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Ahir's Of Bihar बिहार से जुड़ा इतिहास एवं संस्कृति

कुछ दिन पहले राजद के राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने अहीर रेजिमेंट की मांग को सदन में उठाया था और अब राजद टीम द्वारा सोश...
13/02/2022

कुछ दिन पहले राजद के राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने अहीर रेजिमेंट की मांग को सदन में उठाया था और अब राजद टीम द्वारा सोशल मीडिया पर भी आवाज बुलंद किया जा रहा।

धन्यवाद राजद ❤️

अहीर रेजिमेंट हक़ है हमारा
जय हिंद ।।

सोशल मीडिया पर Active तमाम अहीरों से निवेदन है कि थोड़ा समय निकाल कर Twitter पर आए और   को Trend करवाने में सहयोग करें।ट्...
13/02/2022

सोशल मीडिया पर Active तमाम अहीरों से निवेदन है कि थोड़ा समय निकाल कर Twitter पर आए और को Trend करवाने में सहयोग करें।

ट्वीट में #अहीर_रेजिमेंट_हक़_है_हमारा इस हैशटैग का भी इस्तेमाल करें।

जय श्री कृष्ण ।। 🙏

आप सभी से निवेदन है कि आगे आइये और अगर खेड़की दौला नही पहुँच सकते तो कम से कम सोशल मीडिया के माध्यम से आवाज़ उठाइये और राज...
06/02/2022

आप सभी से निवेदन है कि आगे आइये और अगर खेड़की दौला नही पहुँच सकते तो कम से कम सोशल मीडिया के माध्यम से आवाज़ उठाइये और राज्य के लोगों को जागरूक कीजिये।

अहीर रेजिमेंट हक़ है हमारा ।।

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Jai Dada Bir Kuar 🙏

केपी महाविद्यालय (मुरलीगंज) के संस्थापक एवं संविधान सभा के सदस्य बाबू कमलेश्वरी प्रसाद यादव -वो कमलेश्वरी बाबू ही थे जिन...
07/01/2022

केपी महाविद्यालय (मुरलीगंज) के संस्थापक एवं संविधान सभा के सदस्य बाबू कमलेश्वरी प्रसाद यादव -

वो कमलेश्वरी बाबू ही थे जिन्होंने सहरसा, मधेपुरा, पटना के पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए लोगों को प्रेरित कर स्कूल और कॉलेज खोलने का अनुरोध किया। उनके अनुरोध पर बहुत सारे स्कूल और कॉलेज खोले गए।

जिस समय की शिक्षा का इतना प्रचार प्रसार नहीं था उस समय कमलेश्वरी बाबू ने कोसी क्षेत्र के बड़े-बड़े यादव जमींदारों से शिक्षा के लिए जमीन दान मांगा। लोगों में शिक्षा की ज्योति जलाने वाले कमलेश्वरी प्रसाद यादव ने इस क्षेत्र में केपी महाविद्यालय की स्थापना की थी।

कमलेश्वरी प्रसाद यादव मूलतः मधेपुरा जिले के चतरा निवासी थे, कमलेश्वरी बाबू चतरा (मधेपुरा) के जमींदार बाबू राम लाल मंडल के पुत्र थे। जिनका परिवार मधेपुरा के प्रतिष्ठित परिवारों में था। कमलेश्वरी बाबू पटना विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र और बीएचयू से हिंदी में डबल एमए किए थे। वे पटना विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री भी प्राप्त किए थे।

बाबू कमलेश्वरी प्रसाद यादव संविधान सभा के लिए खगड़िया क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे। 1952 के बिहार विधान सभा चुनाव में कमलेश्वरी बाबू उदा-किशनगंज क्षेत्र से विधायक बने और क्षेत्र के समस्याओं को पूरी जिम्मेदारी के साथ उठाये। इस समय 1952 में मधेपुरा के विधायक मुरहो स्टेट के यादव शिरोमणि राजा रासबिहारी लाल मंडल के सबसे छोटे सुपुत्र बाबू बीपी मंडल थे। कमलेश्वरी बाबू फिर 1972 में भी निर्वाचित हुए।

पहले ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय और अब बीएन मंडल विश्वविद्यालय में कमलेश्वरी प्रसाद कॉलेज आज भी शिक्षा से उनकी स्मृति के जुड़ाव को दर्शाता है। 1902 के लगभग में जन्म लिए बाबू कमलेश्वरी प्रसाद मंडल की मृत्यु 15 नवम्बर, 1989 को हुई।

केपी महाविद्यालय हर वर्ष इनका जयंती समारोह धूमधाम से मनाता हैं। शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना एवं शिक्षा के क्षेत्र में कमलेश्वरी बाबू द्वारा किए गए कार्यो को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।

मधेपुरा के लाल, यदुकुल गौरव बाबू कमलेश्वरी प्रसाद यादव जी को शत शत नमन।

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जय माधव ।। 🙏

Ahirs Of India :The Ahir community is, perhaps the single largest community in India. They are not restricted to any par...
02/01/2022

Ahirs Of India :
The Ahir community is, perhaps the single largest community in India. They are not restricted to any particular region but inhabits almost all part of the country. There are, however, a few pockets in Haryana (Ahirwal), Western Uttarpradesh (U.P) and Central & Northern Bihar where they predominate.

