, शादी अपने घर मे थी तो वो कुछ दिन पहले से जाकर तैयारियां करना चाहती थी।

शादी से दो हफ्ते पहले ही सीता अपने मायके चली गई। जाने से पहले वो मुझसे कह गई, “रात में अरुण के लिए खाना बना दिया करूं।”

मुझे कोई दिक्कत नही थी, तो मैने भी हां कर दिया। अब सीता के जाने के बाद, अरुण ऑफिस से आकर पहले फ्रेश होकर अपने कपडे बदल लेते और फिर सुनील से खेलने के लिए आ जाते।

तो रात का खाना खाकर ही जाते थे। रात का खाना मै उन्हें अपने पतीदेव के साथ ही देती थी। दो दिन बाद ही मेरे पतीदेव को भी अपने काम के सिलसिले में तीन दिन के लिए बाहर जाना पडा।

अब मेरे घर मे मै और मेरा बच्चा बचे थे, और पडोस में अरुण जी। मेरे पति के जाने के बाद, अरुण जी मुझसे अपनी नजदीकियां बढाने की कोशिश करने लगे थे।

लेकिन मै उन पर अधिक ध्यान न देकर सबको अनदेखा कर रही थी। अगले दिन अरुण जी ने अपने काम से छुट्टी ले ली, और पूरा दिन मेरे घर मे सुनील के साथ रहने का प्लान बनाया।

उस दिन वो सुबह मेरे उठने से पहले ही हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रहे थे। मै उस वक़्त नाइटी में थी, मेरे बाल बिखरे हुए थे। मैने दरवाजा खोला तो सुबह सुबह ही उनको अपने घर मे देखकर मै अचंभित हो गई।

मुझे देखकर वो बोले, “भाभी जी आप यूंही सजती सवरती है, बिना सजे धजे ही आप असली खूबसूरत लग रही हो।”

सुबह सुबह आने का कारण पूछा, तो उन्होंने कहा, “आज मेरी छुट्टी है, तो दिनभर घर पर ही हूं।”

अभी भी वो मेरी नाइटी के अंदर अपनी नजर घुसाने की कोशिश कर रहे थे। मुझे देखकर वो अक्सर अपना लंड मेरे सामने ही मसल देते थे।

आज भी उन्होंने वैसे ही मेरे सामने पैंट के ऊपर से ही अपना लंड पकडकर मसलने लगे। तो मैने शरारत में उनसे कहा, “क्या हुआ, भाईसाहब लगता है, किसी की याद आ रही है?”

इतना कहकर मै हंसते हुए घर के अंदर आ गई। मेरे पीछे पीछे अरुण जी भी अंदर आ गए। वो भी बेशर्मी के साथ मुझे कहने लगे, “हां अब याद तो आएगी ही ना भाभी जी, एक हफ्ता हो गया उसकी लिए। मेरा भी तो मन करता है।”

उनके मुंह से इतनी स्पष्ट तरीके से बात सुनकर मै चुप सी हो गई। मुझे चुप देखकर वो मेरे पास आकर खडे हो गए और मेरे कंधे पर अपना हाथ रख दिया। उनके इस स्पर्श से मेरे पूरे बदन में सनसनाहट सी दौड गई।

जब मैने उन्हें कुछ नही कहा तो शायद उन्होंने इसको मेरी स्वीकृति समझकर पीछे से मुझे अपनी बाहों में भर लिया। मै भी बहुत दिनों से चुदाई की प्यासी थी। अब उनका लंड पीछे से मेरी गांड की दरार में रगड खा रहा था।

मैने उन्हें रोकने के लिए उनसे दूर होते हुए कहा, “यह आप क्या कर रहे हो भाईसाहब, यह ठीक नही है। किसी को पता चला तो मेरी तो बदनामी हो जाएगी।”

इस पर उन्होंने कहा, “भाभी जी हम दोनों ही प्यासे है, एक-दूसरे की जरूरतें पूरी कर रहे है। किसी को कुछ पता नही चलेगा।”

इतना कहकर उन्होंने मेरे बालों में अपना हाथ घुसाकर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मै उन्हें रोकना चाहती थी, लेकिन मेरा मन नही मान रह था।

कुछ देर होंठ चूसने के बाद, उन्होंने वहीं किचन में ही मेरी नाइटी को ऊपर उठाना शुरू कर दिया। मैने मना किया तो अरुण जी ने कपड़ों के ऊपर से ही मेरी चुचियों को मसलना शुरू कर दिया।

दूसरे हाथ से उन्होंने मेरा हाथ लेकर अपने लंड पर रख दिया। उनका लंड काफी मोटा महसूस हुआ मुझे, जिसकी वजह से मै खुद को रोक नही पाई।

मैने खुद उनकी पैंट उतारना शुरू कर दिया, और अगले ही पल उनके नग्न हो चुके लौडे को अपने हथेली में भर लिया। कुछ ही देर में उन्होंने भी वहीं किचन में मुझे पूर्ण रूप से नंगी कर दिया।

अब हम दोनों ही नग्न अवस्था मे एक दूसरे की बाहों में थे। अगले ही पल अरुण जी नीचे घुटनो के बल बैठ गए, और अपना मुंह मेरी चुत पर रख दिया।

अरुण जी ने पहले तो मेरी चुत के होठों को अपने होठों में लेकर मसलना शुरू कर दिया, और फिर अपनी जीभ से मेरी चुत को चोदने की कोशिश करने लगे।

अब तक मेरी चुत भी गीली हो चुकी थी, तो अरुण जी ने मुझे वहीं किचन में टेबल पर झुकाकर कुतिया बना दिया। अब मेरी चुत पीछे से उनके सामने थी, तो वो पीछे आकर अपने लंड को मेरी चुत पर रखकर एक हल्का सा धक्का मार दिया।

हांलाकि मेरे पतीदेव ने मेरी चुत चोदकर भोसडा बना दिया था, लेकिन पिछले कुछ महीनों से अनचुदी होने के कारण मेरी चुत थोडी टाइट हो गई थी।

अरुण जी का लंड चुत में जाते ही थोडा सा दर्द हुआ, तो मेरे मुंह से सिसकारी निकल गई। अगले ही पल अरुण जी ने मेरे ऊपर झुककर मेरे दोनों स्तन अपनी हथेली में पकड लिए और एक तेज धक्के के साथ अपना पूरा लंड मेरी चुत में पेल दिया।

अब वो मेरे दूध मसलने के साथ ही मेरी चुत का बाजा भी बजा रहे थे। हर धक्के के साथ उनका लंड मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा था। कुछ ही देर में मेरी चुत में हलचल मचने लगी, और मेरी चुत ने पानी छोड दिया।

मेरा हो गया है, पता चलते ही अरुण जी ने भी ताबडतोड तरीके से चुदाई करते हुए मेरी चुत में ही अपना वीर्य भर दिया।

उसके बाद अगले दो दिन तक अरुण जी ने काम से छुट्टी ले ली, और मेरे घर मे ही रहकर मेरी जमकर चुदाई की। मेरे घर का कोई भी ऐसा कोना नही बचा था, जहां हम दोनों ने चुदाई का मजा नही लिया हो।

मेरे पतीदेव आने के बाद, हमे चुदाई के मौके ढूंढने पडते थे, और जब भी मौका मिला हम लग जाते थे चुदाई में।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी, यह हमें कमेंट में बताइए। धन्यवाद।

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