Soon we will make a detailed post on Bihari Ahirs.

Jai Shree Krishna 🙏
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सीआरपीएफ के एसआई उमेश चंद्र राय ड्यूटी के दौरान स्टीफन नामक कुक द्वारा किये गए जानलेवा हमला में शहीद हो गए।शत शत नमन 🙏😥
28/12/2021

सीआरपीएफ के एसआई उमेश चंद्र राय ड्यूटी के दौरान स्टीफन नामक कुक द्वारा किये गए जानलेवा हमला में शहीद हो गए।

शत शत नमन 🙏😥

16 दिसंबर को बीएसएफ के शिवजी यादव जम्मूकश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते हुए घायल हो थे जिसके बाद 24 दिसंबर इलाज के दौरान...
27/12/2021

16 दिसंबर को बीएसएफ के शिवजी यादव जम्मूकश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते हुए घायल हो थे जिसके बाद 24 दिसंबर इलाज के दौरान वो जिंदगी से जंग हार गए।

वीर अहीर शिवजी यादव जी को शत शत नमन।
जय दादा किशन 🙏

महान स्वतंत्रता सेनानी, यदुकुल गौरव स्व. बाबू अक्षयवट राय जी की जयंती विशेष - आज ही के 22 दिसंबर 1899 को विश्व के पहली ग...
22/12/2021

महान स्वतंत्रता सेनानी, यदुकुल गौरव स्व. बाबू अक्षयवट राय जी की जयंती विशेष -

आज ही के 22 दिसंबर 1899 को विश्व के पहली गणतंत्र वैशाली की धरती पर भारत के गणतंत्र की लडाई लड़ने वाले सपूत अक्षयवट राय का जन्म हुआ था।

उनके पिता का नाम निरसू राय और माता का नाम कमला देवी था, वो बिंदुपुर प्रखंड के शीतलपुर थाना के काकड़हट्टा गाँव के वे रहने वाले थे एवं यदुवंशी अहीरों के 'कृष्णौत' शाखा से संबंधित थे।

स्कूल के दिनों में ही उनमें देश की स्वतंत्रता संग्राम में कुद पड़ने की जुनून बढ़ने लगी।

01 अगस्त 1920 को महात्मा गॉंधी के नेतृत्व मे असहयोग आंदोलन का बिगुल पूरे देश में फुंका गया जिसमें अक्षयवट बाबू भी अपनी कॉलेज की पढाई छोड़ कुद पड़े। असहयोग आंदोलन के दौरान ही महात्मा गांधी हाजीपुर आये जहाँ उन्होंने 07 दिसंबर 1920 को 'गांधी आश्रम' की स्थापना किया जो अक्षयवट बाबू का कार्यक्षेत्र बन गया।

असहयोग आंदोलन के दौरान डॉ राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में अक्षयवट बाबू जैसे पारस सपूतों ने पटना के सदाकत आश्रम से जुलूस निकाली अंग्रेजी शासन ने जुलूस पर घोड़ा दौराने का आदेश दिया गया अक्षयवट बाबू सहित सभी आंदोलनकारी जमीन पर लेट गए परंतु कप्तान ने यह कह कर फैसला वापस ले लिया कि सेना लड़ने वालों से लड़ेगी सत्याग्रही से नही।

काँग्रेस की और से 15 फरवरी 1922 को सरकारी भवन पर तिरंगा फहराने का कार्यक्रम था हाजीपुर में अक्षयवट बाबू के नेतृत्व में कचहरी के उपर झंडा फहराया गया जो जिले के इतिहास की महत्वपूर्ण घटना है।

05 फरवरी 1922 के चौरा- चोरी कांड से दुःखी होकर गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को खत्म कर दिया जिससे युवा क्रांतिकारी को धक्का लगा।

नशाबंदी आंदोलन में वे जेल गए और हाजीपुर कचहरी में मुकदमे की सुनवाई हुई एवं उन्हें व उनके साथियों को मुज़फरपुर जेल लाया गया उस समय कैदियों को लकड़ी की तख्ती गर्दन में पहनाई जाती थी जिन्हें 'तौक' कहते थे। उन्होंने पुलिस प्रशासन के लाख कोशिस के बाद भी 'तौक' नही पहना। पुलिस IG ने हारकर उन्हे और उनके उनके साथियों को 'तौक' से मुक्ति दी, यह एक बड़ी जीत थी बाद में वे कैदियों के नेता बन गए।

असहयोग आंदोलन के स्थगित होने के बाद अक्षयवट राय अपने युवा क्रांतिकारियों के साथ क्रांतिकारी नेता शचींद्र सन्याल के पार्टी HRA (Hindustan Republican Association) से जुड़ गए।

HRA आर्मी में जुड़ने के बाद अक्षय बाबू अपने क्रांतिकारी सक्रियता के कारण अंग्रेजी शासन को आँख के काँटा बन गए। अंग्रेजी शासन इस दौरान कई बार उनके खेत के फसल उजाड़ दिये कई बार उनके घर का कुर्की- जब्ती कर लिया लेकिन फिर भी उन्होंने अंग्रेजी शासन के सामने घुटना नही टेका।

जब 23 मार्च 1931 को शहीद- ए- आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी हुआ तब पंजाब के क्रांतिकारियों द्वारा बिहार के क्रांतिकारियों को एक संदेश भेजवाया गया जिसके अनुसार भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी बिहार के बेतिया के क्रांतिकारी साथी के अंग्रेज के तरफ से गवाही देने से हुई तो बिहार के क्रांतिकारी विचलित हो गए। सदाकत आश्रम हाजीपुर मे क्रांतिकारियों की मीटिंग हुयी जिसे अक्षयवट राय, बैकुंठ शुक्ल, किशोरी प्रसन्न सिंह और उनकी पत्नी सुनीता सिन्हा आदि शामिल हुए सभी भगत सिंह के खिलाफ गवाही देने वाले को मौत के घाट उतारने को उतावले थे। क्रांतिकारियों में सहमति नही होने पर सभी के नाम गोटी उछालने की बात हुयी।

जिसके बाद सुनीता सिन्हा ने पांच क्रांतिकारी के नाम की गोटी उछाला जिसमें बैकुंठ शुक्ल का नाम आया। बैकुंठ शुक्ल ने रौशन सिंह के साथ भगत सिंह के खिलाफ गवाही देने वाले का अंत कर दिया।

अक्षयवट राय के नेतृत्व मे हाजीपुर इलाके मे सफलता पूर्वक चौकीदारी टैक्स बंदी आंदोलन चलाया गया।

माँ भारती के आजादी के लिए अक्षयवट बाबू ने 13 साल जेल में बिताया अंग्रेजी शासन ने उनका बहुत सारे ज़मीन नीलाम कर लिया। एक बार अंग्रेजी शासन उनपर 134 कोड़े बरसाए लेकिन उन्होंने फिर भी अपना सिर अंग्रेजी शासन के सामने नही झुकाया।

अक्षयवट बाबू "बिहार सोसलिस्ट पार्टी" के संस्थापक सदस्य थे।

1942 के भारत आंदोलन (अगस्त क्रांति) के समय इन्ही की नेतृत्व में 09 अगस्त 1942 को बिंदुपुर इलाके में लाइन काटी गई थी। आजाद दस्ताने के गठन में जयप्रकाश नारायण एवं राम मनोहर लोहिया के साथ अक्षयवट बाबू महत्वपूर्ण भूमिका निभाए।

1963 में इस महान क्रांतिकारी का देहांत हो गया।

उनके मृत्यु के बाद उस क्षेत्र एक और महान स्वतंत्रता सेनानी बाबू सीताराम सिंह (यादव) ने उनके स्मृति मे
"अक्षयवट राय कॉलेज - महुआ" की स्थापना किया और बाद में 'अक्षयवट राय स्टेडियम' भी हाजीपुर शहर में स्थापित हुआ।

भारत सरकार ने अक्षयवट बाबू के सम्मान में बिंदुपुर रेलवे स्टेशन का नाम परिवर्तित कर "अक्षयवट राय नगर" कर दिया।

माँ भारत के इस महान समाजवादी क्रांतिकारी को उनके जयंती पर शत्-शत् नमन।।

सैन्य इतिहास :कारगिल युद्ध में बिहार के 3 वीर अहीरों ने देश की रक्षा करते हुए अपना बलिदान दिया था।1. नायक गणेश प्रसाद या...
18/12/2021

सैन्य इतिहास :
कारगिल युद्ध में बिहार के 3 वीर अहीरों ने देश की रक्षा करते हुए अपना बलिदान दिया था।

1. नायक गणेश प्रसाद यादव, वीर चक्र
पटना, बिहार

2. नायक विशुनी राय
छपरा, बिहार

3. लांस नायक राम बच्चन राय
वैशाली, बिहार

1999 में हुए कारगिल युद्ध में बिहार के कुल 18 जवान शहीद हुए थे, सभी को शत शत नमन।

इस युद्ध के दौरान 1 बिहार रेजिमेंट के कर्नल ओपी यादव (बाद में ब्रिगेडियर) थे, जिन्हें युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया था। (ये बिहार के नही थे, अगर आप मे से किसी के पास इनसे जुड़ा जानकारी हो तो हमे जरूर बताएं)

कर्नल ओपी यादव के नेतृत्व में ही 1st Bihar ने जुबार और थारू पर कब्जा किया था जिसके बाद इन्हें ब्रिगेडियर बना दिया गया।

बोल बजरंग बली की जय ✊
जय दादा किशन ✊

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